क्या बड़ी कंपनियों के बैंकों में आपका पैसा सुरक्षित रहेगा?
चारु कार्तिकेय
२४ नवम्बर २०२०
बड़ी कंपनियों को बैंक खोलने की अनुमति देने के आरबीआई के प्रस्ताव के नतीजे कैसे होंगे? क्या कॉरपोरेट घरानों के बैंक भारतीय बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत करेंगे और क्या खाताधारकों की जमा-पूंजी को सुरक्षित रखेंगे?
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आरबीआई की एक समिति ने बड़े कॉरपोरेट और औद्योगिक घरानों को बैंक खोलने की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है. साथ ही इस समिति ने बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक में बदलने की अनुमति देने का भी प्रस्ताव दिया है. केंद्रीय बैंक के इंटरनल वर्किंग ग्रुप (आईडब्ल्यूजी) द्वारा दिए गए इन प्रस्तावों पर 15 जनवरी, 2021 तक प्रतिक्रिया स्वीकार की जाएगी और उसके बाद आरबीआई अपना फैसला सुना देगी.
आरबीआई का क्या फैसला होगा यह इस समय कहना मुश्किल है, लेकिन कई जानकार इस प्रस्ताव पर आपत्ति जता रहे हैं. बीते कुछ सालों में पीएमसी बैंक, यस बैंक और लक्ष्मी विलास जैसे बैंकों की वित्तीय हालत बेहद खराब हो गई और आरबीआई को उनका नियंत्रण अपने हाथों में ले लेना पड़ा.
दूसरे बैंक भी ऐसे हाल तक तो नहीं पहुंचे हैं लेकिन बड़े-बड़े ऋण के ना चुक पाने के कारण सबका वित्तीय स्वास्थ्य अच्छा नहीं है. एसबीआई और एचडीएफसी जैसे शीर्ष बैंक भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में पूरा बैंकिंग क्षेत्र अनिश्चिततताओं से गुजर रहा है और तरह तरह के सुधारों का प्रस्ताव दिया जा रहा है.
इस प्रस्ताव की भी यही पृष्ठभूमि है, लेकिन कई जानकारों ने इस से असहमति जताई है. यहां तक की आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है. उनके अनुसार आईडब्ल्यूजी ने जितने विशेषज्ञों से सलाह ली थी उनमें से एक को छोड़ सबने प्रस्ताव का विरोध किया था और इसके बावजूद समूह ने प्रस्ताव की अनुशंसा कर दी.
दोनों अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक खोलने की अनुमति देने से "कनेक्टेड लेंडिंग" शुरू हो जाएगी. "कनेक्टेड लेंडिंग" यानी ऐसी व्यवस्था जिसमें बैंक का मालिक अपनी ही कंपनी को आसान शर्तों पे लोन दे देता है. राजन और आचार्य के अनुसार इससे "सिर्फ कुछ व्यापार घरानों में आर्थिक और राजनीतिक सत्ता के केन्द्रीकरण की समस्या और बढ़ जाएगी."
लेकिन आईडब्ल्यूजी के प्रस्ताव से बैंकिंग लाइसेंस पाने की इच्छुक कंपनियों में उत्साह है. भारत में 1980 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था और उसके बाद 1993 में निजी कंपनियों को बैंक खोलने की अनुमति दी गई थी. तब से कई बड़े औद्योगिक घराने बैंक खोलने का लाइसेंस मिलने की राह देख रहे हैं.
पिछले कुछ सालों में इन सभी ने एनबीएफसी भी खोल लिए हैं, जिनमें बजाज फिनसर्व, एम एंड एम फाइनेंस, टाटा कैपिटल, एल एंड टी फाइनैंशियल होल्डिंग्स, आदित्य बिरला कैपिटल इत्यादि शामिल हैं. लेकिन कई जानकार 2007-08 के वैश्विक वित्तीय संकट की भी याद दिला रहे हैं जिसके बाद कई देशों में कॉरपोरेट घरानों द्वारा चलाए जाने वाले बैंकों के प्रति संदेह उत्पन्न हो गया था.
आरबीआई ने बताया कि बीते 11 वित्तीय वर्षों में सामने आए धोखाधड़ी के 53,334 मामलों में बैंकों को 2050 अरब रुपये का चूना लगा. सबसे ज्यादा धोखाधड़ी आईसीआईसीआई बैंक के साथ हुई लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब नेशनल बैंक को हुआ.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe
आईसीआईसीआई बैंक
आईसीआईसीआई बैंक में धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा 6,811 मामले सामने आए, जिसके सहारे 50 अरब रुपये की चपत लगाई गई.
तस्वीर: Getty Images/AFP//T. Clary
भारतीय स्टेट बैंक
भारत के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक में धोखाधड़ी के 6,793 मामले सामने आए, जिसके सहारे उसे 237 अरब रुपये का चूना लगाया गया.
तस्वीर: Reuters/R.D. Chowdhuri
एचडीएफसी बैंक
एचडीएफसी बैंक में धोखाधड़ी के 2,497 मामले सामने आए. बैंक को 12 अरब रुपये का चूना लगाया गया.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
बैंक ऑफ बड़ौदा
बैंक ऑफ बड़ौदा ने 2,160 धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्ट की. इसमें 129 अरब रुपये की हेराफेरी की गई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Nath
पंजाब नेशनल बैंक
एचडीएफसी बैंक में धोखाधड़ी के 2,047 मामले सामने आए. बैंक को 287 अरब रुपये का चूना लगाया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri
एक्सिस बैंक
एक्सिस बैंक में धोखाधड़ी के 1,944 मामले दर्ज किए गए. बैंक को 53 अरब रुपये का चूना लगाया गया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
बैंक ऑफ इंडिया
बैंक ऑफ इंडिया में धोखाधड़ी के 1,872 मामले दर्ज किए गए. बैंक से 123 अरब रुपये हड़पने की कोशिश की गई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Kakade
सिंडिकेट बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
सिंडिकेट बैंक में धोखाधड़ी के 1,783 मामले दर्ज किए गए. बैंक के 58 अरब रुपये हड़पने की कोशिश की गई. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में धोखाधड़ी के 1,613 मामले सामने आए. इसकी कुल रकम 90 अरब रुपये है.
तस्वीर: UNI India
आईडीबीआई और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक
आईडीबीआई में 59 अरब रुपये के 1.264 मामले और स्टैंडर्ड चाटर्ड बैंक में 12 अरब रुपये के 1,263 धोखाधड़ी के मामले सामने आए.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/R. K. Raj
केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, कोटक महिंद्रा बैंक
केनरा बैंक में 55 अरब के 1,254 मामले, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 118 अरब रुपये के 1,244 और कोटक महिंद्रा में 4 अरब के 1,213 मामले सामने आए.
तस्वीर: DIBYANGSHU SARKAR/AFP/Getty Images
ये भी हुए शिकार
इंडियन ओवरसीज बैंक में 1,115 मामले, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में 1040, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में 944, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर में 395, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला में 386, पंजाब एंड सिंध बैंक में 276 मामले दर्ज किए गए.
तस्वीर: Reuters/A. Verma
यहां भी धोखाधड़ी
यूको बैंक में 1081, तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक लिमिटेड में 261 और लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड में धोखाधड़ी के 259 मामले सामने आए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri
विदेशी बैंक के साथ भी धोखाधड़ी
अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कॉर्पोरेशन, सिटी बैंक, एचएसबीसी लिमिटेड और रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड पीएलसी के साथ भी धोखाधड़ी के मामले सामने आए. (रिपोर्ट-रवि रंजन)