चीन के बाद ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीदार भारत है. लेकिन जून के महीने में भारत में ईरान से होने वाले तेल आयात में बड़ी कमी दर्ज की गई है.
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अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने मई में ईरानी परमाणु डील से हटने के बाद ईरान पर फिर से कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. अमेरिका ने विश्व समुदाय से अपील की कि वह ईरान से तेल न खरीदें. अमेरिका ने भारत से भी 4 नवंबर तक ईरान से तेल की खरीद को शून्य स्तर पर लाने या प्रतिबंधों का सामना करने को तैयार रहने को कहा है.
ऐसे में, समाचार एजेंसी रॉयटर्स को शिपिंग और उद्योग सूत्रों से मिली जानकारी भारत को होने वाली ईरानी तेल की आपूर्ति में गिरावट की तरफ इशारा करती है. सूत्रों का कहना है कि मई में भारत ने ईरान से जहां प्रतिदिन 705,200 बैरल तेल खरीदा, वहीं जून में यह संख्या प्रतिदिन घटकर 592,800 बैरल रह गई.
इन देशों के पास है सबसे बड़ा तेल भंडार
इन देशों के पास है सबसे बड़ा ऑयल रिजर्व
विश्व की राजनीति तेल में सनी रहती है. जिन देशों के पास तेल है, वे या दोस्त हैं या दुश्मन. अमेरिकी एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन की यह सूची इसकी झलक भी देती है.
तस्वीर: Reuters/R. Homavandi
10. नाइजीरिया
ऑयल रिजर्व: 37.2 अरब बैरल
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Bureau
09. लीबिया
ऑयल रिजर्व: 48 अरब बैरल
तस्वीर: DW/K. Zurutuza
08. रूस
ऑयल रिजर्व: 80 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa
07. संयुक्त अरब अमीरात
ऑयल रिजर्व: 97.8 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa
06. कुवैत
ऑयल रिजर्व: 104 अरब बैरल
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Al-Zayyat
05. इराक
ऑयल रिजर्व: 141.35 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa
04. ईरान
ऑयल रिजर्व: 154.58 अरब बैरल
तस्वीर: imago/Xinhua
03. कनाडा
ऑयल रिजर्व: 173.1 अरब बैरल
तस्वीर: AFP/Getty Images/M. Ralston
02. सऊदी अरब
ऑयल रिजर्व: 267.9 अरब बैरल
तस्वीर: M. Naamani//AFP/Getty Images
01. वेनेजुएला
ऑयल रिजर्व: 287.6 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Sanchez
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पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निकी हेली जब भारत के दौरे पर थीं तो उन्होंने कहा था कि भारत को ईरान से होने वाले तेल आयात में कटौती करनी चाहिए. उन्होंने कहा, "भारत और अमेरिका के बीच हम साझेदारी कायम कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि भारत ईरानी तेल पर अपनी निर्भरता कम करेगा."
इस बीच, भारतीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ईरान ने भारत पर आरोप लगाया है कि चाहबाहर पोर्ट के विस्तार में निवेश का जो वादा किया गया था, भारत उसे पूरा नहीं कर रहा है. नई दिल्ली में ईरानी उप राजदूत मसूद रेजवानियन ने कहा कि अगर भारत ईरानी तेल के आयात में कटौती करेगा तो वह "विशेष अधिकार" खो देगा.
उन्होंने कहा, "यह अफसोस की बात है कि चाहबाहर पोर्ट के विस्तार और उसकी कनेक्टिविटी से जुड़ी परियोजनाओं के लिए भारत ने अब तक निवेश नहीं किया है. हम उम्मीद करते हैं कि भारत इस दिशा में कदम उठाए, अगर वह समझता है कि चाबहार पोर्ट में उसका सहयोग और साझेदारी रणनीतिक है."
चीन के बाद भारत ईरानी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. लेकिन खबरें हैं कि भारत ने रिफाइनरियों से कहा है कि वे वैकल्पिक तेल सप्लायर तलाशें क्योंकि भारत ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के मुताबिक ईरानी तेल का आयात घटाना चाहता है.
भारत की निजी रिफाइनरियों ने जून के महीने में ईरान से होने वाले आयात को घटाया है जबकि सरकारी रिफाइनरियों ने खरीद में इजाफा किया है. भारत की प्रतिदिन 50 लाख बैरल की रिफाइनिंग क्षमता में 60 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी रिफाइनरियों की है, जिन्होंने मई के मुकाबले जून में ईरान से 10 प्रतिशत ज्यादा तेल आयात किया. आंकड़े बताते हैं कि जून में उन्होंने प्रतिदिन 454,000 बैरल तेल आयात किए. लेकिन कुल मिलाकर ईरान से होने वाले तेल आयात में गिरावट आई है.
एके/एमजे (रॉयटर्स)
जानिए कच्चे तेल से क्या क्या मिलता है
कच्चे तेल से क्या क्या मिलता है
कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोल या डीजल ही नहीं मिलता है, इससे हर दिन इस्तेमाल होने वाली ढेरों चीजें मिलती हैं. एक नजर कच्चे तेल से मिलने वाले अहम उत्पादों पर.
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ब्यूटेन और प्रोपेन
कच्चे तेल के शोधन के पहले चरण में ब्यूटेन और प्रोपेन नाम की प्राकृतिक गैसें मिलती हैं. बेहद ज्वलनशील इन गैसों का इस्तेमाल कुकिंग और ट्रांसपोर्ट में होता है. प्रोपेन को अत्यधिक दवाब में ब्युटेन के साथ कंप्रेस कर एलपीजी (लिक्विड पेट्रोलियम गैस) के रूप में स्टोर किया जाता है. ब्यूटेन को रेफ्रिजरेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
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तरल ईंधन
प्रोपेन अलग करने के बाद कच्चे तेल से पेट्रोल, कैरोसिन, डीजल जैसे तरल ईंधन निकाले जाते हैं. सबसे शुद्ध फॉर्म पेट्रोल है. फिर कैरोसिन आता है और अंत में डीजल. हवाई जहाज के लिए ईंधन कैरोसिन को बहुत ज्यादा रिफाइन कर बनाया जाता है. इसमें कॉर्बन के ज्यादा अणु मिलाए जाते हैं. जेट फ्यूल माइनस 50 या 60 डिग्री की ठंड में ही नहीं जमता है.
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नैफ्था
पेट्रोल, कैरोसिन और डीजल बनाने की प्रक्रिया में जो अपशेष मिलता है, उससे बेहद ज्वलनशील तरल नैफ्था भी बनाया जाता है. नैफ्था का इस्तेमाल पॉकेट लाइटरों में किया जाता है. उद्योगों में नैफ्था का इस्तेमाल स्टीम क्रैकिंग के लिए किया जाता है. नैफ्था सॉल्ट का इस्तेमाल कीड़ों से बचाव के लिए किया जाता है.
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नैपाम
कच्चे तेल से मिलने वाला नैपाम विस्फोटक का काम करता है. आग को बहुत दूर भेजना हो तो नैपाम का ही इस्तेमाल किया जाता है. यह धीमे लेकिन लगातार जलता है. पेट्रोल या कैरोसिन के जरिए ऐसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे बहुत जल्दी जलते हैं और तेल से वाष्पीकृत भी होते हैं.
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मोटर ऑयल
गैस और तरल ईंधन निकालने के बाद कच्चे तेल से इंजिन ऑयल या मोटर ऑयल मिलता है. बेहद चिकनाहट वाला यह तरल मोटर के पार्ट्स के बीच घर्षण कम करता है और पुर्जों को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है.
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ग्रीस
मोटर ऑयल निकालने के साथ ही तेल से काफी फैट निकलता है. इसे ऑयल फैट या ग्रीस कहते हैं. लगातार घर्षण का सामना करने वाले पुर्जों को नमी से बचाने के लिए ग्रीस का इस्तेमाल होता है.
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पेट्रोलियम जेली
आम घरों में त्वचा के लिए इस्तेमाल होने वाला वैसलीन भी कच्चे तेल से ही निकलता है. ऑयल फैट को काफी परिष्कृत करने पर गंधहीन और स्वादहीन जेली मिलती है, जिसे कॉस्मेटिक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
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मोम
ऑयल रिफाइनरी में मोम का उत्पादन भी होता है. यह भी कच्चे तेल का बायप्रोडक्ट है. वैज्ञानिक भाषा में रिफाइनरी से निकले मोम को पेट्रोलियम वैक्स कहा जाता है. पहले मोम बनाने के लिए पशु या वनस्पति वसा का इस्तेमाल किया जाता था.
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चारकोल
असफाल्ट, चारकोल, कोलतार या डामर कहा जाने वाला यह प्रोडक्ट भी कच्चे तेल से मिलता है. हालांकि दुनिया में कुछ जगहों पर चारकोल प्राकृतिक रूप से भी मिलता है. इसका इस्तेमाल सड़कें बनाने या छत को ढकने वाली वॉटरप्रूफ पट्टियां बनाने में होता है.
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प्लास्टिक
कच्चे तेल का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने के लिए भी किया जाता है. दुनिया भर में मिलने वाला ज्यादातर प्लास्टिक कच्चे तेल से ही निकाला जाता है. वनस्पति तेल से भी प्लास्टिक बनाया जाता है लेकिन पेट्रोलियम की तुलना में महंगा पड़ता है.