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मीडिया

कैसे होता है टीआरपी 'घोटाला'

चारु कार्तिकेय
९ अक्टूबर २०२०

मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाले में जांच शुरू कर दी है. टीआरपी से छेड़छाड़ कई सालों से टीवी उद्योग में कमरे में मौजूद हाथी की तरह बना हुआ है. वो सबको नजर आता है लेकिन कोई उसकी बात नहीं करता.

Arnab Goswami indischer Journalist
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Jaiswal

मुंबई पुलिस ने कहा है कि उसने टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) की संभावित छेड़छाड़ के एक घोटाले की जांच शुरू कर दी है. पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने पत्रकारों को बताया उन्हें जानकारी मिली है कि टीआरपी मापने के लिए सरकार द्वारा अधिकृत निजी संस्था बीएआरसी जिन उपकरणों का इस्तेमाल करती है उनके साथ कुछ टीवी चैनलों ने छेड़छाड़ की है ताकि नकली रूप से उन्हीं चैनलों की रेटिंग ऊपर रहे.

क्या होती है टीआरपी

किस टीवी चैनल को कितना देखा जा रहा है टीआरपी यह मापने का एक पैमाना है. इसके दायरे में मनोरंजक, ज्ञानवर्धक और न्यूज सभी तरह के कार्यक्रम दिखाने वाले चैनल आते हैं. टीआरपी को मापने के लिए बीएआरसी नामक संस्था अधिकृत है. यह संस्था पूरे देश में कुछ घरों को चुनकर उनके टीवी सेट में व्यूअरशिप मापने के उपकरण लगाती है, जिन्हें बैरोमीटर कहते हैं. ताजा जानकारी के अनुसार बीएआरसी ने पूरे देश में करीब 45,000 घरों में ये बैरोमीटर लगाए हुए हैं. कौन सा चैनल कितना लोकप्रिय है टीआरपी ही इसका फैसला करती है. लोकप्रियता के आधार पर चैनलों को विज्ञापन मिलते हैं और उन्हीं से चैनलों की कमाई होती है.

कैसे चुने जाते हैं घर

बीएआरसी ने 2015 में उपभोक्ताओं को अलग अलग श्रेणी में बांटने की एक नई प्रणाली 2015 में लागू की थी. इसके तहत सभी घरों को उनके शैक्षिक-आर्थिक स्तर के हिसाब से 12 अलग अलग श्रेणियों में बांटा जाता है. इसके लिए परिवार में कमाई करने वाले मुख्य व्यक्ति की शैक्षिक योग्यता और 11 चीजों में से कौन कौन सी उस घर में हैं, यह देखा जाता है. इन 11 चीजों में बिजली के कनेक्शन से लेकर गाड़ी तक शामिल हैं.

अगर किसी चैनल को किसी तरह यह पता चल गया कि किन घरों में उपकरण लगे हैं वो वो उसके घर के सदस्यों को अलग अलग तरह के प्रलोभन दे कर उन्हें हमेशा वही चैनल लगाए रखने का लालच दे सकते हैं.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Swarup

कैसे नापी जाती है टीआरपी

चुने हुए परिवार के हर सदस्य को एक आईडी दिया जाता है और हर व्यक्ति जब भी टीवी देखना शुरू करता है तो उस से पहले वो अपने आईडी वाला बटन दबा देता है. इससे यह दर्ज हो जाता है कि किस उम्र, लिंग और प्रोफाइल वाले व्यक्ति ने कब कौन सा चैनल कितनी देर देखा. यह आंकड़े बीएआरसी इकठ्ठा करती है और अमूमन हर हफ्ते जारी करती है.

कैसे की जा सकती है छेड़छाड़

बैरोमीटर गुप्त रूप से लगाए जाते हैं, यानी उन्हें लगाने के लिए किन घरों को चुना गया है यह जानकारी गुप्त रखी जाती है. अगर किसी चैनल को किसी तरह यह पता चल गया कि किन घरों में उपकरण लगे हैं वो वो उसके घर के सदस्यों को अलग अलग तरह के प्रलोभन दे कर उन्हें हमेशा वही चैनल लगाए रखने का लालच दे सकते हैं. चैनल केबल ऑपरेटरों को भी रिश्वत दे कर यह सुनिश्चित करा सकते हैं कि जहां जहां उनके कनेक्शन हैं वहां जब भी टीवी ऑन हो तो सबसे पहले उन्हीं का चैनल दिखे. फिर जब तक दर्शक चैनल बदलेगा तब तक उनके चैनल की व्यूअरशिप अपने आप दर्ज हो जाएगी.

मुंबई में क्या हुआ है

मुंबई पुलिस कमिश्नर के अनुसार हंसा नामक एक निजी रिसर्च एजेंसी को पता चला की कुछ न्यूज टीवी चैनलों द्वारा ऐसी छेड़छाड़ की जा रही है और उसने पुलिस को इसकी शिकायत की. हंसा ने अपने ही एक कर्मचारी को भी इसमें शामिल पाया और उसे नौकरी से निकाल उसके बारे में पुलिस को जानकारी दी. हंसा की शिकायत के आधार पर मुंबई पुलिस ने राष्ट्रीय न्यूज चैनल रिपब्लिक और दो मराठी चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की. पुलिस ने मराठी चैनलों के मालिकों को गिरफ्तार कर लिया है और रिपब्लिक के निदेशकों और प्रोमोटरों के खिलाफ धोखाधड़ी की जांच शुरू कर दी है. रिपब्लिक ने इन आरोपों का खंडन किया है और कमिश्नर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की घोषणा की है.

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