जम्मू और कश्मीर को मिला नया उप-राज्यपाल
६ अगस्त २०२०जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे के खत्म किए जाने की पहली वर्षगांठ के ठीक एक दिन बाद कश्मीर में एक और बदलाव किया गया है. बुधवार पांच अगस्त की रात जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल जीसी मुर्मु के अपने पद से इस्तीफा दे देने के बाद, गुरूवार सुबह पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को उप-राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया. बताया जा रहा है कि मुर्मू का नाम देश का अगला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) नियुक्त किए जाने के लिए विचाराधीन है. मौजूदा सीएजी राजीव महर्षि 65 वर्ष के होने वाले हैं और उसके बाद वो अपना पद छोड़ देंगे. संवैधानिक पद होने के नाते सीएजी पद रिक्त नहीं रह सकता, इसीलिए उनके पद छोड़ने से पहले अगले सीएजी की नियुक्ति आवश्यक है.
मुर्मू 1985 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद उन्हें 31 अक्तूबर 2019 को वहां का पहला उप-राज्यपाल नियुक्त किया गया था. उनका नाम पिछले दिनों कश्मीर में कुछ विवादों में भी आया. उन्होंने कुछ दिनों पहले कश्मीर में 4जी सेवाएं बहाल करने के पक्ष में बयान दिया था जबकि ये मामला अभी अदालत में है और केंद्र सरकार अदालत में 4जी बहाल ना करने के अपने फैसले का बचाव कर रही है.
क्यों हो रहा है फेरबदल
मुर्मू कई मीडिया साक्षात्कारों में जम्मू और कश्मीर में दो साल से लंबित चुनावों को कराने की बात भी कर चुके हैं, जिसे लेकर हाल ही में चुनाव आयोग ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. आयोग ने एक बयान में कहा था कि देश में चुनाव कराने की जिम्मेदारी सिर्फ चुनाव आयोग की है और उसके अलावा दूसरी संस्थाओं को इस विषय में वक्तव्य नहीं देना चाहिए. आयोग ने ऐसे वक्तव्यों को उसके कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप बताया था.
मनोज सिन्हा एक राजनीतिक नियुक्ति हैं और मुर्मू को हटाए जाने और उन्हें लाए जाने के पीछे केंद्र सरकार के किसी विशेष मंशा की चर्चा चल रही है. माना जा रहा है कि इसके बाद कश्मीर में प्रशासनिक रूप से कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे. बीजेपी नेता सिन्हा 2019 तक उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से लोक सभा के सदस्य थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. 2017 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नियुक्त होने की रेस में सबसे आगे थे लेकिन आखिरी समय में उनकी जगह योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया.
पिछले साल पांच अगस्त को ही केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. वहां पहले से मौजूद करीब पांच लाख सुरक्षाकर्मियों के अतिरिक्त हजारों और सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए. वादी के लोगों को संपूर्ण तालाबंदी में महीनों तक रहना पड़ा और आने जाने की आजादी पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए.
लैंडलाइन, मोबाइल और इंटरनेट को महीनों तक बंद रखा गया. हजारों कश्मीरी युवा, राजनेता और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया. सैकड़ों लोग अभी भी हिरासत में हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और पूर्व सांसद सैफुद्दीन सोज शामिल हैं.
एक और सरपंच की हत्या
मनोज सिन्हा की नियुक्ति के तुरंत बाद कश्मीर के कुलगाम में बीजेपी नेता और सरपंच सज्जाद अहमद की आतंकवादियों द्वारा हत्या कर दी गई है. इसके पहले आतंकवादियों ने बीजेपी नेता और सरपंच अजय पंडिता और बीजेपी के कार्यकर्ता शेख वसीम बारी, उनके पिता और उनके भाई को भी मार डाला था.
गांदरबल जिले में मामर गांव के सरपंच नजीर अहमद राणा ने डीडब्ल्यू को बताया था कि पिछले चार सालों में 10 सरपंचों और पंचायत सदस्यों की हत्या हो चुकी है और अभी भी सभी सरपंचों को लगातार धमकियां मिल रही हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि एक तरफ तो सभी सरपंचों की जान को खतरा है और दूसरी तरफ प्रशासन उनकी सुन नहीं रहा है.
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