जिस तरह भारत में अगले आम चुनावों को लेकर नजरें गांधी परिवार के वारिस राहुल गांधी पर टिकी हैं, ठीक उसी तरह पाकिस्तान में भुट्टो खानदान के चश्मो चिराग बिलावल भुट्टो की किस्मत दांव पर है जहां इस साल चुनाव होने हैं.
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29 साल के बिलावल भुट्टो जरदारी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के मुखिया हैं. उनकी अगुवाई में पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में उतर रही है. वह जनता के बीच उसी तरह का समर्थन और जनाधार पाने की जद्दोजहद कर रहे हैं जो उनकी मां और दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं बेनजीर भुट्टो को 2007 में निर्वासन से वतन वापसी पर मिला था.
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि बिलावल को लोगों का समर्थन मिलेगा. पाकिस्तानी सीनेट में विपक्ष की नेता शेरी रहमान कहती हैं, "हमें उम्मीद है कि बिलावल के नेतृत्व में हमारी चुनावी मुहिम से देश की बड़ी युवा आबादी जुड़ेगी और देश में बढ़ते चरमपंथ, कुशासन और लोकतंत्र विरोधी कदम को पटलने के लिए अपना समर्थन देगी."
ये हैं सत्ता की दौड़ में शामिल
पाकिस्तान में कौन कौन सी राजनीतिक पार्टियां हैं
पाकिस्तान में अभी तहरीक ए इंसाफ की सरकार है. इमरान खान प्रधानमंत्री हैं. पाकिस्तान में भी बहुपार्टी लोकतांत्रिक व्यवस्था है. भारत की तरह वहां पर भी कई सारी राजनीतिक पार्टियां हैं.
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पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन)
पार्टी के चेयरमैन नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ हैं. 1988 में स्थापित इस पार्टी का चुनाव निशान शेर है.
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पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ
इमरान खान की पार्टी का चुनाव चिन्ह क्रिकेट का बैट है. युवाओं में इमरान बहुत लोकप्रिय हैं.
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पाकिस्तान पीपल्स पार्टी
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बेहद मजबूत समझी जाने वाली पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की स्थापना 1967 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने की थी. अब उनके नवासे बिलावुल भुट्टो जरदारी पार्टी के प्रमुख हैं. पार्टी का चुनाव चिन्ह तीर है.
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मुत्तेहिदा कौमी मूवमेंट
एमक्यूएम की स्थापना 1984 में अल्ताफ हुसैन ने की थी. पार्टी का चुनाव चिन्ह पतंग है और पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में उसका बहुत दबदबा माना जाता है. एमक्यूएम को विभाजन के बाद पाकिस्तान में जाकर बसे मुहाजिरों की पार्टी माना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
आवामी नेशनल पार्टी
आवामी नेशनल पार्टी पाकिस्तान के खैबर पख्तून ख्वाह में बड़ी ताकत रही थी. पार्टी का चुनाव निशान लाल टोपी है.
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जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ)
मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व वाली जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ) पाकिस्तान की एक सुन्नी देवबंदी राजनीतिक पार्टी है. पार्टी की चुनाव चिन्ह किताब है. यह पार्टी 1988 में जमीयत उलेमा ए इस्लाम में विभाजन के बाद अस्तित्व में आई.
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पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ)
यह पार्टी एक सिंधी धार्मिक नेता पीर पगाड़ा से जुड़ी हुई है. पार्टी का चुनाव चिन्ह गुलाब का फूल है. (तस्वीर पाकिस्तानी संसद की है.)
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जमीयत उलेमा ए इस्लाम
इस पार्टी का मकसद पाकिस्तान को एक ऐसे देश में तब्दील करना है जो शरिया के मुताबिक चले. हालांकि जनता के बीच उसका ज्यादा आधार नहीं है. नेशनल असेंबली में उसके अभी सिर्फ चार सदस्य हैं. पार्टी तराजू के निशान पर चुनाव लड़ती है और सिराज उल हक इसके प्रमुख हैं.
तस्वीर: Asif Hassan/AFP/Getty Images
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू)
यह पार्टी नवाज शरीफ की पीएमएल (एन) से टूट कर बनी है. पार्टी के मुखिया शुजात हुसैन सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के दौर में कुछ समय के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे. पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल है.
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सिमटता जनाधार
पाकिस्तान में यह बहस भी हो रही है कि बिलावल की चुनावी मुहिम में उनके पिता और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी फायदेमंद साबित होंगे या फिर एक बाधा. कुछ विश्लेषकों और पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि भ्रष्टाचार के बड़े आरोपों के कारण जरदारी की दागदार छवि से पार्टी को चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि उनके प्रतिद्वंद्वी और विपक्ष के नेता इमरान खान भ्रष्टाचार के मुद्दे को जोर शोर से उठा रहे हैं.
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी कभी देश की सबसे लोकप्रिय पार्टी हुआ करती थी. लेकिन अब वह राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रासंगिकता खो रही है. कुछ लोग यह भी कहते हैं कि चुनावों के बाद क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी में गठबंधन हो सकता है.
ऐसी गठबंधन वार्ताओं में पूर्व राष्ट्रपति जरदारी अहम भूमिका निभा सकते हैं. हालांकि दोनों ही पार्टियां संभावित गठबंधन के बारे में अभी ज्यादा खुल कर बात नहीं करतीं, लेकिन इसकी संभावना से वे इनकार भी नहीं करती हैं. राजनीतिक विश्लेषक आमिर अहमद खान कहते हैं, "जरदारी चुनावी मुहिम से ज्यादा अपनी भूमिका चुनावों के बाद उभरने वाले परिदृश्य में देखते हैं."
दुनिया की नाक में दम करने वाला फाटा
फाटा: दुनिया की नाक में दम करने वाला इलाका
पाकिस्तान के कबाइली इलाके लंबे समय तक आतंकवाद का गढ़ रहे हैं. 2018 में इस इलाके को पाकिस्तान के खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत में शामिल किया गया. जानिए क्यों खास है फाटा कहा जाने वाला यह इलाका.
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सबसे खतरनाक जगह
पाकिस्तान के कबाइली इलाकों को कभी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दुनिया का सबसे खतरनाक इलाका बताया था. इस पहाड़ी इलाके को लंबे समय से तालिबान और अल कायदा लड़ाकों की सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है.
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केपीके का हिस्सा
अब इस अर्धस्वायत्त इलाके को पाकिस्तान के खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत में शामिल किया जा रहा है. यानी अब तक कबाइली नियम कानूनों से चलने वाले इस इलाके पर भी अब पाकिस्तान का प्रशासन और न्याय व्यवस्था के नियम लागू होंगे.
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सात जिले
अफगानिस्तान की सीमा पर मौजूद पाकिस्तान के कबाइली इलाके में सात जिले हैं जिन्हें सात एजेंसियां कहा जाता है. संघीय प्रशासित इस कबाइली इलाके को अंग्रेजी में फेडरली एडमिनिटर्ड ट्राइबल एरिया (FATA) कहा जाता है.
गुलामी मंजूर नहीं
फाटा की आबादी लगभग पचास लाख है जिसमें से सबसे ज्यादा पख्तून लोग शामिल हैं. ब्रिटिश राज में इस इलाके को फाटा नाम दिया गया था. यहां रहने वाले पठान लड़ाकों ने खुद को गुलाम बनाने की कोशिशों का डटकर मुकाबला किया था.
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सस्ती बंदूकें
अभी तक यह इलाका पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक बफर जोन की तरह रहा है. यह इलाका सस्ती बंदूकों की मंडी के तौर पर बदनाम रहा है. अफीम के साथ साथ यहां तस्करी का सामान खुले आम बिकता है.
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कबीलों का राज
ब्रिटिश अधिकारियों ने 1901 में इस इलाके के लिए फ्रंटियर क्राइम्स रेग्युलेशन बनाया था, जिसके तहत राजनीति तौर पर नियुक्त होने वाले लोगों को यहां शासन का अधिकार है. इन लोगों के पास एक व्यक्ति के जुर्म की सजा पूरे कबीले को देने तक का अधिकार है.
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स्वायत्तता का लालच
1947 में पाकिस्तान बनने के बाद भी फाटा में वैसे ही शासन चलता रहा जैसे अंग्रेजी दौर में चलता था. पाकिस्तान की सरकार ने इलाके के लोगों को स्वायत्ता लालच दिया ताकि वे पाकिस्तान में शामिल हो जाएं.
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विकास नहीं हुआ
इलाके को स्वायत्ता की भारी कीमत चुकानी पड़ी. विकास के लिए मिलने वाली रकम दशकों तक यहां पहुंची ही नहीं. इसका नतीजा यह हुआ कि कबाइली इलाके और बाकी पाकिस्तान में जमीन आसमान का अंतर नजर आता है.
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उग्रवाद की उपजाऊ जमीन
वंचित लोगों में नाराजगी पैदा होना आम बात है. इसलिए यह इलाका चरमपंथ का गढ़ बन गया है जो न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पड़ोसी अफगानिस्तान के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती बन कर उभरा.
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सोवियत संघ के खिलाफ
फाटा 1979 में अफगानिस्तान में रूसी हमले के दौरान सोवियत संघ के खिलाफ सीआईए समर्थित मुजाहिदीन के अभियान का अहम ठिकाना रहा है. दुनिया भर के इस्लामी लड़ाके यहां पहुंचे, जिनमें से कुछ ने बाद में अल कायदा खड़ा किया.
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चरमपंथियों की पनाहगाह
11 सितंबर 2001 के हमले के बाद अमेरिका ने जब अफगानिस्तान पर हमला किया तो वहां से भाग कर तालिबान और अल कायदा के चरमपंथियों ने इसी इलाके में शरण ली. तहरीक ए तालिबान का यहीं जन्म हुआ.
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ड्रोन हमले
अमेरिका ने कई बरस तक इस इलाके में ड्रोन हमलों के जरिए चरमपंथियों को निशान बनाया. हालांकि पाकिस्तान हमेशा ऐसे हमलों को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करार देता रहा.
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पाकिस्तान सरकार के दावे
पाकिस्तान सरकार दावा करती है कि इस इलाके में आतंकवादी ठिकाने खत्म कर दिए गए हैं. हालांकि अमेरिका कहता है कि अफगानिस्तान में नाटो और अफगान बलों पर हमले करने वाले चरमपंथी अब भी फाटा को इस्तेमाल कर रहे हैं.
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जरदारी हत्या और भ्रष्टाचार के आरोपों में कुल 11 साल जेल में रहे हैं. हालांकि उन्हें कभी किसी आरोप में दोषी करार नहीं दिया गया और वह खुद को निर्दोष बताते हैं. लगातार आठ साल जेल में रहने के बाद उन्हें 2004 में रिहा किया गया.
तीन साल निर्वासन में रहने के बाद वह 2007 में अपनी पत्नी बेनजीर भुट्टो के साथ पाकिस्तान लौटे. लेकिन इसके तीन महीने बाद एक चुनावी रैली में बेनजीर की हत्या कर दी गई. इसके बाद पार्टी को चुनावों में सहानुभूति लहर का फायदा हुआ और पार्टी सत्ता में आई. जरदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति चुने गए और उनके खिलाफ सभी आरोप खत्म हो गए.
जरदारी पांच साल तक राष्ट्रपति रहे, लेकिन अपनी छवि को नहीं बदल पाए. भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण आज भी उन्हें अकसर 'मिस्टर टेन पर्सेंट' कहा जाता है. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के पूर्व सीनेटर फरतुल्लाह बाबर कहते हैं, "मुझे लगता है कि आसिफ जरदारी के खिलाफ एक बड़ी प्रोपेगैंडा मुहिम चलाई गई है जिसका वह शिकार रहे हैं. अगर उन पर लगा एक भी इल्जाम सही होता तो उन्हें कसूरवार ठहराए बिना 11 साल जेल में नहीं गुजारने पड़ते."
सेना रिश्ते
राष्ट्रीय स्तर पर पीपीपी के जनाधार में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ ने सेंध लगाई है लेकिन सिंध प्रांत में वह अपना जनाधार बनाए हुए है. इस साल मार्च में हुए गैलप के एक सर्वे में 17 फीसदी रेटिंग के साथ पाकिस्तान पीपल्स पार्टी को तीसरे नंबर की पार्टी बताया गया है जबकि इस सर्वे में तहरीक ए इंसाफ को 24 फीसदी और सत्ताधारी पीएमएल (एन) को 36 फीसदी रेटिंग दी गई है. ऐसे में, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी और तहरीक ए इंसाफ के बीच गठबंधन की संभावना पैदा होती है.
देखिए इस्लामाबाद का नया एयरपोर्ट
इस्लामाबाद को मिला नया एयरपोर्ट
पाकिस्तान में दस साल से बन रहा एयरपोर्ट आखिरकार तैयार हो गया है. 3 मई को इसका उद्घाटन होगा. एक नजर इसी एयरपोर्ट पर.
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क्षमता
नया एयरपोर्ट राजधानी इस्लामाबाद से 30 किलोमीटर दूर है. यह सालाना 90 लाख मुसाफिरों और 50 हजार मीट्रिक टन कार्गो को संभालने में सक्षम है.
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सबसे खराब एयरपोर्ट
नया एयरपोर्ट इस्लामाबाद के मौजूदा बेनजीर भुट्टो इंटरनेशनल एयरपोर्ट का स्थान लेगा जिसे 2014 में "गाइड टू स्लीपिंग इन एयरपोर्ट" वेबसाइट ने दुनिया का सबसे खराब एयरपोर्ट बताया था.
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विलंब
नए एयरपोर्ट को 2016 में ही काम शुरू कर देना चाहिए था. लेकिन इसका काम लगातार लटकता गया और अब दो साल की देरी के साथ इस एयरपोर्ट का उद्घाटन होने वाला है.
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ए380 भी उतरेगा
नए एयरपोर्ट के रनवे इतने बड़े हैं कि उन पर दुनिया का सबसे बड़े विमान ए380 भी उतर सकता है और उड़ान भर सकता है. अब तक इस्लामाबाद में इस विमान को नहीं उतारा जा सकता था.
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एयरब्रिज
एयरपोर्ट पर 15 एयरब्रिज बनाए गए हैं जिनके जरिए मुसाफिर सीधे टर्मिनल से बोर्डिग कर पाएंगे. यानी उन्हें बसों के जरिए विमानों तक ले जाने की जरूरत नहीं होगी.
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लागत
शुरू में एयरपोर्ट पर 36 अरब पाकिस्तानी रुपये (31.1 करोड़ डॉलर) की लागत आने का अनुमान था. लेकिन अब अधिकारियों का कहना है कि नए एयरपोर्ट को बनने पर 70 करोड़ डॉलर से ज्यादा खर्च हुए हैं.
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पहली उड़ान
नया एयरपोर्ट 4,300 एकड़ में फैला हुआ है. एयरपोर्ट के उद्घाटन के बाद सबसे पहले यहां पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का एक घरेलू विमान उतरेगा.
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छोटा एयरपोर्ट?
सालाना 90 लाख मुसाफिरों की क्षमता वाले इस एयरपोर्ट को दुनिया के कई एयरपोर्ट के मुकाबले छोटा ही माना जाएगा. मिसाल के तौर पर दुबई इंटरनेशल एयरपोर्ट 8 करोड़ यात्रियों को संभालने में सक्षम है.
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पाकिस्तान में कुछ लोग यह भी मानते हैं कि जरदारी चुपचाप सेना के साथ अपने रिश्ते बेहतर कर रहे हैं. यह संदेह मार्च में उस वक्त और बढ़ गया जब पीपीपी ने सीनेट का नेतृत्व करने का मौका छोड़ दिया और सेना से जुड़े एक निर्दलीय सीनेटर को संसद के ऊपरी सदन का चेयरमैन चुना गया.
राजनीतिक विश्लेषक आमिर अहमद खान कहते हैं, "जरदारी सोचते हैं कि जब सरकार बनाने की बारी आएगी तो उनके जैसे व्यक्ति की जरूरत पड़ेगी. और वह किंग मेकर बन जाएंगे."
इमरान को लाने की तैयारी?
हाल के दिनों में पाकिस्तान ने काफी सियासी उथल पुथल देखी है. भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा. अदालत ने उन्हें चुनाव लड़ने और अपनी पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहने से भी रोक दिया है.
सेना पर आरोप लग रहे हैं कि वह नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) को अस्थिर करना चाहती है और इमरान खान को सत्ता में लाने का रास्ता तैयार कर रही है.
फरतुल्लाह बाबर कहते हैं, "हम चुनाव से पहले होने वाली तिकड़मों को देख रहे हैं जहां सभी पार्टियों के लोग एक ही पार्टी में जा रहे हैं." हाल में नवाज शरीफ ने कहा कि फौज उनकी पार्टी के नेताओं पर इमरान खान की पार्टी में शामिल होने का दबाव डाल रही है.
वहीं, पाकिस्तान में दशकों तक राज करने वाली पाकिस्तानी सेना राजनीति में किसी भी तरह के दखल से इनकार करती है. इमरान खान भी सेना के साथ किसी तरह की साठगांठ से इनकार करते हैं.
एके/ओएसजे (रॉयटर्स)
देखिए कितना खूबसूरत है पाकिस्तान
पाकिस्तान.. और इतना खूबसूरत
दुनिया के खूबसूरत पर्यटन स्थलों की जब बात चलती है तो पाकिस्तान का शायद ही जिक्र हो. बेशक इसकी वजह वहां चरमपंथी खतरा है, लेकिन पाकिस्तान में कई ऐसी जगह हैं जिन्हें देख कर मुंह से यही निकलेगा, वाह.
तस्वीर: DW/A. Bacha
जन्नत
कश्मीर को धरती पर जन्नत का नाम दिया जाता है. इसका एक हिस्सा भारत के नियंत्रण में है तो दूसरा पाकिस्तान के. पूरे कश्मीर में ऐसे दिलकश नजारों की कमी नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सबसे ऊंचा रणक्षेत्र
ये तस्वीर एक सैन्य हेलीकॉप्टर से ली गई है. ये पर्वत सियाचिन के हैं जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र कहते हैं. ये जगह पाकिस्तान में स्कारदू के करीब है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Khawer
स्वात की सुंदरता
ये है पाकिस्तान की स्वात घाटी, जो तालिबानी चरमपंथियों को लेकर कई साल से सुर्खियों में रही है. लेकिन कुदरत ने यहां खूबसूरती दिल खोल लुटाई है.
तस्वीर: Adnan Bacha
पूर्व का स्विट्जरलैंड
स्वात का इलाका इस कदर खूबसूरत है कि जब ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ ने यूसुफजई स्टेट ऑफ स्वात का दौरा किया तो उन्होंने इसे पूर्व का स्विट्जरलैंड कहा था.
तस्वीर: Adnan Bacha
व्हाइट पैलेस
स्वात जिले में ही मिंगोरा शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है व्हाइट पैलेस. 1940 में इसका निर्माण उस समय हुआ जब स्वात एक रियासत हुआ करती थी. बताया जाता है कि ये उसी पत्थर से बना है जिससे ताजमहल बना.
तस्वीर: DW/A. Bacha
हरियाली और रास्ता
दूर तक फैली हरियाली और बुलंदियों को छूते पर्वत इस इलाके की पहचान हैं, लेकिन हाल के सालों में बार बार चरमपंथ के कारण यहां सैलानियों ने जाना छोड़ दिया है.
तस्वीर: Adnan Bacha
शहद का दलदल
ये स्वात का गबीना जब्बा इलाका है, जिसका पश्तो भाषा में अर्थ होता है शहद का दलदल.
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ये कहां आ गए हम..
यहां मधु मक्खियां बड़ी संख्या में पाई जाती हैं और यहां का शहद पूरे खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में मशहूर है. गबीना जब्बा में यूं ही दूर तक खुला आसमान दिखाई पड़ता है.
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जी नहीं भरेगा
यहां ऐसे नजारे हैं कि देखते रहिए लेकिन जी नहीं भरेगा. ये इलाका बहुत सी उपयोगी जड़ी बूटियों से भी मालामाल है. ऐसे में यहां कई तरह के शोध भी होते रहते हैं.
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चरमपंथ की मार
पाकिस्तान में चरमपंथ के कारण जो क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं उनमें देश का पर्यटन उद्योग प्रमुख है.
तस्वीर: DW/A.Bache
पानी रे पानी
घनी वादियां और उनसे निकलता निर्मल पानी. हर तरफ बिखरी ऐसी खूबसूरती किसी को भी अपनी तरफ खींच सकती है.
तस्वीर: DW/A.Bache
नंगा पर्वत
ये है उत्तरी पाकिस्तान में नंगा पर्वत जो दुनिया में नौंवा सबसे ऊंचा पर्वत है. इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8,126 मीटर है. ये गिलगित बल्तिस्तान में है और इस इलाके पर भारत भी अपना दावा जताता है.
तस्वीर: Getty Images
आठ हजारी
नंगा पर्वत दुनिया के उन 14 पर्वतों में से एक है जिनकी ऊंचाई आठ हजार मीटर से ज्यादा है. कम ही लोग हैं जो इन पर्वतों पर चढ़ पाए हैं.
तस्वीर: dpa
सिंधु घाटी
ये नजारा है सिंधु घाटी का, जो पाकिस्तान के नॉर्दन एरियाज में है. पानी के बंटवारे को लेकर भारत और पाकिस्तान में सिंधु जल संधि है, लेकिन अब इस पर भी सवाल उठने लगे हैं.
तस्वीर: picture-alliance / dpa
हवा में नफरत
अफगानिस्तान से लगने वाले पाकिस्तान के कबायली इलाके बहुत खूबसूरत हैं. लेकिन इस स्वच्छ आबोहवा में कई सालों से हिंसा और नफरत घुली है.