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क्या है सूनामी

१७ मार्च २०११

भूकंपों का रिकॉर्ड दर्ज होना शुरू होने के बाद से आए जापान के सबसे बड़े भूकंप ने ऊत्तर पूर्वी किनारे के इलाकों को तबाह कर दिया है. 10 मीटर ऊंची लहरों के रास्ते में जो कुछ आया मिट्टी में मिल गया.

तस्वीर: AP

रिक्टर पैमाने पर 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप के कारण कई लोगों की जान गई, लोग जख्मी हुए, आग लगी और पानी की ऊंची दीवार जैसी बढ़ती लहरों ने लोगों को अपना घर छोड़ ऊंचे स्थानों पर जाने के लिए मजबूर कर दिया.

कैसे आती है सूनामी

तगड़े भूकंप के दौरान समुद्री प्लेट कई मीटर तक खिसक जाती हैं नतीजा समंदर की सतह पर जबर्दस्त उथल पुथल होती है जिसके कारण अचानक बड़ी मात्रा में पानी एक जगह से दूसरी जगह की तरफ बढ़ता है. दिसंबर 2004 में हिंद महासागर में यही हुआ जिसके नतीजे में लाखों लोगों की जान गई.2004 में जब आचेह द्वीप में जो तबाही आई तो कुछ ही मिनटों के भीतर इतना पानी बहा जितना सिडनी हार्बर में रहता है.

ज्यादातर ऐसे भूकंप ही समुद्र की सतह को नुकसान पहुंचाते हैं जो उथले हिस्से में आते हैं यानी समंदर के भीतर 70 किलोमीटर से कम की गहराई पर. 2004 में जो सूनामी आई उसकी वजह सागर के नीचे 30 किलोमीट की गहराई में आया भूकंप था.

तस्वीर: dapd

कैसे उठती है सूनामी

सागर की सतह पर सूनामी उठती है छोटी लहरों के रूप में जिससे होकर कोई जहाज पार करे तो उसे पता नहीं भी चलता लेकिन जैसे जैसे यह किनारों की तरफ कदम बढ़ाती है इसकी ऊंचाई और तीव्रता बढ़ती जाती है.

सूनामी में एक नहीं बल्कि कई लहरें होती हैं इन लहरों की गति 1000 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है यानी एक जेट विमान की रफ्तार जितनी.

प्रशांत सागर की विशालता और इसमें आने वाले बड़े भूकंप की घातक जोड़ी एशिया प्रशांत क्षेत्र में तबाही का सामान जुटाते हैं. सूनामी पूरे प्रशांत महासागर की यात्रा केवल एक दिन में पूरी कर सकती है.

सूनामी की लहरें जब किनारों की तरफ बढ़ती हैं तो किनारे का पानी पहले सिमटना शुरु होता है सूनामी के किनारे पर पहुंच कर वापस लौटते ही पानी झोंके के साथ किनारों के पार पहुंचता है.

समंदर की सतह पर पहुंच कर लहरों की रफ्तार कम होती है और फिर पानी की दिवार जमीन से टकराती है. मुमकिन है कि पहली लहर ज्यादा बड़ी न हो.

सूनामी का संकट लहरों की उंचाई के कारण ज्यादा बड़ा नहीं होता बल्कि पानी की ज्यादा मात्रा इसे घातक बनाती है. ये समंदर में आई किसी बाढ़ के जैसा होता है जो अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को रौंदती चली जाती है. जितनी तेजी से ये किनारों की तरफ बढ़ती है उतनी ही तेजी से वापस भी लौटती है. उफनती लहर की चपेट में आने से बच गए कई लोग लौटती धार में बह जाते हैं.

तस्वीर: dapd

दुनिया की कुछ सबसे बड़ी सूनामी

2004 में हिंद महासागर में आई सूनामी अब तक सबसे ज्यादा घातक रही है इसमें कुल 2 लाख 26 हजार लोगों की मौत हुई और लहरों की उंचाई 50 मीटर तक थी.

दुनिया की सबसे बड़ी सूनामी 8 तीव्रता वाले भूकंप की वजह से अलास्का के लुटुया बे में 9 जुलाई 1958 को आई. लिटुया बे से गुजरती लहरें चढ़ती गईं और खाड़ी को दोनों और 1720 फीट की अनुमानित ऊंचाई तक पहुंच गईं. बिखरी हुई आबादी वाला लिटुया बे पूरी तरह से तबाह हो गया लेकिन नुकसान उसके दायरे में ही सिमटा रहा.

1883 में क्राकाताउ द्वीप में हुए ज्वालामुखी विस्फोट के कारण 125 फीट ऊंची लहरें उठी जिसमें 36000 लोग मारे गए. आधुनिक इतिहास का इसे सबसे घातक ज्वालामुखी विस्फोट माना जाता है.

जापान के सानकिरू में जून 1896 में आई सूनामी ने 27100 लोगों की जान ली. रिक्टर पैमाने पर 7.6 की तीव्रता वाला भूकंप इसकी वजह था.

2010 में 27 फरवरी को चिली में आए 8.8 की तीव्रता वाले भूकंप में जो लोग बच गए उनमें से कई उसके बाद आई सूनामी की लहरों का शिकार हुए

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः ए जमाल

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