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कोरोना में सजना-संवरना छोड़ दिया लोगों ने!

अपूर्वा अग्रवाल
२९ मई २०२०

कोरोना संक्रमण के चलते लोग घरों में बंद हुए तो ब्यूटी स्टोर्स, पार्लर, सैलूनों पर ताले लग गए. ब्यूटी इंडस्ट्री के लिए ये दौर मुश्किल भरा है. चिंता ये भी है कि संक्रमण के डर से लोग कहीं सजना-संवरना ही ना छोड़ दें.

Indien Sadiya Naseem, Beauti Brand GlamStudio
तस्वीर: privat

सादिया नसीम ब्यूटी ब्रांड चेन ग्लैम स्टूडियो की फाउंडर है. दिल्ली, मुंबई, गुड़गांव, हैदराबाद और बेंगलुरू समेत देश भर में इस ब्रांड के करीब 200 ब्यूटी स्टूडियो चलते हैं. साथ ही तकरीबन दो हजार लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं. सादिया बताती हैं कि कोरोना संकट ने उनके इस कारोबार को मुश्किल में डाल दिया है. सादिया ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "कोराना के चलते पिछले दो महीने से बिजनेस ठप्प पड़ा है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि हम किराया देने लायक पैसे भी नहीं कमा पा रहे.” कमाई के लिहाज से पूरी ब्यूटी और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री इन दिनों मुश्किलों से जूझ रही हैं.

बीते अप्रैल में जारी हुए मैकेंजी ग्लोबल कंज्यूमर सेंटीमेंट सर्वे के मुताबिक ग्लोबल ब्यूटी इंडस्ट्री एक साल में लगभग 500 अरब डॉलर का कारोबार करती है और करोड़ों लोगों को रोजगार मुहैया कराती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2008 में आई मंदी का भी ब्यूटी इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ा था लेकिन साल 2010 आते-आते कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली थी. इस बार हालात कुछ अलग हैं. इंडस्ट्री से जुड़े लोग भी मानते हैं कि कोविड-19 का असर तो कारोबार पर रहेगा लेकिन इसके साथ रहना सीखना अब मजबूरी बन गया है.

जरूरत भी मजबूरी भी

जर्मनी जैसे जिन देशों में सैलूनों को खोलने की इजाजत दी गई है, वहां ये अनुमति सैलूनकर्मियों और ग्राहकों की सुरक्षा के कदमों के साथ दी गई है. इसमें मास्क लगाना, उपकरणों को हर ग्राहक के लिए सैनिटाइज करना, ग्राहकों की सोशल डिस्टैंसिंग का ख्याल रखना और उनकी लिस्ट रखना शामिल है. जानकारों का कहना है कि आम उपभोक्ता भी अब ज्यादा जागरुक हो गए हैं. वे भी अपनी सुरक्षा चाहते हैं इसलिए अब सैलून में सैनिटाइजेशन से लेकर हर प्रोडक्ट के इस्तेमाल पर उनकी नजर रहेगी. इसलिए साफ-सफाई, सैनिटाइजेशन, मास्क और डिस्पोजेबल किट जैसी चीजें नए सेफ्टी प्रोटोकाल माने जाएंगे.

मौशमी ठाकुरता नागतस्वीर: privat

हाई एंड सेगमेंट के तहत आने वाले लुक्स प्राइम सैलून के क्रिएटिव डायरेक्टर और हेयर स्टाइलिस्ट दीपक जलहान कहते हैं, "ब्यूटी वर्ल्ड में अधिकतर वन-टू-वन सर्विसेज दी जाती है. इसलिए अगर बाजार में बने रहना है तो नए ब्यूटी सेफ्टी प्रोटोकाल के तहत ही चलना होगा.”  सादिया भी मानती है कि अगर नए सेफ्टी प्रोटोकाल सर्विसेज के दाम बढ़ाते भी हैं तब भी कस्टमर पैसे देने में नहीं हिचकेगा.

महिलाओं पर असर

ऑर्गेनिक प्रोडक्ट चेन म्रिलक्यू ब्रांड को खड़ा करने वाली महिला उद्यमी मौशमी ठाकुरता नाग बताती हैं कि ब्यूटी इंडस्ट्री बेहद ही असंगठित क्षेत्र है और इसमें महिलाएं काफी सक्रिय हैं. तकरीबन तीन महीने से सब कुछ बंद होने की वजह से उनकी आमदनी पर बहुत असर पड़ा है. मौशमी ने बताया, "म्रिलक्यू में भी काम करने वाली 60 फीसदी महिलाएं हैं लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं अपने सारे कर्मचारियों को उनका वेतन दे पाएं. तमाम कोशिशों के बाद हम सबको किश्तों में पैसे दे रहे हैं.”

कुछ जानकार ब्यूटी इंडस्ट्री में आई मंदी को भविष्य के लिए एक अवसर भी मान रहे हैं. कैरियर कोच सत्येंद्र कुमार सिंह कहते हैं,  "सैलून और पार्लर बंद होने के चलते महिलाएं हो या पुरूष खुद भी सीखेंगे और भविष्य में उनका यह खर्चा कम हो सकता है. इसके साथ ही अब लोग ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की तरफ जाएंगे जो महिलाओं के लिए घर बैठे कैरियर का एक अच्छा विकल्प हो सकता है. ”

बदलेगा बाजार 

उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना के बाद जब बाजार पटरी पर लौटेगा तब तक काफी कुछ बदल चुका होगा. मौशमी कहती है, "पहले हम जब लोगों को उनकी त्वचा को लेकर ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स से जुड़े कुछ सुझाव देते थे तो कई बार ग्राहक गंभीरता से नहीं लेते थे, लेकिन अब लोगों में गंभीरता दिख रही है.” इसके साथ ही लोग अब टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हो रहे हैं.

मौशमी बताती हैं कि वह अपने कस्टमरों को ऑनलाइन स्किन वेलनेस की ट्रेनिंग दे रही हैं. सादिया भी इनोवेशन पर जोर दे रही हैं और इसी के तहत उन्होंने छोटी-छोटी टाउनशिप के लिए मिनी सैलून तैयार किए हैं.

दीपक जलहानतस्वीर: privat

दुनिया भर में नुकसान

आयरलैंड की कंपनी रिसर्च एंड मार्केट की रिपोर्ट, इम्पैक्ट ऑफ कोविड-19 आन कॉस्मेटिक इंडस्ट्री के मुताबिक, "जनवरी 2020 में कोरोना संक्रमण पर आई खबरों के चलते ग्लोबल कॉस्मेटिक ग्रोथ रेट  में गिरावट देखी गई. लॉकडाउन में श्रमिकों की कमी के चलते कॉस्मेटिक बनाने वालों को स्किन केयर, हेयर केयर, मेकअप, ओरल कॉस्मेटिक से जुड़ी सभी उत्पादन इकाइयां बंद करनी पड़ी.”

इसका असर ना सिर्फ खुदरा बिक्री पर पड़ा बल्कि आयात-निर्यात भी इससे काफी प्रभावित हुआ. मौशमी बताती हैं कि उनके प्रोडक्ट म्रिलक्यू का बांग्लादेश और चीन में निर्यात किया जाता है लेकिन पिछले तीन महीने से विदेशी बाजारों तक माल पहुंच ही नहीं पा रहा. 

सुधार में वक्त लगेगा

ब्यूटी इंडस्ट्री को मंदी से उबरने में कितना वक्त लगेगा इस पर कोई भी ठोस रूप से कहता नहीं दिखता. मौशमी कहती हैं, "आज हम भविष्य के लिए सिनेरियो मैपिंग नहीं कर सकते. आज जो स्थिति पैदा हुई है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. ऐसे में किसी भी तरह की संभावनाएं व्यक्त करना मुश्किल है. ” ये सभी के लिए खुद को रिइनवेंट करने का समय है.

दीपक मानते हैं कि अभी तो यह जरूरी है कि आपके पुराने क्लाइंट आपके साथ बने रहें. दीपक ने कहा, "बिजनेस और माहौल पहले जैसा कब तक होगा ये तो नहीं कहा जा सकता लेकिन एक अच्छी शुरुआत में कम से कम 6-8 आठ महीने का वक्त लग सकता है.” वहीं सादिया का मानना है बिजनेस पटरी पर आने में कम से कम छह महीने से लेकर दो साल तक का वक्त लग सकता है.

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