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समाज

क्या वजह है कि बलात्कारियों को डर नहीं लगता?

१२ जुलाई २०१९

महिलाओं की सुरक्षा को ले कर जो हाल भारत का है, कुछ वैसा ही आस पड़ोस के देशों का भी है. आंकड़े बताते हैं कि बांग्लादेश में बलात्कार के मामलों में महज तीन फीसदी लोगों को ही सजा होती है.

Indien Pakistan Symbolbild Vergewaltigung
तस्वीर: Getty Images

बांग्लादेश में पिछले दिनों महिलाओं और बच्चों के शोषण के मामलों में वृद्धि हुई है. बांग्लादेश महिला परिषद (बीएमपी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2019 के शुरुआती छह महीनों में ही 731 महिलाओं और बच्चों के बलात्कार के मामले सामने आ चुके हैं. 2018 में पूरे साल में यह संख्या 942 थी. बीएमपी ने यह रिपोर्ट 14 राष्ट्रीय अखबारों में छपी बलात्कार की खबरों के आधार पर तैयार की है. लेकिन जानकारों का कहना है कि असली संख्या इससे काफी ज्यादा हो सकती है क्योंकि हर मामले की शिकायत नहीं की जाती है. 

वहीं बांग्लादेशी शिशु अधिकार फोरम (बीएसएफ) के अनुसार 2019 के पहले छह महीनों में कम से कम 496 बच्चों के साथ दुष्कर्म हुआ. इनमें 23 मामले ऐसे हैं जहां रेप के बाद बच्ची की जान ले ली गई और 53 मामले बच्चियों के साथ गैंग रेप के हैं.  इसी तरह एक अन्य मानवाधिकार संगठन मानुशेर जोन्नो फाउंडेशन की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 433 बच्चों के साथ बलात्कार हुआ था और इनमें से अधिकतर 7 से 12 की उम्र के थे.

स्कूलों में भी नहीं सुरक्षित

इन रिपोर्टों के अनुसार बांग्लादेश में बच्चे स्कूलों में भी सुरक्षित नहीं हैं. हाल ही में एक स्कूल के हेड मास्टर को दो बच्चियों के साथ बलात्कार करने और छह बच्चियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इससे पहले एक मदरसे के मौलवी को बलात्कार के आरोप में हिरासत में लिया गया था. एक अन्य मामले में दो हाई स्कूल टीचरों पर 20 छात्रों के बलात्कार के आरोप लगे हैं.

बीआइएसएफ के अध्यक्ष अब्दुस शाहिद ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा, "हाल के सालों में हमने मदरसों में बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के और खास कर लड़कों के साथ बलात्कार के मामलों में काफी वृद्धि देखी है." वहीं ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जुया रहमान का कहना है कि माता पिता में जागरूकता की कमी इसकी बड़ी वजह है. डॉयचे वेले से बातचीत में उन्होंने कहा, "हम देख रहे हैं कि माता पिता दोनों ही बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित किए बगैर काम पर जा रहे हैं. हमें बच्चों की सुरक्षा के लिए आधुनिक डे केयर खोलने की जरूरत है."

परंपरा और आधुनिकता के बीच

ऑनलाइन एक्टिविस्ट मकसूदा अख्तर का कहना है कि बलात्कार के मामलों में बढ़ोतरी बांग्लादेश के "बेहद निराश समाज" को दर्शाती हैं. उनके अनुसार साक्षरता की कमी और बेरोजगारी इस निराशा की बड़ी वजहें हैं. वहीं प्रोफेसर रहमान का कहना है कि बांग्लादेश का समाज इस वक्त एक बदलाव से गुजर रहा है जहां पारंपरिक और आधुनिक के मिलन से लोगों में असमंजस का माहौल है. उनका कहना है, "हम इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए पश्चिमी मूल्यों को स्वीकार रहे हैं. लेकिन पारंपरिक सोच इस मॉडर्न जीवन को ठीक से पचा नहीं पा रही है. इससे असमंजस पैदा होता है और कहीं ना कहीं बलात्कार के बढ़ते मामलों में इसकी भूमिका है."

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आलोचकों का यह भी कहना है कि लोगों में कानून का डर ना होना इस माहौल को बढ़ावा दे रहा है. ढाका स्थिति वकील अलेना खान कहती हैं, "बांग्लादेश में ठोस कानून हैं लेकिन उन पर अमल नहीं किया जाता. महज चार फीसदी मामलों में ही न्याय मिल पाता है. लोग जानते हैं कि सजा नहीं होगी. यही वजह है कि दिन पर दिन बलात्कार के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं."

सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि 2014 से 2017 के बीच पुलिस द्वारा दर्ज किए गए बलात्कार के 17,289 मामलों में से सिर्फ 673 में ही दोष साबित किया जा सका. बीएमपी के आंकड़ों के अनुसार बलात्कार के सिर्फ तीन फीसदी मामलों में ही दोषी को सजा सुनाई जाती है. बीएमपी की अलेना खान कहती हैं, "पीड़ित के लिए न्याय की पूरी प्रक्रिया ही बेहद जटिल है. गुनहगार कभी अपने पैसे के दम पर तो कभी जोर जबरदस्ती कर पीड़ित पर हावी हो जाता है. यहां तक कि बहुत मामलों में तो पीड़ित की दोषी के साथ शादी ही करा दी जाती है."

रिपोर्ट: अराफातुल इस्लाम/आईबी

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