शाही परिवार में पुरुष उत्तराधिकारी की कमी ने जापान में बहस झेड़ दी है कि क्या कानून को बदल कर एक महिला को शाही गद्दी पर बिठाने का समय आ गया है. इस कदम को लेकर समर्थन से ज्यादा विरोध सामने आया है.
विज्ञापन
जापान की सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के एक वरिष्ठ नेता ने एक दुस्साहसी प्रस्ताव देकर सरकार को सकते में डाल दिया है. उन्होंने इस ओर इशारा किया कि क्या भावी सम्राट शाही परिवार की महिला हो सकती है. पार्टी की टैक्स समिति के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री शिंजो आबे के करीबी माने जाने वाले अकारी अमारी ने हाल ही में एक टीवी कार्यक्रम में शिरकत करते हुए यह बात कही.
इससे देश में राजशाही के भविष्य को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई. हाल ही में नए सम्राट नारुहितो ने गद्दी संभालने से जुड़ी लंबी चौड़ी पारंपरिक रस्में पूरी की हैं और जापान की राजगद्दी पर काबिज हुए हैं.
जापान के इतिहास में 660 ईसा पूर्व से राजशाही के सबूत मिलते हैं. मई 2019 में नए सम्राट बने नारुहितो की एक बेटी है लेकिन कोई बेटा नहीं. यही वजह है कि उनके बाद क्या होगा इसे लेकर बहस छिड़ी है. जापान में अब तक दुनिया की सबसे पुरानी वंशवादी राजशाही चल रही है.
फिलहाल जापानी राज परिवार में केवल 18 सदस्य हैं और इसमें से केवल 7 ही 30 साल या उससे कम आयु के हैं. सम्राट नारुहितो के बाद गद्दी उनके भतीजे राजकुमार हिसाहितो को दी जा सकती है, जो कि अभी केवल 13 साल के हैं. अगर राजकुमार हिसाहितो के कोई पुरुष संतान नहीं होती है तो उस स्थिति में शाही परिवार के सामने उत्तराधिकार का बहुत बड़ा संकट आ खड़ा होगा. इसी कारण से के बहाने उत्तराधिकारी चुनने के स्थापित नियमों पर पुनर्विचार करने की बात उठी है.
सम्राट नारुहितो का राज्याभिषेक
जापान के सम्राट नारुहितो ने आज टोक्यो में करीब 2000 मेहमानों के सामने एक परंपरागत समारोह में सिंहासन पर बैठने की घोषणा की.
तस्वीर: Reuters/K. Nogi
राज्याभिषेक की घोषणा
59 वर्षीय सम्राट ने काले और नारंगी रंग का लिबास पहन रखा था, जो उनके खानदान में 9वीं सदी से राज्याभिषेक के दौरान पहना जाता है. उन्होंने देश और विदेश के लोगों के सामने औपचारिक रूप से जापान के सिंहासन पर बैठने की घोषणा की.
तस्वीर: Reuters/I. Kato
साढ़े 6 मीटर ऊंची राजगद्दी
ऑक्सफोर्ड में शिक्षा ग्रहण करने वाले नारुहितो ने 30 मिनट चले समारोह के दौरान 6.5 मीटर ऊंचे सिंहासन पर बैठने के बाद अपने राज्याभिषेक की घोषणा की. उन्होंने संविधान के अनुरूप अपनी जिम्मेदारी पूरी करने का वचन दिया.
तस्वीर: Reuters/K. Nogi
तोपों की सलामी
सम्राट नारुहितो के राज्याभिषेक की घोषणा का जापान की आत्मरक्षा टुकड़ी की विशेष यूनिट ने तोपों की सलामी देकर स्वागत किया. नारुहितो देश के 126वें सम्राट हैं.
समारोह के दौरान साम्राज्ञी मसाको 12 तहों वाले परंपरागत किमोनो में पास रखे सिंहासन पर बैठीं. नारुहितो से शादी से पहले वह जापान की विदेश सेवा में अधिकारी थीं.
तस्वीर: Reuters/I. Kato
अकिहितो के उत्तराधिकारी
सम्राट अकिहितो के 30 अप्रैल को पद छोड़ने के एक दिन बाद 1 मई को नारुहितो ने एक उत्तराधिकार समारोह में सिंहासन संभाला था. इसके साथ जापान में उनके शासनकाल की शुरुआत हुई, जिसे रैवा काल कहा जाएगा.
तस्वीर: Reuters/Kyodo
मंदिर में प्रार्थना
समारोह से पहले सम्राट और साम्राज्ञी राजमहल में स्थित तीन मंदिरों में गए. उनमें सूरज भगवान अमातेरासू ओमिकामी का मंदिर भी है. माना जाता है कि जापानी राजपरिवार भगवान सूर्य का वंशज है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Triballeau
शिंजो आबे का संदेश
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भी राज्याभिषेक समारोह में भाग लिया. शिंजो आबे ने अपने संदेश में कहा, "हम जापान के लिए शांतिपूर्ण और उम्मीदों से भरा सुनहरा भविष्य बनाने का पूरा प्रयास करेंगे."
तस्वीर: Reuters/K. Sasahara
युवराज ने भी लिया हिस्सा
समारोह में राजकुमार आकिशिनो ने भी हिस्सा लिया. अप्रलै में अपनी बढ़ती उम्र के कारण पद छोड़ने वाले पूर्व सम्राट आकिहितो और साम्राज्ञी मिचिको ने समारोह में हिस्सा नहीं लिया.
तस्वीर: Reuters/K.H.Ji
विदेशी मेहमान
राज्याभिषेक समारोह में 190 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के उच्च प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. जर्मनी का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर और उनकी पत्नी ने किया. श्टाइनमायर ने समारोह को इतिहास, परंपरा और खुशियों के साथ भविष्य की उम्मीदों का मेल बताया.
इंपीरियल हाउसहोल्ड लॉ की शर्तों के अंतर्गत शाही परिवार के पुरुष सदस्यों की पुरुष संतानें ही जापान में सम्राट बन सकते हैं. जबकि यह भी सच है कि जापान के इतिहास में सम्राज्ञियां रह चुकी हैं लेकिन अब ये बीत काफी पुरानी हो चुकी है. आकिरी सम्राज्ञी गो-सकूरामाची थीं जिन्होंने 1762 से 1771 तक राज किया. उसके बाद से उत्तराधिकार वाले कानूनों में बदलाव लाया जा चुका है. ऐसा कभी नहीं हुआ कि शाही परिवार की महिला सदस्यों की महिला संतान सम्राज्ञी बनी हो, जैसा कि जापानी नेता अमारी ने सुझाया है.
टेंपल यूनिवर्सिटी के टोकियो कैम्पस में राजनीतिशास्त्र पढ़ाने वाली प्रोफेसर हिरोमी मुराकामी कहती हैं, "ऐसा कहना कि जापान की कोई सम्राज्ञी हो ही नहीं सकती, असल में उन सब के उलट होगा जो प्रधानमंत्री आबे कहते आए हैं. जैसे कि समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके 'जगमगाने' की बातें."
प्रोफेसर मुराकामी ने यह भी कहा, "तमाम दूसरे देशों ने कानून बदल कर राजनीति में महिलाओं को शामिल करवाया और उन्हें जापान से बेहतर नतीजे मिले." उन्होंने बताया कि आबे सरकार ने भी ऐसे कानून बनाए लेकिन कुछ बदला नहीं और ऐसा ही कुछ शाही परिवार के साथ भी है, जिसमें रुढ़िवादी लोग अब भी केवल पुरुष उत्तराधिकारी ही देखना चाहते हैं." जबकि देश में करवाए गए कई जनमत सर्वेक्षणों में आम जनता के 70 से 80 फीसदी लोगों ने उत्तराधिकार को लेकर नियमों को बदले जाने का समर्थन किया है.
राजकुमारी आइको के पक्ष में
मुराकामी बताती हैं, "ज्यादातर लोगों को भविष्य में राजकुमारी आइको के सम्राज्ञी बनने में कुछ भी गलत नहीं लगता. वह केवल 17 साल की हैं और राजपरिवार में पली बढ़ी हैं, जब तक वे गद्दी संभालेंगी तब तक उन्हें काफी अनुभव हो चुका होगा और वे उसके लिए तैयार होंगी." फिर भी एक ओर जहां जापान की विपक्षी पार्टियां इस विचार के पक्ष में दिख रही हैं वहीं परंपरावादी सत्ताधारी दल को नापसंद होने के कारण यह विचार आगे नहीं बढ़ पा रहा है.
नवंबर में एलडीपी के ही कुछ नेताओं के समूह ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसका मकसद महिला उत्तराधिकारी को गद्दी पर बैठाने का नियम बनाने से रोकना है. उन्होंने प्रस्ताव दिया कि शाही परिवार से संबंधित उनने रिश्तेदारों को खोजा जाए जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपनी शाही उपाधियां गंवा दी थीं और उन्हें फिर से शाही परिवार में शामिल करवाया जाए. सन 1947 में ऐसे करीब 11 शाही वंश खो गए थे और उन्हें शामिल करने से भावी पुरुष उत्तराधिकारियों का एक बड़ा समूह उपलब्ध हो जाएगा.
शादी करना तो हर किसी के लिए बड़ा फैसला होता है, लेकिन कहीं कहीं तो ये बहुत मुश्किल भी होता है. जापान के अविवाहित लड़के शादी के लायक बनने के लिए सीखते हैं कुछ खास कौशल भी. जानिए इस अनोखी परंपरा 'इकुमेन' के बारे में.
तस्वीर: imago stock&people
शादी की संभावना बढ़े
इसके लिए जापान में युवा अविवाहित लड़के व्यक्तित्व के बाकी गुणों के अलावा कुछ खास गुण भी विकसित कर रहे हैं. इसे 'इकुमेन' कहा जाता है और इसके बाकायदा कोर्स कराए जाते हैं.
तस्वीर: Reuters/I.Kato
बच्चे पालने की कला
ऐसे युवाओं की शादी की संभावना बढ़ जाती है जिन्हें बच्चे पालने का सलीका आाता हो. जापान में केवल पुरुषों के लिए चलने वाले 'इकुमेन' कोर्स में शिक्षक उन्हें बच्चों को नहलाने, कपड़े बदलने से लेकर महिलाओं की मनोस्थिति और उनका नजरिया समझने की ट्रेनिंग भी देते हैं.
तस्वीर: Reuters/I.Kato
गर्भ का बोझ
जापान के ओसाका स्थित "इकुमेन यूनिवर्सिटी" नाम की कंपनी ने इसकी शुरुआत की है. कोर्स करने वाले पुरुषों को शरीर पर करीब सात किलो भारी प्रेगनेंसी जैकेट बांध कर अभ्यास कराया गया जिससे उन्हें उस बोझ का अंदाजा लगे जो गर्भवती महिलाएं ढोती हैं.
तस्वीर: Reuters/I.Kato
महिलाओं की पसंद
शारीरिक बोझ के अलावा होने वाली मानसिक परेशानियों से जूझने के गुर भी सिखाए जाते हैं. जैसे कि संभावित पार्टनर से अच्छा संवाद स्थापित करना और उनकी पसंद नापसंद को समझने का तरीका इत्यादि.
तस्वीर: Reuters/I.Kato
सर्टिफाइड दूल्हा
पुरुषों से उन गुणों की एक लंबी सूची भरवाई जाती है जिन्हें आम तौर पर महिलाएं नापसंद करती हैं और उन्हें दूर कर पुरुषों को एक तरह का सर्टिफिकेट मिल जाता है कि वे शादी के लिए एक सुयोग्य उम्मीदवार हैं.
तस्वीर: Reuters/I.Kato
बाजार में मांग
शादी के विज्ञापन देने वाले अखबार, पत्रिकाओं या वेबसाइटों पर लड़कों के परिचय में इस सर्टिफिकेशन का जिक्र करने से उन्हें बाकियों के मुकाबले ज्यादा अहमियत मिलती है. यह दिखाता है कि ना केवल वे शादी और परिवार को संभालने के लायक हैं बल्कि बच्चे संभालने में भी चैंपियन हैं.
तस्वीर: Reuters/I.Kato
जापान में ही क्यों
हाल में आया एक सर्वेक्षण दिखाता है कि जापान में विवाह योग्य आयु वाले यानी 18 से 34 की उम्र के करीब 70 फीसदी पुरुष और 60 फीसदी महिलाएं अविवाहित हैं. जापान में बुजुर्ग लोगों की तादाद युवाओं और बच्चों के मुकाबले बहुत अधिक है. देश को अगली पीढ़ी की सख्त जरूरत है.