एक अतिवादी इस्लामिक मौलाना के हजारों समर्थकों ने इस्लामाबाद में अपने विरोध प्रदर्शन को खत्म कर दिया है. वे फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टूनों के दोबारा छापे जाने पर द्विपक्षीय रिश्ते तोड़ लेने की मांग कर रहे थे.
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प्रदर्शनकारी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पार्टी के सदस्य थे. उन्होंने धरना तब खत्म किया जब सरकार ने आश्वासन दिया कि फ्रांस से रिश्तों पर पुनर्विचार पर तीन महीनों में संसद में चर्चा कराई जाएगी. इसे लेकर पार्टी के नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच सोमवार देर रात समझौता हुआ.
धरने का नेतृत्व तेजतर्रार मौलाना खादिम हुसैन रिजवी कर रहे थे. इसकी शुरुआत रविवार रात एक जुलूस से हुई जो सैन्य छावनी वाले इस्लामाबाद के करीबी शहर रावलपिंडी से निकाला गया. प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच रावलपिंडी को इस्लामाबाद से जोड़ने वाले फैजाबाद चौराहे पर झड़प भी हुई.
प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और इस क्रम में कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए. हिंसा के खत्म होने के बाद प्रदर्शनकारी धरने पर बैठ गए और मांग करने लगे कि सरकार इस्लामाबाद से फ्रांस के राजदूत को निष्कासित कर दे.
पैगंबर पर बनाए गए इन कार्टूनों को लेकर एशिया और मध्य पूर्वी देशों में काफी विरोध हुआ है और लोगों ने फ्रांसीसी उत्पादों के बहिष्कार की भी मांग की है. माना जा रहा है इसी रोष की वजह से पिछले कुछ सप्ताहों में कई स्थानों पर फ्रांसीसी लोगों और संपत्ति पर हमले भी हुए हैं.
तहरीक-ए-लब्बैक के प्रवक्ता शफीक अमिनी ने कहा कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों की मांग मान ली है और फ्रांस से रिश्ते तोड़ने के फैसले को संसद के सामने रखा जाएगा. उन्होंने ने यह भी कहा कि गिरफ्तार किए गए उनकी पार्टी के सभी सदस्यों को रिहा भी कर दिया जाएगा.
सरकार ने इस पर कोई बयान नहीं दिया. अपनी मांगो को लेकर धरने और प्रदर्शन आयोजित करने का तहरीक-ए-लब्बैक का पुराना इतिहास है. नवंबर 2017 में पार्टी के समर्थकों ने एक सरकारी फॉर्म से पैगंबर की पवित्रता के उल्लेख को हटाने के खिलाफ 21 दिनों तक धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया था.
पैगंबर के कार्टून पर इस्लामी देश और फ्रांस आमने-सामने
फ्रांस के राष्ट्रपति के इस्लाम पर दिए बयान की अरब देशों के साथ कई एशियाई देशों में कड़ी आलोचना की जा रही है. बड़ी संख्या में मुस्लाम उनके बयान की निंदा कर रहे हैं. अब फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार भी शुरू हो गया है.
तस्वीर: Teba Sadiq/Reuters
मुसलमानों में नाराजगी
मंगलवार, 27 अक्टूबर को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक बड़ी रैली का आयोजन हुआ. फ्रांस के खिलाफ हुई रैली में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया और कहा जा रहा है कि यह फ्रांस विरोधी अब तक की सबसे बड़ी रैली है. पैगंबर मोहम्मद के कार्टून बनाने के बाद शिक्षक की हत्या और उसके बाद माक्रों के इस्लाम को लेकर बयान से मुसलमान नाराज हैं.
तस्वीर: Suvra Kanti Das/Zumapress/picture alliance
देशों में गुस्सा
सीरिया और लीबिया में लोगों ने सड़क पर उतर कर माक्रों की तस्वीर जलाई और फ्रांस के झंडे आगे के हवाले कर दिए. इराक, पाकिस्तान, कतर, कुवैत और अन्य खाड़ी देशों में फ्रांस में बने उत्पादों का बहिष्कार हो रहा है. अरब देशों में फ्रांस के उत्पाद खासकर मेकअप आइटम काफी लोकप्रिय हैं.
तस्वीर: Suvra Kanti Das/Zumapress/picture alliance
माक्रों ने क्या कहा था?
पेरिस के सोबोन यूनवर्सिटी में पिछले दिनों इतिहास और समाजशास्त्र के शिक्षक सैमुएल पैटी को श्रद्धांजलि देते हुए माक्रों ने कहा था फ्रांस कार्टून और तस्वीर बनाने से पीछे नहीं हटेगा. माक्रों ने अपने बयान में कट्टरपंथी इस्लाम की आलोचना की थी. माक्रों ने कहा था, "इस्लामवादी हमसे हमारा भविष्य छीनना चाहते हैं, हम कार्टून और चित्र बनाना नहीं छोड़ेंगे."
तस्वीर: Francois Mori/Pool/Reuters
अरब देशों की प्रतिक्रिया
माक्रों ने कहा था कि इस्लाम "संकट" में है और इसके बाद अरब देश ही नहीं बड़ी आबादी वाले मुस्लिम देश माक्रों से बेहद नाराज हो गए. सबसे पहले तुर्की ने माक्रों के बयान की निंदा की. तुर्क राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान ने तो यहां तक कह डाला था कि माक्रों को "मानसिक जांच" की जरूरत है. सऊदी अरब और ईरान के नेताओं ने भी माक्रों के बयान की निंदा की है.
तस्वीर: Adel Hana/AP Photo/picture-alliance
फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार
कतर में कुछ दुकानदारों ने कहा है कि वे फ्रांस के उत्पादों के बहिष्कार का समर्थन करते हैं. इसके साथ ही इस्लाम को मानने वाले ट्विटर पर पैगंबर मोहम्मद के समर्थन में ट्वीट कर रहे हैं और माक्रों के कार्टून छापने पर दिए गए बयान की निंदा कर रहे हैं.
तस्वीर: Hani Mohammed/AP Photo/picture-alliance
पाकिस्तान और तुर्की
माक्रों के खिलाफ सबसे पहले एर्दोवान ने तीखे बयान दिए और उसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्विटर के माध्यम से माक्रों की आलोचना की थी और कहा था कि माक्रों को संयम से काम लेते हुए कट्टरपंथियों को दरकिनार करने की रणनीति पर काम करना चाहिए.
कार्टून विवाद और उसके बाद बयानबाजी के बीच फ्रांस के समर्थन में यूरोपीय देश खड़े हैं. जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स, ग्रीस ने फ्रांस का समर्थन किया है. जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने एर्दोवान द्वारा माक्रों पर निजी टिप्पणी की आलोचना की है.
तस्वीर: Damien Meyer/AFP/Getty Images
शार्ली एब्दो पर एर्दोवान !
फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो ने एक ट्वीट में कहा है कि पत्रिका के अगले संस्करण में राष्ट्रपति एर्दोवान का कार्टून कवर पेज पर छपेगा. अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि पश्चिमी देशों और एर्दोवान के बीच अभिव्यक्ति की आजादी पर जुबानी जंग और तेज होगी.