क्या सेक्स से पहले करार करा लेना चाहते हैं नारीवादी?
१३ जनवरी २०१८
मी टू अभियान के आलोचकों में शामिल एक फ्रेंच लेखिक का दावा है कि महिलावादी तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक कि "सेक्स करने से पहले वकील के साथ एक करार पर दस्तखत होना जरूरी ना हो जाए."
विज्ञापन
कैथरीन मिलेट बहुचर्चित संस्मरण द सेक्सुअल लाइफ ऑफ कैथरीन एम की लेखिका हैं. उनका दावा है कि यौन शोषण के खिलाफ शुरू हुआ अभियान जरूरत से ज्यादा आगे निकल गया है.
कला समीक्षक कैथरीन उस विवादित खुले पत्र के पीछे भी हैं जिस पर फिल्म स्टार कैथरीन डेनेवू समेत 100 से ज्यादा फ्रेंच महिलाओं ने दस्तखत किये हैं. इन लोगों का दावा है कि हॉलीवुड मुगल हार्वे वाइनस्टीन का मामला सामने आने के बाद "विशुद्धतावाद की लहर" चल पड़ी है. उन्होंने इसकी कड़ी निंदा की है.
(इन अभिनेत्रियों ने लगाए वाइनस्टीन पर आरोप)
हार्वे वाइनस्टीन पर आरोप लगाने वाली महिलाएं
न्यूयॉर्क की अदालत ने हॉलीवुड के मशहूर प्रोड्यूसर हार्वे वाइनस्टीन को 23 साल जेल की सजा सुनाई. वाइनस्टीन पर बलात्कार और यौन हमलों के दोष सिद्ध हुए. मीटू आंदोलन शुरू ही वाइनस्टीन से हुआ.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Rousseau
ग्वेनेथ पाल्ट्रोव
एमा फिल्म की कास्टिंग के दौरान वाइनस्टीन ने ग्वेनेथ पाल्ट्रोव को मुलाकात के लिए बुलाया. ऑस्कर विजेता अभिनेत्री पाल्ट्रोव के मुताबिक मुलाकात के दौरान वाइनस्टीन ने उन पर हाथ रखा और कहा, "मसाज के लिए बेडरूम में जाना" चाहिए. पाल्ट्रोव के मुताबिक उस वक्त, "मैं बच्ची थी और मैं स्तब्ध रह गयी."
तस्वीर: Getty Images/F. Harrison
एंजेलिना जोली
न्यू यॉर्क टाइम्स से बातचीत में एंजेलिना जोली ने कहा, "जवानी के दिनों में हार्वे वाइनस्टीन के साथ मेरा अनुभव बुरा रहा और उसका नतीजा यह निकला कि मैंने उनके साथ आगे कभी काम न करने का फैसला किया. मैंने औरों को भी आगाह किया."
तस्वीर: Getty Images/J. Merritt
केट बेकिंस्ले
केट बेकिंस्ले का आरोप है कि वाइनस्टीन ने एक फिल्म के बहाने उन्हें होटल के कमरे में बुलाया और फिर उनके सामने अपना गाउन खोल दिया.
तस्वीर: AP
हीथर ग्रैहम
हीथर ग्रैहम को हार्वे वाइनस्टीन ने अपने दफ्तर में बुलाया और कहा, "जब मैं दूसरे शहर में होता हूं तो मैं किसी भी दूसरी महिला के साथ सो सकता हूं. मेरी पत्नी को इससे कोई परेशानी नहीं हैं." उनके यह शब्द सुनकर हीथर ग्रैहम असहज हो गयीं और वहां से निकल गयीं.
तस्वीर: AP
एश्ले जूड
एश्ले जूड के मुताबिक 20 साल पहले वाइनश्टीन ने उन्हें नाश्ते पर मुलाकात के लिए बुलाया. और बहाने के जरिये होटल के कमरे तक ले गये. और फिर उनसे जबरदस्ती करने की कोशिश की.
तस्वीर: Getty Images/V.Gurgah
कारा डेलेविग्ने
एक्ट्रेस और मॉडल कारा डेलेविग्ने ने ट्विटर पर कहा, "मीटिंग के बाद उन्होंने मुझे बात करने के लिए रोका. बाकी सब जा चुके थे. जब हम ही दोनों बचे तो उन्होंने कहा कि उनके साथ कितनी अभिनेत्रियां सोयी हैं और उन्होंने उनका करियर कैसे बनाया."
तस्वीर: Wilson/Getty Images
लेया सेडॉ
फ्रांसीसी अभिनेत्री लेया सेडॉ ने ब्रिटिश अखबार द गार्डियन में लिखा, "हम सोफे में बैठकर बात कर रहे थे, तभी वह मेरे ऊपर झपट गये और किस करने की कोशिश करने लगे. मुझे बहुत जोर लगाकर उन्हें रोकना पड़ा. और मैं कमरे से निकल गयी."
तस्वीर: Tsuji/Getty Images
एशिया अर्जेंटो
इटैलियन अभिनेत्री और डायरेक्टर वाइनस्टीन की कंपनी के साथ काम कर रही थी. एशिया के मुताबिक, काम के दौरान वाइनश्टाइन ने उनसे बलात्कार किया.
तस्वीर: picture alliance / landov
कई और मामले
सोफी डिक्स, रोजाना आरक्वेट, मीरा सोरविनो, जोए ब्रोक, आम्ब्रा बेटिलाना, रोमोला गैराई, कैथरीन कैंडल, रोज मैकगवन, एमा डे काउंस, लॉरेन सिवान, डॉन डनिंग, लिजा कैम्बेल और टॉमी ऐन रॉबर्ट्स समेत कई और महिलाओं ने भी वाइनस्टीन पर बलात्कार या बलात्कार की कोशिश के आरोप लगाये हैं.
इस पत्र ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा हंगामा किया. फ्रांस और दूसरी जगहों के नारीवादियों ने इस पत्र पर दस्तखत करने वालों की जम कर आलोचना की. उन्हें पुरुषों की महिलाओं को तंग करने और उन पर "हमला" करने की आजादी का रक्षक बताया है.
फ्रांस के सरकारी रेडियो पर बात करते हुए मिलेट ने कहा, "हमलोग मूर्ख नहीं हैं. बलात्कार और यौन हिंसा को अपराधिक मानना चाहिए लेकिन हम छोटी मोटी हरकतें, गंदे शब्द या अशोभनीय व्यवहार पर पाबंदी नहीं लगा सकते. यह पागलपन है, हम लोग अब इश्कबाजी पर रोक लगा रहे हैं."
सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने इस पत्र की आलोचना की. पत्र में यह भी लिखा गया था कि सार्वजनिक परिवहन में अगर महिला के साथ छेड़छाड़ होती है तो महिलाओँ को उससे खुद ही निपटना चाहिए. इसमें किसी पुरुष को किसी महिला के घुटने छूने या फिर चुंबन की कोशिश के लिए उसकी नौकरी लेने पर भी नाराजगी जताई गई है.
मिलेट का कहना है कि #मीटू सोशल मीडिया अभियान के बाद बहुत सी महिलाएं डर गई है. इस अभियान ने ऐसा माहौल बना दिया है जिसमें हर कोई एक दूसरे की पड़ताल कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पत्र पर कई पीड़ितों ने भी दस्तखत किये हैं. इनमें सामंथा गीमर भी हैं जिनके साथ रोमान पोलांस्की ने 13 साल की उम्र में बलात्कार किया था.
क्यों होते हैं बलात्कार?
भारत में रोजाना औसतन 92 महिलाओं का बलात्कार होता है. जब भी किसी महिला के साथ यह जघन्य अपराध होता है, कभी सवाल उसके कपड़ों तो कभी देर रात घर से बाहर रहने पर उठाए जाते हैं. क्या महिलाओं पर बंदिशें लगाना ही है उपाय?
तस्वीर: Fotolia/Miriam Dörr
तन ढकने की जरूरत
मानव सभ्यता की शुरुआत से ही मौसम की मार से बचने के लिए शरीर को ढकने की जरूरत महसूस की गई. बीतते समय के साथ जानवरों की छाल पहनने से लेकर आज इतने तरह के कपड़े मौजूद हैं. जीवनशैली के आसान होने के साथ साथ कपड़ों के ढंग भी बदले हैं और अब यह अवसर, माहौल, पसंद और फैशन के हिसाब से पहने जाते हैं. फिर पूरे बदन को ढकने वाले कपड़ों पर जोर क्यों?
तस्वीर: Fotolia/Peter Atkins
अंग प्रदर्शन यानि बलात्कारियों को न्यौता
भारत में बलात्कार के ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पीड़िता ने सलवार कमीज और साड़ी जैसे भारतीय कपड़े पहने हुए थे. उनपर हमला करने वाले पुरुषों ने अपनी सेक्स की भूख के कारण संतुलन खो दिया. ऑनर किलिंग के कई मामलों में किसी महिला को सबक सिखाने के मकसद से उस पर जबरन यौन हिंसा की गई और फिर जान से मार डाला गया. इन सबके बीच कपड़ों पर तो किसी का ध्यान नहीं गया.
तस्वीर: DW/K. Keppner
कानून का डर नहीं
संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में एशिया प्रशांत क्षेत्र में किए अपने सर्वे में पाया गया कि सर्वे में शामिल हर चार में एक पुरुष ने अपने जीवन में कम से कम एक बार किसी महिला का बलात्कार किया है. इनमें से 72 से लेकर 97 फीसदी मामलों में इन पुरुषों को किसी कानूनी कार्यवाई का सामना नहीं करना पड़ा था.
तस्वीर: DW/P.M. Tewari
मनोरंजन का साधन हैं यौन अपराध
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ इतने ज्यादा यौन अपराधों का कारण प्रदेश की पुलिस ने वहां मोबाइल फोनों के बढ़ते इस्तेमाल, पश्चिमी देशों के बुरे असर और छोटे कपड़ों को ठहराया. लोगों को सुरक्षा देने की अपनी जिम्मेदारी में पूरी तरह विफल पुलिस का कहना है कि मनोरंजन के बहुत कम साधन होने के कारण पुरुष यौन अपराधों को अंजाम देने लगते हैं.
तस्वीर: Indranil Mukherjee/AFP/Getty Images
महिलाओं से मिल रही है चुनौती
सड़कों, ऑफिसों या किसी सार्वजनिक स्थान पर कई बार महिलाओं के कपड़े नहीं बल्कि उनके चेहरे से झलकता आत्मविश्वास, स्वच्छंद रवैया और अब तक पुरुषों के कब्जे में रहे कई क्षेत्रों में उनकी पहुंच कई पुरुषों को बौखला रही है. सदियों से स्थापित पुरुषसत्तात्मक समाज के समर्थक ऐसी औरतों को सामाजिक संतुलन को बिगाड़ने का जिम्मेदार मानते हैं और यौन हिंसा कर उन्हें समाज में उनकी सही जगह दिखाने की कोशिश करते हैं.
तस्वीर: UNI
महिलाओं को ज्यादा बड़ा खतरा किससे
दुनिया के सबसे युवा देश में आज बलात्कार महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे बड़ा अपराध बन चुका है. नेशनल क्राइम ब्यूरो की 2013 रिपोर्ट बताती है कि साल दर साल दर्ज होने वाले इन करीब 98 फीसदी मामलों में बलात्कारी पीड़ित का जानने वाला था. ज्यादातर मामले जो प्रकाश में आते हैं वे सार्वजनिक जगहों पर अनजान लोगों द्वारा किए गए होते हैं जिस कारण इस सच्चाई पर ध्यान नहीं जाता.
तस्वीर: picture-alliance/AP
एक कदम आगे, दो कदम पीछे
एक ओर पहले के मुकाबले ज्यादा लड़कियां पढ़लिख रही हैं और कार्यक्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. दूसरी ओर इस कारण वे शादी और बच्चे देर से पैदा कर रही हैं. भारत में शादी के पहले शारीरिक संबंध बनाने के मामले समाज के लिए असहनीय और खतरा बताए जाते हैं. इस कारण बहुत से युवा पुरुष को अपनी यौन इच्छा पूरी करने का कोई स्वस्थ तरीका नहीं मिलता और कई बार यही यौन हिंसा का कारण बनता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हिंसा का चक्र गर्भ से ही शुरु
भारत में अजन्मे बच्चे की लिंग जांच कर मादा भ्रूण को गर्भ में ही मार देने की घटनाएं आम हैं. जो लड़कियां जन्म ले पाती हैं वे संख्या में इतनी कम हैं कि समाज का संतुलन बिगड़ गया है. स्त्री-पुरुष अनुपात के मामले में भारत 1970 से भी नीचे आ गया है. इसके अलावा बाल विवाह, कम उम्र में मां बनना, प्रसव से जुड़ी मौतें और घरेलू हिंसा के लिए भी क्या छोटे कपड़ों को ही जिम्मेदार मानेंगे.
तस्वीर: UNI
8 तस्वीरें1 | 8
सामंथा का भी मानना है कि अभियान बहुत आगे चला गया है. सामंथा ने कहा है कि वो डेनेवू और इस पत्र पर दस्तखत करने वाले दूसरे लोगों से "पूरी तरह सहमत" हैं. सामंथा ने ट्वीट किया, "महिलाओं को बराबरी, सम्मान और सेक्स की आजादी की जरूरत है." हवाई में रहने वाली सामंथा पेशे से लेखिका है. उनका कहना है, "हम यह सब खुद और एक दूसरे के लिए खड़े हो कर हासिल कर सकते हैं. इसके लिए किसी से कहने की जरूरत नहीं है और ना ही यह तय करने की कि महिलाओं को किस चीज की 'अनुमति' है."
सामंथा चाहती हैं कि पोलंस्की के खिलाफ आरोप हटा दिए जाएं ताकि वह अपनी जिंदगी के साथ आगे बढ़ सकें. उन्होंने यह भी कहा कि मी टू का इस्तेमाल महिलाओं के लिए होने की बजाय पुरुषों के खिलाफ हो रहा है. पीड़ितों को ताकत और संभालने की बजाय ग्लैमराइज किया जा रहा है.
मिलेट फ्रांस में यौन शोषण के खिलाफ नए सख्त कानून के खिलाफ हैं. इसकी बजाय उनका कहना है कि सभी महिलाओं को उन पुरुषों के खिलाफ चिखना चिल्लाना चाहिए जो पेरिस की मेट्रो में उन्हें छूने की कोशिश करते हैं. मिलेट ने कहा, "मैं जब जवान थी तब यह मेरे साथ भी हुआ. अब तो मेरी उतनी उम्र नहीं रही लेकिन मैं ऐसा करने वालों पर चीखूंगी और अगले मिनट इसे भूल जाउंगी."
मिलेट का मानना है, "नारीवादियों को महिलाओं को ताकतवर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, अपने आप को जीवनभर के लिए चोट मत पहुंचाइये. यह आपकी गलती नहीं है."