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क्या पुर्तगाल को उड़ा पाएगा रोनाल्डो रॉकेट

८ जून २०१२

फुटबॉल में इस वक्त पुर्तगाल की पहचान जादुई स्ट्राइकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो की वजह से होती है. वह दुनिया के सबसे महंगे खिलाड़ी हैं. लेकिन क्या रोनाल्डो से लैस पुर्तगाल यूरो 2012 में कोई कमाल दिखा सकेगा.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

पुर्तगाल को यूरोपीय चैंपियनशिप में बढ़िया प्रदर्शन करने के लिए रोनाल्डो नाम की धुरी के आस पास घूमना होगा. टीम के कुछ अन्य खिलाड़ी भी प्रतिभाशाली हैं. उन्हें विपक्षी टीम के गोल पोस्ट के पास रोनाल्डो को किसी भी तरह बढ़िया पास देना होगा.

फंसा है पुर्तगाल

पुर्तगाल ग्रुप बी में है. यूरो टूर्नामेंट में इसे 'मौत का ग्रुप' कहा जा रहा है. ग्रुप में जर्मनी, नीदरलैंड्स और डेनमार्क भी हैं. पुर्तगाल को पहला ही मैच मजबूत जर्मन टीम से खेलना है. 2008 से अब तक पुर्तगाल जर्मनी को नहीं हरा सका है. बीते 16 मैचों में पुर्तगाल सिर्फ तीन बार जर्मनी को हरा सका है. 2008 की चैंपियनशिप के क्वालिफाईंग में भी पुर्तगाल को जर्मन टीम ने हरा दिया.

पुर्तगाल की टीमतस्वीर: dapd

वैसे इस ग्रुप की कमजोर मानी जाने वाली टीम पुर्तगाल ही हैं. नीदरलैंड्स 2010 के वर्ल्ड कप का उपविजेता रह चुका है. जर्मनी वर्ल्ड कप में तीसरे नंबर पर रहा. वहीं पुर्तगाल तो टूर्नामेंट में क्वालिफाई ही बहुत मुश्किल से कर पाया. इस दौरान डेनमार्क ने भी उसे 2-1 से हरा दिया. पहले दो मैच हारने के बाद कोच कार्लुश कायरोश की छुट्टी कर दी गई. टीम की कमान लिस्बन क्लब के पूर्व कोच पाउलो बेंटो को सौंपी गई. उसके बाद बोस्निया हैर्त्सेगोविना जैसी कमजोर टीम को हराकर रोनाल्डो एंड कंपनी यहां पहुंचे हैं.

टीम में बदलाव

रोनाल्डो को उम्मीद है कि बेंटो की कोचिंग में टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी. उनकी तारीफ में वह कहते हैं, "वह हमारे लिए कॉर्नर के मौके बनाते हैं. टीम को आगे पीछे खेलने का अभ्यस्त बनाते हैं. उन्होंने टीम में नई सोच और नए खून का संचार किया है, यह सबसे जरूरी था."

टूर्नामेंट में सम्माजनक प्रदर्शन करने के लिए बेंटो ने टीम में कुछ बड़े बदलाव भी किए हैं. खोसे बोसिंग्वा और रिकॉर्डो कावाल्यो जैसे दिग्गजों को बाहर का रास्ता दिखाया. इन दोनों पर अनुशासनहीनता के आरोप लग रहे हैं. बेंटो ने छड़ी घुमाने का साहस किया.

पूर्व खिलाड़ी और पुर्तगाल के मशहूर फुटबॉलर लुईस फिगो कहते हैं, "पुर्तगाल यूरो जीत सकता है." लेकिन ऐसा दावा करते समय उनकी आवाज में आत्मविश्वास की कमी झलकती है. वैसे यह पुर्तगाल का दुर्भाग्य ही है कि फिगो और नुनो गोमेज जैसे बड़े सितारे पैदा करने के बाद भी वह आज तक कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं जीत सका है.

पुर्तगाल के गोली रुई पैट्रिसियोतस्वीर: picture-alliance/dpa

कमजोर कड़ी

हर बार की तरह इस बार भी पुर्तगाल की दिक्कत यह है कि टीम रोनाल्डो पर कुछ ज्यादा ही निर्भर है. रोनाल्डो के लिए फुटबॉल का यह सत्र शानदार रहा है. क्लब सीजन में वह 46 गोल कर चुके हैं. लेकिन फुटबॉल टीम गेम है. जीत के लिए जरूरी है कि पुर्तगाली मिडफील्डर रोनाल्डो को पास दें. विपक्षी खिलाड़ियों से घिरे रोनाल्डो को भी ऐसे मौकों को तुरंत भुनाना होगा. ऐसा न हुआ तो पुर्तगाल को कोई ताकत आगे नहीं बढ़ा सकती.

वैसे तीन अन्य प्रतिभाशाली खिलाड़ियों से कोच बेंटो को बड़ी उम्मीद है. उनके पास रियाल मैड्रिड की पहचान बन रहे सेंट्रल डिफेंडर पेपे और फाबियो कोएंत्राओ हैं. मैदान पर कई भूमिकाओं में खरे उतरने वाले राउल मेइरेलेस भी टॉप फॉर्म में हैं. मेइरेलेस चैंपियंस लीग की चैंपियन टीम चेल्सी के मिडफील्डर हैं.

बेंटो क्लासिकल फुटबॉल पर जोर देते हैं. वह तकनीकी रूप से खिलाड़ियों के बीच अच्छे तालमेल को सफलता की कुंजी मानते हैं. बेंटो चाहते हैं कि टीम बचाव पर जोर देते हुए तेजी से आक्रमण करे, इतनी तेजी से कि विपक्षी टीम को गोलपोस्ट की रक्षा करने का वक्त ही न मिले.

बेंटो की कोशिश होगी कि दुनिया का सबसे महंगा फुटबॉल खिलाड़ी अपनी क्षमताओं को पूरा प्रदर्शन करे. रोनाल्डो की फ्री किक जहां पुर्तगाल की ताकत है, वहीं गोलकीपर एदुआर्दो टीम की कमजोरी हैं. पेनल्टी बॉक्स के भीतर उनका प्रदर्शन औसत रहता है. ऐसे गोल पोस्ट की रक्षा करने का दबाब भी बाकी 10 खिलाड़ियों पर बना रहता है.

रिपोर्ट: येंस क्रेपेला/ओएसजे

संपादन: महेश झा

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