क्या चीन के खिलाफ कई सैन्य शक्तियां एकजुट होने लगी हैं?
यूलियन रयाल
२१ दिसम्बर २०२०
जापान सरकार ने जर्मनी से पूर्वी एशिया में युद्धपोत भेजने की अपील की है. पूर्वी एशिया में चीन की बढ़ती आक्रामकता के मद्देनजर जापानी रक्षा मंत्री ने यह दरख्वास्त की है.
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जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने जर्मन रक्षा मंत्री आनेग्रेट क्रांप कारेनबाउर के साथ ऑनलाइन बातचीत में यह इच्छा जाहिर की. जापानी रक्षा मंत्री ने उम्मीद जताई की 2021 में जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्सेस के साथ संयुक्त अभ्यास में एक जर्मन युद्धपोत भी हिस्सा लेगा.
किशी के मुताबिक जर्मनी की भागीदारी से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की दक्षिण चीन सागर में मुक्त आवाजाही की कोशिशों को बल मिलेगा. जापान के मुताबिक हाल के वर्षों में बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर की काफी हद तक नाकेबंदी कर दी है. चीन वहां मौजूद कोरल और द्वीपों पर दूसरे देशों के दावे को खारिज कर रहा है.
चीन ने शुरुआत में कहा था कि वह इन द्वीपों पर सेना तैनात नहीं करेगा. हालांकि अब सैटेलाइट तस्वीरों से साफ पता चल रहा है कि कई बड़े द्वीपों पर लड़ाकू विमानों के लिए हवाई पट्टियां बना दी गई हैं और मिसाइलें भी तैनात की गई हैं.
विएतनाम, ताइवान, मलेशिया, ब्रुनेई और फिलिपींस दक्षिण चीन सागर के कुछ द्वीपों पर अपना हक जताते हैं. 2016 में द हेग के स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पीसीए) ने ऐसे ही एक सीमा विवाद में फिलिपींस के पक्ष में फैसला सुनाया था. हालांकि चीन ने यह फैसला नहीं माना.
दक्षिण चीन सागर विवाद में उलझे देशों की ताकत
दक्षिण चीन सागर विवाद में चीन समेत सात देश उलझे हुए हैं. एक नजर इन सातों देशों की नौसैनिक ताकत पर.
चीन के पास अपना एक विमानवाही पोत है. दूसरे का निर्माण चल रहा है. बीजिंग की नौसेना के पास 53 पनडुब्बियां, 78 बड़े युद्धपोत, 27 छोटे युद्धपोत, 180 गश्ती नावें, 52 एयरक्राफ्ट और 523 कोस्ट गार्ड नावें हैं. नौसैनिकों की संख्या 2,35,000 है.
तस्वीर: Reuters/Stringer
इंडोनेशिया
इलाके में चीन के बाद इंडोनेशिया सबसे बड़ी नौसैनिक शक्ति है. उसके बेड़े में दो पनडुब्बियां, 12 बड़े विध्वंसक पोत, 27 छोटे युद्धपोत, 19 टैंक लैंडिंग पोत और 43 कोस्ट गार्ड वेसल्स हैं. लेकिन यह भी सच है कि इंडोनेशियाई नौसेना का साजो सामान इलाके में सबसे पुराना है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/J. Kriswanto
सिंगापुर
सिंगापुर की नौसेना के पास 3,000 सैनिक हैं. देश के पास चार पनडुब्बियां, 6 बड़े युद्धपोत, 6 छोटे युद्धपोत, 29 गश्ती नावें और 102 तटरक्षक नावें हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Drake
थाइलैंड
विवाद में थाइलैंड सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं, लेकिन भौगोलिक नक्शे के चलते वह भी इस विवाद में शामिल हो जाता है. 44,000 सैनिकों वाली थाइलैंड की नौसेना के पास एक हैलीकॉप्टर कैरियर है. 9 बड़े युद्धपोत है. सात छोटे युद्धपोत है. इसके अलावा 77 गश्ती नावें और 94 कोस्ट गार्ड वेसल्स हैं.
तस्वीर: Ponchai Kittiwongsakul/AFP/Getty Images
फिलीपींस
24,000 नौसैनिकों वाले फिलीपींस को इस विवाद का सबसे कमजोर खिलाड़ी माना जाता है. देश के पास चार बड़े विध्वंसक युद्धपोत हैं. 10 पुराने और छोटे युद्धपोत हैं. 66 पेट्रोलिंग नावों के साथ फिलीपींस के पास 72 कोस्ट गार्ड शिप हैं.
तस्वीर: Reuters/Maritime Staff Office of the Defense Ministry of Japan
वियतनाम
वियतनाम बीते कुछ सालों से अपनी नौसेना को मजबूत कर रहा है. 40,000 सैनिकों वाली वियतनामी नौसेना के पास 7 रूसी पनडुब्बियां हैं. 2 विध्वंसक और सात युद्धपोत हैं. देश के पास 61 पेट्रोलिंग बोट्स और 78 कोस्ट गार्ड शिप भी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Russian Look
मलेशिया
देश के पास दो पनडुब्बियां, 10 विध्वंसक, चार जर्मन मेड युद्धपोत 33 पेट्रोलिंग बोट्स और 317 कोस्ट गार्ड शिप हैं. मलेशिया की नौसेना में 14,000 सैनिक हैं.
तस्वीर: Getty Images/R. Roslan
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अहम समुद्री मार्ग
दक्षिण चीन सागर का जहाजों के लिए खुला रहना जापान के लिए बहुत अहम है. खाड़ी के देशों से जापान तक जो भी ईंधन पहुंचता है, वह दक्षिण चीन सागर से ही होकर आता है. दुनिया की 30 फीसदी एनर्जी सप्लाई इसी रूट से होती है.
राजधानी टोक्यो में एक बयान जारी करते हुए जापानी रक्षा मंत्री किशी ने कहा, "यह बातचीत समान सोच रखने वाले देशों के बीच ऐसे सहयोग को बढ़ावा देने के लिए है जो आवाजाही की स्वतंत्रता, नियमों के पालन और संपर्क के लक्ष्यों पर एकमत हों.”
चीन को चेतावनी देते हुए जापानी रक्षा मंत्री ने कहा, "चीन समेत हर देश के लिए यह अहम है कि वे कानूनों का सम्मान करते हुए, दक्षिण चीन सागर की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रख कर ऐसे कदम उठाने से बचें जो तनाव को और बढ़ाएं.”
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चीन के खिलाफ एकजुट होते देश
टोक्यो पहले ही एलान कर चुका है कि मई 2021 में होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास में जापान, फ्रांस और अमेरिका हिस्सा लेंगे. ब्रिटेन ने भी अपनी नौसेना, रॉयल नेवी के एयरक्राफ्ट कैरियर एसएमएस क्वीन एलिजाबेथ को इसमें भेजने का एलान किया है.
नवंबर 2019 में जर्मनी शहर म्यूनिख में सैन्य यूनिवर्सिटी को संबोधित करते हुए जर्मन रक्षा मंत्री आनेग्रेट क्रांप कारेनबाउर ने कहा, "हिंद प्रशांत क्षेत्र में हमारे पार्टनर- सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया और साथ ही भारत भी चीन के शक्ति प्रदर्शन से दबाव महसूस कर रहे हैं.”
विवादित पानी में पांव फैलाता चीन
हाल ही में सामने आए उपग्रह चित्र देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि दक्षिण चीन सागर की विवादित जल सीमा में उभरते जमीन के टुकड़े चीन के सैनिक ठिकाने हो सकते हैं. हैरान करने वाली तस्वीरें.
तस्वीर: CSIS Asia Maritime Transparency Initiative/DigitalGlobe
फायरी क्रॉस रीफ पर चीन ने निर्माण कार्य जारी रखा हुआ है. 28 जून 2015 की यह तस्वीर दिखाती है कि यहां करीब 3,000 मीटर लंबी हवाई पट्टी लगभग बन कर तैयार हो चुकी है. फोटो में दो हैलीपैड, संचार एंटीना और रडार जैसी संरचना भी दिखती है.
तस्वीर: Asia Maritime Transparency Iniative
समुद्र के विवादित हिस्से के स्प्रैटली द्वीप के पश्चिम में स्थित फायरी क्रॉस रीफ पर निर्माण कार्य अगस्त 2014 में शुरु हुआ. ड्रेजर उपकरणों की मदद से रीफ पर करीब 3,000 मीटर लंबी और 200 से 300 मीटर चौड़ी सतह तैयार कर ली गई है.
तस्वीर: Reuters//U.S. Navy
नवंबर 2014 की इस तस्वीर में रीफ पर चल रहे निर्माण कार्य को साफ साफ देखा जा सकता है. कथित तौर पर रीफ पर कुछ मिलिट्री टैंक और बैरक पहुंचाए जा चुके हैं.
तस्वीर: CSIS, IHS Jane's
साउथ जॉनसन रीफ ऐसी पहली रीफ थी जिस पर निर्माण कार्य सबसे पहले पूरा हुआ. हाल की ही यह तस्वीर दिखाती है कि उत्तरी छोर पर एक रडार का काम लगभग पूरा हो गया है. एशिया मेरीटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव (एएमटीआई) के अनुसार अब यहां एक विशाल, बहुमंजिले सैनिक सुविधा केंद्र का निर्माण चल रहा है.
तस्वीर: Asia Maritime Transparency Iniative
ऊर्जा के समृद्ध साधनों से भरे इन क्षेत्रों पर चीन अपना आधिपत्य जताता आया है. यहां नौवहन मार्ग से करीब 5 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार होता है. अमेरिका इस निर्माण को ग्रेट वॉल ऑफ सैंड कह चुका है तो चीन समुद्री संसाधनों पर अपना ऐतिहासिक अधिकार मानता है.
तस्वीर: DW
फिलिपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान ने भी इन हिस्सों पर अपने अपने दावे पेश किए हैं. इसके कारण कई बार जमीनी सीमा पर कई विवाद उभरे. 2014 में हनोई और चीन के बीच इस हिस्से में तेल के विशाल भंडार पर हक के मामले ने काफी तूल पकड़ा था.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
अमेरिका को चिंता इस इलाके में चीन की बढ़ती सैनिक शक्ति की है. पूरे प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में इससे अमेरिकी नौसैनिक और आर्थिक शक्ति के कम होने का अंदेशा है. वॉशिंगटन बार बार चीन से कहता आया है कि वह इन विवादित क्षेत्रों में अपना आधिपत्य स्थापित करने वाले प्रोजेक्ट बंद करे, जिन्हें चीन ठुकराता आया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Abbugao
फिलिपींस ने यूएन में इस बाबत 2014 में एक आधिकारिक शिकायत भी दर्ज कराई है. शिकायत में "मनीला और चीन के इस तरह के प्रयासों से पूरे साउथ चाइना सी में जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को अभूतपूर्व नुकसान पहुंचाने" की बात कही गई. यह भी दावा है कि यहां कोरल रीफ के विनाश के कारण सालाना करीब 10 करोड़ डॉलर का आर्थिक नुकसान भी हो रहा है.
तस्वीर: CC2.0/TheAnimalDay
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जर्मन रक्षा मंत्री ने आगे कहा, "वे एकजुटता को लेकर एक साफ संकेत चाहते हैं. एक वैध अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए, मुक्त आवाजाही के लिए. समय आ गया है कि अपने साझेदारों के साथ इलाके में मौजूदगी के जरिए जर्मनी भी यह संदेश दे. क्योंकि मौजूदा कानून का सम्मान किया जाए, इसमें हमारा भी हित है.”
चीन की प्रतिक्रिया
विदेशी शक्तियों के लिए जापान के संयुक्त सैन्य अभ्यास की चीन ने आलोचना की है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के हालिया संपादकीय में इस जापानी चाल बताया गया. अखबार ने लिखा, टोक्यो "अमेरिका और अपने साझेदारों को साथ लाकर अपने अवैध समुद्री दावों का समर्थन कर रहा है और चीन के विकास को रोकना चाहता है. लेकिन ऐसे लक्ष्य पूरे नहीं होंगे.”
यूरोपीय देशों पर तंज कसते हुए अखबार ने लिखा, "ब्रिटेन और फ्रांस को भी अपनी ताकत पर गौर करना चाहिए. चीन अब 100 साल पुराना चीन नहीं है, जिसे आसानी से तंग किया सके. वो दिन काफी पहले लद गए हैं जब पश्चिम के आक्रमणकारी पूरब आकर तटों पर कुछ तोपें लगाकर किसी देश पर कब्जा और फिर सैकड़ों साल तक राज करते थे. अगर वे फिर से चीन को उकसाएंगे तो उन्हें निश्चित रूप से जवाब दिया जाएगा. वे जितना पाएंगे, उससे कहीं ज्यादा गंवाएंगे.”
इस बात की पूरी आशंका है कि अगर जर्मनी ने जापान के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास में अपना जहाज भेजा तो बीजिंग ऐसी ही प्रतिक्रिया देगा.