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क्या वायु प्रदूषण से बढ़ता है हार्ट अटैक का खतरा?

२९ जनवरी २०२०

वायु प्रदूषण के कारण सेहत पर होने वाले बुरे प्रभावों पर दुनिया भर में वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं. एक शोध से पता चला है कि प्रदूषण के अति सूक्ष्म कण से दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है.

Sarajevo Belgrad Luftverschmutzung Demonstration
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Jordamovic

वायु प्रदूषण और तरह-तरह की बीमारियों के बीच एक साफ संबंध है, खास तौर पर अतिसंवेदनशील बच्चों के लिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक प्रदूषण के कारण दुनिया भर में एक तिहाई मौतें होती है, जिसमें हार्ट अटैक, लंग कैंसर और दिल की बीमारी शामिल है. वायु प्रदूषण के अति सूक्ष्म कण शोधकर्ताओं के लिए खासतौर पर रूचि का विषय है, इस साक्ष्य के साथ कि वह प्रदूषण के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं, विशेष रूप से सांस लेने के संबंध में.

इसका कारण है उनका बहुत छोटा आकार, उनके द्रव्यमान के सापेक्ष में बड़ी सतह वाला क्षेत्र होना और रक्तप्रवाह में प्रवेश करने की उनकी क्षमता. शहरी क्षेत्रों में कारों और अन्य गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ प्रमुख तौर पर वातावरण में अति सूक्ष्म कणों का मुख्य स्रोत है. उद्योग, धंधों और गाड़ियों से निकलने वाला धुंआं और चिमनियां, सब मिलकर हवा में बहुत सारे अति सूक्ष्म कण छोड़ रहे हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन काफी समय से चेतावनी देता आया है कि सूक्ष्म पर्टिकुलेट कण, ओजोन, नाइट्रोजन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड लोगों की सेहत के लिए बहुत खतरनाक हैं. पिछले सालों में डब्ल्यूएचओ ने बार-बार कहा है कि इन हानिकारक पदार्थों के लिए एक सीमा तय करनी चाहिए, नहीं तो बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को बहुत नुकसान पहुंचेगा.

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ही दुनियाभर के कई शहर में गाड़ियों की संख्या में कटौती करने की कोशिशें हो रही हैं. एनवायरनमेंट इंटरनेशनल नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, यह ना केवल वायु प्रदूषण को कम करता है बल्कि ध्वनि प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों को भी कम करता है और इससे यात्रा के अन्य विकल्पों को भी बढ़ावा मिलता है जिसमें पैदल चलना और साइकिल चलाना शामिल है.

इस शोध में वैज्ञानिकों ने विशेष रूप से हृदय के स्वास्थ्य पर अति सूक्ष्म कणों के प्रभावों को देखा. हालांकि शोधकर्ताओं को संदेह था कि हृदय स्वास्थ्य और अति सूक्ष्म कणों के बीच एक संबंध है लेकिन इस शोध के पहले वैज्ञानिक इसे स्पष्ट रूप से प्रदर्शित नहीं कर पाए थे. इस शोध के लेखक और कनेक्टिकट में स्थित येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के असिस्टेंट प्रोफेसर काय चेन के मुताबिक, "यह शोध उस चीज की पुष्टि करता है जो लंबे समय से संदिग्ध थी. वायु प्रदूषण के सबसे छोटे कण गंभीर हृदय रोग में भूमिका निभा सकते हैं. यह सच है वायु प्रदूषण के छोटे कण के संपर्क में आने से ऐसा संभव है. अति सूक्ष्म कण का ऊंचा स्तर एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है.”

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Lalit

जर्मनी के म्यूनिख में स्थित हेल्महोल्त्ज में महामारी विज्ञान संस्था की निदेशक और शोध की सह लेखक एनेटे पेटर के मुताबिक, "1990 के दशक में महामारी विज्ञान के अध्ययन में अस्थमा के रोगियों पर अति सूक्ष्म कण के प्रभावों को प्रदर्शित करने वाली हमारी पहली संस्था थी. उसके बाद से 200 के करीब अध्ययन प्रकाशित किए जा चुके हैं. हालांकि, महामारी विज्ञान के प्रमाण असंगत और अक्षम हैं, जो कारण संबंध बताने के लिए अपर्याप्त हैं.”

शोधकर्ताओं का मानना है कि पिछले कुछ निष्कर्षों में असंगति इसलिए है क्योंकि कई अलग-अलग तरीकों से वैज्ञानिकों ने अति सूक्ष्म कणों का मापा है. उदाहरण के लिए अलग-अलग समूह अति सूक्ष्म कण के आकार या क्षेत्रफल या उनकी मात्रा पर शोध करते हैं जबकि अति सूक्ष्म कण को परिभाषित करने के तरीके पर भी परिणाम बदल सकते हैं.

एए/आरपी (रॉयटर्स)

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