कैसे काम करेगी 'मोदीनॉमिक्स'?
२३ जनवरी २०१५अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा पर गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत के अलावा आर्थिक समझौतों पर सहमति बनने की भी उम्मीद जताई जा रही है. अपने विशाल डेलिगेशन में ओबामा 100 से भी ज्यादा बड़ी अमेरिकी कंपनियों के प्रमुखों को साथ ला रहे हैं. भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाने के तरीकों पर चर्चा होनी है.
जनवरी में ही निवेशकों के सालाना सम्मेलन 'वाइब्रैंट गुजरात' समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर लालफीताशाही को रोकने और भारत के साथ व्यापार को आसान बनाने के लिए हर संभव कदम उठाने का वादा दोहराया था. अपने 'मेक इन इंडिया' अभियान से मोदी औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने और ज्यादा से ज्यादा विदेशी निवेश को देश में लाने की कोशिश कर रहे हैं. मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत की आर्थिक विकास दर में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं आया है. देश का जीडीपी पहले की ही तरह धीमी गति से बढ़ रहा है. 2014 की पहली तीन तिमाहियों में 5.2 प्रतिशत की औसत दर से वृद्धि दर्ज हुई है.
डीडब्ल्यू को दिए एक इंटरव्यू में एनालिटिक्स फर्म आईएचएस के एशिया-पैसिफिक अर्थशास्त्र विशेषज्ञ राजीव बिस्वास ने मोदी के गुजरात विकास मॉडल को पूरे देश में सफलता से दोहराए जा सकने की संभावना पर बातचीत की. पेश हैं बातचीत के कुछ अंश...
डीडब्ल्यू: 'मोदीनॉमिक्स' आखिर है क्या, और क्या इसे वाकई पूरे भारत में लागू किया जा सकता है?
राजीव बिस्वास: मूल रूप से 'मोदीनॉमिक्स' का अर्थ है एक ऐसे राजनेता का होना जो नौकरशाही को प्रभावी बनाए, उद्योग धंधों के लिए जरूरी मूलभूत ढांचा खड़ा कर सके. इसके अलावा वह विदेशी और घरेलू निवेशकों के साथ मिलकर उनके प्रोजेक्ट्स को समयसीमा के भीतर सफलता से लागू करवाने की ओर काम कर सके.
गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी ने अपनी सरकार को ऐसे चलाया जैसे कोई सीईओ अपनी कंपनी को चलाता है. उनकी प्रतिष्ठा ऐसे शासक की थी जो भ्रष्टाचाररोधी रवैया रखते हुए बेहद प्रभावी और समयबद्ध ढंग से काम करे. पिछले एक दशक के दौरान गुजरात देश में सबसे तेजी से आगे बढ़ रहे राज्यों में एक रहा है. 1.7 प्रतिशत की औसत वार्षिक विकास दर के साथ गुजरात ने पूरे देश की औसत जीडीपी विकास दर से बेहतर प्रदर्शन किया. इससे पता चलता है कि राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर और उद्योग का तेज विकास हुआ, जिससे पूरे राज्य को एक प्रभावी और बिजनेस-फ्रेंडली राज्य के रूप में देखा जाने लगा.
प्रधानमंत्री के रूप में मोदी इसी अंदाज में भारत की सरकार को चलाने की कोशिश कर रहे हैं. गुजरात मॉडल को भारत जैसे विशाल और राजनीतिक उथल पुथल से भरे देश में लागू कर पाना बहुत बड़ी चुनौती तो है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की मैनेजमेंट स्टाइल से कई क्षेत्रों में तेज आर्थिक विकास दिखेगा, खास तौर पर बीजेपी शासित राज्यों में. जहां विपक्षी पार्टियां सत्ता में हैं वहां भी अगर मोदीनॉमिक्स का विरोध हुआ तो उन पार्टियों को ही मुश्किल होगी. इन राज्यों के लोगों में दूसरे तेजी से आर्थिक विकास करते बीजेपी-शासित राज्यों को देखते हुए असंतोष भर जाएगा.
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी को सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत भेजने के पीछे अमेरिका का क्या संदेश दिखता है?
अमेरिकी सरकार भारत को केवल एक बड़ा उभरता हुआ आर्थिक बाजार ही नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक साझेदार मानती आई है. भारत को वे भविष्य में और बढ़ने वाले अमेरिकी उत्पादों के निर्यात और निवेश का ठिकाना ही नहीं, बल्कि एक बेहद महत्वपूर्ण राजनैतिक और रक्षा सुरक्षा पार्टनर मानते हैं. फिलहाल भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय व्यापार करीब 100 अरब डॉलर का है. कैरी जैसे वरिष्ठ नेता को गुजरात सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत भेजकर अमेरिका ने दिखा दिया है कि वह भारत और प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने संबंधों को कितनी महत्ता देते हैं.
कैरी की भारत यात्रा से ओबामा की भारत यात्रा के बीच क्या संबंध स्थापित होता है?
राष्ट्रपति ओबामा गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनने जा रहे हैं. कैरी के दौरे से ओबामा की यात्रा की तैयारियों से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले लेने में मदद मिलेगी. साथ ही ओबामा के दौरे के दौरान जिस 10 साल के डिफेंस फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, उस पर भी चर्चा हुई होगी. यह समझौता पहले के द्विपक्षीय समझौतों की तुलना में कहीं ज्यादा वृहत होगा.
गाब्रिएल डोमिनिकेज/आरआर