बतौर राजभाषा हिंदी को हासिल हुई मान्यता को याद करने और सम्मान जताने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है. लेकिन तमाम आयोजनों के बीच आज मुख्य चिंता यही है कि हिंदी सत्ता और वर्चस्व की भाषा बन कर न रह जाए.
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महामारी की वजह से हिंदी दिवस, हिंदी सप्ताह, हिंदी पखवाड़ा छिटपुट तौर पर ही मनाया जा रहा है. लेकिन वेब पटल पर इस भाषायी हलचल को हिंदी दिवस का इंतजार करने की जरूरत नहीं थीं. वहां तो सक्रियता इतनी तीव्र और वेगभरी रहती आई है कि इस दौरान हिंदी में विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और साहित्यिक मुद्दों पर जोरशोर से वेबिनार भी होने लगे. हिंदी की पत्रकारिता के सवाल हों या हिंदी साहित्य की स्थिति, वेबिनार में साहित्यकार, समीक्षक, जानकार पाठक और श्रोता खूब जुटे. कविता पाठ हुए, भाषण हुए, परिचर्चाएं तो जो हुई सो हुई, विवाद भी कम नहीं हुए.
14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था. पहली बार 1953 में हिंदी दिवस मनाया गया था. 2011 की भाषायी जनगणना का आंकड़ा 2018 में जारी किया गया था. मीडिया में प्रकाशित इन आंकड़ों के मुताबिक 43.63 प्रतिशत आबादी की मातृभाषा हिंदी है. इसी तरह कुल 35 में से 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों के बीच आपसी व्यवहार और रोजमर्रा के संचार की पहली भाषा हिंदी है. लेकिन ये आंकड़ा भी गौरतलब है कि 2001 से 2011 के दरमियान 25 प्रतिशत की दर से हिंदी का विस्तार हुआ है और उक्त अवधि में इसे बोलने वाले करीब दस करोड़ लोग और जुड़े हैं.
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भारत में कितने लोग कौन सी भाषा बोलते हैं
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में संस्कृत सहित कुल 22 भाषाएं दर्ज हैं. देश की 96.7 प्रतिशत आबादी इन्हीं 22 भाषाओं को बोलती है. वहीं अन्य 3.3 प्रतिशत लोग अन्य भाषा बोलते हैं. एक नजर भारत में बोली जाने वाली भाषाओं पर.
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हिंदी
हिंदी संवैधानिक रूप से देश की राजभाषा होने के साथ-साथ देश में सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के 43.63 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं.
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बंगाली
बंगाली भारत में दूसरी सबसे अधिक बोलने वाली भाषा है. करीब 8.03 प्रतिशत अर्थात नौ करोड़ 72 लाख भारतीय बंगाली बोलते हैं. यह मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में बोली जाती है.
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मराठी
भारत में कुल 6.86 प्रतिशल अर्थात आठ करोड़ 30 लाख लोग मराठी भाषा बोलते हैं. यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र में बोली जाती है.
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तेलुगु
तेलुगु भाषा आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों के कुछ हिस्सों में भी बोली जाती है. करीब 6.7 प्रतिशत लोग यह भाषा बोलते हैं.
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तमिल
तमिल भाषा मुख्य रूप से भारत में तमिलनाडु तथा पुदुचेरी में बोली जाती है. करीब 5.7 प्रतिशत भारतीय इस भाषा बोलते हैं.
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गुजराती
भारत में 4.58 प्रतिशत लोग गुजराती बोलते हैं. यह मुख्य रूप से गुजरात में बोली जाती है.
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उर्दू
भारत की कुल जनसंख्या का 4.19 प्रतिशत लोग उर्दू बोलते हैं. कश्मीर से लेकर बिहार तक कई राज्यों में लोग मुस्लिम समुदाय के बीच इसका व्यापक इस्तेमाल होता है.
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कन्नड़
भारत में 3.61 प्रतिशत लोग कन्नड़ भाषा बोलते हैं. यह मुख्य रूप से कर्नाटक में बोली जाती है.
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उड़िया
उड़िया भारत के ओड़िशा राज्य में बोली जाने वाली मुख्य भाषा है. भारत में 3.1 प्रतिशत लोग उड़िया भाषा बोलते हैं.
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मलयालम
भारत में 2.88 प्रतिशल लोग मलयालम भाषा बोलते हैं. यह केरल राज्य की प्रमुख भाषा है लेकिन तमिलनाडु, कर्नाटक सहित देश के कई अन्य इलाकों में बसे मलयालियों द्वारा यह बोली जाती है.
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पंजाबी
भारत में 2.74 प्रतिशत लोग पंजाबी भाषा बोलते हैं. यह मुख्य रूप से पंजाब में बोली जाती है. इसे गुरमुखी लिपि में लिखा जाता है.
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असमिया
असमिया भारत के असम राज्य की मुख्य भाषा है. भारत के 1.26 प्रतिशत लोग यह भाषा बोलते हैं.
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मैथिली
भारत में 1.12 प्रतिशत लोग मैथिली भाषा बोलते हैं. यह मुख्य रूप से बिहार के मिथिलांचल इलाके में बोली जाती है. इसके अलावा मैथिली झारखंड और नेपाल के तराई क्षेत्र में भी बोली जाती है.
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संथाली
भारत में 0.61 प्रतिशत लोग संथाली बोलते हैं. संथाली भाषा का प्रयोग झारखंड, असम, बिहार, उड़ीसा, त्रिपुरा, और पश्चिम बंगाल में रहने वाले संथाल समुदाय के लोगों के द्वारा बोली जाती है.
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कश्मीरी
कश्मीरी भाषा मुख्यतः कश्मीर घाटी तथा चेनाब घाटी में बोली जाती है. भारत के 0.56 प्रतिशत लोग कश्मीरी बोलते हैं.
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नेपाली
भारत के 0.24 प्रतिशत लोग नेपाली भाषा बोलते हैं. यह भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, उत्तर-पूर्वी राज्यों आसाम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश राज्यों के कुछ इलाकों में बोली जाती है.
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सिंधी
भारत में 0.23 प्रतिशत लोग सिंधी भाषा बोलते हैं. यह पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है.
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डोगरी
डोगरी भारत के जम्मू और कश्मीर में बोली जाने वाली एक भाषा है. इस भाषा को बोलने वाले डोगरे कहलाते हैं. भारत में कुल 0.21 प्रतिशत लोग डोगरी भाषा बोलते हैं.
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कोंकणी
भारत में कुल 0.19 प्रतिशत लोग कोंकणी भाषा बोलते हैं. यह गोवा, केरल, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ इलाकों में बोली जाती है.
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मणिपुरी
भारत में कुल 0.15 प्रतिशत लोग मणिपुरी भाषा बोलते हैं. यह भाषा असम के निचले हिस्सों एवं मणिपुर प्रांत के लोगों द्वारा बोली जाती है.
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बोडो
भारत में कुल 0.12 प्रतिशल लोग बोडो भाषा का प्रयोग करते हैं. यह देवनागरी लिपी में लिखी जाती है. असम के कुछ इलाकों में बोली जाती है.
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संस्कृत
संस्कृत भाषा को भी भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में जगह दी गई है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में करीब 24,821 लोगों ने संस्कृत को अपनी मातृभाषा के रूप में बताया था.
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आज तो ये आंकड़ा और अधिक बढ़ चुका होगा. देश की 10 सबसे बड़ी भाषाओं में एक हिंदी ही है जिसके बोलने वालों के अनुपात में बढ़ोत्तरी देखी गई है. जिन राज्यों और क्षेत्रों में हिंदी बोली जाती है उनकी आबादी की दर भी गैर हिंदीभाषी क्षेत्रों की तुलना में तेजी से बढ़ी है, हिंदी बोलने वालों की संख्या में उछाल का बड़ा कारण तो यही है. 1971-2011 की अवधि में हिंदी 161 प्रतिशत की दर से बढ़ी तो चार सबसे बड़ी द्रविड़ भाषाएं इसी अवधि में लगभग आधा, 81 प्रतिशत की दर से ही बढ़ पाईं.
हिंदीभाषी राज्यों से दक्षिण के राज्यों की ओर अधिक माइग्रेशन देखा गया है. इसका असर पांच दक्षिण भारतीय राज्यों में हिंदी की अधिक उपस्थिति पर पड़ा है. तमिलनाडु में 2001 से 2011 के दौरान हिंदी बोलने वालों का अनुपात करीब दोगुना हो चुका था. उत्तर भारत की पट्टी में उर्दू भाषा का दायरा सिकुड़ा है. इसकी एक प्रमुख वजह ये बताई जाती है कि उर्दूभाषी समुदाय की नई पीढ़ी शिक्षा-दीक्षा में हिंदी का रुख कर रही है. क्या ये भी भाषायी वर्चस्व का उदाहरण नहीं है?
हिंदी का एक विशाल बाजार भी बना है. अखबार, पत्रिकाएं, शैक्षणिक साहित्यिक किताबें, साहित्य, सिनेमा, टीवी और ऑनलाइन- हिंदी सर्वत्र उपस्थित है. जनसंचार माध्यमों की वो एक प्रमुख भाषा है, कमोबेश सभी उद्योगों और व्यापारिक गतिविधियों में हिंदी का बोलबाला है. एक ओर उसका ये सफल साम्राज्य है तो दूसरी ओर हिंदीप्रेमियों की कुछ चिंताएं भी ध्यान खींचती हैं. मिसाल के लिए सुप्रसिद्ध जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर हिंदी दिवस के लिए कुलपति महोदय की अपील देखी जा सकती है जो कुछ इन शब्दों के साथ खत्म होती है, "मुझे पूरा यकीन, विश्वास एवं भरोसा है कि हमारे सम्मिल्लित एवं सार्थक प्रयासों से राजभाषा हिंदी को वह मुकाम मिलेगा जिसकी वह हकदार है.” भाषा के प्रति यह ‘अनुराग' गौरतलब है लेकिन ये प्रश्न भी स्वाभाविक रूप से बनता है कि आखिर राजभाषा हो जाने के बाद भी हिंदी को कौनसा मुकाम और कौनसा हक मिलना बाकी रह गया है? उसकी महिमा और ताकत में तो निरंतर वृद्धि हो ही रही है. जाहिर है इस सवाल में ही हिंदी दिवस से जुड़े अंतर्विरोधों और समस्याओं को समझने का रास्ता खुल सकता है.
किसकी भाषा बोलते हैं रोबोट
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भाषा, भूगोल और संस्कृति की विविधता वाले देश के गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी को थोपने की कोशिशें राजनीतिक और सामाजिक तनाव का कारण बनती रही हैं. खासतौर पर दक्षिण भारत के राज्य हिंदी के जरिए केंद्र की सरकारों पर विस्तारवाद का आरोप लगाते रहे हैं. इसी वर्ष मई में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसविदे में गैर हिंदीभाषी राज्यों के स्कूलों में हिंदी पढ़ाने का बिंदु भी रखा गया था. लेकिन जब फीडबैक लेने की एक्सरसाइज़ हुई तो उस दौरान भारी विरोध हुआ और सरकार को इसे हटाना पड़ा.
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अंग्रेजी में तड़का लगाने वाले भारतीय शब्द
ढाबा, कीमा और अरे यार जैसे शब्द अब अंग्रेजी में आम होने लगे हैं. एक नजर ग्लोबल हो चुके भारतीय शब्दों पर.
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जुगाड़ (Jugaad)
अंग्रेजी और जर्मन डिक्शनरियों के मुताबिक जुगाड़ या जुगार का मतलब है बहुत ही कम खर्चे में किसी समस्या का हल खोजने का मौलिक तरीका.
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अवतार (Avatar)
संस्कृत के इस शब्द को जेम्स कैमरन की फिल्म अवतार से खासी पहचान मिली. अब अवतार शब्द अंग्रेजी में भी शामिल हो चुका है.
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गुरु (Guru)
टीचर शब्द में वह भाव नहीं आता जो गुरु में आता है, यही वजह है कि इस शब्द ने भी अंग्रेजी में अपनी जगह बनाई. अंग्रेजी में भी गुरु का मतलब गुरु ही है.
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पंडित (Pundit)
भारत में पंडित शब्द भले ही जातिसूचक बन गया हो, लेकिन अंग्रेजी में पंडित का असली अर्थ बरकरार है. अंग्रेजी के शब्दकोश के मुताबिक किसी मामले के बढ़िया जानकार को पंडित कहा जाता है, जैसे क्रिकेट पंडित, राजनीतिक पंडित आदि.
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चाय (Chai)
भारत में पी जाने वाली चाय, टी बिल्कुल नहीं हैं. उसमें दूध, अदरक, मसाला और गजब का स्वाद भी होता है. इसीलिए चाय शब्द ने भी डिक्शनरी में जगह बनाई. आज दुनिया भर के कैफे में चाय लाटे भी बिकने लगी है.
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कर्मा (Karma)
संस्कृत का कर्म शब्द अंग्रेजी में कर्मा के रूप में ग्रहण किया गया. धीरे धीरे इस शब्द को दुनिया भर की भाषाओं ने अपनाया. आज ज्यादातर अहम भाषाओं में कर्मा शब्द इस्तेमाल होता है.
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मंत्रा (Mantra)
योग और कर्म की तरह मंत्र शब्द भी अंग्रेजी में थोड़ा बदल गया और मंत्रा बन गया. संस्कृत में मंत्र का अर्थ है ध्यान के लिए दोहराया जाने वाले सूत्र. अंग्रेजी में भी इसका मतलब यही है. लेकिन अब इसे खास फॉर्मूले के लिये भी इस्तेमाल किया जाता है, जैसे सफलता का मंत्र.
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पिजामाज (Pyjamas)
आरामदायक पैजामा पश्चिम में पिजामाज नाम से जाना जाता है. 1970 के दशक के हिप्पी आंदोलन ने इस दुनिया भर में मशहूर किया.
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ठग (Thug)
चोर, शातिर, धोखेबाज या चीटर शब्द में वो बात नहीं जो ठग में है. ठगना एक हुनर भी है. यही वजह है कि इस शब्द ने अंग्रेजी में अपनी जगह बनाई. इंटरनेट युग में तो ठग शब्द को बिंदास माना जाने लगा है.
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मोगल (Mogul)
भारत में शासन करने वाले मुगल साम्राज्य को अंग्रेजों ने मोगल्स कहा. धीरे धीरे यह शब्द अंग्रेजी की आम बोलचाल का हिस्सा बन गया. आज किसी भी क्षेत्र की दिग्गज हस्ती को मोगल कहा जाता है.
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निर्वाणा (Nirvana)
गौतम बुद्ध द्वारा दिया गया शब्द निर्वाण अंग्रेजी में निर्वाणा बन गया. अंग्रेजी भी इसका अर्थ वही है जो भारत में है, एक ऐसी अवस्था जहां जन्म, मृत्यु, सुख और दुख न हो.
अरे यार (Arre Yaar)
"अरे यार" शब्द ने ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में जगह बनाई है. अंग्रेजी में इसका मतलब है, अरे दोस्त या तुम मुझसे मजाक कर रहे हो क्या?
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चूरीदार (Churidar)
चूड़ीदार शब्द को अंग्रेजी में चूरीदार के रूप में लिया गया है. इसे 2015 में अंग्रेजी में शामिल किया गया.
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असल में, राजभाषा के रूप में ही हिंदी को नमन करते रहेंगे तो सांस्कृतिक हेजेमनी और पितृसत्तात्मकता से हिंदी को छुड़ा नहीं पाएंगें. राजभाषा के रूप में हिंदी किस रूप में सरकारी कार्यालयों, बैंकों, विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों में इस्तेमाल की जा रही है- सिर्फ इसी पर गौर किए जाने की जरूरत नहीं है. हाल के वर्षों में देखना चाहिए कि किस तरह टीवी जैसे जनसंचार माध्यमों में ये भाषा हाहाकार और गर्जना की तरह प्रस्तुत की जा रही है, किस तरह वो मॉब लिंचिंग की, नफरत, दंभ और द्वेष की भाषा भी बन रही है. हिंदी ही क्या दुनिया की कोई भी भाषा सिरफिरों, दंगाइयों और उपद्रवियों की भाषा नहीं हो सकती. सोचना चाहिए कि बुनियादी प्रश्नों और सरोकारों से मुंह मोड़कर एक ओर वर्तनी और व्याकरण के शुद्धतावाद का विंडबनापूर्ण अतिरेक है और भाषायी उत्सवधर्मिता है तो दूसरी ओर हिंदी पट्टी में अपराध, हिंसा, दबंगई, दुर्व्यवहार, सोशल मीडिया ट्रोलिंग और भ्रष्टाचार की भयानकता भी किसी से छिपी नहीं है. हिंदी को ऐसा किसने बनाया.
11 साल का टीचर जिसे आती हैं चार भाषाएं
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हिंदी में विद्वता की श्रेष्ठता ग्रंथि के साथ साथ जाति और वर्ग की श्रेष्ठता भी एक प्रमुख मुद्दा रहा है. भाषा के आग्रह से ज्यादा जब भाषा का आतंक हो, किताबों से ज्यादा विवादों की चर्चा, लेखकों से ज्यादा सेलेब्रिटीज की धमक, कला की जगह सनसनी, शब्द भीड़ में गुम होने लगें और भीड़ भटकावों में या सेल्फियों में तो ऐसी भाषा की और उसके आयोजनों की राजनीतिक सांस्कृतिक दिशा समझी जा सकती है.
प्रसिद्ध हिंदी कवि रघुबीर सहाय की एक कविता चार पंक्तियों में बहुत कुछ कह जाती है- पुरस्कारोंकेनामहिन्दीमेंहैं/ हथियारोंकेअंग्रेज़ीमें/ युद्धकीभाषाअंग्रेज़ीहै/ विजयकीहिन्दी. इसीलिए हिंदी दिवस की बधाई लेते और देते हुए यह भी याद रखना चाहिए कि शक्ति के उन्माद वाली हिंदी नहीं, एक सौम्य, सहज और सबके प्रति दया, प्रेम और करुणा रखने वाली भाषा ही आखिरकार हमारे काम आ सकती है. जाहिर है ये जिम्मेदारी भाषा को बरतने वाले हमी लोगों पर आती है.