भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की तरफ से पाकिस्तान की अदालत में जिरह करने के लिए अधिवक्ता को नियुक्त करने के संबंध में भारत ने पाकिस्तान को एक नया सुझाव दिया है.
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भारत ने प्रस्ताव दिया है कि क्वींस काउंसल यानी इंग्लैंड की महारानी का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता को जाधव के पक्ष में दलीलें पेश करने की इजाजत दी जाए. यूके और कुछ कॉमनवेल्थ देशों में यूके की राजशाही की तरफ से कुछ जाने माने वकीलों को क्वींस काउंसल नियुक्त किया जाता है, जो कॉमनवेल्थ देशों की अदालतों में राजशाही का प्रतिनिधित्व करते हैं.
भारत जैसे कई देशों ने इस पद को अब हटा दिया है लेकिन यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में यह पद अभी भी जीवित है. हाल ही में भारत के जाने माने अधिवक्ता हरीश साल्वे को इंग्लैंड और वेल्स की अदालतों के लिए क्वींस काउंसल नियुक्त किया गया था.
भारत चाह रहा है कि साल्वे को ही यह अवसर मिले. हालांकि बताया जा रहा है कि भारत ने कहा है कि पाकिस्तान कोई भी क्वींस काउंसल चुन सकता है. साल्वे का जाधव के मामले से पुराना ताल्लुक है. 2017 में भारत ने जब अंतरराष्ट्रीय अदालत आईसीजे में पाकिस्तान के खिलाफ शिकायत की थी कि वो भारतीय दूतावास के अधिकारियों को जाधव से मिलने नहीं दे रहा है, तब अदालत में साल्वे ने ही भारत का पक्ष रखा था.
मामले में निर्णय देते हुए आईसीजे ने पाकिस्तान को आदेश दिया था कि वो एक सैन्य अदालत द्वारा जाधव को दी गई मौत की सजा पर पुनर्विचार करे और भारतीय अधिकारियों को जाधव से मिलने दे. पाकिस्तान सरकार ने भारत सरकार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में जाधव को दिए गए मृत्युदंड पर पुनर्विचार की याचिका दायर करने का निमंत्रण दिया था और कहा था कि यह याचिका या तो खुद जाधव दायर कर सकते हैं या उनके द्वारा कानूनी रूप से अधिकृत कोई प्रतिनिधि या भारतीय उच्च आयोग का एक काउंसलर अधिकारी दायर कर सकता है.
भारत ने मांग की थी कि किसी भारतीय वकील को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में जाधव के लिए दलील पेश करने की अनुमति दी जाए लेकिन पाकिस्तानी ने इस मांग को ठुकरा दिया था. पाकिस्तान ने कहा था कि देश के कानून के अनुसार पाकिस्तान की अदालतों में कोई गैर-पाकिस्तानी वकील जिरह नहीं कर सकता है.
भारत को उम्मीद है कि क्वींस काउंसल के सुझाव से शायद यह गतिरोध टूट जाए और जाधव को सजा के खिलाफ अपील करने का न्याय संगत अवसर मिल सके. इस पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है. देखना होगा कि पकिस्तान इस प्रस्ताव को मंजूर करता है या नहीं.
पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव के मामले पर हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत में सुनवाई हुई. इस सुनवाई के बाद आए फैसले में पाकिस्तान को झटका लगा. कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई हुई थी.
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गिरफ्तारी पर पाकिस्तानी दावा
25 मार्च 2016 को पाकिस्तान ने भारत को बताया कि भारतीय नौसेना के अधिकारी कुलभूषण जाधव को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान के चमन सीमा के इलाके में मशकेल इलाके से गिरफ्तार किया गया है. उनके पास एक भारतीय पासपोर्ट मिला है जिस पर उनका नाम हुसैन मुबारक पटेल लिखा हुआ है. वो पाकिस्तान में आर एंड ए डब्ल्यू के लिए काम कर रहे थे. उनके ऊपर पाकिस्तान को अस्थिर करने की साजिश में शामिल होने का आरोप है.
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गिरफ्तारी पर भारतीय आपत्ति
भारत ने दावा किया कि जाधव 2001 में भारतीय नौसेना से रिटायर हो चुके हैं. वो ईरान में अपना व्यापार कते हे हैं. पाकिस्तानी एजेंसियों ने उनका ईरान से अपहरण कर उन्हें पाकिस्तान लाया गया है. वहीं उनकी फर्जी पहचान तैयार की गई. उनका भारतीय नौसेना या आर एंड ए डब्ल्यू से कोई संबंध नहीं है. भारत ने जाधव से बात करने के लिए 25 मार्च 2016 और उसके बाद वियना समझौते के आधार पर लगातार काउंसलर एक्सेस की मांग की.
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पाकिस्तान ने नहीं मानी भारत की बात
पाकिस्तान ने काउंसलर एक्सेस की मांग को खारिज कर दिया. पाकिस्तान ने कहा कि जाधव एक जासूस हैं ऐसे में उन्हें काउंसलर एक्सेस नहीं दिया जा सकता. भारत काउंसलर एक्सेस के सहारे अपने जासूस से सूचनाएं निकलवाना चाहता है. 21 मार्च 2017 को पाकिस्तान ने कहा कि अगर भारत इस मामले की जांच में सहयोग करे तो काउंसलर एक्सेस दिया जा सकता है.
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पाकिस्तान ने सुनाई सजा ए मौत
पाकिस्तान ने इस मामले की सुनवाई सैन्य अदालत में की. कार्यवाही के बीच ही पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव के दो वीडियो भी जारी किए. कई सारे कट्स वाले इन वीडियो में जाधव अपने कथित मिशन के बारे में जानकारी देते हैं. वो यह कबूल करते भी दिख रहे हैं कि वो पाकिस्तान में भारतीय जासूस थे. सैन्य अदालत ने साढ़े तीन महीने ट्रायल चलाने के बाद 12 अप्रैल 2017 को जाधव को फांसी की सजा सुना दी.
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भारत ने किया हेग का रुख
जाधव से बात करने के लिए काउंसलर एक्सेस ना दिए जाने और फांसी की सजा सुनाए के खिलाफ भारत ने हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अर्जी दाखिल की. 8 मई 2017 को दाखिल की गई इस अर्जी में भारत ने कहा कि जाधव को गलत तरीके से फंसाया गया है. भारत को उनसे बात करने के लिए काउंसलर एक्सेस ना देकर वियना काउंसलर समझौता 1963 का उल्लंघन पाकिस्तान कर रहा है. इस कोर्ट ने फैसला सुनाने तक जाधव की फांसी पर रोक लगा दी.
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जाधव से मिलीं पत्नी और मां
25 दिसंबर 2017 को कुलभूषण जाधव को उनकी पत्नी और मां से मिलने दिया गया. इस मुलाकात के दौरान भारतीय वाणिज्य दूतावास के उपायुक्त भी मौजूद रहे. भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान में जाधव की पत्नी और मां से बदसलूकी की गई. पाकिस्तान ने इन आरोपों को खंडन किया. जाधव की मां और पत्नी को मीडिया से दूर रखा गया. उनकी मुलाकात एक शीशे की दीवार के बीच में होने के चलते इंटरकॉम से हुई.
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने फांसी पर रोक के अलावा पाकिस्तान द्वारा जाधव मामले में की जाने वाली हर कार्रवाई के बारे में सूचना देने के लिए भी कहा. अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पहले भारत को 13 सितंबर 2017 को अपना पक्ष रखने का मौका दिया. पाकिस्तान ने 13 दिसंबर 2017 भारतीय पक्ष का जवाब दिया. 17 अप्रैल 2018 को भारत ने अपने अगले तर्क दिए और 17 जुलाई 2018 को पाकिस्तान ने इन तर्कों के जवाब दिए.
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फैसले का दिन
18 से 21 फरवरी 2019 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच दो और बार मौखिक बहस हुई. 4 जुलाई 2019 को अदालत ने कहा कि 17 जुलाई 2019 को न्यायाधीश अब्दुलकावि अहमद युसूफ इस मामले में फैसला सुनाया गया. भारत की ओर से वकील हरीश साल्वे और पाकिस्तान की ओर से वकील ख्वाजा कुरैशी ने पक्ष रखा.
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अंतरराष्ट्रीय अदालत में पाकिस्तान की हार
जाधव के मामले पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया. अदालत ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी. साथ ही जाधव को काउंसलर एक्सेस देने के निर्देश भी पाकिस्तान को दिए. अदालत ने जाधव को रिहा करने की भारत की अपील को ठुकरा दिया. अदालत ने पाकिस्तान को सजा पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए.