यूरोप में सीरिया और इराक से शरणार्थियों के आने के बाद से माहौल बदला है, तो अमेरिका में अश्वेत लोगों के साथ दुर्व्यवहार होता रहा है. अब ऑस्ट्रेलिया का एक वीडियो सामने आया है जो विदेशियों के प्रति दुर्भावना को दर्शाता है.
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इस वीडियो को ब्रिस्बेन के एक बस स्टॉप पर फोन से शूट किया गया है और इंटरनेट में इसे खूब शेयर किया जा रहा है. वीडियो में एक युवा को किसी महिला से बात करते हुए सुना जा सकता है. महिला का कहना है कि क्योंकि युवक "विदेशी" है, उसे ऑस्ट्रेलिया छोड़ कर चले जाना चाहिए. वहीं युवक उसे समझाने की कोशिश में लगा है कि वह ऑस्ट्रेलिया में ही पैदा हुआ है और वहीं का नागरिक है.
वह महिला को यह भी बताता है कि जब विदेशी देश में रहने आते हैं, तो वहां की अर्थव्यवस्था को भी उससे फायदा होता है. लेकिन महिला यह सुनने को तैयार ही नहीं. उसका मानना है कि विदेशी जो भी कमाते हैं, उसे बस खुद पर खर्चते हैं और अपने देश ले जाते हैं.
यह वीडियो एक उदाहरण है उस मानसिकता का जो दुनिया भर के देशों के लिए समस्या बनती जा रही है. यूरोप हो, अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया, हर जगह विदेशियों के प्रति हीन भावना बढ़ रही है, उग्रदक्षिणपंथ को बढ़ावा मिल रहा है. अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप को भी कई बार विदेशियों के खिलाफ भाषण देते सुना गया है.
एक सहमी बच्ची की स्केचबुक
सीरियाई गृहयुद्ध के चलते अपने घरों से भागने को मजबूर हुए कई लोगों का जीवन त्रासदी का पर्याय बन गया है. छोटे-छोटे बच्चों को भी इस सब से गुजरना पड़ा है. इस स्केचबुक में एक सीरियाई बच्ची ने इन्हीं अनुभवों को उकेरा है.
तस्वीर: DW/M.Karakoulaki
घर की तबाही
इस चित्र में लाल शब्दों में लिखा है, ''यह सीरिया है. मौत का भूत. सीरिया से खून बह रहा है.'' चित्र में घरों पर बम बरसाते टैंक हैं, जेट और हेलिकॉप्टर हैं. बच्ची एक कब्र के सामने खड़ी हो शहर की तरफ इशारा कर रही है.
तस्वीर: DW/M.Karakoulaki
मौत और निराशा
दूसरे चित्र में बच्ची ने लिखा, ''ये मेरे पिता, मां और मेरे परिवार की कब्र है. ये कब्र है सीरिया के सारे परिवारों की.'' हालांकि इस बच्ची के मां बाप इसके साथ कैंप में हैं लेकिन उसने कई दूसरे लोगों और बच्चों को परिवार से बिछड़ते देखा है.
तस्वीर: DW/M.Karakoulaki
बच्चे मर रहे हैं
इस चित्र में एजियन समुद्र पार कर ग्रीस आने की कोशिश में मारे गए बच्चे आयलान कुर्दी को दर्शाया गया है. इस मौत ने दुनियाभर में संदेश दिया था कि शरणार्थी संकट कितना भयावह है.
तस्वीर: DW/M.Karakoulaki
वास्तविक त्रासदी
हजारों लोग समुद्री लहरों में समा गए. हजारों बच्चों ने अपना परिवार खो दिया. ये एक खतरनाक यात्रा है. लेकिन युद्धग्रस्त सीरिया से लोग जिंदगी बचाने के लिए भागने को मजबूर हैं.
तस्वीर: DW/M.Karakoulaki
उथल पुथल जिंदगी
बच्ची ने इस चित्र में लिखा, ''बच्चों की सारी उम्मीदें, सारे सपने कचरे के डब्बे में जा चुके हैं.'' इनमें से कई बच्चों को उम्मीद है कि वे अपने पिता से मिलेंगे जो उनसे पहले या बाद में सीमा पार कर पाए. उन्हें उम्मीद है फिर से परिवार पाने की.
तस्वीर: DW/M.Karakoulaki
खो गए सपने
''बच्चों की यूरोप से उम्मीदें भी खो गई हैं.'' बच्ची अपने अगले चित्र में जोड़ती है. अस्थाई शिविरों में कई बच्चे यूरोप में एक सुकून की जिंदगी बिताने के सपने देख रहे हैं लेकिन अभी कुछ भी तय नहीं.
तस्वीर: DW/M.Karakoulaki
बुरे हालात में
इस चित्र में बच्ची ने एक शरणार्थी शिविर में लोगों की एक बैठक दिखाई है. ग्रीक में मौजूद यह शिविर सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है मगर यह स्थायी नहीं है और ना ही आधिकारिक है. यहां का जीवन बहुत कठिन है. बच्ची ने इसे नाम दिया,, ''एक बैठक बुरे हालात में.''
तस्वीर: DW/M.Karakoulaki
कैंप एक कब्रगाह
जब से इस संकट की शुरूआत हुई है इससे जूझ रहे और इसे करीब से देख रहे लोगों का कहना है कि यूरोप इस संकट से गलत ढंग से निपट रहा है. और यह बात एक दिन इतिहास की किताबों में दर्ज की जाएगी.
तस्वीर: DW/M.Karakoulaki
कैंप की भूख
अधिकतर शरणार्थियों ने सीमा पार करने के लिए वो सबकुछ बेच दिया. इस अस्थायी शिविर में होने का मतलब ही यह है कि उनके पास कुछ नहीं है. कोई विकल्प नहीं. इस चित्र में एक महिला अपनी बेचारगी पर रो रही है और एक पुरूष अपनी खाली जेब दिखा रहा है.
तस्वीर: DW/M.Karakoulaki
ये बच्चे, बच्चे होना चाहते हैं
यह 10 साल की बच्ची उन बच्चों में से एक है जिन्होंने छोटी सी उम्र में दहला देने वाले अनुभव झेले हैं. डॉक्टर्स विदाउट बोर्डर्स की मनोचिकित्सक एगेला बोलेत्सी कहती हैं ''ये बच्चे सामान्य जीवन की तलाश में हैं. वे महसूस करना चाहते हैं कि वे बच्चे हैं.''