इस बात में कोई शक नहीं कि रोबोट हमारी जिंदगियों को बदल रहे हैं. काफी हद तक आसान बना रहे हैं. लेकिन क्या ये इंसान की मौलिक रचनात्मकता का विकल्प भी बन सकते हैं और कला क्षेत्र में इंसानों को चुनौती दे सकते हैं?
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अपनी रोजाना की जिंदगी में हम आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (एआई) की मौजदूगी को बहुत हद तक स्वीकार कर चुके हैं. मोबाइल फोन हों, वैक्यूम क्लीनर या गाड़ियां, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस हर उस जगह इस्तेमाल हो रहा है जहां दो हिस्सों को मिलाकर एक नया प्रॉडक्ट बनाया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या फैक्ट्रियों से बाहर कला की दुनिया में एआई इस्तेमाल हो सकता है.
कला को हमेशा से ही मानवीय रचनात्मकता का विशिष्ट क्षेत्र माना जाता रहा है लेकिन अब एआई यहां भी अपनी छाप छोड़ने लगा है. एआई को म्यूजिक एलबम, पटकथा लेखन और पेंटिंग्स में पहले ही आजमाया जा चुका है.
2019 में जर्मनी की एक संस्था ने एआई एल्गोरिदम पर बनी पहली पेंटिंग को बेचा. पहले पेंटिंग की कीमत महज कुछ हजार यूरो ही आंकी गई थी लेकिन बोली लगते लगते करीब 3.88 लाख यूरो में बिकी. हालांकि क्रिएटिव आर्ट्स में एआई का इस्तेमाल कलाकारों के हक से लेकर तकनीक के जिम्मेदार प्रयोग जैसे कई तकनीकी मसलों को उठाता है.
डॉयचे वेले द्वारा जर्मनी के बॉन शहर में आयोजित ग्लोबल मीडिया फोरम में डीडब्ल्यू की कारिन हेल्मश्टेट ने ऐसे कई सवालों को उठाया. चर्चा का विषय था, "आर्ट्स ऑन द ऐज: कैन एआई बी ट्रूली किएटिव" मतलब क्या एआई वास्तव में रचनात्मक हो सकता है. चर्चा के लिए पैनल में थीं इथियोपियाई टेक पायनियर की बेतेलहेम डेसी, भारतीय कलाकार और क्यूरेटर राघव केके, लंदन की फिल्म निर्माता कैरन पामे, लेखक और फ्रेंकफर्ट बुक फेयर के वाइस प्रेसीडेंट हॉल्गर फोलांड और जर्मन दार्शनिक मारकुस गाब्रिएल.
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रोबोटिक आर्ट
साल 2018 में लेखक गाब्रिएल की आई किताब, "द मीनिंग ऑफ थॉट" एआई के परिणामों पर बात करती है. गाब्रियल मानते हैं कि रोबोट द्वारा बनाई जाने वाली पेंटिंग को आर्ट कहना गलती है. उनका मानना है कि कला किसी व्यक्ति के "स्वायत्त कार्य" का नतीजा है. उन्होंने कहा, "कला का सार है कि उसमें कोई सार नहीं है." वह यह भी मानते हैं कि कला को दोहराया नहीं जा सकता और वह अपने आप में अद्वितीय है.
2018 में ही आई किताब "द क्रिएटिव पावर ऑफ मशीन" के लेखक फोलांड इस बात पर तो सहमति व्यक्त करते हैं कि रोबोट की कला मूल कला और रचनात्मकता की नकल है लेकिन प्रोग्राम पर चलने वाली मशीनों में अपनी मौलिक रचनात्मक इच्छाशक्ति की कमी है.
इसके उलट भारत और अमेरिका में अपना अधिकतर वक्त बिताने वाले कलाकार राघव केके एआई का अपने काम में इस्तेमाल करते हैं. वे मानते हैं, "जो लोग यह सोचते हैं कि एआई से मौलिक कला नहीं बन सकती वे निश्चित ही रचनात्मकता पर भौतिकतावादी नजरिया रखते हैं." राघव बताते हैं कि उनके लिए कला एक परालौकिक अनुभव है.
एआई और समाज
इस चर्चा में यह विषय भी उठाया गया कि आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का समाज और लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है. साथ ही नई तकनीकों का जिम्मेदारी से प्रयोग करने में एआई कितना सटीक है. पामे और डेसी ने जोर देते हुए कहा कि तकनीक को सभी के लिए सुलभ बनाया जा रहा है. पामे के मुताबिक तकनीक का दुरुप्रयोग भी किया जा सकता है. अपनी एक फिल्म में उन्होंने भावनात्मक माहौल बनाने के लिए फेशियल रेकग्निशन फीचर का इस्तेमाल किया था.
तो क्या रोबोट छीन लेंगे ये नौकरियां?
आने वाले सालों में 40 फीसदी नौकरियां रोबोट के हाथों में होंगी. जानिए वह कौन कौन सी नौकरियां हैं, जो इन मशीनों ने करनी शुरू भी कर दी हैं या फिर जल्द करने वाले हैं और जहां शायद भविष्य में इंसानों की कोई जरूरत ना रह जाए.
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वेटर
आप रेस्तरां में जा कर बैठें और एक रोबोट आपसे खाने का ऑर्डर लेने आए. कुछ देर बाद वही हाथ में ट्रे लिए आपका खाना भी लाए. यह तस्वीर बांग्लादेश के एक रेस्तरां में काम करने वाले वेटर रोबोट की है.
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डाकिया
जर्मनी की डाक सेवा डॉयचे पोस्ट ने इनका इस्तेमाल शुरू कर दिया है. पीले रंग के रोबोट डाक ले कर लोगों के घर तक जाते हैं. हालांकि क्योंकि अभी इन्हें सीढ़ियां चढ़ना नहीं आता है, इसलिए एक व्यक्ति मदद के लिए इनके साथ रहता है.
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सेल्समैन
आप दुकान में पहुंचें और एक रोबोट आपसे पूछे कि बताइए, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं. यह किसी फिल्म का सीन नहीं है, बल्कि ऐसा होने लगा है. जर्मनी में पॉल नाम का रोबोट इलेक्ट्रॉनिक्स के स्टोर पर काम करता है.
पिज्जा डिलीवरी
पिज्जा के लिए मशहूर डॉमिनोज काफी समय से डिलीवरी वाले रोबोट पर काम कर रहा है. बहुत जल्द आपके घर पिज्जा की डिलीवरी रोबोट किया करेगा. और हो सकता है कि यह उड़ता हुआ ड्रोन के रूप में आप तक पहुंचे.
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पुलिस
इन्हें पब के बाहर बॉडीगार्ड के रूप में भी खड़ा किया जा सकता है और घरों के बाहर सुरक्षा के लिए भी तैनात किया जा सकता है. दुबई में बुर्ज खलीफा के बाहर खड़ा यह रोबोट पुलिस का काम कर रहा है.
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सर्जन
ऑपरेशन थिएटर में रोबोट का इस्तेमाल अब कई सालों से हो रहा है. डॉक्टर किसी वीडियो गेम की तरह रोबोट को चलाता है. उसे स्क्रीन पर सब कई गुना बड़ा नजर आता है.
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बारटेंडर
अगर रोबोट खाना खिला सकता है, तो ड्रिंक्स भी तो पिला सकता है. बोतल खोल कर ग्लास में बियर डालने का काम रोबोट बखूबी कर लेते हैं, और तो और इन्हें टिप भी नहीं देना पड़ता.
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सफाई
बाजार में इस तरह के कई रोबोट उपलब्ध हैं, जो खुद ही आपके घर की सफाई कर सकते हैं. ये दरअसल वैक्यूम क्लीनर हैं, जिन्हें आपको पकड़ने की कोई जरूरत नहीं है. ये खुद ही घर में घूमते रहते हैं और कूड़ा जमा करते रहते हैं.
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खेती
फसल को काटने का काम भी रोबोट करते हैं. इन्हें बता दिया जाता है कि कहां तक खेत हैं, इन्हें किस दायरे में घूमना है और कटाई जमीन से कितने सेंटीमीटर ऊपर से करनी है. सारी मेहनत ये मशीनें खुद ही कर लेती हैं.
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पैकेजिंग
ऑनलाइन कंपनी एमेजॉन के गोदाम में पैकेजिंग का काम रोबोट करते हैं. ये रोबोट खुद ही तय कर लेते हैं कि किस पैकेट को कहां रखना है. सब कुछ ऑटोमेटेड है.
रिपोर्टर
आने वाले समय में इस पेशे पर भी खतरा है. कई जगह रिपोर्ट बनाने के लिए रोबोट का इस्तेमाल होने भी लगा है, खास कर खेल जगत में. रोबोट समाचार एजेंसियों द्वारा मिली सामग्री को मिला जुला कर इंसानों की ही तरह रिपोर्ट लिख सकता है.
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टीचर
बहुत मुमकिन है कि भविष्य में क्लासरूम में टीचर की जगह रोबोट खड़ा मिले. क्या क्या पढ़ाना है, यह रोबोट में प्रोग्राम किया जा सकता है. ऑनलाइन यूनिवर्सिटी आज हकीकत हैं. लोग स्क्रीन के आगे बैठ कर तो पढ़ाई करते ही हैं, रोबोट के आगे भी किया करेंगे.
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पेंटर
रोबोट कलात्मक काम भी करते हैं. इस रोबोट का नाम बसकर है और यह इंसानों की ही तरह पेंटिंग बनाता है. हर कैनवास पर अलग चित्र, अलग अंदाज. क्या पता भविष्य में रोबोट की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी भी लगा करे.
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रसोइया
फ्रिज में क्या क्या सामान रखा है, इसे देख कर रोबोट खुद ही तय कर सकता है कि खाने में क्या बनेगा. अगर आपकी कोई खास फरमाइश है, तो रोबोट दुकान पर सामग्री का ऑर्डर भी दे सकता है.
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नागरिकता भी
सोफिया पहली ऐसी ह्यूमनॉइड रोबोट है जिसे किसी देश की नागरिकता मिल गयी है. 2017 में सऊदी अरब ने इसे अपना पासपोर्ट दिया. यह भारत समेत कई देश घूम चुकी है.
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और भी बहुत कुछ
बहुत कुछ मुमकिन है. पब में बारटेंडर से ले कर वकीलों के दफ्तर में रिसर्च करने वाले पैरालीगल तक, सब काम रोबोट संभाल सकते हैं. तो क्या साइंस फिक्शन फिल्मों की तरह भविष्य में इंसान रोबोट से घिरा दिखा करेगा? यह तो वक्त ही बताएगा.
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नौ साल की उम्र से प्रोग्रामिंग सीख रही डेसी ने टेक कंपनी आईकॉग की स्थापना की और ह्यूमनॉइड रोबोट सोफिया को विकसित करने में मदद की. डेसी का नारा है "एनीवन कैन कोड" मतलब कोई भी कोडिंग कर सकता है. वह कोडिंग को प्रोत्साहित कर रही हैं, साथ है युवा लड़कियों को एआई से जुड़ने का मौका भी दे रही हैं. डेसी कहती हैं कि टेक सेक्टर में लिंगानुपात की खाई बेहद गहरी है. उन्होंने कहा कि जरूरी है कि जो लोग प्रोग्राम लिखें या एआई डेवलप करें, वे भी अलग-अलग क्षेत्र से आते हों और उनमें भी विविधताएं हों. डेसी मानती हैं कि प्रोग्रामरों पर बहुत जिम्मेदारी होती है.
इंसान बनाम मशीन
ग्लोबल मीडिया फोरम में ह्यूमनॉइड रोबोट सोफिया भी पहुंची थी. जब वह बात करती तो उसके चेहरे पर बदलते भाव लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते. दार्शनिक गाब्रिएल ऐसे ह्यूमनॉइड रोबोट को लेकर आलोचनात्मक रुख रखते हैं. उन्होंने कहा कि रोबोट कभी भी मानव चेतना का मुकाबला करने में सक्षम नहीं होंगे. गब्रिएल मानते हैं कि मानवता की सबसे बड़ी शक्ति उसकी कमियां हैं और कोई भी इंसान हमेशा सोच समझ कर और तार्किक ढंग से काम नहीं कर सकता. गब्रिएल की नजर में एआई एक तरह का ड्रग है जिसका नियमन किया जाना चाहिए. साथ ही यह एक ऐसी डिजिटल क्रांति है जिसे "मानवीय नैतिक प्रक्रिया" से संचालित करना जरूरी है.