जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल जीसी मुर्मु के इस्तीफे के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को उनकी जगह नियुक्त कर दिया गया है. इस नियुक्ति के बाद कश्मीर में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने के कयास लग रहे हैं.
तस्वीर: IANS
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जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे के खत्म किए जाने की पहली वर्षगांठ के ठीक एक दिन बाद कश्मीर में एक और बदलाव किया गया है. बुधवार पांच अगस्त की रात जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल जीसी मुर्मु के अपने पद से इस्तीफा दे देने के बाद, गुरूवार सुबह पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को उप-राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया. बताया जा रहा है कि मुर्मू का नाम देश का अगला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) नियुक्त किए जाने के लिए विचाराधीन है. मौजूदा सीएजी राजीव महर्षि 65 वर्ष के होने वाले हैं और उसके बाद वो अपना पद छोड़ देंगे. संवैधानिक पद होने के नाते सीएजी पद रिक्त नहीं रह सकता, इसीलिए उनके पद छोड़ने से पहले अगले सीएजी की नियुक्ति आवश्यक है.
मुर्मू 1985 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद उन्हें 31 अक्तूबर 2019 को वहां का पहला उप-राज्यपाल नियुक्त किया गया था. उनका नाम पिछले दिनों कश्मीर में कुछ विवादों में भी आया. उन्होंने कुछ दिनों पहले कश्मीर में 4जी सेवाएं बहाल करने के पक्ष में बयान दिया था जबकि ये मामला अभी अदालत में है और केंद्र सरकार अदालत में 4जी बहाल ना करने के अपने फैसले का बचाव कर रही है.
2018 में मेहबूबा मुफ्ती की सरकार के गिर जाने के बाद से जम्मू और कश्मीर में अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं.तस्वीर: Getty Images/S. Hussain
क्यों हो रहा है फेरबदल
मुर्मू कई मीडिया साक्षात्कारों में जम्मू और कश्मीर में दो साल से लंबित चुनावों को कराने की बात भी कर चुके हैं, जिसे लेकर हाल ही में चुनाव आयोग ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. आयोग ने एक बयान में कहा था कि देश में चुनाव कराने की जिम्मेदारी सिर्फ चुनाव आयोग की है और उसके अलावा दूसरी संस्थाओं को इस विषय में वक्तव्य नहीं देना चाहिए. आयोग ने ऐसे वक्तव्यों को उसके कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप बताया था.
मनोज सिन्हा एक राजनीतिक नियुक्ति हैं और मुर्मू को हटाए जाने और उन्हें लाए जाने के पीछे केंद्र सरकार के किसी विशेष मंशा की चर्चा चल रही है. माना जा रहा है कि इसके बाद कश्मीर में प्रशासनिक रूप से कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे. बीजेपी नेता सिन्हा 2019 तक उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से लोक सभा के सदस्य थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. 2017 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नियुक्त होने की रेस में सबसे आगे थे लेकिन आखिरी समय में उनकी जगह योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया.
पिछले साल पांच अगस्त को ही केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. वहां पहले से मौजूद करीब पांच लाख सुरक्षाकर्मियों के अतिरिक्त हजारों और सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए. वादी के लोगों को संपूर्ण तालाबंदी में महीनों तक रहना पड़ा और आने जाने की आजादी पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए.
श्रीनगर में अभूतपूर्व तालाबंदी के दौरान तैनात खड़े सुरक्षाकर्मी.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
लैंडलाइन, मोबाइल और इंटरनेट को महीनों तक बंद रखा गया. हजारों कश्मीरी युवा, राजनेता और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया. सैकड़ों लोग अभी भी हिरासत में हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और पूर्व सांसद सैफुद्दीन सोज शामिल हैं.
एक और सरपंच की हत्या
मनोज सिन्हा की नियुक्ति के तुरंत बाद कश्मीर के कुलगाम में बीजेपी नेता और सरपंच सज्जाद अहमद की आतंकवादियों द्वारा हत्या कर दी गई है. इसके पहले आतंकवादियों ने बीजेपी नेता और सरपंच अजय पंडिता और बीजेपी के कार्यकर्ता शेख वसीम बारी, उनके पिता और उनके भाई को भी मार डाला था.
गांदरबल जिले में मामर गांव के सरपंच नजीर अहमद राणा ने डीडब्ल्यू को बताया था कि पिछले चार सालों में 10 सरपंचों और पंचायत सदस्यों की हत्या हो चुकी है और अभी भी सभी सरपंचों को लगातार धमकियां मिल रही हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि एक तरफ तो सभी सरपंचों की जान को खतरा है और दूसरी तरफ प्रशासन उनकी सुन नहीं रहा है.
कहानी पुलित्जर जीतने वाले भारतीय फोटो पत्रकारों की
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के तीन भारतीय फोटोग्राफरों ने प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीता है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाबंदियों के बीच उन्होंने आखिर कैसे खींची और भेजीं तस्वीरें?
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"चूहा-बिल्ली" का खेल
"ये हमेशा चूहा-बिल्ली का खेल था" - एसोसिएटेड प्रेस के फोटोग्राफर डार यासीन ने अगस्त 2019 में कश्मीर में लागू हुई तालाबंदी की कहानियों को तस्वीरों में कैद करने के तजुर्बे को कुछ यूं बयान किया है. यासीन और उनके दो और सहयोगियों मुख्तार खान और चन्नी आनंद को इस दौरान जम्मू और कश्मीर में खींची गई तस्वीरों के लिए 2020 के फीचर फोटोग्राफी के पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है. देखिये इनमें से कुछ तस्वीरें.
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घोषणा
अगस्त में जम्मू में एक इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की दुकान पर टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनते लोग. 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. कश्मीर तब से एक तरह के लॉकडाउन में है जिसके तहत वहां के नागरिकों पर कई कड़े प्रतिबंध लागू हैं.
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विरोध
अगस्त में श्रीनगर में कर्फ्यू के बीच अर्धसैनिक बल के जवानों पर दूर से पत्थर फेंकता एक प्रदर्शनकारी. श्रीनगर में एपी के फोटोग्राफर मुख्तार खान और यासीन डार को प्रदर्शनकारियों और सेना के जवानों दोनों का ही अविश्वास झेलना पड़ता था.
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पहरा
अगस्त में श्रीनगर में कंटीली तारों से बंद एक सुनसान सड़क पर पहरा देता एक सुरक्षाकर्मी. श्रीनगर में खान और यासीन कई बार कई दिनों तक घर नहीं लौट पाते थे और अपने परिवारों तक अपनी खबर भी नहीं पहुंचा पाते थे.
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बंदूकें और बूट
पिछले साल अगस्त में श्रीनगर में तालाबंदी के दौरान ड्यूटी पर तैनात दो सुरक्षाकर्मी. खान और यासीन अपनी खींची हुई तस्वीरें दिल्ली ऑफिस तक पहुंचाने के लिए एयरपोर्ट पर अनजान यात्रियों से अपील करते थे. कुछ यात्री डर कर अपील ठुकरा देते थे तो कुछ मान लेते थे.
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नमाज
अगस्त 2019 में जम्मू में मस्जिद में ईद पर नमाज अदा करते हुए लोग. आनंद जम्मू में काम करते हैं और कहते हैं कि पुरस्कार से वो अवाक रह गए. वे बीस साल से एपी के लिए काम कर रहे हैं.
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ये कैसी ईद
अगस्त 2019 में ईद पर जम्मू में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बीच अपने रास्ते पर जाता एक मुस्लिम व्यक्ति. एपी के अध्यक्ष गैरी प्रुइट ने कहा कि इस टीम की बदौलत ही दुनिया कश्मीर में आजादी की लंबी लड़ाई में हुई एक नाटकीय तेजी देख पाई.
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वापसी
अगस्त में प्रवासी श्रमिक जम्मू और कश्मीर को छोड़ अपने अपने घर जाने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में बैठे हुए. कर्फ्यू और फोन और इंटरनेट के बंद होने के बावजूद ये तस्वीरें एपी के इन फोटोग्राफरों ने खींचीं और किसी तरह भेजीं.
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पुलिस
सितंबर 2019 में श्रीनगर में शिया प्रदर्शनकारियों पर डंडे चलाता एक पुलिसकर्मी. एपी के फोटोग्राफरों ने कभी अंजान लोगों के घर में छिप कर तो कभी कैमरों को सब्जियों के थैलों में छिपा कर तस्वीरें खींची.
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बंदूकों के साए में
नवंबर में श्रीनगर में एक बाजार में हुए एक विस्फोट के स्थल की जांच करता हुआ एक सुरक्षाकर्मी. यासीन कहते हैं कि उनके काम का उनके लिए पेशे-संबंधी और व्यक्तिगत दोनों मतलब है. वे कहते हैं इन तस्वीरों में सिर्फ दूसरों की नहीं बल्कि उनकी खुद की भी कहानी है.