क्या पुरस्कार बचा पाएगा कैद सऊदी ब्लॉगर को
१६ दिसम्बर २०१५रइफ बदावी ने अपने ब्लॉगों में सऊदी अरब की घोर अनुदारवादी सरकार की दमनकारी नीतियों की आलोचना की और अभिव्यक्ति की आजादी के साथ साथ आस्था की स्वतंत्रता का पक्ष लिया. इस अपराध के लिए 31 वर्षीय बदावी को इस्लाम के अपमान के आरोप में दस साल की कैद और 1000 कोड़ों की सजा सुनाई गई. इसमें से सिर्फ 50 कोड़ों की सजा पर अमल हुआ. तबियत खराब हो जाने और अंतरराष्ट्रीय विरोध के कारण उन्हें और कोड़े नहीं लगाए गए हैं लेकिन सजा को बदला भी नहीं गया है और न ही उन्हें रिहा किया गया है.
यूरोपीय संसद का सम्मानित पुरस्कार रइफ बदावी के साहस को समर्पित है. रइफ बदावी की पत्नी इंसाफ हैदर की यूरोपीय संसद के पुरस्कार को लेकर मिश्रित भावनाएं हैं. गर्व और खुशी की, लेकिन रइफ के नहीं होने का गम भी है, "मेरी ख्वाहिश है कि रइफ यहां मेरे साथ होता. लेकिन मुझे उम्मीद है कि शांति जल्द ही संभव होगी और उसे हम जल्द ही हासिल करेंगे."
यह उम्मीद काफी दिनों से है, लेकिन सउदी अरब की सरकार कोई ढील देने को तैयार नहीं है. पिछले दिनों रइफ बदावी को एक दूसरे जेल में भेज दिया गया है, जहां से उनके परिवार को उनके बारे में कोई खबर नहीं है. इंसाफ हैदर आम तौर पर किसी न किसी तरह रइफ के संपर्क में रहने की कोशिश करती हैं, लेकिन जब से उन्हें दूसरे जेल में भेजा गया है, दोनों के बीच कोई संपर्क नहीं हुआ है.
पिछले महीने सऊदी अरब ने 55 लोगों का सिर कलम करने की घोषणा की थी. इन लोगों पर सऊदी सरकार ने आतंकवाद का आरोप लगाया है. मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि संदेह है कि सऊदी राजघराना इन आरोपों का इस्तेमाल विरोधियों को रास्ते से हटाने के लिए कर रहा है.
दुनिया में और कोई मुल्क नहीं जहां महिलाओं को इतने कम अधिकार हों जितना सऊदी अरब में है. जहां महिलाओं का दूसरे मर्दों के साथ कॉफी हाउस तक में मिलना प्रतिबंधित है, वहां पिछले हफ्ते महिलाओं को स्थानीय चुनावों में हिस्सा लेने का हक दिया गया. वोट देने का हक और चुने जाने का हक. करीब सवा लाख महिलाओं ने चुनाव के लिए रजिस्ट्रेशन कराया और 980 ने उम्मीदवारी का पर्चा भरा. कुल 20 महिलाएं चुनी गईं हैं. सऊदी अरब की महिलाओं के लिए यह एक शुरुआत है.
लेकिन इस अति रुढ़िवादी देश में फिलहाल सिनेमा हॉल बनने की शुरुआत नहीं होगी. पिछले दिनों इस तरह की खबर आई थी कि सरकारी अधिकारियों ने सिनेमा हॉलों के बारे में एक फैसला लिया है. इसमें कस्टम के अलावा इस्लामी परंपरा और राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा की बात थी. राजधानी रियाद में सिनेमा हॉल बनाने की योजना थी, लेकिन सरकार ने अब इसका खंडन किया है. सऊदी अरब में इस तरह की खबरें समय समय पर आती रहती है और बाद में उसका खंडन कर दिया जाता है.