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समाज

क्या है बिहार में मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे अफगानियों का मकसद

मनीष कुमार
८ जनवरी २०२१

बिहार में अफगानी नागरिकों द्वारा लोगों को सूद पर पैसे देना कोई नई बात नहीं है. पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे मनी लॉन्ड्रिंग का धंधा भी हवाला के पैसे से ही चल रहा है.

Indien I Geldwäsche in Bihar
तस्वीर: Manish Kumar/DW

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की बंगाली लघु कथा काबुलीवाला का नायक रहमत भारत आया तो था मेवा बेचने, लेकिन अपने भोलेपन की वजह से उसने नन्हीं सी बच्ची मिनी के दिल पर भी कब्जा जमा लिया था. किंतु आज का ‘रहमत' न तो उतना भोला रहा और न ही अब मेवा बेच रहा है. समय के साथ दुनिया बदली तो मौसमी कारोबार के सिलसिले में अफगानिस्तान से आने वाले कुछ लोग यहां सूद पर पैसे देने का धंधा करने लगे. कुछ तो लंबे अरसे से यहां रह रहे हैं, फर्राटेदार हिंदी बोलते हैं. लोगों से इतने घुल-मिल गए हैं कि इन पर किसी को शक नहीं होता. स्थानीय लोगों की मदद से आवासीय प्रमाण पत्र, आधार कार्ड व अन्य जरूरी कागजात भी बनवा लिए. किंतु कुछ दिन पहले एक इनपुट के आधार पर कटिहार में पकड़े गए पांच अफगानी नागरिकों से पूछताछ में सामने आए तथ्य कुछ और ही इशारा कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियां इनसे पूछताछ के बाद पूरी सघनता से जांच-पड़ताल कर रही है.

कटिहार शहर के चौधरी मुहल्ले से अफगान मूल के पांच नागरिकों को पुलिस ने 15 दिसंबर को गिरफ्तार किया था. जिस समय इन्हें पकड़ा गया था उस समय पुलिस को भी इतने बड़े नेटवर्क का अंदेशा नहीं था. कई राउंड की पूछताछ के दौरान परत दर परत मामला खुलता गया और चौंकाने वाली कई जानकारियां सामने आईं. पुलिस कप्तान विकास कुमार के अनुसार ये सभी पश्चिम बंगाल, सीमांचल व आसपास के इलाके में मनी लॉड्रिंग में संलिप्त थे. जानकारी के अनुसार ये सभी पांच साल से यहां रह रहे थे. इनके कब्जे से पांच लाख रुपये नकद, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पंद्रह मोबाइल फोन, चार मोटरसाइकिल, वीजा-पासपोर्ट तथा करोड़ों के लेन-देन के कागजात बरामद किए गए. प्रारंभिक पूछताछ के बाद इन्हें जेल भेज दिया गया. बाद में इन्हें फिर रिमांड पर लिया गया. पूछताछ के दौरान पता चला कि इन लोगों ने छ्दम नामों से किशनगंज, कोलकाता, गुवाहाटी व दरभंगा में भी ठिकाना बना रखा था.

बिहार में इस इमारत से हुई गिरफ्तारी तस्वीर: Manish Kumar/DW

कई बार जा चुके हैं नेपाल पाकिस्तान भी

जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया वे अफगानिस्तान के पख्तून प्रांत के सारंग जिले के रहने वाले हैं. पकड़े गए लोगों में मो. दाउद, मो. कामरान, मो. फजल मोहम्मद, मो. राजा खान तथा गुलाम मोहम्मद शामिल हैं. ये सभी चौधरी मुहल्ले में मोनाजिर के मकान में किराया लेकर रह रहे थे. मोनाजिर की मदद से ही इन्होंने सभी कागजात भी बनवाया था. मो. अलमर खान छापेमारी के दौरान पुलिस की नजर से भागने में सफल रहा. मकान मालिक मोनाजिर भी फरार है. यहां रहने के दौरान इनलोगों ने आसपास के लोगों से स्वयं के भारतीय होने की बात कही थी. मकान मालिक मोनाजिर हसन सहित पकड़े गए विदेशियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है. पकड़े गए विदेशियों में से तीन के पास पासपोर्ट थे, लेकिन दो बिना पासपोर्ट के ही यहां रह रहे थे.

पुलिस अधीक्षक के अनुसार पूछताछ में पता चला है कि इन लोगों ने कटिहार, कोलकाता, किशनगंज एवं गुवाहाटी से अपने जन्म प्रमाणपत्र व आधार कार्ड बनवाए थे. एक-दो के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर में शादी तक रचा ली और उन्हें बच्चे भी हैं. पुलिस के अनुसार ये सभी अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल व बांग्लादेश की भी यात्रा कर चुके हैं. फिलहाल जेल में बंद कामरान कई बार पाकिस्तान जा चुका है. अलमर के भी कई बार पाकिस्तान जाने की सूचना है. उसने लाहौर में अपने पिता का इलाज कराया था. इस सूचना के बाद सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं. अलमर तथा मकान मालिक मोनाजिर की गिरफ्तारी के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया गया है. सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार आरोपितों में से एक के बेटे को अफगानिस्तान में बम विस्फोट के एक मामले में फंसा दिया गया था. वह अपने देश लौटना चाह रहा था, लेकिन साथियों व अन्य लोगों ने उसे वापस नहीं जाने दिया.

तस्वीर: Manish Kumar/DW

कंपनी बना कर रहे थे सूद का धंधा

सूत्रों के अनुसार मनी लॉड्रिंग का काम ये सभी सूद के धंधे की आड़ में कर रहे थे. इसके लिए इन्होंने दाउद मनी लैंडर्स नामक एक कंपनी बना रखी थी. हालांकि कटिहार जिले के संबंधित अधिकारी ने साफ कहा है कि विदेशी नागरिकों के नाम कटिहार में फाइनेंस व लीजिंग का कोई लाइसेंस निर्गत नहीं किया गया है. साफ है, इन सभी के द्वारा किया जा रहा सूद का धंधा पूरी तरह गैरकानूनी था. इन पांच अफगानी नागरिकों की गिरफ्तारी के दौरान सर्च ऑपरेशन में पुलिस को कुछ दस्तावेज हाथ लगे जो पश्तो भाषा में लिखे हैं. बरामद अन्य कागजातों से इनके द्वारा बिहार, बंगाल और झारखंड में मनी लॉन्ड्रिंग का धंधा किए जाने की बात सामने आई है. सूत्रों के अनुसार गुवाहाटी से रांची तक इनके द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग का धंधा किया जा रहा था. जिस समय इन्हें पकड़ा गया उस वक्त तो कागजातों के अनुसार एक करोड़ के लेनदेन की बात सामने आई थी, किंतु बाद में बरामद दस्तावेजों से 17 करोड़ के लेनदेन की बात सामने आई है. इससे संबंधित सभी कागजात पश्तो भाषा में लिखे हुए हैं. रुपयों के इस लेनदेन में असम, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के कई लोगों के नाम भी सामने आए हैं. हालांकि पुलिस ने अभी इसका खुलासा नहीं किया है.

जांच के दौरान ज्ञात हुआ कि 15 से 20 फीसद ब्याज पर इस नेटवर्क के माध्यम से कर्ज दिया गया है. समय पर सूद सहित कर्ज की वसूली के लिए ये स्थानीय एजेटों की मदद लेते रहे हैं. वैसे हवाला कारोबार में भी इस नेटवर्क के शामिल होने की चर्चा है, किंतु पुलिस ने अब तक की जांच में हवाला में पकड़े गए इन अफगानी नागरिकों के संलिप्त होने का कोई भी प्रमाण नहीं मिलने की बात कही है. बताया जाता है कि सूद के धंधे से ये दस लाख सलाना की आमदनी कर ले रहे थे. नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि पहली बार यह खुलासा हुआ है. राजधानी पटना तक की सड़कों पर खासकर व्यावसायिक इलाकों में पठान सूट पहने कुछ लोग बराबर आपको दिख जाएंगे. सभी को पता है कि ये ऊंची सूद पर पैसा देने का काम करते हैं. हर तरह के लोग इनके ग्राहक हैं."

आतंकी कनेक्शन की हो रही जांच

चिकेन नेक के नाम से चर्चित इलाके में आतंकियों के स्लीपर सेल को शरण देने का काम किया जाता रहा है. पहले भी यह बात सामने आ चुकी है कि देश के विभिन्न स्थानों पर आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के बाद आतंकी यहां शरण लेते रहे हैं और जैसे ही मौका मिलता है वे सीमा पार कर बांग्लादेश और नेपाल चले जाते हैं. वैसे भी आतंकी स्लीपर सेल के सक्रिय होने की सूचना की वजह से कोसी व सीमांचल का इलाका पहले से ही सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर है. गिरफ्तार किए गए इन विदेशियों के कॉल डिटेल में नेपाल, अफगानिस्तान व पाकिस्तान से बातचीत होने की बात सामने आई है.

पत्रकार रविरंजन कहते हैं, "इनके नेटवर्क में शामिल लोगों के माध्यम से ही इनसे ऋण लिया जा सकता है. इसके लिए ये बजाब्ता एग्रीमेंट करते हैं. तय अवधि के लिए छोटे-मोटे व्यवसायी या गाढ़े वक्त में अच्छे-अच्छे लोग भी इनकी मदद लेते हैं, भले ही इनकी सूद की दरें ऊंची क्यों न हो. इसके पीछे लोगों की सोच यह रहती है कि बिना किसी कागजी पचड़े के समय पर पैसा तो मिल जाता है." एटीएस की टीम संबंधित नंबरों के साथ-साथ इनके मददगारों के कॉल डिटेल को भी खंगाल रही है. सूत्रों के मुताबिक नेपाल में रह रहा बशर खान भारत में मनी लॉन्ड्रिंग का मास्टरमाइंड माना जाता है. इस बात की भी जांच की जा रही है कि इन अफगानियों का कनेक्शन बशर खान से है या नहीं. यह भी जांच की जा रही है कि नेपाल, बांग्लादेश व सिलीगुड़ी में बैठकर आंतकी संगठन कोसी, सीमांचल या फिर मिथिलांचल में अपना नेटवर्क तो नहीं तैयार कर रहे.

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