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क्या जर्मन समाज में पनप रहा है उग्रवाद?

सुनंदा राव१६ सितम्बर २००८

एक साल पहले जर्मनी में तीन संदिग्ध मुसलिम उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया. आश्चर्यजनक बात यह थी कि इन लोगों के दल का मुखिया एक जर्मन था. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि वह एक आतंकवादी बनने की राह पर चल पड़ा.

बड़े विस्फोट की योजना के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया.तस्वीर: AP

फ्रिट्स गेलोवित्स एक आम जर्मन नाम है, मुसलिम धर्म से इस नाम का कुछ लेना-देना नहीं. लेकिन 28 साल के फ्रिट्स अपने दोस्तों और साथियों के बीच अब्दुल्लाह के नाम से भी जाना जाता था. लेकिन गंभीर बात यह है कि उसे बम बनाना आता था और उसने अपने साथियों को इस बारे में बताया.

200 किलोग्राम विस्फोटक पदार्थ- इन्शाल्लाह. इससे होगा बड़ा विस्फोट.

एक साल पहले गेलोवित्स कार में अपने साथी आदम यिलमाज़ को यह बता रहा था. इसी कार में भारी मात्रा में हाइड्रोजन पैरॉक्साइड भी भरा था, जिसका इस्तेमाल बम बनाने में होता है. लेकिन इन दोनों युवकों को यह नहीं पता था कि उनकी बातें पुलिस सुन रही है. कार में पहले से ही ख़ुफ़िया माइक्रोफ़ोन फ़िट था.


गेलोवित्स और उसका साथी मिलकर एक बड़ी जगह पर बम विस्फोट करना चाहते थे, शायद फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे पर. कुछ 11 सितंबर के हमलों जैसा. जर्मन वकील मॉनिका हार्म्स बताती हैं-

ये लोग क्लबों, डिस्कोथेक और एयरपोर्ट को निशाना बनाना चाहते थे. योजना थी कि विस्फोटक से भरी कार में विस्फोट कर दिया जाए ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग मारे जा सकें.

लेकिन पुलिस सतर्क थी. जब तक ये दोनों युवक घर पहुंचते, उनके घरों पर कैमरे फ़िट कर दिए गए. उन्होंने गैरेज में हाइड्रोजन पैरॉक्साइड छिपा रखा था, जिसे पुलिस ने ज़ब्त कर लिया और उसकी जगह साधारण पानी रख दिया. उनके एक तीसरे साथी डैनिएल श्नाइडर की भी पुलिस ने निगरानी शुरू कर दी. मामला इतना गंभीर था कि तहक़ीक़ात में अमेरिकी मदद भी ली गई. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश तक को जानकारी दी गई.

भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री भी बरामद की गईतस्वीर: AP
जर्मनी में बढ़ते उग्रवाद को लेकर चिंतातस्वीर: AP

जर्मन गृह मंत्रि वोल्फगांग शौएब्ले का मानना है कि सुरक्षा निगरानी कड़ी करने की उनकी नीति सही रही है और वे चाहते हैं कि सुरक्षा अधिकारियों को और अधिकार दिये जाएं-

ये हमारे देश और जनता के लिए एक बहुत बड़ा खतरा था. यह खतरा टल तो गया लेकिन हम गंभीर परिस्थितियों की बात कर रहे हैं. हम एक सुरक्षित देश में रहते हैं. और हमारे सुरक्षा अधिकारियों को हर मुमकिन समर्थन और इज़्ज़त दी जानी चाहिये.

क्यों गोलवित्स उग्रवाद के रास्ते पर चल पड़ा

लेकिन किन परिस्थितियों में गेलोवित्स उग्रवाद और हिंसा के रास्ते पर चल पड़ा, यह एक पहेली बनी हुई है. गेलोवित्स के पिता सौर ऊर्जा से जुड़े कारोबार में थे उनकी मां डॉक्टर हैं. वह स्कूल में आम छात्र की तरह था. उसने उल्म शहर में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. लेकिन गेलोवित्स मामले को लोग इस तरह देख रहे हैं कि इस्लाम कबूल करने के बाद उसने जर्मन समाज में इस्लामिक उग्रवाद का बीज बो दिया.

बढ़ रहा है जर्मनी मे उग्रवाद का ख़तरातस्वीर: AP

पुलिस का कहना है कि शुरू में में फ्रिट्स गेलोवित्स एक आम जर्मन किशोर था, डिस्को जाता था, अमेरिकी हिप-हॉप संगीत का फैन था. फिर स्कूल में उसकी दोस्ती तुर्क मूल के लड़के, टोल्गा के साथ हुई जिसने उसे इस्लाम के बारे में बताया. उसी समय गेलोवित्स के माता-पिता अलग हो गए और गेलोवित्स को इस्लाम और मस्जिद में एक परिवार का माहौल मिला. लेकिन फ्रित्स को लगने लगा कि जर्मन समाज में उसके साथ ग़लत हो रहा है क्योंकि स्कूल के उसके नंबरों के आधार पर उसे हायर सेकेंड्री में नहीं बल्कि एक आम स्कूल में भेज दिया गया. कई बार छोटे-मोटे मामलों में पुलिस की गेलोवित्स पर नज़र भी पड़ी लेकिन उसके खिलाफ कोई खास कदम नहीं उठाया गया.

2003 में गेलोवित्स ने आतंकवाद की राह अपना ली, जिसे वह जिहाद का नाम देता रहा. उसे लगने लगा कि जर्मनी के छोटे से उल्म शहर में वह अपना समय बर्बाद कर रहा है. वो पहले तुर्की गया और फिर मक्का. अधिकारियों का कहना है कि 2006 में पाकिस्तान की एक ट्रेनिंग कैंप में फैसला किया गया कि जर्मनी पर निशाना साधने का वक्त आ गया है. इसके लिए फ्रित्स गेलोवित्स को चुना गया. उसे जानने वाले बताते हैं कि गेलोवित्स के चेहरे पर एक अजीब भावना झलकती थी और उसमें कोई करिश्मा दिखता था.

लेकिन 4 सितंबर 2007 में जब गेलोवित्स और उसके साथी को पकड़ा गया तो पुलिस ने उसे एक अलग बंदी शिविर में रखा. फिलहाल अदालत में उसकी सुनवाई शुरु नहीं हुई है लेकिन समाज में अब यह सवाल उठने लगा है कि आतंकवाद की जड़ें क्या वाकई अफगानिस्तान या पाकिस्तान में हैं, या फिर अब यह अपनी जड़ें यूरोप और जर्मनी जैसे देशों में भी फैलाने लगा है.


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