क्या चीन रूस और यूक्रेन के बीच शांति कायम कर सकता है?
विलियम यांग
१२ मार्च २०२२
पश्चिमी नेताओं को उम्मीद है कि रूस और यूक्रेन के विवाद में चीन मध्यस्थ बन कर सक्रिय भूमिका निभाएगा, लेकिन विशेषज्ञों को इसकी इसकी संभावना नहीं दिख रही है. उनका मानना है कि चीन रूस के साथ रिश्तों में जोखिम नहीं लेगा.
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यूक्रेन में जारी युद्ध के दौर में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता को सुगम बनाने की कोशिशों में लगा हुआ है. दोनों पक्षों ने अब तक कई दौर की बातचीत की है, लेकिन इन वार्ताओं का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है.
कई देशों ने रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता को सार्थक और सुविधाजनक बनाने में मदद के लिए बार-बार चीन की ओर देखा है. हालांकि चीन ने फिलहाल इस बारे में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है कि वह यूक्रेन में आए संकट को समाप्त करने में अपनी भूमिका को बढ़ाने का इच्छुक है या नहीं.
पिछले हफ्ते एक स्पेनिश अखबार एलमुंडो को दिए एक इंटरव्यू में यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा कि वो शांति वार्ता में चीन की मध्यस्थता के पक्ष में हैं. वो कहते हैं, "इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है. हम मध्यस्थ नहीं हो सकते, यह स्पष्ट है और अमेरिका भी मध्यस्थ नहीं हो सकता. फिर कौन? चीन को ही मध्यस्थ होना चाहिए.”
उसके बाद सोमवार को, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दोनों पक्षों से बातचीत करने, शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों को सुलझाने और ‘सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और रक्षा करने' का आह्वान किया. उन्होंने बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने से इनकार करते हुए रूस को चीन का ‘सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार' बताया.
वांग ने चीन की संसद की वार्षिक बैठक के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, "अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य कितना भी खतरनाक क्यों ना हो, हम अपना रणनीतिक फोकस बनाए रखेंगे और नए युग में व्यापक चीन-रूस साझेदारी के विकास को बढ़ावा देंगे.”
कौन खरीदता है रूस का सामान
अमेरिका ने रूस से तेल आयात बंद कर दिया है. लेकिन रूस के बड़े आयातक तो दूसरे देश हैं, जो उससे तेल ही नहीं और भी बहुत कुछ खरीदते हैं. देखिए रूस के 10 सबसे बड़े आयात साझेदार...
तस्वीर: Vasily Fedosenko/ITAR-TASS/imago images
रूसी सामान का सबसे बड़ा खरीददार
चीन रूस का सबसे बड़ा आयातक है. 2021 में रूस के कुल निर्यात का सबसे ज्यादा (13.4 प्रतिशत) चीन को था, जिसकी कुल कीमत 57.3 अरब अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 4,442 अरब भारतीय रुपये थी.
तस्वीर: Costfoto/picture alliance
नंबर 2, नीदरलैंड्स
स्टैटिस्टा वेबसाइट के मुताबिक 2021 में रूस ने यूरोपीय देश नीदरलैंड्स को 44.8 अरब डॉलर का निर्यात किया था जो उसके कुल निर्यात का 10.5 फीसदी था.
तस्वीर: picture alliance/dpa
नंबर 3, जर्मनी
रूस की प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा खरीददार जर्मनी दरअसल उसका तीसरा सबसे बड़ा निर्यात साझेदार है. 2021 में जर्मनी ने रूस से 28 अरब डॉलर का सामान खरीदा, यानी कुल व्यापार का 6.6 प्रतिशत.
तस्वीर: Fabrizio Bensch/REUTERS
नंबर 4, बेलारूस
यूक्रेन युद्ध में खुलकर रूस का साथ दे रहे बेलारूस ने पिछले साल 21.7 अरब डॉलर का आयात रूस से किया था, जो रूस के कुल निर्यात का 5.1 प्रतिशत था.
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नंबर 5, तुर्की
रूस से सामान खरीदने में तुर्की भी पीछे नहीं है. उसने पिछले साल 21.1 अरब डॉलर का सामान खरीदा जो रूस के कुल निर्यात का 5 प्रतिशत था.
दक्षिण कोरिया को रूस ने 2021 में 16.4 अरब डॉलर का सामान बेचा जो उसकी कुल बिक्री का 3.8 प्रतिशत था.
तस्वीर: Ahn Young-joon/AP/picture alliance
नंबर 7, इटली और कजाखस्तान
नंबर 7, इटली और कजाखस्तान रूस के कुल निर्यात का 3.4 प्रतिशत यानी लगभग 14.3 अरब डॉलर इटली को जाता है. इतना ही निर्यात कजाखस्तान को भी हुआ.
तस्वीर: Guglielmo Mangiapane/REUTERS
नंबर 8, ब्रिटेन
रूसी निर्यात में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 3.1 प्रतिशत की है. पिछले साल उसने रूस से 13.3 अरब डॉलर का सामान खरीदा.
तस्वीर: empics/picture alliance
नंबर 9,अमेरिका
अमेरिका ने बीते साल रूस से 13.2 अरब डॉलर का आयात किया, जो रूस के कुल निर्यात का 3.1 प्रतिशत था.
तस्वीर: Kena Betancur/AFP/Getty Images
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क्या चीन स्वेच्छा से मध्यस्थ बनेगा?
मंगलवार को, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यूक्रेन में युद्ध के बारे में चिंता जताते हुए कहा कि संघर्ष को ‘नियंत्रण से बाहर होने' से रोकना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. शी जिनपिंग का यह बयान फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के साथ हुई वर्चुअल बैठक के बाद आए हैं.
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चीनी सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति में, शी जिनपिंग ने ‘अधिकतम संयम' का आह्वान करते हुए कहा कि "सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए, सभी देशों की वैध सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी अनुकूल प्रयासों का समर्थन किया जाना चाहिए.”
जर्मन सरकार के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि चांसलर शॉल्त्स, फ्रांस के राष्ट्रपति माक्रों और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग युद्ध के कूटनीतिक समाधान के लिए सभी प्रयासों का पूरा समर्थन करने पर सहमत हुए हैं.
मॉस्को में रूसी अंतर्राष्ट्रीय मामलों की परिषद के एक विशेषज्ञ डैनियल बोचकोव कहते हैं कि यह संभावना नहीं है कि चीन यूक्रेन और रूस के बीच स्वेच्छा से मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए सहमत होगा क्योंकि ऐसा करना चीन को अंतरराष्ट्रीय निगरानी के केंद्र में रख सकता है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि चीन एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करके खुद के लिए कोई टकराव मोल लेगा. ऐसा करके निश्चित तौर पर वह दुनिया की निगाह में आएगा और सभी पक्ष उसके हर कदम की जांच कर रहे होंगे.”
जर्मन मार्शल फंड के एक वरिष्ठ फेलो एंड्रयू स्मॉल कहते हैं कि चीन शांति की इच्छा व्यक्त करने से परे कोई कदम उठाने को तैयार नहीं है, क्योंकि रूस जो करना चाहता है, चीन उसमें सीधे हस्तक्षेप करने से बच रहा है. वो कहते हैं, "मुझे लगता है कि चीन की भावना अभी भी यही है कि वह रूस को उसकी इच्छा के अनुरूप काम करने की छूट देगा.”
स्मॉल के मुताबिक, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे कुछ देशों के मामलों में चीन मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए इसलिए तैयार था क्योंकि इन्हें वह ‘छोटे भाई' जैसा समझता है और कुछ हद तक इन पर अपने हिसाब से दबाव भी बना सकता है. लेकिन रूस के साथ ऐसा नहीं है. वो कहते हैं, "रूस पर चीन का झुकाव सहज नहीं है, और मुझे लगता है कि वे सवाल भी करेंगे कि क्या यह सफल होगा.”
रूस-यूक्रेन युद्ध में कौन सा देश किसके साथ है
रूस कई फ्रंट से यूक्रेन पर हमला कर रहा है. हवाई बमबारियों के अलावा यूक्रेन पर क्रूज और बलिस्टिक मिसाइल भी दागे जाने की खबर है. पुतिन ने यूक्रेन की सेना से समर्पण करने को कहा है.
तस्वीर: Anatolii Stepanov/AFP
अमेरिका
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि दुनिया की प्रार्थना यूक्रेनी जनता के साथ है. उन्होंने रूस को चेताया, "राष्ट्रपति पुतिन ने जानबूझकर युद्ध शुरू किया है. इसके चलते होने वाली मौतों और बर्बादी का जिम्मेदार केवल रूस होगा. अमेरिका और साथी देश संगठित होकर मजबूती से इसका जवाब देंगे. पूरी दुनिया रूस को जिम्मेदार मानेगी."
तस्वीर: Alex Brandon/AP Photo/picture alliance
जर्मनी
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा, "24 फरवरी की यह तारीख यूक्रेन के लिए भीषण और यूरोप के लिए मायूस करने वाली है. हम रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाएंगे, ताकि रूसी नेतृत्व के आगे साफ हो जाए कि उन्हें इस हमले की बड़ी कीमत चुकानी होगी. पुतिन ने यह युद्ध शुरू करके गंभीर चूक की है. जर्मनी नाटो की प्रतिबद्धताओं के साथ खड़ा है."
तस्वीर: Michael Kappeler/Pool via REUTERS
ब्रिटेन
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, "यूक्रेन में हो रही भीषण घटनाओं से मैं स्तब्ध हूं. आगे क्या करना है, इसपर मैंने राष्ट्रपति जेलेन्स्की से बात की है. बिना किसी उकसावे के यूक्रेन पर हमला करके राष्ट्रपति पुतिन ने खूनखराबे और बर्बादी का रास्ता चुना है. ब्रिटेन और हमारे सहयोगी डटकर इसका जवाब देंगे."
तस्वीर: Matt Dunham/AP Photo/picture alliance
फ्रांस
राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद एक आपातकालीन बैठक बुलाई. इस मुद्दे पर राष्ट्र के नाम उनका एक संदेश टीवी पर भी प्रसारित हुआ. इसमें माक्रों ने कहा, "फ्रांस, यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा." फ्रेंच विदेश मंत्री जॉं ईव लु द्रियॉं ने भी कहा कि फ्रांस, हर तरह से यूक्रेन को समर्थन देगा.
तस्वीर: John Thys/AP/picture alliance
चीन
चीन ने यूक्रेन पर किए गए रूसी हमले को 'आक्रमण' कहे जाने का विरोध किया है. विदेश मंत्री वांग यी ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को फोन भी किया. इसमें उन्होंने कहा कि चीन समझता है कि यूक्रेन मामले का अपना एक जटिल इतिहास है. उन्होंने लावरोव से यह भी कहा कि चीन सुरक्षा से जुड़ी रूस की जायज चिंताओं को भी समझता है.
तस्वीर: Keith Tsuji/ZUMA/picture alliance
कनाडा
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने रूसी हमले की निंदा की. उन्होंने कहा कि रूस को इस आक्रामकता की सजा मिलेगी. ट्रूडो बोले, "बिना किसी उकसावे के किया गया यह हमला यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है. हम रूस से अपील करते हैं कि वह अपनी सेना और प्रॉक्सी फोर्स को यूक्रेन से निकाल ले."
तस्वीर: Adrian Wyld/empics/picture alliance
तुर्की
राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने हमले की निंदा की. टीवी पर प्रसारित अपने भाषण में एर्दोआन ने कहा, "हम यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करना जारी रखेंगे." एर्दोआन ने यह भी कहा कि रूस और यूक्रेन, दोनों से तुर्की के करीबी संबंध हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच संघर्ष देखकर उन्हें बहुत निराशा हो रही है.
तस्वीर: Irina Yakovleva/ITAR-TASS/imago images
भारत
इस मामले पर अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान नहीं आया है. मगर यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने यूएनएससी में भारत का रुख स्पष्ट किया. उन्होंने मौजूदा घटनाक्रम पर दुख जताते हुए तनाव को तत्काल घटाने की अपील की. यह भी कहा कि सभी संबंधित पक्षों की जायज सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
दक्षिण कोरिया
राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि उनका देश रूस पर लगाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों का साथ देगा. राष्ट्रपति आवास ने एक बयान जारी कर कहा, "यूक्रेन की आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रहनी चाहिए. ताकत का इस्तेमाल करके निर्दोषों को नुकसान पहुंचाने का किसी हाल में समर्थन नहीं किया जा सकता है."
तस्वीर: Yonhap/REUTERS
ईरान
विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दोल्लाहियां ने एक ट्वीट में लिखा कि ईरान समस्या सुलझाने के लिए युद्ध का सहारा लेने में यकीन नहीं करता है. ईरान ने नाटो के उकसावे को यूक्रेन संकट की जड़ बताते हुए राजनैतिक और कूटनीतिक समाधान की अपील की.
तस्वीर: Michael Gruber/AP Photo/picture alliance
इटली
इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्रागी ने कहा कि सारे सहयोगी एकजुट हैं. यूक्रेन की संप्रभुता, यूरोपीय सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और साझा मूल्य बनाए रखने के लिए जो भी करना पड़े, वे साथ मिलकर करेंगे. पीएम द्रागी ने यह भी कहा कि समय आ गया है कि यूरोपीय संघ रूस पर बेहद सख्त प्रतिबंध लगाए.
तस्वीर: ALBERTO PIZZOLI/AFP
हंगरी
प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा कि यूरोपीय संघ और नाटो के अपने साथियों के साथ मिलकर हंगरी भी रूस के हमले की निंदा करता है. उन्होंने यह भी कहा कि हंगरी के लिए अपने लोगों की सुरक्षा सबसे जरूरी है. इसीलिए इस सैन्य संघर्ष से बाहर रहते हुए वह यूक्रेन को मानवीय सहायता देने के लिए तैयार है.
तस्वीर: Tamas Kovacs/MTI via AP/picture alliance
ग्रीस
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद ग्रीस ने अपनी सेना और एनर्जी स्टाफ की आपातकालीन बैठक बुलाई. इसमें प्रधानमंत्री किरयेकोस मित्सोताइकिस ने रूसी हमले की निंदा की. राष्ट्रपति कैटरीना सैकलारापुलू ने भी कहा कि एक आजाद देश पर किए गए रूसी हमले की वह कड़ी निंदा करती हैं.
तस्वीर: Ludovic Marin/AFP/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने रूसी हमले को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का उल्लंघन बताया. विदेश मंत्री याइर लैपिड ने रूस की निंदा करते हुए यह भी कहा कि इस्राएल के रूस और यूक्रेन, दोनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं. उन्होंने दोनों देशों में रहने वाले यहूदियों की भी बात की. कहा कि उनकी सुरक्षा इस्राएल के लिए अहम है.
तस्वीर: Jalal Morchidi/AA/picture alliance
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चीन ओर रूस के बीच घनिष्ठ संबंध
हाल के महीनों में चीन और रूस के बीच सम्बंध बहुत प्रगाढ़ हुए हैं. पिछले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच व्यक्तिगत मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने संकल्प लिया कि दोनों देशों की दोस्ती की ‘कोई सीमा नहीं है'.
कुछ विश्लेषकों ने सोमवार को चीन और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों की चीनी विदेश मंत्री की पुष्टि और पिछले महीने जारी संयुक्त बयान को संकेत के रूप में इंगित करते हुए कहा है कि चीन, रूस के सामने आने वाली कठिन स्थिति के बावजूद उसके साथ अपने संबंधों को खतरे में डालने के लिए तैयार नहीं होगा.
बीजिंग स्थित रेनमिन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध के प्रोफेसर शी यिनहोंग कहते हैं, "पुतिन की मजबूत उग्रवादी इच्छाशक्ति, अपने ‘न्यूनतम युद्ध के लक्ष्यों' को महसूस करने की सख्त जरूरत और सामान्य तौर पर उनके साथ रणनीतिक और सैन्य साझेदारी पर चीन की निर्भरता को ध्यान में रखते हुए, कोई भी गंभीरता से संदेह कर सकता है कि चीन पर्याप्त संयम की भूमिका निभाने में सक्षम या इच्छुक है.”
कुछ अन्य लोगों को लगता है कि रूस के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखना चीन के लिए कई तरह से उपयोगी हो सकता है.
बर्लिन स्थित मर्केटर इंस्टीट्यूट फॉर चाइना स्टडीज (MERICS) में यूरोपीयन-चाइना पॉलिसी फेलो, सारी अरहो हैवरन कहती हैं कि दोनों देशों के बीच साझेदारी वैश्विक व्यवस्था को आकार देते हुए चीन के भू-राजनीतिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद कर सकती है. इसके अतिरिक्त, रूस में बिगड़ती आर्थिक स्थिति चीन के लिए संभावित निवेश के अवसर खोल सकती है.
वो कहती हैं, "यह चीन के लिए रूस में रणनीतिक क्षेत्रों में निवेश के नए अवसर खोल सकता है. ये संभावित अवसर भविष्य में चीन की ऊर्जा और कच्चे माल की जरूरतों को सुरक्षित कर सकते हैं और पश्चिमी देशों पर इनकी निर्भरता को कम करने के साथ-साथ आत्मनिर्भरता को मजबूत कर सकते हैं.”
रूस में किसके, कितने अरब डॉलर फंसे
बहुराष्ट्रीय कंपनियों, पेंशन फंडों और बैकों का कहना है कि रूस में उनके सैकड़ों अरब डॉलर डूब सकते हैं. एक नजर सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वालों पर.
तस्वीर: Dmitri Lovetsky/AP/picture alliance
बैंकों के 120 अरब डॉलर
बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेंटलमेंट डाटा के मुताबिक रूस में विदेशी बैंकों के 120 अरब डॉलर फंसे हैं. सबसे ज्यादा रकम इटली और फ्रांस के बैंकों की है, करीबन 25 अरब डालर. दूसरे नंबर पर अमेरिकी बैंक हैं, जिनके 14.7 अरब डॉलर रूस में लगे हैं. अमेरिका के सिटी बैंक के मुताबिक रूस में उसके 10 अरब डॉलर लगे हैं.
तस्वीर: Chip Somodevilla/Getty Images
कर्ज से जुड़े 79 अरब डॉलर
जेपीएम एनालिस्ट्स के मुताबिक रूसी ऋण प्रतिभूतियों (डेट सिक्योरिटीज) में 79 अरब डॉलर का विदेशी निवेश है. रूसी कंपनियों या सरकार को दिए गए इस कर्ज के बदले निवेशकों ने बॉन्ड्स या डिबेंचर खरीदे. उम्मीद थी कि कर्ज पर मिलने वाले ब्याज से लगातार फायदा मिलता रहेगा.
तस्वीर: Miroslav Lelas/PIXSELL/picture alliance
बीपी के 25 अरब डॉलर
ब्रिटेन की मल्टीनेशनल तेल और गैस कंपनी बीपी ने रूसी तेल कंपनी रोजनेफ्ट में अपनी हिस्सेदारी बेचने का एलान किया है. बीपी के तेल और गैस भंडार का करीब 50 फीसदी रिजर्व रोजनेफ्ट के पास है. ब्रिटिश कंपनी के मुताबिक रोजनेफ्ट के साथ साझेदारी तोड़ने से उसके 25 अरब डॉलर रिस्क में हैं.
तस्वीर: Andre M. Chang/Zuma/picture alliance
एक्सोन मोबिल के 4 अरब डॉलर
अमेरिका की बहुराष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी एक्सोन मोबिल ने रूस में अपना कारोबार समेटने का एलान किया है. कंपनी का कहना है कि इस फैसले के कारण उसे 4 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति छोड़नी पड़ सकती है.
तस्वीर: Exxon Mobil
शेल, 3 अरब डॉलर
ब्रिटिश तेल और गैस कंपनी शेल भी रूस में कामकाज समेटने की घोषणा कर चुकी है. शेल के मुताबिक रूस में उसकी अस्थायी संपत्तियों की कीमत तीन अरब डॉलर है.
तस्वीर: Florian Plaucheur/AFP/Getty Images
एसडब्ल्यूएफ, 3 अरब डॉलर
नॉर्वे का संघीय वेल्थ फंड (एसडब्ल्यूएफ) दुनिया का सबसे अमीर फंड है. रूसी तेल कंपनियों, बैंकों और गैस कंपनियों में एसडब्ल्यूएफ के तीन अरब डॉलर लगे हैं.
तस्वीर: Hinrich Bäsemann/picture alliance
CALSTRS के 17.15 करोड़ डॉलर
कैलिफोर्निया स्टेट टीचर्स रिटायरमेंट सिस्टम, अमेरिका का दूसरा बड़ा पेंशन फंड है. बुधवार को फंड ने बयान जारी करते हुए कहा कि फरवरी अंत तक रूस में उसकी होल्डिंग 17.15 करोड़ डॉलर थी. अमेरिका के एक और सरकारी पेंशन फंड के भी 90 करोड़ डॉलर रूस में लगे हैं.
तस्वीर: Alexander Shcherbak/TASS/picture alliance
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पश्चिमी देशों की उम्मीद गलत
जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के एक वरिष्ठ साथी दीदी कर्स्टन टैटलो कहती हैं कि विश्व के नेताओं की चीन से यूक्रेन में शांति प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की उम्मीदें ‘गलत' हैं.
वो कहती हैं, "मुझे लगता है कि शी जिनपिंग के एक तटस्थ और प्रभावी मध्यस्थ होने की उम्मीद काफी गलत है. भले ही चीन तात्कालिक तौर पर मध्यस्थता करने में मदद करे, लेकिन यह किसी को ऐसी स्थिति पर नियंत्रण करने मौका देने जैसा होगा जो लोकतांत्रिक देशों के लिए अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है. मुझे लगता है कि लोकतांत्रिक देश यहां खुद को बहुत कमजोर स्थिति में डाल रहे हैं.”
रूसी मामलों के जानकार बोचकोव जोर देकर कहते हैं कि रूस अब जो कर रहा है वह फरवरी में जारी संयुक्त बयान में बताए गए लक्ष्यों के अंतर्गत ही आता है, जिसका मतलब अमेरिका के प्रभुत्व वाली विश्व व्यवस्था को बदलना है.
वो कहते हैं, "चूंकि रूस और चीन इस बात से सहमत हैं कि मौजूदा यूक्रेन संकट अमेरिका और नाटो के उकसावे पर हुआ है, इसलिए रूस को चीन के मौन समर्थन में कोई आश्चर्य नहीं है.”
जहां कुछ लोगों को उम्मीद है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने प्रभाव का इस्तेमाल वार्ता की मेज पर पुतिन को आगे बढ़ाने के लिए कर सकते हैं, वहीं बोचकोव का मानना है कि दुनिया में कोई भी व्यक्ति पुतिन को अपने प्रभाव में नहीं ले सकता है, जब तक कि वो खुद ना चाहें.
विशेषज्ञ कहते हैं, "पुतिन ने यह सब खुद शुरू किया है और वह इसे अंत तक पहुंचाने के लिए दृढ़ संकल्प हैं. सवाल यह नहीं है कि कौन उन्हें प्रभावित कर सकता है, बल्कि मामला यह है कि अब वो यह तय कर रहे हैं कि अपने ही निर्धारित लक्ष्यों को वो कैसे हासिल करना है.”