कांग्रेस समेत सात विपक्षी पार्टियों ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव दिया है. लेकिन इसका मतलब क्या है और इसके तहत होता क्या है?
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शुक्रवार को सात विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ इम्पीचमेंट यानि महाभियोग का प्रस्ताव उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सौंपा. इस प्रस्ताव पर 64 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. मुख्य न्यायाधीश पर पांच मामलों में अपने पद का गलत इस्तेमाल करने का आरोप है.
भारत में कभी किसी मुख्य न्यायाधीश पर महाभियोग नहीं चलाया गया है. संविधान के "जजिस इंक्वायरी एक्ट 1968" और "जजिस इंक्वायरी रूल्स 1969" के अनुसार दुराचार के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के जज और चीफ जस्टिस को पद से हटाया जा सकता है. संविधान की धारा 124(4) के अनुसार, "सुप्रीम कोर्ट के जज को तब तक उनके पद से नहीं हटाया जा सकता जब तक राष्ट्रपति की ओर से ऐसा आदेश नहीं आता. यह आदेश संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद और कम से कम दो तिहाई के बहुमत के बाद ही दिया जा सकता है."
1. जज को हटाने के लिए लोकसभा के 100 या फिर राज्यसभा के 50 सदस्यों को नोटिस पर हस्ताक्षर करने होंगे. इसे किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है.
2. सभापति इसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं.
3. यदि सभापति प्रस्ताव को स्वीकारते हैं, तो उन्हें तीन सदस्यों की एक समिति का गठन करना होगा. इसमें सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज, हाई कोर्ट के एक जज और एक कानूनी जानकार का शामिल होना जरूरी है, जो चीफ जस्टिस के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करें.
4. यदि समिति नोटिस का समर्थन करती है, तो उसे उसी सदन में चर्चा के लिए दोबारा भेजा जाता है, जहां सबसे पहली बार उसे पेश किया गया था. इसे पास करने के लिए कम से कम दो तिहाई मतों की जरूरत होती है.
5. एक सदन में पारित हो जाने के बाद इसे दूसरे सदन में भेजा जाता है. वहां भी इसे दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है.
6. दोनों सदनों में दो तिहाई मतों से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है और वे जज जा फिर चीफ जस्टिस को हटाने का अंतिम फैसला लेते हैं.
अजब गजब केस जो हार गए लोग
मामला कितना भी अजीब क्यों न हो, अदालत को उस पर गंभीरता से विचार करके फैसला देना है. जर्मन जजों के सामने ऐसे कई मामले आ चुके हैं.
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कॉपी करने के चक्कर में
एक साहब दफ्तर में फोटो कॉपी मशीन के पास खड़े थे. सोचा कॉपी करते करते अल्कोहल-फ्री बियर गटक ली जाए. लेकिन बियर की बोतल खुली तो झाग निकली और हड़बड़ा गए. कई दांत तुड़ा बैठे. इंश्योरेंस से पैसे मांगे. ड्रेसडेन की कोर्ट ने कहा, नहीं. खाना-पीना तो इंश्योरेंस के तहत नहीं आता. और फोटोकॉपी करने से आप थकते भी नहीं हैं कि पानी की प्यास लगी. लिहाजा, कुछ नहीं मिलेगा.
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फिसल गए
एक महिला ने घर में ही दफ्तर बना रखा था. वह पानी लेने के लिए उठीं तो फिसल गईं. मामला जर्मनी की नेशनल सोशल कोर्ट तक पहुंचा. कोर्ट ने कहा कि ऑफिस में खाने पीने के लिए जाते वक्त कुछ होने पर मुआवजा मिलना चाहिए. लेकिन ऑफिस तो घर में ही था. इसलिए महिला को खुद ही जिम्मेदार ठहराया गया.
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आइस क्रीम से हार्ट अटैक
एक साहब काम से घर लौट रहे थे, आइस क्रीम खाते हुए. ट्राम में घुसने लगे तो जल्दबाजी में एक पूरा बड़ा सा हिस्सा निगल गए. यह हिस्सा यूं का यूं चला गया नली में. और जो दर्द उठा. बाद में पता चला कि यह हार्ट अटैक था. मुआवजा नहीं दिया. कोर्ट पहुंचे. कोर्ट ने कहा, यह हादसा काम से नहीं जुड़ा था. आइस क्रीम मजे के लिए खाई जाती है.
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सेक्स में गड़बड़
एक सरकारी अफसर बिजनेस ट्रिप पर थीं. उस दौरान होटल में सेक्स करते हुए एक गड़बड़ हो गई. दीवार पर लगा बल्ब उखड़ा और उनके ऊपर आ गिरा. चोट भी लगी. महिला ने मुआवजा मांगा तो कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अफसर को उस वक्त सेक्स नहीं करना चाहिए था क्योंकि वह काम पर थीं.
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कूदने से पहले सोचें
एक ऑफिस में ट्रेनिंग चल रही थी. ब्रेक हुआ तो कॉलीग्स मस्ती करने लगे. एक 27 साल के युवक पर लोग पिचकारी से पानी फेंकने लगे. वह खिड़की से कूद गया. धड़ाम से गिरा. चोट लगी. लेकिन मुआवजा नहीं मिला. कोर्ट ने कहा, कूदना ही नहीं चाहिए था.
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काम पर सो गए
बार में काम करते हुए एक बंदी सो गई और नींद में कुर्सी से गिर गई. चोट लग गई. मुआवजा नहीं मिला. कोर्ट ने कहा कि वह काम की वजह से नहीं गिरी है इसलिए उसे मुआवजा नहीं मिल सकता.
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सोच समझ के लड़ो
एक साहब काम से इबित्सा गए थे. बीच पर क्लाइंट्स के साथ थोड़ी ज्यादा ही पी ली. बाउंसर्स से झगड़ा हो गया. दो-चार पड़ भी गए. अब उन्होंने कहा कि मैं तो काम से वहां गया था, मुआवजा दो. कोर्ट ने झाड़ा. कहा कि काम से गए थे तो दारू क्यों पी.
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गाय सोच-समझकर बचाएं
एक गाय अपनी ही जंजीर में फंस गई. उसका दम घुटने लगा. गाय के मालिक का भाई उसे बचाने आया तो उस पर एक और गाय ने पांव रख दिया. उसकी टांग टूट गई. कोर्ट ने मुआवजा खारिज कर दिया. कहा कि तुम उस वक्त किसी का काम नहीं कर रहे थे, इसलिए कुछ नहीं मिलेगा.