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क्या हुआ मलेशियाई विमान एमएच17 का

केर्सटेन क्निप/एमजे१७ जुलाई २०१५

एक साल पहले मलेशिया एयरलाइंस का एक विमान यूक्रेन में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. 298 यात्री मारे गए थे. आज भी दुर्घटना के कारणों का ठीक से पता नहीं है, शक यूक्रेनी विद्रोहियों पर है. मामले से जुड़े सवाल और उनके जवाब.

तस्वीर: Reuters/Maxim Zmeyev

मलेशिया एयरलाइंस का बोइंग एमएच 17 यात्री विमान 17 जुलाई 2014 को एम्स्टरडम से कुआलालम्पुर जा रहा था. उड़ान के रास्ते को यूरोकंट्रोल और अंतरराष्ट्रीय विमानन संगठन ने उड़ान की अनुमति दे दी थी. यूक्रेनी समय के अनुसार 13 बजकर 20 मिनट पर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. विमान पर सभी 298 लोग मारे गए. उनमें से ज्यादातर नीदरलैंड के थे.

दुर्घटना की वजह

दुर्घटना के कारणों की जांच करने वाले नीदरलैंड के सुरक्षा अधिकारियों ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट में विमान के अगले हिस्से में नुकसान को इस बात का सबूत माना है कि बहुत सारे टुकड़े विमान के अंदर घुसे जिसकी वजह से वह टूट गया. रिपोर्ट में तकनीकी गड़बड़ी या पाइलट की गलती के संकेत नहीं हैं. अंतिम जांच रिपोर्ट अक्टूबर में जारी की जाएगी.

रॉकेट से टकराने की वजह से दुर्घटना का सिद्धांत कितना सही?

ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का यही मानना है. दुर्घटना के दिन ही संदेह व्यक्त किया गया कि बुक रॉकेट विमान से टकराया होगा. कॉकपिट और जहाज के बाहरी हिस्से में छेदों को इसका संकेत माना जा रहा है. अमेरिकी खुफिया एजेंटों का कहना है कि सेटेलाइट तस्वीरों ने भी रॉकेट छोड़े जाने के सबूत दिए हैं. सेन्य सूचना सेवा आईएचएस जेंस का भी कहना है कि विमान से बुक एम1 रॉकेट टकराया. दुर्घटनास्थल पर पाए गए धातु के टुकड़ों के भी बुक रॉकेट का टुकड़ा होने के संकेत हैं. सही माने जा रहे फोटो और वीडियो से भी संदेह होता है कि विमान पर रूस निर्मित रॉकेट से हमला हुआ था.

क्या उड़ान पथ जोखिम भरा था?

हां. एमएच17 के उड़ान का रास्ता पूर्वी यूक्रेन से होकर गुजरता था जहां यूक्रेनी सैनिकों और रूस समर्थक अलगाववादियों के बीच लड़ाई चल रही थी. कई अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं ने उस रास्ते का इस्तेमाल न करने का फैसला किया था.1 जुलाई को यूक्रेनी अधिकारियों ने देश के दक्षिणपूर्वी हिस्से में निचले हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध लगा दिया था. नागरिक विमान उस इलाके में अनुमति मिलने पर 8 किलोमीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर उड़ सकते थे. दूसरे एयरलाइंस के विपरीत मलेशिया एयरलाइंस ने उस रास्ते से उड़ान भरने का फैसला किया. लेकिन वह अकेला नहीं था. दुर्घटना से पहले उस रास्ते से 900 विमानों ने उड़ान भरी थी.

दुर्घटना के लिए कौन जिम्मेदार?

यह पूरी तरह तय नहीं है. यूक्रेन और पश्चिमी देशों को संदेह है कि रूस समर्थक विद्रोहियों ने रॉकेट से विमान को मार गिराया. मॉस्को ने इस दावे को नकार दिया है और वह यूक्रेन की सरकार को इसके लिए जिम्मेदार बताता है. लेकिन बहुत से संकेत इस बात के हैं कि विद्रोहियों ने रॉकेट छोड़ा. 18 जुलाई को यूक्रेन के गृह मंत्रालय ने दुर्घटना के एक दिन पहले की वीडियो जारी की जिसमें एक बुक रॉकेट सिस्टम दिखाया गया था. यूक्रेन का कहना था कि तस्वीर विद्रोहियों की थी. जर्मन खुफिया एजेंसी बीएनडी भी इस नतीजे पर पहुंची कि विमान को विद्रोहियों ने यूक्रेनी सेना से हड़पे गए बुक सिस्टम से मार गिराया. उस समय के वॉयस रिकॉर्डिंग से लग सकता है कि विद्रोहियों ने विमान को यूक्रेन का सैनिक विमान समझा.

क्या दुर्घटना के सबूत इकट्ठा किए जा सके?

हां. दुर्घटना के दिन ही फ्लाइट रिकॉर्डर मिल गया. चार दिन बाद यूक्रेनी विद्रोहियों ने इसे मलेशिया के अधिकारियों को सौंप दिया. इसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई थी. फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर की बाद में ब्रिटिश अधिकारियों ने जांच की और उसके नतीजे डच अधिकारियों को सौंप दिए गए.

यात्रियों के परिजनों ने कौन से कानूनी कदम उठाए?

विमान दुर्घटना के एक साल बाद उन्होंने एक विद्रोही नेता पर 82.6 करोड़ यूरो के हर्जाने का मुकदमा किया है. इसके लिए उन्होंने गैर अदालती हत्या से रक्षा से संबंधित एक अमेरिकी कानून का सहारा लिया गया है जिसमें विदेशियों को भी अभियुक्त बनाया जा सकता है. पीड़ितों के एक वकील का कहना है कि वित्तीय हर्जाने से ज्यादा महत्वपूर्ण सवालों का जवाब पाना है. इसके अलावा वे रूस पर दबाव भी डालना चाहते हैं.

पीड़ित परिजन किसे मानते हैं जिम्मेदार?

उन्होंने रूसी नागरिक इगोर गिरकिन पर मुकदमा किया है. वह गैरमान्यताप्राप्त डोनेत्स्क पीपुल्स रिपब्लिक के रक्षा मंत्री के रूप में सामने आया था. आरोपपत्र में कहा गया है कि उसने विद्रोही सेना को विमान पर हमले का आदेश दिया, मदद की या उसे संभव बनाया. आरोपपत्र के अनुसार विद्रोहियों को क्रेमलिन की सहमति थी.

मामले का अंतिम नतीजा कैसे निकलेगा?

मलेशिया ने दुर्घटना की जांच अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल से कराने की मांग की है. पिछले हफ्ते उसने इसके लिए सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें इसके लिए एक ट्रिब्यूनल बनाने की मांग की है. यदि अदालत के प्रयासों का विरोध होता है तो प्रतिबंध लगाकर उसकी मदद की जा सकती है. नीदरलैंड इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहा है.

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