पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव करवाने का आदेश दिया है. भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है और उसे जल्द से जल्द इसे खाली कर देना चाहिए.
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भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव करवाने की निंदा की. विदेश मंत्रालय ने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत के अभिन्न अंग हैं और इन पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, इसलिए पाकिस्तान के पास यहां चुनाव करवाने का कोई अधिकार नहीं है.
30 अप्रैल को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी सरकार की याचिका पर फैसला देते हुए गिलगित-बाल्टिस्तान ऑर्डर, 2018 में बदलाव कर इस इलाके में एक कार्यकारी सरकार बनाने और नए सिरे से चुनाव करवाने के आदेश दिए हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार ने इस मुद्दे पर स्थिति 1994 में संसद में पास हुए एक प्रस्ताव के जरिए स्पष्ट कर दी थी और भारत की आज भी यही राय है.
क्या है गिलगित-बाल्टिस्तान की कहानी?
भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा विवाद जम्मू कश्मीर के ऊपर है. पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के पश्चिमी सिरे पर गिलगित और इसके दक्षिण में बाल्टिस्तान स्थित है. यह इलाका 4 नवंबर 1947 के बाद से ही पाकिस्तान के प्रशासन में है.
पाकिस्तान का 70 साल का इतिहास उथल पुथल से भरा है. एक ऐसा देश जो ना सिर्फ पाकिस्तानी सेना के हाथों की कठपुतली रहा है, बल्कि राजनेताओं के सियासी दाव पेंच भी उसका इम्तिहान लेते रहे हैं. जानिए पाकिस्तान में कब क्या हुआ..
तस्वीर: Reuters/M. Raza
1947
अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया. पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना देश के गवर्नर जनरल बने जबकि लियाकत अली खान को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. लेकिन इसके एक साल बाद ही जिन्नाह का निधन हो गया जो टीबी की बीमारी से पीड़ित थे.
तस्वीर: AP
1951
प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की रावलपिंडी में हत्या कर दी गई. कंपनी बाग में वह एक सभा में मौजूद थे कि उन पर दो गोलियां दागी गईं. पुलिस ने मौके पर ही हमलावर को ढेर कर दिया. लियाकत अली को झटपट अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. उनके बाद बंगाली मूल के ख्वाजा नजीमुद्दीन पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री बने.
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1958
पाकिस्तान को 1956 में पहला संविधान मिला. लेकिन सियासी खींचतान के बीच 1958 में पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति इसकंदर मिर्जा ने संविधान को निलंबित कर मार्शल लॉ लगा दिया. फिर कुछ दिनों बाद ही सेना प्रमुख जनरल अयूब खान ने मिर्जा को हटाया और खुद देश के राष्ट्रपति बन बैठे. पाकिस्तान में पहली बार सत्ता सेना के हाथ में आई.
तस्वीर: imago stock&people
1965
पाकिस्तान में अमेरिका जैसी राष्ट्रपति शासन प्रणाली लागू करने वाले अयूब खान ने 1965 में चुनाव कराने का फैसला किया. वह खुद पाकिस्तान मुस्लिम लीग के उम्मीदवार बने जबकि उनके सामने विपक्ष ने जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना को उतारा. फातिमा जिन्ना को भरपूर वोट मिले लेकिन अयूब खान इलेक्ट्रोल कॉलेज के जरिए चुनाव जीत गए.
तस्वीर: imago stock&people
1969
फातिमा जिन्ना के खिलाफ विवादास्पद जीत और भारत के साथ 1965 में हुई जंग के नतीजों से अयूब खान की छवि को बहुत नुकसान हुआ. जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों के बीच उन्होंने राष्ट्रपति पद छोड़ दिया और सत्ता अपने आर्मी चीफ जनरल याहया खान को सौंप दी. देश में फिर मार्शल लॉ लगा और सभी असेंबलियां भंग कर दी गईं.
तस्वीर: imago/ZUMA/Keystone
1970
पाकिस्तान में आम चुनाव कराए गए. पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के नेता शेख मुजीबउर रहमान की पार्टी आवामी लीग को जीत मिली. नेशनल असेंबली की कुल 300 सीटों में से आवामी लीग को 160 सीटें मिली. 81 सीटों के साथ जुल्फिकार अली भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी दूसरे नंबर पर रही. लेकिन आवामी लीग की जीत को स्वीकार नहीं किया गया.
तस्वीर: Journey/M. Alam
1971
चुनाव नतीजों को लेकर छिड़े विवाद ने एक युद्ध की जमीन तैयार की. इसमें भारत ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की मदद की और 1971 में बांग्लादेश के नाम से भारतीय उपमहाद्वीप में एक नए देश का उदय हुआ. बुनियादी तौर पर भारत का विभाजन धर्म के नाम पर हुआ. लेकिन एक धर्म होने के बावजूद पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान एक साथ नहीं रह पाए.
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1972
पाकिस्तान की टूट के लिए याहया खान के शासन को जिम्मेदार माना गया, जिसके कारण उनका सत्ता में रहना मुश्किल होने लगा. ऐसे में, उन्होंने देश की सत्ता जुल्फिकार अली भुट्टो को सौंप दी. देश में लगे मार्शल लॉ को हटाया गया और जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने. 1972 में ही भुट्टो ने पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम शुरू किया.
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1973
पाकिस्तान में फिर एक नया संविधान लागू हुआ जिसके तहत पाकिस्तान को एक संसदीय लोकतंत्र बनाया गया, जिसमें प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख हो. इस तरह भुट्टो राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री पद पर आ गए. भुट्टो ने 1976 में जनरल जिया उल हक को अपना चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाया, जो आगे चल कर उनके लिए मुसीबत बन गए.
तस्वीर: imago/ZUMA/Keystone
1977
पाकिस्तान में आम चुनाव हुए. भुट्टो की पार्टी को जबरदस्त जीत मिली. लेकिन विपक्ष ने चुनावों में धांधली के आरोप लगाए और देश में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया. मौके का फायदा उठाते हुए जिया उल हक ने भुट्टो का तख्तापलट किया और संविधान को निलंबित कर देश में फिर से मार्शल लॉ लगा दिया.
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1978
जिया उल हक ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. उन्होंने सेना प्रमुख का पद भी अपने ही पास रखा. भुट्टो को जिया की "हत्या के साजिश" के आरोप में दोषी करार देकर फांसी पर चढ़ा दिया गया. इसी साल जिया उल हक देश के इस्लामीकरण की अपनी नीति के तहत विवादित हूदूद ऑर्डिनेंस लाए, जिसमें कुरान के मुताबिक सजाएं देने का प्रावधान किया गया.
तस्वीर: imago/ZUMA/Keystone
1985
पाकिस्तान में आम चुनाव हुए, लेकिन पार्टी के आधार पर नहीं. मार्शल लॉ हटाया गया और नई नेशनल असेंबली ने बीते आठ साल के जिया के कामों पर मुहर लगाई और उन्हें राष्ट्रपति चुना गया. मोहम्मद खान जुनेजो प्रधानमंत्री बनाए गए. इससे पहले 1984 में जिया उल हक ने अपनी इस्लामीकरण की नीति पर एक जनमत संग्रह भी कराया जिसमें 95 समर्थन का दावा किया गया.
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1988
बढ़ते मतभेदों के बीच जिया उल हक ने संसद को भंग कर दिया और जुनेजो की सरकार को भी बर्खास्त कर दिया. 90 दिनों के भीतर उन्होंने देश में नए आम चुनाव कराने का वादा किया. लेकिन 17 अगस्त 1988 को वह अपने 31 अन्य साथियों के साथ एक विमान हादसे में मारे गए. 1978 से लेकर 1988 तक जिया उल हक ने पाकिस्तान पर एक छत्र राज किया.
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1990
भ्रष्टाचार के आरोपों में बेनजीर को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी. राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने संसद को भंग कर भुट्टो सरकार को बर्खास्त कर दिया. चुनाव हुए और जिया के दौर में सियासत का ककहरा सीखने वाले नवाज शरीफ देश के प्रधानमंत्री चुने गए. इसके साल भर बाद पाकिस्तान की संसद ने शरिया बिल को मंजूर किया और इस्लामिक कानून पाकिस्तान की न्याय प्रणाली का हिस्सा बने.
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1993
राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने नवाज शरीफ सरकार को भी भ्रष्टाचार और नकारेपन के आरोपों में चलता कर दिया. इसी साल खुद उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया. देश में फिर चुनाव हुए जिनमें जीत दर्ज कर बेनजीर भुट्टो दूसरी बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के एक सदस्य फारूक लेघारी को देश का राष्ट्रपति चुना गया.
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1996
राष्ट्रपति लेघारी ने नेशनल असेंबली को भंग कर बेनजीर सरकार को बर्खास्त कर दिया जो भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी थी. इस तरह, दस साल के भीतर देश चौथी बार आम चुनाव की दहलीज पर खड़ा था. 1997 के चुनाव में नवाज शरीफ की पीएमएल (एन) को जबरदस्त जीत मिली और वह दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने.
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1998
पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत के चघाई की पहाड़ियों में परमाणु परीक्षण किया. इससे चंद दिन पहले भारत ने पोखरण 2 परमाणु परीक्षण किया था. परमाणु परीक्षण के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. लेकिन इससे भारतीय उपमहाद्वीप में परमाणु हथियारों की होड़ को रोका नहीं जा सका.
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1999
कारगिल युद्ध के बाद नवाज शरीफ सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ की जगह ख्वाजा जियाउद्दीन अब्बासी को सेना प्रमुख बनाना चाहते थे. लेकिन जैसे ही इसका पता मुशर्रफ को लगा तो उन्होंने नवाज शरीफ का ही तख्तापलट कर दिया और उन्हें नजरबंद कर लिया. इस तरह पाकिस्तान की बागडोर चौथी बार एक सैन्य शासक के हाथ में आई.
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2000
सुप्रीम कोर्ट ने मुशर्रफ के तख्तापलट को उचित ठहराया और तीन साल के लिए उन्हें सारे अधिकार दे दिए. इसी साल नवाज शरीफ और उनका परिवार निर्वासन में सऊदी अरब चले गए. 2001 में मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए और सेना प्रमुख का पद भी उन्होंने अपने पास ही रखा.
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2002
पाकिस्तान में फिर से आम चुनाव हुए और ज्यादातर सीटें पीएमएल (क्यू) ने जीती. इस पार्टी को मुशर्रफ ने ही बनाया था जिसमें उनके वफादारों को अहम पद मिले. जफरउल्लाह खान जमाली (फोटो में सबसे दाएं) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुने गए. लेकिन वह दो साल ही पद पर रह पाए. 2004 में उनकी जगह शौकत अजीज को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया गया.
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2007
राष्ट्रपति मुशर्रफ ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी को बर्खास्त कर दिया जिसके बाद देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए. आखिरकार चौधरी को बहाल किया गया लेकिन मुशर्रफ ने देश में इमरजेंसी लगा दी. इस बीच पाकिस्तानी संसद ने पहली बार अपना पांच साल का निर्धारित कार्यकाल पूरा कर लिया.
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2007
आम चुनावों में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की नेता बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान लौटीं. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मुकदमे वापस लिए गए. लेकिन रावलपिंडी में एक चुनावी रैली के दौरान उनकी हत्या कर दी गई. उनकी हत्या उसी कंपनी बाग में हुई जहां पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को कत्ल किया गया था.
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2008
बेनजीर की मौत के बाद चुनावों में पीपीपी को सहानुभूति लहर का फायदा हुआ और नेशनल असेंबली की ज्यादातर सीटें उसके खाते में आईं. यूसुफ रजा गिलानी देश के प्रधानमंत्री बने जबकि बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी ने राष्ट्रपति का पद संभाला. आरोपों और विवादों के बीच पीपीपी की सरकार ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.
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2013
पाकिस्तान में आम चुनाव हुए और पीएमएल (एन) सत्ता में आई. नवाज शरीफ तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. क्रिकेट से राजनेता बने इमरान की पार्टी 2013 के चुनाव में तीसरी सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरी. 17 प्रतिशत वोटों के साथ उसने राष्ट्रीय संसद की 35 सीटें जीतीं और खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत में उसकी सरकार बनी.
तस्वीर: AFP/Getty Images
2017
भ्रष्टाचार के आरोपों में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें किसी सार्वजनिक पद पर रहने और चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दे दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री पद अपने विश्वासपात्र शाहिद खाकान अब्बासी को सौंपा. नवाज शरीफ अपने खिलाफ मुदकमों को राजनीति से प्रेरित बताते हैं. पाकिस्तानी सेना से टकराव के कारण भी वह चर्चा में आए.
तस्वीर: Reuters/F. Mahmood
2018
पाकिस्तान में फिर चुनाव हुए. सेना पर आरोप लगे कि वह किसी भी तरह से नवाज शरीफ और उनकी पार्टी को सत्ता से बाहर रखना चाहती थी. चुनाव मैदान में इमरान खान को सेना का समर्थन मिला. चुनाव प्रक्रिया में धांधली के आरोप भी लगे. फिलहाल इमरान पाकिस्तान के पीएम हैं. लेकिन पाकिस्तान बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है. कर्ज से लेकर फंड की कमी तक की चुनौतियां इमरान के सामने हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/D. Farmer
2019
इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. इमरान खान ने अपने चुनाव प्रचार में पाकिस्तान को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की बात की थी. इमरान खान की तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान अभी आर्थिक संकट से निकल नहीं पाया है. भारत के साथ चल रहे तनाव से पाकिस्तान को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.
भारत की आजादी से पहले गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू कश्मीर रियासत का ही हिस्सा था. लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान के इलाके को अंग्रेजों ने वहां के महाराजा से साल 1846 से लीज पर ले रखा था. ये इलाका ऊंचाई पर स्थित है, ऐसे में यहां से निगरानी रखना आसान था. यहां गिलगित स्काउट्स नाम की सेना की टुकड़ी तैनात थी. जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे तो इसे जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को वापस कर दिया गया. हरि सिंह ने ब्रिगेडियर घंसार सिंह को यहां का गवर्नर बनाया. गिलगित स्काउट्स वहीं तैनात रही. उस समय इस फौज के अधिकांश अधिकारी अंग्रेज ही हुआ करते थे.
1947 में जब कश्मीर पर पाकिस्तानी फौज ने हमला कर दिया तो 31 अक्टूबर को महाराजा हरिसिंह ने भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए. इस तरह गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत का हिस्सा बन गया. लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान में मौजूद फौज के अंग्रेज अधिकारियों ने इस समझौते को नहीं माना. वहां फौज ने गवर्नर घंसार सिंह को जेल में डाल दिया. वहां के अंग्रेज फौजी अधिकारियों ने पाकिस्तान के साथ गिलगित-बाल्टिस्तान को मिलाने का समझौता कर लिया.
2 नवंबर 1947 को गिलगित में पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया गया. पाकिस्तान की सरकार ने सदर मोहम्मद आलम को यहां का नया प्रशासक नियुक्त कर दिया. यह हिस्सा पाकिस्तान के प्रशासन में चला गया. 1949 में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और पाकिस्तानी सरकार के बीच हुए कराची समझौते के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान को सौंप दिया गया.
1970 में इसे अलग प्रशासनिक इकाई का दर्जा दे दिया गया और इसका नाम नॉर्दन एरिया रखा गया. 2007 में वापस इसका नाम बदलकर गिलगित-बाल्टिस्तान कर दिया गया. पाकिस्तान में चार राज्य हैं. इनके अलावा पाक प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान को स्वायत्त इलाके का दर्जा दिया गया है. 2009 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने गिलगित-बाल्टिस्तान एम्पॉवरमेंट एंड सेल्फ गवर्नेंस ऑर्डर 2009 जारी किया.
इस कानून के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान में एक विधानसभा बनाने और गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल बनाने के आदेश दिए गए. गिलगित-बाल्टिस्तान में मुख्यमंत्री और गवर्नर दोनों होते हैं. किसी भी मामले का अंतिम फैसला लेने का अधिकार गवर्नर के पास सुरक्षित है. हालांकि सारे जरूरी फैसले लेने का अधिकार गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल के पास है. इसके अध्यक्ष पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होते हैं. 2009 के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान में तीन मुख्यमंत्री रहे हैं.
2009 के सरकारी आदेश को 2018 में बदला गया और गिलगित-बाल्टिस्तान की विधानसभा को कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए. गिलगित-बाल्टिस्तान की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 30 जून 2020 को खत्म हो रहा है. इसके 60 दिनों के अंदर यहां चुनाव करवाने होंगे.
अब नया विवाद क्या है?
पाकिस्तान में चुनाव होने से पहले एक कार्यकारी सरकार का गठन होता है. यही कार्यकारी सरकार अपनी देखरेख में चुनाव करवाती है. 2009 से गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव शुरू हए लेकिन यहां चुनाव से पहले कभी कार्यकारी सरकार का गठन नहीं होता था.
30 अप्रैल को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली सात न्यायाधीशों के एक बेंच ने अपने आदेश में यहां 2017 के चुनाव कानून के तहत संबंधित कानून बदल कर कार्यकारी सरकार बनाने और चुनाव करवाने के आदेश दिए गए हैं. इस फैसले में 2018 में गिलगित-बाल्टिस्तान को दी गई कई छूटों में भी कटौती की गई है.
अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने कहा है कि बदलाव राष्ट्रपति के अध्यादेश से किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में एक फैसले में गिलगित बाल्टिस्तान में लोगों को अधिकार देने से संबंधित गवर्नेंस सुधार कानून संसद में पास कराने को कहा था, जिस पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है. इसमें वहां चुनाव से पहले कार्यकारी सरकार बनाने का प्रावधान होता.
भारत ने क्या कहा?
भारत सरकार ने गिलगित बाल्टिस्तान में चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाक प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है इसलिए पाकिस्तान के पास यहां चुनाव करवाने का कोई अधिकार नहीं है.
भारत सरकार ने 1994 में संसद में एक प्रस्ताव पास कर पाक प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत का अभिन्न अंग बताया था और पाकिस्तान से इस इलाके पर अपना कब्जा छोड़ने के लिए कहा था. भारत ने पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1994 के प्रस्ताव को फिर से दोहराया.
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार भारत ने एक पाकिस्तानी राजनयिक को तलब कर दावा किया कि गिलगित बाल्टिस्तान सहित केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख का पूरा इलाका उसके पूरे कानूनी और अपरिवर्तनीय विलय के कारण भारत का अभिन्न अंग है.
पाकिस्तान का क्या कहना है?
पाकिस्तान ने भारत की इस प्रतिक्रिया को खारिज कर कहा कि यह आधारहीन और भ्रामक है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है. पाकिस्तान ने कहा कि पूरा जम्मू कश्मीर एक विवादित क्षेत्र है और इसका फैसला स्वतंत्र और निष्पक्ष जनमत संग्रह से हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस क्षेत्र को विवादित मानता है. पाकिस्तान सरकार ने भारतीय राजनयिक को तलब कर उनसे अपनी नाराजगी दर्ज करवाई.
दुनिया के खूबसूरत पर्यटन स्थलों की जब बात चलती है तो पाकिस्तान का शायद ही जिक्र हो. बेशक इसकी वजह वहां चरमपंथी खतरा है, लेकिन पाकिस्तान में कई ऐसी जगह हैं जिन्हें देख कर मुंह से यही निकलेगा, वाह.
तस्वीर: DW/A. Bacha
जन्नत
कश्मीर को धरती पर जन्नत का नाम दिया जाता है. इसका एक हिस्सा भारत के नियंत्रण में है तो दूसरा पाकिस्तान के. पूरे कश्मीर में ऐसे दिलकश नजारों की कमी नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सबसे ऊंचा रणक्षेत्र
ये तस्वीर एक सैन्य हेलीकॉप्टर से ली गई है. ये पर्वत सियाचिन के हैं जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र कहते हैं. ये जगह पाकिस्तान में स्कारदू के करीब है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Khawer
स्वात की सुंदरता
ये है पाकिस्तान की स्वात घाटी, जो तालिबानी चरमपंथियों को लेकर कई साल से सुर्खियों में रही है. लेकिन कुदरत ने यहां खूबसूरती दिल खोल लुटाई है.
तस्वीर: Adnan Bacha
पूर्व का स्विट्जरलैंड
स्वात का इलाका इस कदर खूबसूरत है कि जब ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ ने यूसुफजई स्टेट ऑफ स्वात का दौरा किया तो उन्होंने इसे पूर्व का स्विट्जरलैंड कहा था.
तस्वीर: Adnan Bacha
व्हाइट पैलेस
स्वात जिले में ही मिंगोरा शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है व्हाइट पैलेस. 1940 में इसका निर्माण उस समय हुआ जब स्वात एक रियासत हुआ करती थी. बताया जाता है कि ये उसी पत्थर से बना है जिससे ताजमहल बना.
तस्वीर: DW/A. Bacha
हरियाली और रास्ता
दूर तक फैली हरियाली और बुलंदियों को छूते पर्वत इस इलाके की पहचान हैं, लेकिन हाल के सालों में बार बार चरमपंथ के कारण यहां सैलानियों ने जाना छोड़ दिया है.
तस्वीर: Adnan Bacha
शहद का दलदल
ये स्वात का गबीना जब्बा इलाका है, जिसका पश्तो भाषा में अर्थ होता है शहद का दलदल.
तस्वीर: DW/A.Bache
ये कहां आ गए हम..
यहां मधु मक्खियां बड़ी संख्या में पाई जाती हैं और यहां का शहद पूरे खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में मशहूर है. गबीना जब्बा में यूं ही दूर तक खुला आसमान दिखाई पड़ता है.
तस्वीर: DW/A.Bache
जी नहीं भरेगा
यहां ऐसे नजारे हैं कि देखते रहिए लेकिन जी नहीं भरेगा. ये इलाका बहुत सी उपयोगी जड़ी बूटियों से भी मालामाल है. ऐसे में यहां कई तरह के शोध भी होते रहते हैं.
तस्वीर: DW/A.Bache
चरमपंथ की मार
पाकिस्तान में चरमपंथ के कारण जो क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं उनमें देश का पर्यटन उद्योग प्रमुख है.
तस्वीर: DW/A.Bache
पानी रे पानी
घनी वादियां और उनसे निकलता निर्मल पानी. हर तरफ बिखरी ऐसी खूबसूरती किसी को भी अपनी तरफ खींच सकती है.
तस्वीर: DW/A.Bache
नंगा पर्वत
ये है उत्तरी पाकिस्तान में नंगा पर्वत जो दुनिया में नौंवा सबसे ऊंचा पर्वत है. इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8,126 मीटर है. ये गिलगित बल्तिस्तान में है और इस इलाके पर भारत भी अपना दावा जताता है.
तस्वीर: Getty Images
आठ हजारी
नंगा पर्वत दुनिया के उन 14 पर्वतों में से एक है जिनकी ऊंचाई आठ हजार मीटर से ज्यादा है. कम ही लोग हैं जो इन पर्वतों पर चढ़ पाए हैं.
तस्वीर: dpa
सिंधु घाटी
ये नजारा है सिंधु घाटी का, जो पाकिस्तान के नॉर्दन एरियाज में है. पानी के बंटवारे को लेकर भारत और पाकिस्तान में सिंधु जल संधि है, लेकिन अब इस पर भी सवाल उठने लगे हैं.
तस्वीर: picture-alliance / dpa
हवा में नफरत
अफगानिस्तान से लगने वाले पाकिस्तान के कबायली इलाके बहुत खूबसूरत हैं. लेकिन इस स्वच्छ आबोहवा में कई सालों से हिंसा और नफरत घुली है.