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कारोबार

क्या कोलगेट-यूनिलीवर को महंगी पड़ेगी रिलायंस से दोस्ती?

५ जनवरी २०२२

मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस छोटी दुकानों को सामान बेचने के धंधे में आक्रामक तरीके से उतरी है. रिलायंस कोलगेट और यूनिलीवर जैसी जिन कंपनियों का सामान बेचेगी, क्या उन्हें इस साझेदारी से नुकसान उठाना पड़ सकता है.

Indien Sangli | JioMart App
तस्वीर: Abhiruo Roy/REUTERS

कोलगेट-पामोलिव इंडिया ने मंगलवार को कहा है कि वह भारत में अपने सेल्स रेप्रेजेन्टेटिव्स यानी बिक्री प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रही है. इससे पहले कंपनी के बिक्री प्रतिनिधियों ने देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्यों में से एक में आपूर्ति ठप्प करने की चेतावनी दी थी.

इन प्रतिनिधियों का आरोप है कि सामान की कीमतों को लेकर कंपनी उनके साथ भेदभाव कर रही है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने नवंबर में जानकारी दी थी कि कोलगेट-पामोलिव, रेकिट बेंकाइजर और यूनिलीवर सरीखी कंपनियों के सेल्स एजेंट यानी बिक्री प्रतिनिधियों को बीते एक साल में करीब 20 से 25 फीसदी का घाटा हुआ है.

घाटे की वजह क्या है?

इसकी वजह यह रही है कि कई छोटी किराना दुकानों ने अब इन बिक्री एजेंटों के बजाय मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस से सामान खरीदना शुरू कर दिया है, जो उन्हें कम कीमत पर सामान बेच रही है.

रॉयटर्स की इस जानकारी के बाद खबर आई कि बिक्री एजेंटों ने इन छोटी किराना दुकानों में आपूर्ति बंद करने की चेतावनी दी. एजेंट चाहते हैं कि कंपनी अपना उत्पाद उन्हें भी उसी दाम पर उपलब्ध कराए, जिस दाम पर वह रिलायंस जैसे बड़े वितरक को बेच रही है.

तस्वीर: Abhiruo Roy/REUTERS

पिछले सप्ताह वितरकों के एक समूह ने कहा कि 1 जनवरी से वे पश्चिमी महाराष्ट्र में कोलगेट के कुछ सामानों की आपूर्ति करना बंद कर देंगे.

कोलगेट का क्या कहना है?

इंडियन स्टॉक एक्सचेंज को दिए अपने बयान में कोलगेट-पामोलिव ने कहा, "कंपनी अपने वितरकों को पेश आ रही चुनौतियों को हल करने के लिए उनके साथ सीधे बातचीत कर रही है." हालांकि, कंपनी ने यह नहीं बताया कि वह इस संबंध में क्या कदम उठा रही है. बयान में यह भी कहा गया, "कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि राज्य में उसके उत्पादों की आपूर्ति निर्बाध जारी रहे."

रॉयटर्स से बातचीत में वितरकों ने बताया कि अंबानी की कंपनी रिलायंस छोटे दुकानदारों को खूब डिस्काउंट दे रही है, जिसकी वजह से अब वे डिजिटल तरीके से जियोमार्ट पार्टनर ऐप से सामान खरीद रहे हैं. इससे उन बिक्री एजेंटों के सामने संकट खड़ा होने की आशंका पैदा हो गई है, जो बीते कई दशकों से दुकान-दुकान जाकर ऑर्डर लेते आ रहे हैं. देश भर में इनकी संख्या करीब साढ़े चार लाख है.

तस्वीर: Daniel Reinhardt/dpa/picture alliance

कीमतों में कितना अंतर है?

नवंबर में जियोमार्ट पार्टनर ऐप पर उत्पादों की कीमतों का आकलन करने पर पता चलता है कि मुंबई में कोई दुकानदार ऐप पर कोलगेट मैक्सफ्रेश मंजन के दो ट्यूब वाला पैक थोक में करीब 115 रुपए की कीमत पर खरीद सकता था. वही कोलगेट के परंपरागट बिक्री एजेंट के लिए इसी पैक की कीमत 154 रुपए यानी करीब एक तिहाई ज्यादा होती है.

पिछले सप्ताह एक बयान में ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रिब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) ने कहा कि इसके सदस्य 1 जनवरी से महाराष्ट्र में मैक्सफ्रेश उत्पाद की आपूर्ति करना बंद कर देंगे और बाद में अन्य उत्पादों की आपूर्ति भी रोक दी जाएगी. समूह का अनुमान है कि भारत में होने वाली सामानों की कुल बिक्री का 40 फीसदी महाराष्ट्र में होता है.

वहीं यूनिलीवर कंपनी की भारतीय ब्रांच हिंदुस्तान यूनिलीवर ने एक बयान में कहा है कि उनके प्रतिनिधियों ने एआईसीपीडीएफ की चिंताएं समझने के लिए उनसे मुलाकात की है और कंपनी द्विपक्षीय तरीके से इनका समाधान करेगी. कंपनी ने कहा कि वितरक उनके अहम भागीदार हैं और हमेशा रहेंगे.

रेकिट बेंकाइजर ने इस मुद्दे पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

वीएस/एनआर(रॉयटर्स)

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