जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के 15 महीनों बाद भी आतंकवाद का खात्मा नहीं हो पाया है. एक ताजा मुठभेड़ में तीन आतंकियों के साथ साथ चार भारतीय सैनिक भी मारे गए और दो और सैनिक घायल हो गए.
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मुठभेड़ रविवार आठ नवंबर को नियंत्रण रेखा के पास कुपवाड़ा जिले के माछील सेक्टर में हुई. यह कई महीनों में इलाके में सुरक्षाबलों को होने वाला सबसे बड़ा नुकसान है. मुठभेड़ की शुरुआत तब हुई जब बीएसएफ के सिपाहियों ने नियंत्रण रेखा के पास जंगलों में संदिग्ध गतिविधि देखी. सेना के अधिकारियों के अनुसार जब बीएसएफ के जवानों ने उस गतिविधि में शामिल संभावित आतंकियों को चुनौती दी, तो उन्होंने गोलियां चलाना शुरू कर दिया, जिसके मुठभेड़ शुरू हो गई
सेना के अधिकारी कर्नल राजेश कालिया ने बताया कि शुरूआती गोलाबारी में एक सैनिक और एक संदिग्ध आतंकवादी मारा गया और उसके बाद वहां और भी सुरक्षाकर्मी भेजे गए. कर्नल कालिया के अनुसार बाद में दो और सैनिक और दो संदिग्ध आतंकी भी मारे गए. इसके पहले इसी साल अप्रैल में दो अलग अलग घटनाओं में नौ संदिग्ध आतंकी और तीन सैनिक मारे गए थे.
नियंत्रण रेखा पर भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार गोलीबारी होती रहती है लेकिन ये घटनाएं अगस्त 2019 में भारत सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को निरस्त कर देने के बाद से बढ़ गई हैं. तब से इलाके में तनाव बढ़ा हुआ है और हाल में गैर-कश्मीरियों को वहां जमीन खरीदने की अनुमति देने के कदम के बाद स्थानीय लोगों में नाराजगी है.
कश्मीर भारत का एकमात्र मुस्लिम-बहुल प्रांत है और कई कश्मीरियों ने केंद्र सरकार पर इलाके की स्थानीय आबादी के साथ नाइंसाफी करने का आरोप लगाया है. माना जा रहा है कि कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के जवाब में पिछले सप्ताह पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्तिस्तान को राज्य का दर्जे देने की घोषणा की.
गिलगित-बाल्तिस्तान कश्मीर इलाके का एक हिस्सा है जिसे लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच पुराना विवाद है. यह भारत के जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के उत्तर-पश्चिम में पड़ता है. पाक अधिकृत कश्मीर, पाकिस्तान का खैबर-पख्तुनख्वा प्रांत, अफगानिस्तान का वखान गलियारा और चीन का शिंकियांग इलाका इससे सटे हुए हैं.
नवंबर में कश्मीर में केसर की फसल होने लगती है. इसे दुनिया जाफरान के नाम से भी जानती है. खेती का मुख्य इलाका पुलवामा जिले में पंपोर है. पत्रकार गुलजार बट ने केसर के फूल चुनते किसानों को तस्वीरों में कैद किया है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
मसालों का राजा
जाफरान यानि केसर को मसालों का राजा माना जाता है. हालांकि कश्मीर में केसर की खेती तीन इलाकों में होती है लेकिन घाटी के पंपोर इलाके में सबसे ज्यादा फसल के कारण इसे कश्मीर का केसर टाउन कहा जाता है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
क्वालिटी केसर
पुलवामा जिले में सालाना 60-80 क्विंटल उच्च क्वालिटी के केसर की खेती होती है. किसानों के अनुसार अच्छी क्वालिटी के एक ग्राम केसर के लिए बाजार में 250 से 300 रुपये तक मिलता है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
परिवार की मदद
केसर के पौधों में जब फूल लग जाते हैं तो उन्हें तोड़ने के लिए खेतों में पूरा परिवार पहुंचता है और फूलों को इकट्ठा किया जाता है. बाद में इन्हीं फूलों से केसर के तार निकाले जाते हैं.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
सूखे की मार
इस साल उत्पादन कम हुआ है. इसकी वजह बरसात का कम होना है. किसानों का कहना है कि फसल कम होने की मुख्य वजह लंबे वक्त तक मौसम का सूखा रहना है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
ड्रिपिंग सिंचाई का फायदा नहीं
यूं तो इस इलाके में केसर के खेतों की सिंचाई के लिए सरकार ने ड्रिपिंग तकनीक शुरू की है. लेकिन किसानों का कहना है कि यह सुविधा बहुत देर से आई और इस साल उसका उतना फायदा नहीं हुआ.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
जीआई टैग
इस साल से कश्मीर के केसर को जीआई टैग भी मिला है जो उसे दूसरे उत्पादों से अलग करता है और दार्जिलिंग चाय की तरह खास बनाता है. लेकिन बहुत से छोटे किसानों का इसका फायदा मालूम नहीं.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
होगा फायदा
अक्सर कश्मीरी केसर के नाम पर कम क्वालिटी वाले केसर भी लोगों को बेच दिए जाते हैं. इसकी वजह से कश्मीरी केसर बदनाम हो रहा था. अब जीआई टैग मिल जाने से किसानों को माल बेचने में आसानी होगी.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
खेतों की सैर
अभी पंपोर का माहौल देश के दूसरे हिस्सों जैसा ही है जहां परिवार की लड़कियां भी फसल कटाने जाती हैं. ये कश्मीरी लड़कियां केसर के फूल जमा कर लौट रही हैं.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
काम के बाद आराम
केसर के फूलों को चुनने का काम आसान नहीं. क्रोकस के छोटे फूलों को झुककर खोंटने में कमर दुख जाती है. काम के बाद खेतों पर ही थोड़ा आराम अच्छा ही लगता है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
केसर वाले इलाके
कश्मीर के जिन दूसरे इलाकों में केसर होता है, वे हैं बड़गाम, श्रीनगर और डोडा. इस बार पंपोर के केसर पार्क में केसर की टेस्टिंग और पैकेजिंग होगी. अच्छी क्वालिटी के केसर को विदेशों में बेचने का लक्ष्य है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
सबसे महंगा मसाला
जाफरान दुनिया का सबसे महंगा मसाला है. इसकी वजह ये भी है कि यह कठोर परिश्रम से तैयार किया जाता है. पांच ग्राम जाफरान पाने में केसर के 800 फूलों की जरूरत होती है.
तस्वीर: Gulzar Bhat/DW
स्पेन में जाफरान
करीब 1000 साल से स्पेन में भी केसर की खेती होती है. ला मांचा के पठार में उपजाए जाने वाले स्पेनी केसर को अजाफरान दे ला मांचा कहते हैं. कंसुएगरा शहर में अक्तूबर के अंत में जाफरान महोत्सव मनाया जाता है.
तस्वीर: DW
ईरान में केसर
कहते हैं भारत में केसर ईरानी लोग लेकर आए थे. इसका श्रेय ईरान के सूफी संतों का जाता है. ईरान अभी भी केसर का मुख्य उत्पादक है जहां दुनिया के 90 फीसदी से ज्यादा केसर का उत्पादन होता है.
तस्वीर: Tasnim/M. Nesaei
और ये है केसर
और ये हैं केसर के धागे जो हम बाजार से खरीद कर लाते हैं. फूलों से ये धागे हाथ से एक एक कर निकाले जाते हैं. तभी तो इतना महंगा होता है जाफरान.