जर्मनी के एक शहर ने "जेंडर न्यूट्रल" भाषा का इस्तेमाल शुरू किया है. औपचारिक चिट्ठियों में अब लोगों के नाम के आगे "हेयर" और "फ्राउ" यानी मिस्टर और मिस नहीं लिखा जाएगा. लेकिन क्या इससे समाज में भी बदलाव आएगा?
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अंग्रेजी में "बॉल" ना "होती" है और ना "होता" है. ना तो उसके लिए "ही" का इस्तेमाल किया जाता है और ना ही "शी" का. यानी वस्तुओं को लिंग के अनुसार बांटा नहीं जाता. इसी कारण अकसर लोगों को अंग्रेजी सीखना आसान भी लगता है. लेकिन हिंदी में ऐसा नहीं होता. हिंदी में गेंद "होती" है और बल्ला "होता" है. यानी हर वस्तु का लिंग निर्धारित होता है. ऐसा ही जर्मन भाषा में भी है.
भाषा विद्वानों का मानना है कि समाज से लैंगिक भेदभाव हटाने के लिए जरूरी है कि पहले उसे भाषा से हटाया जाए. इसी दिशा में पहला कदम उठाते हुए जर्मनी के शहर हनोवर ने औपचारिक दस्तावेजों में "जेंडर न्यूट्रल" भाषा के इस्तेमाल की शुरुआत की है. हनोवर नगर पालिका ने दिशा निर्देश जारी किए हैं कि अब से सभी औपचारिक ईमेल, प्रेस के लिए जारी बयान, ब्रोशर, फॉर्म और चिट्ठियों में जेंडर न्यूट्रल भाषा का ही इस्तेमाल किया जाए.
हनोवर के मेयर श्टेफान शॉश्टॉक ने इस अवसर पर कहा कहा, "विविधता ही हमारी ताकत है. यह एक महत्वपूर्ण संकेत और एक बड़ा कदम है जो सुनिश्चित करेगा कि सभी लोगों को - फिर चाहे उनका लिंग कुछ भी हो - हमारे शहर के मूल्यों के आधार पर ही संबोधित किया जाएगा और हमारी आधाकारिक भाषा में भी उसे लागू किया जाएगा."
लेकिन ये भाषा होगी कैसी? ऐसा नहीं है कि इसमें वस्तुओं के लिंग हटा कर उन्हें "न्यूट्रल" बना दिया जाएगा, बल्कि यहां बात सिर्फ महिला और पुरुष के संबोधन की है. चिट्ठियों में उनके नाम के आगे ना मिस्टर होगा और ना मिस. ऐसा इसलिए भी किया गया है ताकि ट्रांसजेंडर यानी तीसरे लिंग के लोगों को भी शामिल किया जा सके. इसी तरह अगर नौकरी के लिए कोई विज्ञापन जारी होगा तो उसमें भी पेशे को लिंग से निर्धारित नहीं किया जाएगा.
अंग्रेजी में सोचने वालों के लिए यह समझना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि उसमें "टीचर" टीचर ही रहता है, फिर चाहे महिला हो या पुरुष. लेकिन हिंदी में सोचें तो पुरुष अध्यापक होता है और महिला अध्यापिका. इसी तरह जर्मन में Lehrer और Lehrerin. पिछले कुछ वक्त से विज्ञापनों में बहुवचन का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि महिला और पुरुष दोनों को बराबरी से शामिल किया जा सके. इस तरह से LehrerInnen शब्द का इस्तेमाल होने लगा. लेकिन क्योंकि इसमें तीसरे लिंग के लिए कोई जगह नहीं थी, इसलिए शब्द में और बदलाव लाया गया और यह Lehrer*innen बन गया. हनोवर ने अब इन सब अलग अलग शब्दों के इस्तेमाल की जगह हर जगह एक ही तरह के शब्द का फैसला लिया है.
हालांकि भाषा और व्याकरण के जानकार इससे बहुत खुश नहीं हैं. आलोचकों का कहना है कि लैंगिक समानता के चक्कर में पहले ही भाषा के साथ काफी खिलवाड़ किया जा चुका है. उनका कहना है कि इससे समाज में बराबरी आए ना आए, लेकिन वक्त के साथ लोगों की ऐसी मांग जरूर आने लगेगी कि अंग्रेजी की ही तरह सभी वस्तुओं को लिंग भी न्यूट्रल बना दिए जाएं और इस तरह भाषा के अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगेंगे.
रिपोर्ट: जॉन शेल्टन/ईशा भाटिया
सबसे ज्यादा अक्षर किस भाषा में हैं
सबसे ज्यादा अक्षर किस भाषा में हैं
हर भाषा की लिपि उसकी एक अहम पहचान होती है. लिपि भाषा में इस्तेमाल होने वाली अलग अलग ध्वनियों को दर्शाने वाले अक्षरों से बनती हैं. लेकिन सबसे ज्यादा अक्षर किन लिपियों में हैं, चलिए जानते हैं.
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तमिल - 247
तमिल लिपि में मूल रूप से 31 अक्षर हैं. लेकिन इन अक्षरों से मिलकर लगभग 216 संयुक्ताक्षर बनते हैं. इस तरह कुल 247 अक्षरों के साथ तमिल दुनिया में सबसे ज्यादा अक्षरों वाली लिपि है.
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खमेर - 74
खमेर दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया की आधिकारिक भाषा है. इसकी लिपि में कुल 74 अक्षर हैं. इनमें 35 व्यंजन हैं, हालांकि अब सिर्फ 33 ही इस्तेमाल होते हैं जबकि 14 स्वर हैं. बाकी अक्षर अन्य अक्षरों को मिलाकर बने हैं.
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थाई - 70
थाईलैंड में बोली जाने वाली भाषा थाई को लिखने के लिए कुल 70 अक्षरों की जरूरत होती है. इनमें से 44 व्यंजन हैं और 15 स्वर. इनको मिलाने से कुछ नए अक्षर भी तैयार होते हैं.
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मलयालम - 58
मलयालम भारत के दक्षिणी राज्य केरल में बोली जाती है. इसकी लिपि में 13 स्वर, 36 व्यंजन और कुछ अन्य चिन्ह हैं. मलयालम के अलावा पानिया, बेट्टा कुरुंबा और रावुला जैसी छोटी भाषाओं को भी इसी लिपि में लिखा जाता है.
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तेलुगु - 56
तेलुगु भाषा भारत के दो राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बोली जाती है. इसकी लिपि कन्नड़ भाषा के बहुत करीब है और इसका मूल भी उसे ही माना है. इस लिपि का इस्तेमाल कई बार संस्कृति और गोंडी भाषा को लिखने के लिए भी होता है.
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सिंहाला- 54
सिंहाला श्रीलंका में बोली जाती है और वहां की आधिकारिक भाषा है. दिखने में बेहद सुंदर सिंहाला भाषा की लिपि में कुल 54 अक्षर होते हैं. यहां भी कई अक्षरों को मिलाकर संयुक्त अक्षर बनते हैं. यहां फोटो में सबसे ऊपर सिंहाला, फिर तमिल और अंग्रेजी में मतदान केंद्र की जानकारी दी गई है.
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बांग्ला - 52
स्वर है जबकि व्यंजनों की संख्या 32 है. बाकी कई संयुक्त अक्षर भी हैं. बांग्ला लिपि देवनागरी लिपि के सबसे करीब दिखती है. न, म, ल, घ और थ जैसे अक्षरों में तो बहुत हद तक एकरूपता भी दिखती है.
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कन्नड़ -49
कन्नड़ दक्षिण भारत की चार अहम भाषाओं में से एक है जो कर्नाटक राज्य में बोली जाती है. कन्नड़ भाषा में 13 स्वर होते हैं, जिनमें अनुस्वार और विसर्ग शामिल नहीं हैं. वहीं व्यंजनों की संख्या 36 होती है.
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हिंदी- 44
हिंदी वर्णमाला भी स्वरों और व्यंजनों में विभाजित है. इनमें से 11 स्वर होते हैं और ऋ को भी मिला दें तो यह संख्या 12 हो जाती है. वहीं व्यंजनों की संख्या हिंदी में 33 है. इसके अलावा ज्ञ, क्ष और त्र जैसे संयुक्ताक्षर भी हैं.
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हंगेरियन- 44
हंगेरियन वर्णमाला लैटिन वर्णमाला का ही विस्तार है जिसे हंगेरियन भाषा को लिखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसमें आपको A से Z तक अक्षरों के अलावा Dzs, Ny, Cs और Zs जैसी कई अक्षर भी दिखेंगे.
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अबखाज - 41
जॉर्जिया के विवादित अबखाजिया हिस्से में यह भाषा बोली जाती है. यह 19 सदी में लिखी जाने वाली भाषा बनी. 1880 के दशक में पहली बार इसकी वर्णमाला तैयार की गई.
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अर्मेनियन- 39
यह भाषा अर्मेनिया में बोली जाती है. मूल रूप से इसकी वर्णमाला में 36 अक्षर थे लेकिन अब इनकी संख्या 39 है.
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अल्बानिया - 36
पूर्वी यूरोप के देश अल्बानिया में बोली जाने वाली इस भाषा की वर्णमाला भी लैटिन वर्णमाला पर आधारित है जबकि कुछ स्थानीय ध्वनियों को दर्शाने के लिए अतिरिक्त अक्षर इस्तेमाल किए गए हैं.
रूसी- 33
आधुनिक रूसी वर्णमाला में 33 अक्षर हैं. रूसी भाषा लिखने में जो अक्षर आम तौर पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं उनमें ओ, ए, आ, ई और न शामिल हैं. रूस के साहित्यकार दुनिया भर में मशहूर रहे हैं.
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अजरबैजानी - 32
अजरबैजान में बोली जाने वाली अजरबैजानी भाषा की वर्णमाला लैटिन वर्णमाला पर ही आधारित है. लेकिन उसमें कुछ अलग अक्षरों को भी शामिल किया गया है जैसे Çç, Ğğ या फिर Şş.
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अंग्रेजी - 26
शायद आपने भी बचपन में खूब रटा होगा कि अंग्रेजी वर्णमाला में 26 अक्षर होते हैं, जिनमें पांच स्वर और 21 व्यंजन हैं. दुनिया भर की सबसे प्रभावशाली भाषाओं में से एक अंग्रेजी इन्हीं 26 अक्षरों में बयान होती है.
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ग्रीक- 24
ग्रीक वर्णमाला में कुल 24 अक्षर हैं जो अल्फा से शुरू होती है और ओमेगा में खत्म. ईसा पूर्व आठवी या नौवीं सदी से ग्रीक अक्षर इस्तेमाल हो रहे हैं. विज्ञान और गणित के कई प्राचीन सिद्धांतों और सूत्रों में आप ग्रीक अक्षर देख सकते हैं.
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हिब्रू- 22
अरबी या फारसी की तरह हिब्रू भाषा भी दायें से बाई की तरफ लिखी जाती है. इसमें कुल 22 अक्षर होते हैं. हिब्रू इस्राएल की आधिकारिक भाषा है और इसका इतिहास हजारों साल पुराना है.