क्या कोरोना वैक्सीन सबको नहीं मिलेगी?
२ दिसम्बर २०२०![Indien I Coronavirus I Mitarbeiter des Gesundheitssystems in Mumbai](https://static.dw.com/image/54772695_800.webp)
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण द्वारा मंगलवार को दिए गए एक बयान ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा. उन्होंने कहा कि सरकार ने कभी भी यह नहीं कहा था कि देश में सभी लोगों का टीकाकरण किया जाएगा. फिर बात को थोड़ा और स्पष्ट करते हुए भूषण ने बताया कि सरकार का मानना है कि अगर एक आवश्यक संख्या में लोगों को टीका दे दिया जाए तो वायरस के प्रसार की चेन टूट जाएगी.
पत्रकारों से बात करते हुए आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने भी इस बात से सहमति जताई और कहा कि एक बार प्रसार की चेन टूट गई तो फिर सबको टीका देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जहां तक उन लोगों का प्रश्न है जिन्हें संक्रमण हो चुका है और वो ठीक हो चुके हैं, सरकार के अनुसार ऐसे लोगों को टीका देने की जरूरत पर अभी पूरी दुनिया में चर्चा चल रही है और देश किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं.
समस्या यह है कि कोविड को हरा चुके सभी लोगों की अवस्था एक जैसी नहीं होती. कुछ लोगों के शरीर में एंटीबॉडी विकसित होती हैं और कुछ लोगों में नहीं भी होती. एंटीबॉडी शरीर में विकसित हो जाने के बाद भी उनसे व्यक्ति को कोविड-19 से स्थायी सुरक्षा मिल जाती हो इसका भी प्रमाण अभी तक नहीं मिला है.
एंटीबॉडी कितने दिनों तक शरीर में रहती हैं, इस पर भी विवाद है. कई अध्ययनों में पाया गया है कि एंटीबॉडी संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों के शरीर में सिर्फ कुछ ही हफ्तों तक रही. इतनी सारी जानकारी के अभाव में टीका सिर्फ सीमित संख्या में लोगों को लगाने का निर्णय लोगों को अचरज में डाल रहा है.
यूके में अगले सप्ताह से वैक्सीन लगना शुरू
उधर, यूके में वैक्सीन का इंतजार खत्म हो गया है. बुधवार को यूके सरकार ने फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को इस्तेमाल की इजाजत दे दी और कहा कि टीकाकरण अगले सप्ताह शुरू हो जाएगा. अब देश की वैक्सीन समिति यह निर्णय लेगी कि वैक्सीन किन लोगों को पहले मिलेगी.
इस वैक्सीन के निर्माताओं ने दावा किया है कि वो महामारी से लगभग 95 प्रतिशत सुरक्षा देती है. यूके इसकी चार करोड़ खुराकों का आर्डर दे चुका है, जिनसे दो करोड़ लोगों को दो-दो खुराक दी जा सकती है.
यह कांसेप्ट से इस्तेमाल तक पहुंचने वाली कोविड-19 से बचाव का दावा करने पहली वैक्सीन है. अमूमन वैक्सीन बनने में सालों लग जाते हैं लेकिन यह वैक्सीन रिकॉर्ड 10 महीनों में तैयार हो गई. अमेरिकी कंपनी मॉडेर्ना दावा कर चुकी है कि उसकी वैक्सीन भी तैयार है और कंपनी ने अमेरिका और यूरोप में उसके आपातकालीन इस्तेमाल के लिए अनुमति भी मांगी है.
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