ब्रेक्जिट के आर्थिक पहलुओं पर खूब चर्चा हो चुकी है. लेकिन महिलाओं पर इसका क्या असर होगा, इस ओर बहुत लोगों का ध्यान अभी तक नहीं गया है.
विज्ञापन
शुरुआत करने से पहले आपको यह बता दें कि इस वक्त ब्रेक्जिट को लेकर जितनी अनिश्चितता है, उसके मद्देनजर अभी ठीक तरह से यह कह पाना मुश्किल है कि बतौर मुलाजिम या ग्राहक महिलाओं की स्थिति क्या होगी. लेकिन इतना तो तय है कि जब व्यापार से जुड़े समझौते होते हैं, तो अलग अलग तरह के आर्थिक हालात में जी रहे लोगों पर अलग अलग तरह तरह का प्रभाव पड़ता है. इस बात से भी फर्क पड़ता है कि वे अर्थव्यवस्था में किस तरह की भूमिका निभा रहे हैं.
यूके वीमेंस बजट ग्रुप की अध्यक्ष मैरी-ऐन स्टीफेनसन का इस बारे में कहना है, "व्यापार में हो रहे बदलावों से महिलाओं पर खास कर असर पड़ता है, फिर चाहे बाजार ज्यादा खुलें या बंद हो जाएं क्योंकि नए मौकों का फायदा उठाना महिलाओं के लिए ज्यादा मुश्किल होता है और उन पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावना भी अधिक होती है." स्टीफेनसन ने "इकनॉमिक इम्पैक्ट ऑफ ब्रेक्जिट ऑन वीमेन" नाम की किताब भी लिखी है.
महिलाओं की सेवा का क्या?
एक शोध के अनुसार अगर ब्रेक्जिट का ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होता है, तो बहुत से लोगों की नौकरियां जाएंगी, खास कर उन क्षेत्रों में जहां व्यापार मुख्य रूप से ईयू पर निर्भर करता है. मिसाल के तौर पर कपड़ा उद्योग, जहां ज्यादातर कामगार महिलाएं हैं. ऐसा ही स्वास्थ्य और सोशल केयर से जुड़े पेशों के साथ भी होगा. यहां भी मुख्य रूप से महिलाएं ही काम करती हैं. ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) में काम करने वाले कई ईयू नागरिक तो पहले ही ब्रेक्जिट के डर से नौकरियां छोड़ चुके हैं. रुझान बताते हैं कि भविष्य में भी यह चलन बरकरार रहेगा. पब्लिक सर्विस एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहां ब्रेक्जिट की मार महिलाओं पर सबसे ज्यादा पड़ सकती है.
ब्रेक्जिट के जितने भी विकल्प मुमकिन हैं, हर किसी में ये तो तय है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में भारी गिरावट आएगी. ऐसे में सरकारी खर्च में कटौती होगी, नौकरियां जाएंगी और इसका सीधा असर सबसे नाजुक और वंचित वर्ग पर होगा और इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं. स्टीफेनसन कहती हैं, "लोक सेवाओं के क्षेत्र में अधिकतम महिलाएं काम करती हैं और इन सेवाओं का इस्तेमाल भी महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा करती हैं, अपने लिए भी और अपने परिवार के लिए भी. अगर नौकरियों में कटौती होती है, तो सबसे अधिक संभावना इसी बात की है कि महिलाएं बिना वेतन ज्यादा काम करने पर मजबूर हो जाएंगी."
ब्रेक्जिट: रेफरेंडम के बाद से अब तक क्या क्या हुआ
ब्रेक्जिट: रेफरेंडम के बाद से अब तक क्या क्या हुआ
24 जून 2016 को ब्रिटेन ने जनमत संग्रह कर यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला लिया और पूरी दुनिया को चौका दिया. तब से अब शुरू हुआ तारीख पर तारीख का सिलसिला थमता नहीं दिखता. जानिए कहां तक पहुंची है ब्रेक्जिट की गाड़ी.
तस्वीर: picture-alliance/empics/Y. Mok
जून 2016: जनता का फैसला
जनमत संग्रह के दौरान 24 जून को 52 फीसदी ब्रिटेन वासियों ने यूरोपीय संघ से अलग होने के हक में वोट दिया. तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इसे "ब्रिटेन के लोगों की मर्जी" कहा और अगली ही सुबह अपने पद से इस्तीफा दे दिया. कैमरन ब्रेक्जिट के हक में नहीं थे.
तस्वीर: Reuters/S. Wermuth
जुलाई 2016: ब्रेक्जिट मतलब ब्रेक्जिट
11 जुलाई को तत्कालीन गृह मंत्री टेरीजा मे ने प्राधमंत्री का पद संभाला और देश से वायदा किया: "ब्रेक्जिट मतलब ब्रेक्जिट". हालांकि जनमत संग्रह से पहले मे भी कैमरन की ही तरह ब्रेक्जिट विरोधी थीं. पद संभालते वक्त उन्होंने यह घोषणा नहीं की कि वे ईयू के साथ ब्रेक्जिट पर चर्चा कब शुरू करेंगी.
तस्वीर: Reuters/A. Yates
मार्च 2017: अलविदा
29 मार्च को टेरीजा मे ने आर्टिकल 50 के तहत ब्रेक्जिट की प्रक्रिया शुरू की. ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने की औपचारिक तारीख 29 मार्च 2019 तय की गई. यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने उस वक्त अपने बयान के अंत में कहा, "हमें अभी से आपकी कमी खलने लगी है. आपका शुक्रिया. अलविदा."
तस्वीर: picture alliance / Photoshot
जून 2017: बहस शुरू
19 जून को ब्रसेल्स में ब्रेक्जिट की प्रक्रिया पर बहस शुरू हुई. पहले चरण की बातचीत में ब्रिटेन ईयू द्वारा तय कई गई टाइमलाइन से संतुष्ट नहीं दिखा. लेकिन बावजूद इसके उसे ईयू की शर्तें माननी पड़ीं. ईयू ने ब्रेक्जिट को दो चरणों में बांटा. पहले चरण में तय होना था कि ब्रिटेन ईयू से कैसे अलग होगा. और दूसरे चरण में तय होना था कि ब्रेक्जिट के बाद ईयू और ब्रिटेन के संबंध कैसे आगे बढ़ेंगे.
तस्वीर: picture alliance/ZUMAPRESS.com/W. Daboski
जुलाई से अक्टूबर 2017: पहला चरण
पहले चरण पर बहस तो हुई लेकिन तीन मुख्य मुद्दों पर कोई ठोस नतीजा निकलता नहीं दिखा. पहला, ईयू छोड़ने के बाद ब्रिटेन किस तरह से ईयू के बजट में भागीदार होगा. दूसरा, ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन और ईयू के नागरिकों के अधिकार क्या क्या होंगे. और तीसरा, क्या ब्रिटेन आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड के बीच दरवाजे खुले रख सकेगा.
तस्वीर: Getty Images/T.Charlier
दिसंबर 2017: दूसरा चरण
बाकी के सभी 27 सदस्य देशों ने माना कि दूसरे चरण की बहस शुरू की जा सकती है. इस चरण में ईयू और ब्रिटेन के बीच भविष्य में होने वाले व्यापार के लिए शर्तें तय करनी थीं. डॉनल्ड टस्क ने चेतावनी दी कि दूसरे चरण की बातचीत ब्रिटेन के लिए बेहद मुश्किल साबित हो सकती है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/dpa/O. Matthys
जुलाई 2018: इस्तीफे
ब्रिटेन के विदेश मंत्री बॉरिस जॉनसन और ब्रेक्जिट मंत्री डेविड डेविस ने ब्रेक्जिट से जुड़ी योजना पर असहमति दिखाते हुए इस्तीफे दे दिए. इस योजना के अनुसार ब्रिटेन और ईयू के बीच व्यापार के दौरान सभी वस्तुओं पर एक जैसे नियम लागू होने थे. जेरेमी हंट और डोमिनीक राब ने जॉन्सन और डेविस की जगह ली.
तस्वीर: picture-alliance/empics/G. Fuller
सितंबर 2018: नाकाम मे
ब्रेक्जिट के लिए मे के प्रस्ताव ईयू के नेताओं की पसंद से काफी दूर दिखे. हालात यहां तक पहुंच गए कि डॉनल्ड टस्क ने इंस्टाग्राम पर टेरीजा मे को ट्रोल करते हुए एक तस्वीर डाली. तस्वीर में टस्क और मे साथ खड़े हैं और उसे कैप्शन दिया गया, "केक का एक टुकड़ा चाहेंगे? माफ कीजिए, साथ में चेरी नहीं मिलेगी."
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Monasse
दिसंबर 2018: अविश्वास मत
10 दिसंबर को मे ने ब्रेक्जिट डील पर संसद में होने वाले एक वोट को स्थगित कर दिया. अगले दिन वे जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से मिलीं और उनसे समर्थन की मांग की. लेकिन इसी दौरान विपक्षी सांसद अविश्वास प्रस्ताव ले आए. हालांकि मे इसे जीत गईं.
तस्वीर: Getty Images/S. Gallup
जनवरी 2019: संसद में डील
16 जनवरी में ब्रिटिश संसद में टेरीजा मे की ब्रेक्जिट डील पर मतदान हुआ. डील के खिलाफ 432, जबकि डील के पक्ष में सिर्फ 202 वोट पड़े. डॉनल्ड टस्क ने इस पर सुझाव दिया कि ब्रिटेन के लिए सबसे अच्छा उपाय यही होगा कि वह ईयू में ही बना रहे. इस बीच विपक्षी लेबर पार्टी ने एक बार फिर अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर दी.
तस्वीर: Reuters
मार्च 2019: बढ़ाई समय सीमा
मे डील में बदलाव कर 12 मार्च को इसे फिर से संसद में ले कर आईं. इस बार डील के खिलाफ 391 और पक्ष में 242 वोट पड़े. यूरोपीय संघ के नेताओं ने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में "नो डील ब्रेक्जिट" यानी बिना किसी समझौते के ही ब्रिटेन को ईयू से अलग होना होगा. दो दिन बाद सांसदों से ब्रेक्जिट की तारीख आगे बढ़ाने के हक में वोट दिया. अगली तारीख 12 अप्रैल की थी.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/W. Szymanowicz
मार्च 2019: तीसरी बार
29 मार्च - शुरुआत में इसी दिन को ईयू से अलग होने का दिन चुना गया था. इस दिन टेरीजा मे तीसरी बार डील का प्रस्ताव संसद में ले कर पहुंचीं. एक बार फिर उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. इस बार 344 वोट उनके खिलाफ थे, जबकि 286 उनके हक में. एक समझौते की उम्मीद में मे विपक्षी नेता जेरेमी कॉर्बिन से मिलीं और अपनी ही पार्टी के लोगों को नाराज कर बैठीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/House of Commons/M. Duffy
अप्रैल 2019: तारीख पर तारीख
12 अप्रैल की डेडलाइन तक तो कोई समझौता होता नहीं दिख रहा था. इसलिए मे ने समयसीमा और आगे बढ़ाने की मांग की. सवाल था कि इस बार कितना और समय दिया जाए. नई तारीख तय हुई 31 अक्टूबर की. अगर ब्रिटेन चाहे तो उससे पहले भी अलग हो सकता है. लेकिन अब ऐसे में उसे मई में होने वाले यूरोपीय संघ के चुनावों में हिस्सा लेना होगा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/F. Augstein
13 तस्वीरें1 | 13
महिला अधिकारों पर वार?
फिलहाल ब्रिटेन में महिलाओं से जुड़े जो अधिकार हैं उन्हें यूरोपीय संघ नियंत्रित करता है. ऐसा नहीं है कि ब्रिटेन के ईयू से निकल जाने के बाद रातोंरात ही ये कानून गायब हो जाएंगे लेकिन, "ईयू आपको ये सुरक्षा का अहसास देता है कि ब्रिटेन की सरकार आपसे आपके अधिकार छीन नहीं सकती." स्टीफेनसन के अनुसार ब्रेक्जिट के कट्टर विरोधी "रेड टेप" को पूरी तरह हटाना चाहते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि गर्भावस्था के दौरान और मां बनने के बाद या फिर पार्ट टाइम नौकरी में जो अधिकार महिलाओं को मिलते हैं, उन्हें हटाने की बात चल रही है, "ये वे सब चीजें हैं जिनका लाभ ब्रिटेन की महिलाओं ने पिछले कई सालों में ईयू की सदस्यता के चलते उठाया है."
इसके विपरीत ईयू संसद में ब्रेक्जिट पार्टी की सांसद और "लीवर्स ऑफ ब्रिटेन" संगठन की अध्यक्ष लूसी हैरिस इसे बकवास बताती हैं. उनके अनुसार ईयू को महिला अधिकारों का रखवाला घोषित कर देना ठीक नहीं है. वे कहती हैं कि ब्रेक्जिट देश की महिलाओं के लिए नए और बेहतर कानून लाने में मददगार साबित होगा.
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मैंने ब्रेक्जिट के हक में इसलिए वोट दिया क्योंकि मेरा मानना है कि कानून जिन्हें सीधे रूप से प्रभावित करते हैं उन्हीं को ध्यान में रख कर बनाए जाने चाहिए. जब हमारी संप्रभुता हमें वापस मिलेगी, तो इससे मुझ जैसी महिलाएं सशक्त हो सकेंगी, ऐसे फैसले ले सकेंगी जो हमारे अधिकारों की रक्षा करते हैं." लेकिन यह भी तो सच है कि ईयू के कानूनों ने कभी ब्रिटेन की महिलाओं को अपने अधिकारों की रक्षा करने से नहीं रोका.
ब्रेक्जिट समर्थकों द्वारा बनाए गए एक ग्रुप "ब्रीफिंग फॉर ब्रेक्जिट" की एक सदस्य जोआना विलियम्स का कहना है कि महिलाओं के नुकसान की बात सरासर गलत है. उनके अनुसार महिलाओं की आमदनी और नौकरियों में हिस्सेदारी बढ़ेगी, "आप कयामत की भविष्यवाणी कर सकते हैं लेकिन हकीकत हमें एक अलग ही कहानी बयान कर रही है."
इसके जवाब में स्टीफेनसन का कहना है, "आज तीन साल बाद यह बात साफ हो गई है कि जो लोग यूरोपीय संघ से अलग होना चाहते थे, उनके पास कोई योजना ही नहीं थी. उनमें से ज्यादातर को तो इस बात की समझ तक नहीं है कि किसी ट्रेड डील की मूल बातें क्या होती हैं और ये वाकई भयावह है."
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने कहा है कि वो ब्रेक्जिट पर अगले दौर की बातचीत से पहले इस्तीफा दे देंगी. टेरीजा मे ने तारीख नहीं बताई है, लेकिन कंजरवेटिव पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों में उनका जगह लेने की होड़ है.
तस्वीर: picture-alliance/empics/S. Rousseau
इस्थर मक्वे, 51 साल
ब्रेक्जिट का समर्थन करने वाली मक्वे पहले टीवी प्रेजेंटर थीं. नवंबर में उन्होंने वर्क एंड पेंशन मिनिस्टर के पद से इस्तीफ दे दिया. मक्वे कह चुकी हैं कि उनकी योजना प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल होने की है.
तस्वीर: Getty Images/L. Neal
एंड्रेया लीडसम, 56 साल
ब्रेक्जिट के समर्थन में अभियान चलाने वाली लीडसम 2016 में डेविड कैमरन की जगह लेने की दौड़ में शामिल आखिरी दो लोगों में थीं. एक इंटरव्यू में दिए बयान को लेकर विवाद होने पर वो दौड़ से बाहर हो गईं. वो सरकार का संसदीय कार्यभार देखती हैं.
तस्वीर: Getty Images/C. Court
माइकल गोव, 51 साल
2016 में ब्रेक्जिट पर जनमत संग्रह के दौरान गोव सबसे प्रबल अभियान चलाने वालो में थे. कैमरन की जगह लेने वालों में उनका भी नाम था लेकिन टेरीजा मे का नाम तय होने से बहुत पहले ही वो दौड़ से बाहर हो गए.
तस्वीर: Getty Images/C. J. Ratcliff
जेरेमी हंट, 52 साल
जेरेमी हंट ने जुलाई में जॉनसन के बाद विदेश मंत्री का पद संभाला. उन्होंने कंजरवेटिव सदस्यों से ब्रेक्जिट के मुद्दे पर आपसी मतभेदों को भुला कर यूरोपीय संघ के खिलाफ एकजुट होने का अनुरोध किया. उन्होंने जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ में रहने के लिए वोट दिया था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Schreiber
डोमिनिक राब, 45 साल
पिछले साल डोमिनिक राब ने ब्रेक्जिट मिनिस्टर के पद से यह कह कर इस्तीफा दे दिया कि समझौते का मसौदा उन वादों से मेल नहीं खाता जो कंजरवेटिव पार्टी ने 2017 के चुनाव में किए थे. राब इस मंत्रालय के प्रमुख पद पर महज 5 महीने ही रहे.
तस्वीर: imago/ZUMA Press
रोरी स्टीवर्ट, 46 साल
पूर्व राजनयिक स्टीवर्ट ने कभी ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत और नेपाल में 9000 किलोमीटर की पदयात्रा की थी. इसी महीने उन्हें इंटरनेशनल डेवलपमेंट सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त किया गया है. इसके पहले वे कई मंत्रालयों में जूनियर रह चुके हैं.
तस्वीर: Reuters/H. Nicholls
साजिद जाविद, 49 साल
पूर्व बैंकर और मुक्त बाजार के समर्थक जाविद कई महत्वपूर्ण कैबिनेट पदों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. पाकिस्तानी मूल की दूसरी पीढ़ी के जाविद के दफ्तर में पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की तस्वीर लगी है.
तस्वीर: Reuters/T. Melville
डेविड डेविस, 70 साल
डेविस को जुलाई में ब्रेक्जिट मिनिस्टर के रूप में यूरोपीय संघ से बातचीत का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया लेकिन दो साल बाद उन्होंने मे की लंबे समय के लिए यूरोपीय संघ से रिश्ते रखने की योजना के विरोध में इस्तीफा दे दिया. वो 2005 में पार्टी के नेता का चुनाव कैमरन से हार गए.
तस्वीर: Reuters/H. McKay
बोरिस जॉनसन, 54 साल
पूर्व विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ब्रेक्जिट के मुद्दे पर टेरीजा मे के सबसे कटु आलोचक रहे हैं. ब्रेक्जिट के लिए चल रही बातचीत पर विरोध जताने के लिए उन्होंने जुलाई में इस्तीफा दे दिया. उन्होंने दौड़ में शामिल होने की बात नहीं कही लेकिन उन्हें फ्रंटरनर माना जा रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/empics/B. Lawless
पेन्नी मॉरडॉन्ट, 46 साल
मॉरडॉन्ट मे की मंत्रिमंडल में ब्रेक्जिट का समर्थन करने वाली आखिरी कुछ सदस्यों में हैं. इसी महीने वो ब्रिटेन के रक्षा मंत्री पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला बनीं. रॉयल नेवी की रिजर्व मॉरडॉन्ट इससे पहले अंतरराष्ट्रीय विकास मंत्री पद पर नियुक्त थीं.
पूर्व शिक्षा मंत्री ने आईटीवी से कहा कि वो प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने पर विचार कर सकती हैं. वो ब्रेक्जिट पर दूसरे जनमतसंग्रह का समर्थन करती हैं. बहुत से लोगों को उम्मीद है कि वो पार्टी छोड़ कर यूरोपीय संघ समर्थक गुट में शामिल हो सकती हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Scarff
अंबर रड, 55 साल
रड ने पिछले साल गृह मंत्री पद से इस्तीफा दिया. उनके मंत्रालय ने लंबे समय से ब्रिटेन में रह रहे कैरेबियाई प्रवासियों को गलती से अवैध प्रवासी मान लिया था जिसकी वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. 2016 में उन्होंने यूरोपीय संघ में बने रहने के लिए वोट दिया और बिना किसी डील के ब्रेक्जिट के विरोध में हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/S. Rousseau
मैट हैनकॉक, 40 साल
स्वास्थ्य मंत्री हैनकॉक, बैंक ऑफ इंग्लैंड की पूर्व अर्थशास्त्री हैं. उन्होंने 2016 में यूरोपीय संघ में बने रहने का समर्थन किया था. 2010 में वो पहली बार संसद के लिए चुनी गईं और कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं.
तस्वीर: Imago/P. Maclaine
लिज ट्रस, 43 साल
वित्त मंत्रालय की प्रमुख सचिव ट्रस ने सरकार में कई पद संभाले हैं. इनमें पर्यावरण मंत्री और न्याय मंत्री का पद भी शामिल है. उन्होंने 2016 में ब्रेक्जिट में रहने का समर्थन किया लेकिन अब कहती हैं कि उनका मन बदल गया है.
तस्वीर: Reuters/H. McKay
ग्राहम ब्रैडी, 51 साल
ब्रैडी 1922 कमेटी ऑफ कंजरवेटिव लॉमेकर्स के चेयरमैन हैं. बीबीसी रेडियो से उन्होंने कहा, "मुझे समझाने के लिए बहुत से लोगों की जरूरत होगी. मैं निश्चित रूप से नहीं कह सकता, असाधारण रूप से मुश्किल स्थिति है, जिसके लिए बहुत से लोग कमर कस रहे हैं."