मुंबई हमलों के अभियुक्त डेविड हेडली की अदालत को दी गई गवाही में हुए खुलासे इस्लामाबाद पर दबाव बढ़ा सकते हैं. लेकिन क्या वाकई आईएसआई के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं?
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पाकिस्तानी-अमेरिकी अभियुक्त हेडली ने एक बार फिर पाकिस्तानी अधिकारियों खासकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में रहने की बात कही है. 55 साल के हेडली ने भारतीय अदालत को दी वीडियो गवाही में बताया कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा को आईएसआई ने "नैतिक, सैनिक और आर्थिक सहयोग" दिया. लश्कर पर ही 2008 के मुंबई हमलों की योजना बनाने का आरोप है जिसमें 166 लोग मारे गए थे.
अमेरिकी कोर्ट द्वारा 2013 में 35 साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद बीते दिसंबर में हेडली को मुंबई मामले में भारत ने इस शर्त पर माफी दी कि वह भारतीय अदालत में गवाही देगा और इसी सिलसिले में दी गवाही में उसने मुंबई हमलों से जुड़ी जानकारी दी.
कटुता का एक स्रोत
भारत मुंबई हमलों के पीछे लश्कर का हाथ मानता है, वहीं इस्लामाबाद भी ये मानता है कि पाकिस्तान में प्रतिबंधित आतंकी समूहों ने पाकिस्तान के भीतर रहते हुए मुंबई हमलों की योजना बनाई. लेकिन इसमें पाकिस्तानी सरकार का हाथ होने से इनकार करता है.
लश्कर के पाकिस्तान में बैन होने के बावजूद हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी जैसे उसके कई नेता आजाद हैं. वे इस्लामी चैरिटी समूह चलाने के लिए और देश भर में सार्वजनिक रैलियां करने के लिए स्वतंत्र हैं. कुछ जानकार ऐसा मानते हैं कि इन लश्कर नेताओं को आईएसआई का संरक्षण मिला हुआ है, जिस दावे को पाकिस्तानी प्रशासन नहीं मानता. दोनों पड़ोसी देशों के बीच इस पर कटुता बनी हुई है कि इस्लामाबाद उन्हें सईद और लखवी को क्यों नहीं सौंप रहा. हेडली के ताजा बयानों से इस्लामाबाद का और झेंपना तय है.
पाकिस्तान हमले से जुड़े 7 अहम सवाल
देश के जिस प्रांत में हमला हुआ है, वह अतीत में भी तालिबान का शिकार रहा है. जानिए हमले से जुड़े कुछ मुख्य सवालों के जवाब.
तस्वीर: Reuters/Reuters TV
कहां हुआ हमला?
यह हमला पाकिस्तान के चारसद्दा की बाचा खान यूनिवर्सिटी में हुआ. खैबर पखतूनख्वाह प्रांत की यह यूनिवर्सिटी पेशावर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां 3,000 से अधिक छात्र पढ़ते हैं.
कैसे घुसे अंदर?
सर्दी के मौसम में कोहरे का फायदा उठाते हुए आतंकवादी यूनिवर्सिटी की दीवार फांद कर अंदर आए. हमले के समय अधिकतर छात्र क्लासरूम में थे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Majeed
किसने ली जिम्मेदारी?
पाकिस्तान तालिबान के उमर मंसूर ने समाचार एजेंसी एपी को फोन कर इस हमले की जिम्मेदारी ली. मंसूर को ही 2014 में पेशावर में हुए स्कूल हमले का भी मास्टर माइंड माना जाता है.
तस्वीर: Reuters/F. Aziz
क्या था हमले का कारण?
मंसूर ने फोन पर बताया कि पिछले महीनों में पाकिस्तान के सुरक्षाबलों ने कई तालिबानियों को मार गिराया है. यह हमला उसी का बदला था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Majeed
कितने लोग मारे गए?
अब तक 21 लोगों के मारे जाने की बात कही जा रही है, 51 लोग घायल हुए हैं. मारे गए लोगों में केमिस्ट्री के प्रोफेसर सैयद हामिद हुसैन भी शामिल हैं.
तस्वीर: Reuters/Reuters TV
कितने आतंकवादी थे?
सेना ने चार आतंकवादियों को मार गिराया है. उमर मंसूर ने भी फोन पर चार लोगों को भेजे जाने की बात की है. छात्रों ने बताया कि आतंकियों के हाथ में एके 47 बंदूकें थीं.
तस्वीर: Reuters/F. Aziz
कितनी देर चली मुठभेड़?
सेना और आतंकवादियों के बीच तीन घंटे तक गोलीबारी जारी रही. तालिबानियों को मार गिराने के बाद पुलिस ने पूरे कैम्पस की छानबीन शुरू की.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Majeed
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क्या इस्लामाबाद करेगा भारत से सहयोग?
हेडली के आईएसआई के सीधे हस्तक्षेप वाले दावों के बाद क्या इस्लामाबाद लश्कर और उसके नेताओं के पीछे जाएगा? इस सवाल पर इस्लामाबाद के ही एक पत्रकार अब्दुल आगा ने डॉयचे वेले को बताया, "मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा. एक तो हेडली ने कोई नई बात नहीं कही है. दूसरे, लश्कर ए तैयबा के नेताओं को गिरफ्तार कर उन्हें भारत को सौंपने का मतलब सार्वजनिक रूप से यह कबूल करना माना जाएगा कि पाकिस्तान प्रशासन का मुंबई हमलों में हाथ था. इससे तो भानुमति का पिटारा खुल जाएगा."
आगा बताते हैं, "पाकिस्तानी सेना जिसके हाथों में असली ताकत है, वो तो आने वाले समय में अपनी भारत-विरोधी नीतियां बदलता नहीं दिखता. प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार भारत के साथ बेहतर संबंध चाहती है लेकिन वे भी इस मामले में ज्यादा आगे नहीं जा सकते."
दुनिया की सबसे कड़ी सीमाएं
धरती के सीने पर खींची गई सरहदें कई बार देशों के साथ साथ दिलों को भी बांट देती हैं. दुनिया के कुछ ऐसे ही कठोर बॉर्डर...
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Sultan
पाकिस्तान-भारत: 'लाइन ऑफ कंट्रोल'
1947 में ब्रिटिश शासकों से मिली आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध 1949 तक चला था. तभी से कश्मीर इलाके को दोनों देशों के बीच एक लाइन ऑफ कंट्रोल से बांटा गया. मुस्लिम-बहुल आबादी वाला पाकिस्तान अधिशासित हिस्सा और हिन्दू, बौद्ध आबादी वाला भारत का कश्मीर. इस लाइन के दोनों ओर पूरे कश्मीर को हासिल करने का संघर्ष आज भी जारी है. 1993 से अब तक यहां हुई हिंसा में 43,000 लोग मारे जा चुके हैं.
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सर्बिया-हंगरी: बाल्कन रूट के केंद्र में
2015 के शरणार्थी संकट के प्रतीक बन चुके हैं ऐसे दृश्य. सर्बिया और हंगरी के बीच बिछी रेल की पटरियों पर चलकर यूरोप में आगे का सफर करते लोग. सितंबर में इस क्रासिंग को बंद कर दिया गया लेकिन यूरोप के भीतर खुली सीमा होने के कारण ऐसे और रूटों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
तस्वीर: DW/J. Stonington
कोरिया का अंधा पुल
पिछले 62 सालों से दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच की सीमा बंद है और उस पर कड़ा सैनिक पहरा रहता है. दक्षिण कोरिया की तरफ से जाते हुए अगर आपको ऐसा साइन बोर्ड दिखे तो वहां से आगे बढ़ने के बाद आप वापस इस तरफ नहीं आ सकेंगे. 1990 के दशक के अंत से करीब 28,000 उत्तर कोरियाई अपनी सीमा पार कर दक्षिण कोरिया में आ चुके हैं.
तस्वीर: Edward N. Johnson
अमेरिका-मैक्सिको का लंबा बॉर्डर
मैक्सिको से लगी इस सीमा को अमेरिकी "टॉर्टिया वॉल" कहते हैं. यहां दीवार और बाड़ खड़ी कर करीब 1126 किलोमीटर लंबा बॉर्डर खड़ा किया गया है. पूरी पृथ्वी में इतनी कड़ी निगरानी वाली कोई दूसरी सीमा नहीं है. यहां करीब 18,500 अधिकारी बॉर्डर सुरक्षा में तैनात हैं.
तस्वीर: Gordon Hyde
हर दिन 700 को देश निकाला
कड़ी सुक्षा व्यवस्था के बावजूद गैरकानूनी तरीके से मैक्सिको से अमेरिका जाने वाले प्रवासियों की संख्या काफी बड़ी है. केवल 2012 में ही लगभग 67 लाख लोगों ने सीमा पार की. हर दिन ऐसी कोशिश करने वाले करीब 700 लोग मैक्सिको वापस लौटाए जाते हैं.
तस्वीर: DW/G. Ketels
मोरक्को-स्पेन: गरीबी और गोल्फ कोर्स
मोरक्को से लगे स्पेन के दो एन्क्लेव मेलिया और सिउटा को लोग यूरोप पहुंचने का रास्ता मानते हैं. अफ्रीका के कई देशों से लोग अच्छे जीवन की तलाश में इसी तरफ से यूरोप पहुंच कर शरण मांगने की योजना बनाते हैं. कई लोग सीमा पर बड़ी बाड़ों को चढ़ कर पार करने की कोशिश करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
ब्राजील-बोलीविया: हरियाली किधर?
उपग्रह से मिले चित्र दिखाते हैं कि वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण ब्राजील के अमेजन के जंगल काफी कम हो गए हैं. पिछले पचास सालों में जंगलों के क्षेत्रफल में करीब 20 फीसदी कमी आई है. हालांकि अब बोलीविया में भी वनों की कटाई एक बड़ी समस्या बन कर उभर रही है.
तस्वीर: Nasa
हैती-डोमिनिक गणराज्य: एक द्वीप, दो विश्व
देखिए एक ही द्वीप पर स्थित दो देश इतने अलग भी हो सकते हैं. डोमिनिक गणराज्य पर्यटकों की पसंद रहा है जबकि हैती दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल है. बेहतर जीवन की तलाश में हैती से कई लोग डोमिनिक गणराज्य जाना चाहते हैं. बढ़ती मांग को देखते हुए 2015 में डोमिनिक गणराज्य ने आप्रवास के नियम सख्त किए हैं. तबसे करीब 40,000 हैतीवासी अपने देश वापस लौटे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Bueno
मिस्र-इस्राएल: एक तनावपूर्ण शांति
एक ओर रेगिस्तान तो दूसरी ओर घनी आबादी - यह सीमा मिस्र की मुस्लिम-बहुल और इस्राएल की यहूदी-बहुल आबादी के बीच खिंची है. करीब 30 सालों से चली आ रही शांति के बाद हाल के समय में सीमा पर कुछ हिंसक वारदातों और कड़ी सैनिक निगरानी की खबर आई है. 2013 के अंत तक इस्राएल ने इस सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा कर लिया था.
तस्वीर: NASA/Chris Hadfield
तीन देश, एक सीमा
दुनिया के कुछ हिस्सों में सीमाओं पर कोई दीवार, बाड़ या सैनिक निगरानी नहीं होती. जर्मनी, ऑस्ट्रिया और चेक गणराज्य की इस सीमा पर एक तीन-तरफा पत्थर इसका सूचक है. शेंगेन क्षेत्र के इन तीनों देशों के बीच खुली सीमाएं हैं. फिलहाल शरणार्थी संकट के चलते यहां अस्थाई बॉर्डर कंट्रोल लगाना पड़ा है.
तस्वीर: Wualex
इस्राएल-वेस्ट बैंक: पत्थर की दीवार
साल 2002 से इस 759 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवादित दीवारें और बाड़ें बनाई गई हैं. येरुशलम के इस घनी आबादी वाले क्षेत्र (तस्वीर) में दोनों के बीच कंक्रीट की नौ मीटर ऊंची दीवार बनाई गई है. 2004 में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने फलिस्तीनी क्षेत्र में दीवार खड़ी करने को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Sultan
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गलती मानना उसे सुधारने का पहला कदम
अमेरिका में रहने वाले पत्रकार और लेखक आरिफ जमाल का मानना है कि "पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका की ओर से सचमुच का दबाव ना होने के कारण ही, पाकिस्तानी सेना अपनी खुफिया एजेंसी से आतंकी संगठनों को मिल रहे समर्थन को नहीं रोक पाई है." जमाल पाकिस्तान और इस्लामी आतंक के विषय पर कई किताबें लिख चुके हैं.
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि एक एक कर सामने आते सबूतों, गवाहियों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बढ़ने से ही इस्लामाबाद भारत-विरोधी आतंकी समूहों का समर्थन छोड़ेगा. पत्रकार आगा कहते हैं, "जब तक आईएसआई को नागरिक सरकार के नियंत्रण में नहीं लाया जाता और इस्लामाबाद जिहादी गुटों का साथ नहीं छोड़ता, तब तक भारत-पाकिस्तान के बीच सही मायनों में शांति नहीं होगी."
जब शिव सेना ने किया पाकिस्तान का विरोध
हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी शिव सेना की पाकिस्तान विरोधी सोच का प्रभाव भारत और पाकिस्तान के बीच खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों को प्रभावित करता रहा है. एक नजर पिछली कुछ घटनाओं पर.
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वीना मलिक और अली सलीम
रिएलिटी शो बिग बॉस में पाकिस्तानी कलाकार वीना मलिक और अली सलीम की प्रतिभागिता पर शिव सेना ने आपत्ति जताई. उन्होंने आयोजकों से दोनों को कार्यक्रम से बाहर निकालने को कहा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Merey
पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं
साल 1999 में पाकिस्तान के भारत में क्रिकेट टूर के विरोध में शिव सेना ने फिरोजशाह कोटला की पिच को खोद डाला. हालांकि ऐसा करने पर भी सिरीज रोकी नहीं गई. 2006 में मुंबई में सीरियल ब्लास्ट के बाद शिव सेना ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के जयपुर और मोहाली में पाकिस्तान के साथ होने वाले मैचों का भी विरोध किया.
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गायकी का कार्यक्रम
साल 2012 में एक टीवी कार्यक्रम में पाकिस्तानी कलाकारों के हिस्सा लेने के खिलाफ शिव सेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना मिलकर साथ आए. उनका कहना था कि राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई और गायिका आशा भोसले को पाकिस्तानी कलाकारों के साथ एक ही मंच पर नहीं होना चाहिए.
तस्वीर: AFP/Getty Images
प्रो कबड्डी लीग
भारत में प्रो कबड्डी लीग के प्रारंभिक सत्र 2014 में तीन पाकिस्तानी खिलाड़ियों को शिव सेना की धमकी के कारण मैचों में नहीं खिलाया गया. शिव सेना ने आयजकों से मांग की कि आने वाले सालों में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को मुंबई या पुणे में होने वाले मैचों में ना खिलाया जाए.
तस्वीर: imago/Xinhua
आतिफ असलम का कॉन्सर्ट
25 अप्रैल 2015 को पुणे में पाकिस्तानी गायक आतिफ असलम का एक कॉन्सर्ट होना था जिसे शिव सेना से मिली धमकी के बाद रद्द कर दिया गया.
तस्वीर: Coke Studio
गजल गायक गुलाम अली
पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली को 10 अक्टूबर को भारतीय गजल गायक जगजीत सिंह की पुण्यतिथि पर पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में गाने के लिए बुलाया गया था. इसे भी शिव सेना की धमकी के बाद रद्द कर दिया गया.
तस्वीर: Getty Images/AFP
खुर्शीद कसूरी की किताब
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी की किताब के विमोचन के लिए उन्हें ऑबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक सुधींद्र कुलकर्णी ने मुंबई बुलाया था. शिव सेना की धमकी के बाद भी जब कुलकर्णी पीछे नहीं हटे तो पार्टी कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम से पहले उनके मुंह पर स्याही पोत दी.