क्या हाफिज सईद सही मायनों में जेल में बंद है?
२१ नवम्बर २०२०लाहौर की एक आतंक-विरोधी अदालत ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को आतंकी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के दो अलग अलग मामलों में दोषी पाया और दोनों मामलों में पांच-पांच साल कारावास की सजा दी.
हाफिज पहले से ही जेल में है और इसी तरह के दो और मामलों में दोषी पाए जाने पर साढ़े पांच साल कारावास की सजा भुगत रहा है. नए मामलों में सजा भी इसी सजा के साथ साथ चलेगी, जिसका मतलब है कि उसे जेल में अतिरिक्त समय नहीं बिताना पड़ेगा.
उसके वकीलों ने पिछले फैसलों के खिलाफ अपील दायर की हुई हैं लेकिन उसकी सुनवाई लंबित है. ताजा फैसला ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान वैश्विक संस्था फाइनेंशियल टास्कफॉर्स (एफएटीएफ) के द्वारा काली सूची में डाले जाने से बचने की कोशिशों में लगा हुआ है. एफएटीएफ इस आधार पर देशों का मूल्यांकन करता है कि वे आतंकवाद जैसी अवैध गतिविधियों की फंडिंग पर कितनी लगाम लगा पा रहे हैं.
पाकिस्तान 2018 से संस्था की "ग्रे" सूची में है. अक्टूबर 2020 में संस्था ने अपनी समीक्षा में पाकिस्तान को कहा था कि वह फरवरी 2021 तक आतंक का मुकाबला करने के लिए तय योजना पर अमल कर ले और यह दिखाए कि उसने असरदार रूप से आतंकवाद की फंडिंग की जांच की है.
जहां तक हाफिज सईद का सवाल है, तो वह पिछले एक दशक में कई बार जेल जा कर बाहर आ चुका है. वह लगातार 26/11 हमलों में शामिल होने से और यहां तक की आतंकवादी गतिविधियों में शामील होने से भी इंकार करता आया है.
शुक्रवार को सोशल मीडिया पर उसका एक वीडियो वायरल हुआ जिसकी वजह से भारतीय मीडिया में यह दावा किया जा रहा है कि हाफिज पाकिस्तान में जेल की आड़ में वीआईपी सुलूक का लाभ उठा रहा है.
पहले भी कई बार हाफिज को मिल रही सुविधाओं पर प्रश्न उठाए गए हैं और इस बात को लेकर संदेह व्यक्त किया गया है कि कहीं उसका जेल की सलाखों के पीछे होना महज दिखावा तो नहीं है. इसे लेकर जानकारों की अलग अलग राय है. वरिष्ठ पत्रकार संजय कपूर कहते हैं कि हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादी अभी भी पाकिस्तानी "डीप स्टेट" के लिए महत्वपूर्ण जरूर हैं, लेकिन एफएटीएफ के दबाव की वजह से वह अब उन्हें खुले में नहीं रख सकता है.
संजय कपूर ने डीडब्ल्यू को बताया की एफटीएफ की वजह से पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठनों के पास कम से कम अभी कुछ और समय तक भारत में आतंकवादी भेजने और अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के संसाधनों की कमी जारी रहेगी.
हालांकि भारत में जम्मू और कश्मीर में आए दिन आतंकी गतिविधियां हो रही हैं. कभी भारतीय सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ होती है, तो कभी आतंकवादी हमला करने में सफल हो जाते हैं. गुरुवार को ही जम्मू और कश्मीर राज्य मार्ग पर नगरोटा के पास हुई एक मुठभेड़ तीन घंटों तक चली जिसमें सुरक्षाबलों ने चार संदिग्ध आतंकवादियों को मार गिराया.
संदिग्ध आतंकवादी एक ट्रक में छुपे हुए थे जिससे हथियारों का एक बड़ा जखीरा भी बरामद हुआ है. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके बताया कि चारों जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी थे और वे किसी बड़ी घटना को अंजाम देने वाले थे.
बार बार हो रही इन घटनाओं से आतंकवादी संगठनों के अभी भी सक्रीय होने का प्रमाण मिलता है. ऐसे में एफटीएफ का दबाव इन संगठनों पर कितना असर कर रहा है, इस पर संदेह बना हुआ है.
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