क्या है बिटकॉइन जिसकी कीमत आसमान छू रही है
१७ दिसम्बर २०२०![Symbolbild Blockchain](https://static.dw.com/image/43694750_800.webp)
तीन साल पहले यही वो वक्त था जब पहली बार अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में इसके कारोबार को मंजूरी मिली और तब इसकी कीमत आसमान पर पहुंच गई. बीच में काफी बुरा हाल देखने के बाद इसकी कीमत नई ऊंचाइयों को छू रही है.
अनिश्चितता के दौर में पैसा सुरक्षित रखने के दूसरे तरीकों की तरह ही बिटकॉइन को भी कोरोना महामारी से काफी फायदा हुआ है. सोना, चांदी, प्लैटिनम की कीमत इस दौर में कई गुना बढ़ी है और बिटकॉइन भी इसमें शामिल हो गया है. बिटकॉइन की खास संरचना के कारण अब और बिटकॉइन ज्यादा संख्या में नहीं बन पा रहा है ऐसे में जो बिटकॉइन हैं उनका कारोबार तेज हो गया है.
बिटकॉइन कैसे काम करता है
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है. यह किसी बैंक या सरकार से नहीं जुड़ी है और इसे बिना पहचान जाहिर किए खर्च किया जा सकता है. बिटकॉइन के इन सिक्कों को यूजर बनाते हैं. इसके लिए उन्हें इनको "माइन" करना पड़ता है. "माइन" के लिए उन्हें गणना करने की क्षमता देनी होती है और इसके बदले में उन्हें बिटकॉइन मिलते हैं. बिटकॉइन के सिक्कों को शेयर बाजारों में अमेरिकी डॉलर और दूसरी मुद्राओं के बदले खरीदा भी जा सकता है. कुछ कारोबार में बिटकॉइन मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होती है हालांकि बीते कुछ सालों में इसकी लोकप्रियता ठहरी हुई है.
बिटकॉइन के साथ क्या हुआ है
दिसंबर 2017 में बिटकॉइन फ्यूचर को अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में कारोबार की इजाजत मिली. शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज और शिकागो बोर्ड ऑप ट्रेड ने इनकी खरीद बिक्री को मंजूरी दी थी. बिटकॉइन को लेकर दिलचस्पी इतनी ज्यादा थी कि कारोबार की अनुमति मिलते ही इसकी कीमतों में भारी उछाल आया. 2017 के शुरुआत में इस मुद्रा की कीमत 1000 डॉलर थी जो साल के आखिर में बढ़ कर 19,783 तक पहुंच गई.
हालांकि कारोबार शुरू होने के बाद बिटकॉइन फ्यूचर अगले कुछ महीनों में तेजी से नीचे आया. एक साल बाद ही इसकी कीमत घट कर 4000 डॉलर पर चली गी. निवेशकों और बिटकॉइन में दिलचस्पी रखने वालों ने बताया कि 2017 में आए उछाल की बड़ी वजहें सट्टेबाजी और मीडिया का आकर्षण थे.
अभी बिटकॉइन का क्या मोल है
कॉइनबेस के मुताबिक एक बिटकॉइन की कीमत लगभग 20,700 डॉलर है. कॉइनबेस एक प्रमुख डिजिटल करेंसी एक्सचेंज है जो दूसरे टोकन और मुद्राओं का भी कारोबार करती है. हालांकि बिटकॉइन की कीमत अस्थिर है और यह एक हफ्ते में ही सैकड़ों या हजारों डॉलरों का उतार चढ़ाव देखती है. एक महीने पहले इसकी कीमत 17,000 डॉलर थी और एक साल पहले 7000 डॉलर.
बिटकॉइन एक बहुत जोखिम वाला निवेश है और पारंपरिक निवेश के तरीकों जैसे कि शेयर या फिर बॉन्ड की तरह व्यवहार नहीं करता, जब तक कि खरीदार कई सालों तक इस मुद्रा को अपने पास ना रखे. उदाहरण के लिए एसोसिएटेड प्रेस ने 100 अमेरिकी डॉलर की कीमत के बिटकॉइन खरीदे ताकि वह इस मुद्रा पर नजर रख सके और व्यापार में इसके इस्तेमाल के बारे में खबर दे सके. इस पोर्टफोलियो का खर्च इस महीने जा कर अपने मूलधन पर पहुंचा है.
बिटकॉइन को इतना पसंद क्यों किया गया
बिटकॉइन वास्तव में एक कंप्यूटर कोड की श्रृंखला है. यह जब भी एक यूजर से दूरे के पास जाता है तो इस पर डिजिटल सिग्नेचर किए जाते हैं. लेन देन खुद को गोपनीय रख कर भी किया जा सकता है. इसी वजह से यह आजाद ख्याल के लोगों, तकनीकी दुनिया के उत्साही, सटोरियों और अपराधियों के बीच काफी लोकप्रिय है.
बिटकॉइन को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है. इस वॉलेट को या तो कॉइनबेस जैसे एक्सचेंज के जरिए ऑनलाइन हासिल किया जा सकता है या फिर ऑफलाइन हार्ड ड्राइव में एक खास सॉफ्टवेयर के जरिए. बिटकॉइन का समुदाय यह तो जानता है कि कितने बिटकॉइन हैं लेकिन वे कहां हैं इसके बारे में सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है.
कौन इस्तेमाल करता है बिटकॉइन
कुछ कारोबार बिटकॉइन का इस्तेमाल कर रहे हैं जैसे कि ओवरस्टॉक डॉट कॉम बिटकॉइन में भुगतान स्वीकार करता है. मुद्रा इतनी मशहूर है कि ब्लॉकचेन. इंफो के मुताबिक औसतन हर दिन 3,00,000 लेने देन होते हैं. हालांकि इसकी लोकप्रियता नगद या क्रेडिट कार्ड की तुलना में कम ही है. बहुत सारे लोग और कारोबार में इसे भुगतान के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
बिटकॉइन की सुरक्षा
बिटकॉइन नेटवर्क सामूहिक अच्छाई के लिए कुछ लोगों की लालसा पर निर्भर करता है. तकनीक के जानकार कुछ लोग जिन्हें माइनर कहा जाता है वो इस तंत्र में गणना की क्षमता ब्लॉकचेन में डाल कर इसे ईमानदार बनाए रखते हैं. ब्लॉक चेन हर बिटकॉइन के लेनदेन का हिसाब रखता है. इस तरह से यह उन्हें दो बार बेचे जाने को रोकता है और माइनरों को उनकी कोशिशों के लिए जब तक तोहफों में बिटकॉइन दिए जाते हैं. जब तक माइनर ब्लॉकचेन को सुरक्षित रखेंगे इसकी नकल करके नकली मुद्रा बनने का डर नहीं रहेगा.
यहां तक कैसे पहुंचा बिटकॉइन
यह एक रहस्य है. बिटकॉइन को 2009 में एक शख्स या फिर एक समूह ने शुरू किया जो सातोषी नाकामोतो के नाम से काम कर रहे थे. उस वक्त बिटकॉन को थोड़े से उत्साही लोग ही इस्तेमाल कर रहे थे. जब ज्यादा लोगों का ध्यान उस तरफ गया तो नाकामोतो को नक्शे से बाहर कर दिया गया. हालांकि इससे मुद्रा को बहुत फर्क नहीं पड़ा यह सिर्फ अपनी आंतरिक दलीलों पर ही चलता रहा.
2016 में एक ऑस्ट्रेलिया उद्यमी ने खुद को बिटकॉइन के संस्थापक के रूप में पेश किया. हालांकि कुछ दिनों बाद ही उसने कहा कि उसके पास सबूतों को जाहिर करने की "हिम्मत नहीं है." इसके बाद से इस मुद्रा की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है.
एनआर/ओएसजे(एपी)
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore