क्या फ्रांसीसियों का गुस्सा शांत कर पाएंगे माक्रों?
२६ अप्रैल २०१९जर्मनी के बैर्टल्समन फाउंडेशन ने यूरोप भर में एक सर्वे किया है जिसके नतीजे यूरोप की स्थापित राजनीतिक पार्टियों को चिंता में डालने वाले हैं. सर्वे के अनुसार मतदाताओं के बड़े हिस्से ने कहा है कि उनका मत किसी पार्टी का समर्थन करने के बदले किसी पार्टी का विरोध करने पर आधारित होगा.
यूरोप के कई दूसरे देशों की तरह फ्रांस भी सरकारी नीतियों के खिलाफ लोगों का विरोध झेल रहा है. फ्रांस में तो लोग येलो वेस्ट पहनकर सड़कों पर उतर आए हैं. कई महीनों के प्रदर्शनों के बाद अब राष्ट्रपति माक्रों ने लोगों के असंतोष को दूर करने के लिए मध्यवर्गीय लोगों के लिए टैक्स घटाने, रिटायर्ड लोगों की पेंशन बढ़ाने और सरकारी फैसलों में लोगों की भागीदारी बढ़ाने का ऐलान किया है.
इसके पहले माक्रों की पहल पर फ्रांस में येलो वेस्ट आंदोलनकारियों की मांगों पर राष्ट्रव्यापी बहस हुई थी. छोटे शहरों और स्थानीय निकायों में आंदोलनकारियों द्वारा उठाए गए आर्थिक चिंताओं, बेरोजगारी, वेतन में स्थिरता और भारी टैक्सों जैसे मुद्दों की चर्चा हुई. एक ओर लोग जिंदगी में आर्थिक ठहराव का सामना कर रहे हैं तो दूसरी ओर भारी संख्या में यूरोप आ रहे शरणार्थियों के कारण सामाजिक अशांति भी पैदा हो रही है.
विरोध शांत करने की कोशिश
राष्ट्रपति माक्रों ने चुनावों से पहले लोगों को शांत करने का रास्ता चुना है. उन्होंने 2000 यूरो से कम पेंशन पाने वालों की पेंशन बढ़ाने का फैसला किया है लेकिन साथ ही कहा है कि गर्मियों तक वे रिटायरमेंट के नियमों का नया प्रस्ताव पेश करेंगे. इस समय फ्रांस में रिटायरमेंट की उम्र 62 है, लेकिन इसे बढ़ाया नहीं जाएगा. उन्होंने टैक्स कटौती को वित्तीय असामनताओं को दूर करने का सबसे अच्छा रास्ता बताया और खासकर मध्य वर्ग के कामकाजी लोगों के लिए टैक्स कम करने की बात कही.
लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बेहतर बनाने और सरकार का खर्च घटाने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति ने संसद की सीटों में 30 प्रतिशत की कमी करने और चुनाव प्रक्रिया को बदलने का सुझाव दिया है ताकि फ्रांस की संसद देश की राजनीतिक विविधता का प्रतिनिधित्व करे. इसके अलावा किसी भी मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने के नियमों में ढील दी जाएगी ताकि लोगों को अपने गुस्से और अपनी चिंताओं को व्यक्त करने और बदलाव की प्रक्रिया शुरू करने का एक और रास्ता मिले.
लोगों की चिंता पर ध्यान
राष्ट्रपति ने फ्रांस की स्थिति की तुलना नोत्रे दाम में लगी आग से की. उन्होंने लोगों की एक और चिंता की बात की. माक्रों ने यूरोप में हो रहे अवैध आप्रवासन की आलोचना की और कहा कि यूरोपीय संघ को अपनी सीमाओं को सुरक्षित करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि जोखिम में रहने वाले कुछ शरणार्थियों को पनाह देकर यूरोप और मजबूत होगा. राष्ट्र के नाम अपने संदेश में माक्रों ने कहा, "स्वागत करने के योग्य होने के लिए आपके पास घर होना चाहिए. इसलिए हमें सीमाओं की जरूरत है, हमें नियमों की जरूरत है."
दो साल पहले बड़े पैमाने पर शरणार्थियों के यूरोप आने के बाद से यूरोप में राजनीतिक और सामाजिक हालात तेजी से बदले हैं. यूरोपीय संघ के स्तर पर सदस्य देशों के बीच कई मुद्दों पर दोफाड़ की स्थिति हो गई है तो समाज में धुर दक्षिणपंथी पार्टियों और आंदोलनों के लिए समर्थन बढ़ा है. माक्रों की पहल के नतीजे दिखाएंगे कि यूरोपीय समाज में समरसता लाने की इस कोशिश के सफल होने की कितनी संभावना है.
रिपोर्ट: महेश झा (एपी)