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क्या हैं टायफ़ून, हरीकेन और साइक्लोन

११ अगस्त २००९

इस वक़्त एशिया में दो बड़े टायफ़ूनों ने क़हर मचा रखा है. मोराकोट नामक टायफून ताइवान के बाद अब चीन में कहर मचा रहा है तो जापान में एटाऊ 12 लोगों की जान ले चुका है. आख़िर क्या है टायफ़ून.

विनाशकारी तूफ़ानतस्वीर: AP

टायफ़ून, हरीकेन और साइक्लोन. ये तीनों ही भारी बारिश करने वाले चक्रवाती तूफ़ान हैं. लेकिन भूगोल के आधार पर ये तूफ़ान एक दूसरे से अलग होते है और इनके अपने-अपने इलाक़े होते हैं.

टायफ़ून:

टायफ़ून एक कम दबाव का ऐसा तूफ़ान है जो समंदर के गर्म इलाक़ों से उठता है. प्रारंभिक अवस्था में इसे सिर्फ़ तूफ़ान माना जाता है लेकिन जब इसकी भीतरी हवाओं की रफ़्तार 120 किलोमीटर प्रतिघंटा या फिर इससे ज़्यादा हो जाती है तो इसे टायफ़ून का नाम दे दिया जाता है. कई बार टायफ़ून की उच्चतम रफ़्तार 360 किलोमीटर प्रतिघंटा तक मापी गई है.

तस्वीर: AP

टायफ़ून पश्चिमी प्रशांत महासागर से उठता है और जापान, ताइवान, फिलीपींस या पूर्वी चीन की ओर बढ़ता है. इसकी आगे बढ़ने की गति 65 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. एशिया में आने वाला ये तूफान सामान्यतया जून से नवंबर के बीच में आता हैं लेकिन अगस्त-सितंबर में इनका सबसे ज़्यादा ख़तरा बना रहता है. टायफ़ून 900 किलोमीटर से ज़्यादा के इलाक़े पर असर डाल सकता है.

साइक्लोन:

साइक्लोन पश्चिमी प्रशांत महासागर और भारत के पास बंगाल के आस पास उठने वाला चक्रवाती तूफ़ान है. साइक्लोन भी समंदर में उस जगह से उठता है जहां पर तापमान अन्य जगहों के मुक़ाबले ज़्यादा होता है. उत्तरी ध्रुव के नज़दीक वाले इलाक़ों में साइक्लोन घड़ी चलने की उल्टी दिशा में आगे बढ़ता है. जबकि भारतीय उपमहाद्वीप के आस-पास साइक्लोन घड़ी चलने की दिशा में आगे बढ़ती है. साइक्लोन के भीतर हवाओं की रफ़्तार 140 किलोमीटर प्रतिघंटे तक हो सकती है और ये 25 से 35 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ़्तार से आगे बढ़ता है. साइक्लोन कम से कम एक हफ्ते तक रहता है. ये तूफ़ान 1600 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है.

तस्वीर: AP

हरीकेन:

अटलांटिक या पूर्वी प्रशांत महासागर से उठने वाले विनाशकारी तूफ़ान को हरीकेन कहा जाता है. हरीकेन हमेशा अमेरिका की तरफ़ ही बढ़ता है. इसकी हवाओं की गति 90 किलोमीटर प्रतिघंटा से 190 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होती है. इसकी वजह से अचानक तूफ़ान के साथ बारिश या फिर टोरनेडो कहलाने वाली चक्रवाती हवाएं चलती है.

लेकिन इन सब विनाशकारी तूफ़ानों में कई बातें समान भी है. ये तूफ़ान अपने साथ तेज़ हवाओं के साथ भारी बारिश लाते है. जिसकी वजह से अचानक बाढ़ आती है, मकान टूट जाते हैं और चट्टानें ख़िसक जाती है. सामान्यता ये सभी मई से लेकर नवंबर के बीच में आते है और गर्मी और नमी वाले इलाकों की तरफ़ बढ़ते हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एस गौड़

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