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क्या रवांडा में जनसंहार की जिम्मेदारी ले रहा है फ्रांस

८ अप्रैल २०२१

फ्रांस ने 1994 में हुए रवांडा के जनसंहार से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेजों को सामने लाने का फैसला किया है. फ्रांस की इस पहल का रवांडा ने स्वागत किया है. इस जनसंहार में करीब 8 लाख लोगों को मारा गया था.

Ruanda Symbolbild Völkermord  | Französische Soldaten
तस्वीर: picture-alliance/dpa

27 साल पहले अप्रैल महीने में रवांडा का जनसंहार शुरू हुआ था और थोड़े ही दिनों में 8 लाख से ज्यादा लोगों को कत्ल किया गया. बड़ी संख्या में औरतों का बलात्कार हुआ और उसके नतीजे में पैदा हुए बच्चे आज भी उस पीड़ा और पहचान के संकट से जूझ रहे हैं. 27 साल पहले की इस घटना का साया आज भी फ्रांस और अफ्रीकी देश के रिश्तों पर है. अब दोनों तरफ से इस साये से बाहर निकलने की कोशिश हो रही है.

फ्रेंच इतिहासकारों के एक आयोग ने इस बारे में ऐतिहासिक दस्तावेजों की मदद से एक रिपोर्ट तैयार की है जिसे पिछले महीने राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों को सौंपा गया. इस रिपोर्ट में जनसंहार के लिए फ्रांस की जिम्मेदारी का उल्लेख किया गया है. रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे ने बुधवार को कहा कि इस रिपोर्ट के आने के बाद वो फ्रांस के साथ संबंधों में नई शुरुआत के लिए तैयार हैं. फ्रांस ने इस घटना से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का भी आदेश दिया है. राष्ट्रपति कागामे का कहना है कि यह रिपोर्ट, "उस वक्त जो हुआ उसके बारे में साझी समझ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह उस बदलाव का भी संकेत है जिसमें फ्रांस के नेताओं की, जो हुआ उसके बारे में अच्छी समझ के साथ आगे बढ़ने की इच्छा दिखती है."

तस्वीर: Simon Wohlfahrt/AFP/Getty Images

फ्रांसोआ मितरां के शासन के दस्तावेज

फ्रांस ने जिन दस्तावेजों को खोलने का आदेश दिया है वह पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसोआ मितरां के कार्यकाल के हैं यानी 1990 से 1994 के बीच के जब जनसंहार शुरू हुआ. इसके साथ ही उस वक्त प्रधानमंत्री रहे एदुआर बालादु के दस्तावेजों को भी खोला जाएगा. पूर्व प्रधानमंत्री बालादु ने खुद ही यह इच्छा जताई थी.

इन दस्तावेजों में राजनयिक टेलीग्राम और गोपनीय नोट शामिल हैं. इतिहासकारों ने जो रिपोर्ट सौंपी है उनके स्रोत भी यही दस्तावेज रहे हैं. राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा है कि रिपोर्ट में जिन दस्तावेजों का जिक्र है उन्हें सार्वजनिक किया जाएगा. दस्तावेजों को सार्वजनिक करने के प्रति राष्ट्रपति माक्रों प्रतिबद्धता जताते रहे हैं. उनका मानना है कि वो ऐसी परिस्थितियां बनाना चाहते हैं जिससे कि रवांडा में फ्रांस की भूमिका को समझने में मदद मिल सके.

8 लाख लोगों की हत्या

1994 में अप्रैल से जुलाई के बीच इस जनसंहार में मारे गए करीब 8 लाख लोग मुख्य रूप से तुत्सी अल्पसंख्यक समुदाय के थे. फ्रांस पर इस जनसंहार के लिए जिम्मेदार लोगों की अनदेखी करने का आरोप है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मितरां के दौर में यह फ्रांस की नाकामी थी. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फ्रांस के इस जनसंहार में शामिल होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. कई सालों से आरोप झेलते रहने के बाद माक्रों के आदेश पर तैयार किए गए रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस ने जनसंहार को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए.

यह मुद्दा फ्रांस और पॉल कागामे के दौर में रवांडा के बीच रिश्तों में कड़वाहट घोलता रहा. कागामे खुद एक तुत्सी विद्रोही हैं. वह अफ्रीका के ग्रेट लेक इलाके में जनसंहार के बाद शासक रहे हैं.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Mazalan

रवांडा के राष्ट्रपति जुवेनाल हाबयारिमाना के साथ फ्रांस के अच्छे रिश्ते थे जो हूतू समुदाय के थे. 1994 में 6 अप्रैल को किगाली में उनका हवाई जहाज मार गिराया गया. इसके बाद ही जनसंहार शुरू हुआ. रिपोर्ट में कहा गया है कि मितरां के शासन में फ्रांस ने हाबयारिमाना को अपना सहयोगी माना और तुत्सी को "दुश्मन" जिसे युगांडा का समर्थन था. फ्रांस उस सत्ता के साथ खड़ा रहा है जिसने नस्ली जनसंहार को बढ़ावा दिया हालांकि ऐसे सबूत नहीं हैं जिनके आधार पर कहा जा सके कि खुद फ्रांस इस जनसंहार में शामिल होना चाहता था.

रवांडा की रिपोर्ट जल्द ही

इस बारे में रवांडा के अधिकारियों ने भी एक जांच की है और वो उसमें पता चली जानकारी को भी जल्दी ही सार्वजनिक करेंगे. उनका कहना है कि उनकी रिसर्च के नतीजे भी उसी दिशा की ओर संकेत करते हैं जिधर फ्रेंच रिपोर्ट ने किया है. कागामे ने फ्रांस के अधिकारियों पर दशकों तक इस घटना की जिम्मेदारी छिपाने का आरोप भी लगाया है. उनका कहना है कि इससे बहुत नुकसान हुआ. फ्रेंच इतिहासकारों के आयोग के प्रमुख विंसेंट डकलर्ट के मुताबिक वो मानते हैं कि फ्रांस को रवांडा में अपनी नीतियों के लिए माफी मांगनी चाहिए. राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि फ्रांस और रवांडा के बीच समझौते की एक पीछे नहीं लौटने वाली प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है. माक्रों ने कहा है कि वे इस साल रवांडा का दौरा करना चाहते हैं.

उस वक्त फ्रांस के विदेश मंत्री रहे अलां ज्युप्पे ने आयोग की रिपोर्ट का स्वागत किया है और कहा है कि इसने सरकार की कमियों को उजागर किया है. ज्युप्पे ने फ्रेंच अखबार ले मोंड में लिखा है, "हमने उस तरह से काम नहीं किया जैसे करना चाहिए था." उनका कहना है कि फ्रांस ने यह नहीं समझा कि जनसंहार के सामने "आधे अधूरे उपाय" काम नहीं आते, "जनसंहार क्या था इस बारे में हमारी समझ कम थी और तब जरूरी यह था कि पूरी प्रतिबद्धता के साथ जितना संभव हो उसे बिना देरी के रोका जाए."

एनआर/एमजे (एएफपी)

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