क्या कश्मीरियों की आवाज दबाने के लिए प्रताड़ित कर रही सेना
२० सितम्बर २०१९
भारत प्रशासित कश्मीर के एक हिस्से में रहने वाले दो दर्जन युवाओं ने आरोप लगाया है कि भारतीय सेना उन्हें प्रताड़ित कर रही है. कैंप में बुलाकर बिजली के झटके दिए जा रहे हैं.
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शोपियां दक्षिण कश्मीर घाटी के चार जिलों में से एक है. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाए जाने के बाद सैनिक दुर्व्यवहार कर डर का माहौल बनाना चाहते हैं. सेना पर आरोप लगाने वालों में से एक युवक आबिद खान कहते हैं कि आधी रात के बाद सैनिक आए. सैनिकों को देख उनका हाथ कांपने लगा. 26 साल के आबिद शोपियां जिले के हिरपोरा गांव के रहने वाले हैं. वे कहते हैं कि 14 अगस्त को उन्हें और उनके भाई के आंखों पर पट्टी बांध दी गई और घसीटते हुए घर से बाहर निकाला गया. आबिद ने अपने हाथ, पैर और कूल्हें पर चोट का निशान दिखाते हुए कहा, "उन्होंने मेरे भाई को बिजली का झटका लगाया. वह दर्द से चीख रहा था."
आबिद ने कहा, "एक बार नजदीक के चौगाम आर्मी कैंप में सैनिकों ने मुझे नंगा कर दिया. मेरे पैर-हाथ बांध दिए गए और लटकाकर रॉड से पिटाई की गई." उन्होंने कहा कि कैंप के मेजर ने उनके ऊपर हाल ही में हुई अपनी शादी में हिजबुल मुजाहिद्दीन के रियाज नाइकू को आमंत्रित करने का आरोप लगाया.
वर्ष 1989 में कश्मीर में शुरू हुई हिंसा के बाद करीब 40 हजार लोग मारे जा चुके हैं जिनमें ज्यादातर आम नागरिक हैं. भारत का कहना है कि बगावत के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. 1947 के बाद जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का भी नियंत्रण है. आबिद कहते हैं, "मैं बार-बार कहता रहा कि मेरे ऊपर जो आरोप लग रहे हैं, वह सही नहीं है. बावजूद मेरे गुप्तांगों और जख्मों पर बिजली के झटके दिए गए. उनमें से एक ने कहा कि वह मुझे नपुंसक बना देगा."
आबिद कहते हैं कि अगली सुबह छोड़े जाने के बाद वे ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहे थे. अगले 10 दिनों तक उन्हें उल्टी होती रही. वे 20 दिनों बाद चलने में सक्षम हो पाए. वे कहते हैं, "मैं अब ठीक से खाना नहीं खा सकता. मैं अपनी पत्नी के कमरे में नहीं जाता हूं. इस टार्चर से तो अच्छा गोली लगने से मर जाना है."
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5 अगस्त के बाद से जम्मू-कश्मीर में बंद की स्थिति है. भारत सरकार ने कहा कि मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का उद्देशय पाकिस्तान के समर्थन से होने वाले विद्रोह को रोकना है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने सेना द्वारा किसी भी तरह के अत्याचार के इनकार किया है. कश्मीर में सेना के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने कहा, "आतंकियों को रोकने वाले सभी अभियान पेशेवर और पीपल-फ्रेंडली तरीके से चलाया जा रहा है. सेना के ऊपर मारपीट का आरोप पूरी तरह निराधार है." लेकिन स्थानीय लोग कहते हैं कि सेना के कैंप से रात को अकसर से चीखने की आवाज आती है.
इस गांव में रहने वाले तीन अन्य लोगों ने कहा कि उन्हें भी टार्चर किया गया. शोपियां के गांवों में रहने वाले दो दर्जन लोगों ने कहा कि उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. लोगों का कहना है कि सेना के जवान प्रायः आधी रात को घर पर छापा मारते हैं. लोगों का पहचान पत्र और मोबाइल फोन जब्त कर उन्हें कैंप से आकर ले जाने को कहते हैं.
21 साल के एक युवक ने कहा कि 27 अगस्त के बाद से उसे तीन बार आर्मी कैंप जाना पड़ा. हर बार उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया. युवक ने बताया कि एक आर्मी ऑफिसर ने उसके ऊपर बागियों का खाना देने का आरोप लगाया और उनके बारे में सूचना देने पर पैसे देने की पेशकश की. दूसरी बार उसके एक पूर्व सहपाठी के बारे में पूछताछ की गई जो कि अब एक उग्रवादी बन चुका है. अपने बांह पर चोट का निशान दिखाते हुए युवक ने कहा, "उन्होंने करीब दो घंटे तक मुझे अंधेरे कमरे में रखा और बिजली के झटके दिए."
दुनिया में कहां कहां अलगाववाद
दुनिया में कई जगहों पर अलग देशों को लेकर आंदोलन चल रहे हैं. विभिन्न ऐतिहासिक, राजनीतिक और आर्थिक कारणों से हो रहे ये आंदोलन दुनिया को नए देश दे सकते हैं.
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कश्मीर, भारत
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कैटेलोनिया, स्पेन
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फ्लेमिश रिपब्लिक, बेल्जियम
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वेनेटो, इटली
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स्कॉटलैंड, ब्रिटेन
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अबखासिया, जॉर्जिया
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साउथ ओसेतिया, जॉर्जिया
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ट्रांसनिस्ट्रिया, मोल्डोवा
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न्यू रशिया, यूक्रेन
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वेस्ट पापुआ, इंडोनेशिया
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सोमालीलैंड, सोमालिया
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गुगलोरा गांव के रहने वाले 21 साल के ओबैद खान ने कहा कि उसे भी पहचान पत्र और फोन लेने के लिए 26 अगस्त को आर्मी कैंप में बुलाया गया था. खान के कहा, "आठ सैनिकों ने काफी देर तक रॉड से मेरी पिटाई की. वहां से निकलने से पहले मुझसे मेरे गांव पत्थर फेंकने वालों के नाम की लिस्ट के साथ आने को कहा गया." उनके गांव के समीप प्रदर्शन के दौरान सेना के साथ झड़प हुई थी.
पिंजौरा गांव के स्थानीय अधिकारी सज्जाद हैदर खान कहते हैं, "मैंने एक लिस्ट देखी जिससे यह पता चला कि सिर्फ शोपियां में ही पुलिस और सैनिकों ने 1800 लोगों को हिरासत में लिया. शोंपिया में मेरे घर से कुछ दूरी पर ही पांच कमांडो सैनिक घर-घर जाकर स्थानीय लोगों का विवरण ले रहे थे. मैं कह सकता हूं कि यह लोगों की आवाज को दबाने के लिए किया जा रहा है और इसका असर भी हो रहा है. 5 अगस्त के बाद से यहां सैनिकों के ऊपर पत्थरबाजी नहीं हुई है."
आरआर/एनआर (एएफपी)
आजादी के बाद से ही कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक फांस बना हुआ है. कश्मीर के मोर्चे पर कब क्या क्या हुआ, जानिए.
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1947
बंटवारे के बाद पाकिस्तानी कबायली सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया तो कश्मीर के महाराजा ने भारत के साथ विलय की संधि की. इस पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया.
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1948
भारत ने कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया. संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव 47 पास किया जिसमें पूरे इलाके में जनमत संग्रह कराने की बात कही गई.
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1948
लेकिन प्रस्ताव के मुताबिक पाकिस्तान ने कश्मीर से सैनिक हटाने से इनकार कर दिया. और फिर कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया गया.
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1951
भारतीय कश्मीर में चुनाव हुए और भारत में विलय का समर्थन किया गया. भारत ने कहा, अब जनमत संग्रह का जरूरत नहीं बची. पर संयुक्त राष्ट्र और पाकिस्तान ने कहा, जनमत संग्रह तो होना चाहिए.
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1953
जनमत संग्रह समर्थक और भारत में विलय को लटका रहे कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया. जम्मू कश्मीर की नई सरकार ने भारत में कश्मीर के विलय पर मुहर लगाई.
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1957
भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर परिभाषित किया गया.
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1962-63
चीन ने 1962 की लड़ाई भारत को हराया और अक्साई चिन पर नियंत्रण कर लिया. इसके अगले साल पाकिस्तान ने कश्मीर का ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट वाला हिस्सा चीन को दे दिया.
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1965
कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ. लेकिन आखिर में दोनों देश अपने पुरानी पोजिशन पर लौट गए.
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1971-72
दोनों देशों का फिर युद्ध हुआ. पाकिस्तान हारा और 1972 में शिमला समझौता हुआ. युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा बनाया गया और बातचीत से विवाद सुलझाने पर सहमति हुई.
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1984
भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण कर लिया, जिसे हासिल करने के लिए पाकिस्तान कई बार कोशिश की. लेकिन कामयाब न हुआ.
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1987
जम्मू कश्मीर में विवादित चुनावों के बाद राज्य में आजादी समर्थक अलगाववादी आंदोलन शुरू हुआ. भारत ने पाकिस्तान पर उग्रवाद भड़काने का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया.
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1990
गवकदल पुल पर भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 100 प्रदर्शनकारियों की मौत. घाटी से लगभग सारे हिंदू चले गए. जम्मू कश्मीर में सेना को विशेष शक्तियां देने वाले अफ्सपा कानून लगा.
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1999
घाटी में 1990 के दशक में हिंसा जारी रही. लेकिन 1999 आते आते भारत और पाकिस्तान फिर लड़ाई को मोर्चे पर डटे थे. कारगिल की लड़ाई.
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2001-2008
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की कोशिशें पहले संसद पर हमले और और फिर मुबई हमले समेत ऐसी कई हिंसक घटनाओं से नाकाम होती रहीं.
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2010
भारतीय सेना की गोली लगने से एक प्रदर्शनकारी की मौत पर घाटी उबल पड़ी. हफ्तों तक तनाव रहा और कम से कम 100 लोग मारे गए.
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2013
संसद पर हमले के दोषी करार दिए गए अफजल गुरु को फांसी दी गई. इसके बाद भड़के प्रदर्शनों में दो लोग मारे गए. इसी साल भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मिले और तनाव को घटाने की बात हुई.
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2014
प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गए. लेकिन उसके बाद नई दिल्ली में अलगाववादियों से पाकिस्तानी उच्चायुक्त की मुलाकात पर भारत ने बातचीत टाल दी.
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2016
बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर में आजादी के समर्थक फिर सड़कों पर आ गए. अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और गतिरोध जारी है.
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2019
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 46 जवान मारे गए. इस हमले को एक कश्मीरी युवक ने अंजाम दिया. इसके बाद परिस्थितियां बदलीं. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बना हुआ है.
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2019
22 जुलाई 2019 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया की भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्थता करने की मांग की. लेकिन भारत सरकार ने ट्रंप के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझेगा.
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2019
5 अगस्त 2019 को भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संशोधन विधेयक पेश किया. इस संशोधन के मुताबिक अनुच्छेद 370 में बदलाव किए जाएंगे. जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. लद्दाख को भी एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. धारा 35 ए भी खत्म हो गई है.