क्या सेक्स में इंसानों से बेहतर हैं रोबोट?
२५ सितम्बर २०१८जापान में कुछ कंपनियां इतनी असली सी लगने वाली सेक्स डॉल बनाती हैं कि कई जापानी पुरुष अब केवल उन्हें खरीद कर इस्तेमाल ही नहीं कर रहे बल्कि उनके प्यार में पड़ रहे हैं.
सिलिकॉन की गुड़िया के प्यार में पड़े जापानी
जापान में कुछ कंपनियां इतनी असली सी लगने वाली सेक्स डॉल बनाती हैं कि कई जापानी पुरुष अब केवल उन्हें खरीद कर इस्तेमाल ही नहीं कर रहे बल्कि उनके प्यार में पड़ रहे हैं. देखिए सिलिकॉन डॉल के साथ जीने मरने की कसमें खाते लोग.
टोक्यो में रहने वाले 45 साल के मासायुकी ओजाकी पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं. अपनी शादी में खुशी ना पाने के बाद उन्होंने अपनी रोमांटिक चाहतों को पूरा करने के लिए एक अनोखा रास्ता चुना. वे एक सिलिकॉन की बनी सेक्स डॉल को घर लाये, जिसे अब अपने जीवन का सबसे बड़ा प्यार बताते हैं.
उनका प्यार यानि मायु, कद काठी में एक जीती जागती महिला के बराबर ही है. मायु के साथ ओजाकी वैसे ही एक ही छत के नीचे रहते हैं जैसे कोई आम व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रहता है. लेकिन अंतर यह है कि इसी छत के नीचे उनकी असल पत्नी और एक टीनएज बेटी भी रहती है.
जाहिर है कि एक परिवार में ऐसे हालात आम तौर पर नहीं बनते और ओजाकी का उनकी पत्नी से इसको लेकर खूब झगड़ा भी हुआ. लेकिन बाद में पत्नी ने स्थिति से समझौता कर लिया. ओजाकी का कहना है कि बच्ची के जन्म के बाद से उनके और पत्नी के बीच शारीरिक संबंध नहीं रहे और वे बेहद अकेला महसूस करने लगे थे.
ओजाकी मानते हैं कि उन्हें इंसानों के साथ संबंध बहुत जटिल लगते हैं, खासकर महिलाओं के साथ. उनका कहना है कि उनकी मायु दूसरी महिलाओं की तरह नहीं है और शाम को काम से वापस आने पर इत्मीनान से उन्हें सुनती है. ओजाकी जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी उसी के साथ दफनाया जाना चाहते हैं.
ऐसे विशेष टॉय बेचने वाली एक दुकान में मायु को देखते ही ओजाकी उसके प्यार में पड़ गये. आज अपने साथ सिलिकॉन डॉल को घर में रखने के अलावा वे उसे लेकर बाहर घूमने जाते हैं, उसके लिए नये नये कपड़े और गहने खरीदते हैं और खुद उसे सजाते संवारते भी हैं. जापान में ओजाकी जैसे पुरुषों की तादाद बढ़ रही है.
जापान में हर साल ऐसी 2,000 से भी अधिक डॉल्स बिक रही हैं. इनकी कीमत 6,000 डॉलर के आसपास है और यूजर उनका सिर, बाल, उंगलियां और अन्य अंग भी हिला डुला सकता है. डॉल मेकर कंपनी ओरिएंट इंडस्ट्री के प्रमुख हिडियो सूचिया बताते हैं कि 1970 के दशक की मामूली डॉल से सेक्स डॉल की तकनीक बहुत आगे आ चुकी है.
आजकल की सिलिकॉन डॉल देखने और छूने में असली सी लगती हैं और ज्यादा से ज्यादा पुरुष इन्हें खरीद रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे इन डॉल्स से संवाद भी स्थापित कर सकते हैं. ऐसी गुड़िया अब तक विकलांग और विधुर लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय हुआ करती थी लेकिन अब इनका दायरा बढ़ा है. आरपी/एमजे(एएफपी)