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क्यूबा में बेहतर भविष्य की उम्मीद

१८ दिसम्बर २०१४

अमेरिका और क्यूबा ने पांच दशक बाद अपने राजनयिक संबंधों को फिर बहाल करने का फैसला किया है. प्रतिबंधों के कारण आर्थिक मुश्किलें झेल रहे क्यूबाई लोगों ने इसका स्वागत किया है तो अमेरिका में रहने वाले आप्रवासी बंटे हुए हैं.

तस्वीर: Reuters/Enrique De La Osa

हालांकि फिलहाल अमेरिका ने क्यूबा में सिर्फ अपना दूतावास खोलने की बात कही है और 53 सालों से लगे आर्थिक प्रतिबंध बने रहेंगे, लेकिन क्यूबा के लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही व्यापार में विस्तार होगा और नया आर्फथिक विकास दिखेगा. 34 वर्षीय डियास कहते हैं, "यह हमारे लिए बेहतर भविष्य खोल रहा है. हमें सचमुच ऐसे किसी कदम की जरूरत थी क्योंकि स्थिति खराब है और लोग बहुत मायूस थे."

बुधवार को अमेरिका और क्यूबा के राष्ट्रपतियों ने एक ही समय रिश्तों को बहाल करने की घोषणा की. 83 वर्षीय क्यूबाई राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने कहा कि "हमारे किसी एक सिद्धांत को छोड़े बिना" दोनों देश अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए काम करेंगे. कास्त्रो ने आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने की मांग करते हुए कहा कि इससे भयानक मानवीय और आर्थिक नुकसान हुआ है. इस घोषणा के बाद क्यूबा की राजधानी में उत्साह का माहौल दिखा. 32 वर्षीय आईटी एक्सपर्ट कार्लोस गोंजालेस ने इसे क्यूबा की जनता के लिए ऑक्सीजन बताते हुए कहा, "यह ऐसा विकास है जो दोनों देशों के बेहतर भविष्य के लिए रास्ता खोलेगा."

राउल और उनके भाई फिदेल कास्त्रो ने 1959 में क्यूबा में फुल्गेंसियो बतिस्ता की तानाशाही के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था. अमेरिका ने शुरू में नई सरकार को मान्यता दी लेकिन 1961 में अमेरिकी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किए जाने के बाद रिश्ते तोड़ दिए. उसके बाद क्यूबा समर्थन के लिए रूस की ओर चला गया तो अमेरिका ने 1962 में उसके खिलाफ व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिए. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से क्यूबा को खाने पीने की चीजों, तेल और उपभोक्ता मालों के क्षेत्र में बार बार कमियों का सामना करना पड़ा है और इनकी राशनिंग करनी पड़ी है.

तानाशाह बतिस्तातस्वीर: STF/AFP/Getty Images

क्यूबा की सरकार अपनी आर्थिक दिक्कतों के लिए अमेरिका के प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराती है तो अमेरिका क्यूबा की साम्यवादी आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार मानता है. अमेरिकी अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि साम्यवादी सरकार पर दबाव बनाकर उन्हें बदलने की कोशिश नाकाम रही है. अब उनकी कोशिश बातचीत के जरिए बदलाव लाने की होगी.

क्यूबा के लोग रिश्तों को सामान्य बनाने के फैसले को क्यूबा की जीत मानते हैं तो क्यूबा सरकार के आलोचकों का कहना है कि इसकी कीमत है. अमेरिका में रहने वाले करीब 20 लाख आप्रवासी क्यूबाई समुदाय के विरोध की उम्मीद की जा रही थी लेकिन उनकी प्रतिक्रिया मिश्रित रही है. सरकार विरोधी ब्लॉगर योआनी सांचेज ने आलोचना की है कि कास्त्रो सरकार अपनी मनवाने में कामयाब रही है. बुधवार को इस फैसले से पहले क्यूबा ने अमेरिका के राहतकर्मी एलन ग्रोस को पांच साल की कैद के बाद रिहा कर दिया था जबकि अमेरिका ने क्यूबा के तीन जासूसों को रिहा किया.

फिदेल कास्त्रो हवाना मेंतस्वीर: picture-alliance/dpa

कुछ सरकार विरोधियों ने इस बात पर भी असंतोष व्यक्त किया है कि ओबामा प्रशासन ने फैसला लेने से पहले उनके साथ विचार विमर्श नहीं किया. गुलेर्मो फरीनास ने ओबामा के कदम को धोखा बताया है तो अंतोनियो रोडिलेस ने कहा है कि यह फैसला खराब संदेश देता है. अमेरिका में निर्वासन में रहने वाले दूसरे असंतुष्टों ने इंतजार करने का रवैया अपनाया है. 28 वर्षीय पेड्रो डुरान का कहना है, "यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि प्रतिबंध नहीं हटाए गए हैं." उनका कहना है कि 50 साल तक इस तरह से रहने के बाद फिलहाल कोई बेहतरी नहीं होगी.

लेकिन क्यूबा के साथ नए रिश्ते बनाने का राष्ट्रपति ओबामा का फैसला इस हकीकत से प्रभावित था कि क्यूबा नीति के कारण अमेरिका की किरकिरी हो रही थी. क्यूबा को अलग थलग रखने की नीति लैटिन अमेरिका के देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों में दरार पैदा कर रही थी और संयुक्त राष्ट्र महासभा हर साल भारी बहुमत से अमेरिका की क्यूबा नीति की निंदा करती थी. अमेरिका 90 किलोमीटर दूर स्थित छोटे से देश पर दबाव बनाए हुए था तो चीन, रूस और ब्राजील के नेता नियमित रूप से हवाना जा रहे थे और लाखों का निवेश कर रहे थे.

हालांकि क्यूबा पर आर्थिक प्रतिबंध लगे रहेंगे क्योंकि उन्हें सिर्फ कांग्रेस हटा सकती है और वहां राष्ट्रपति ओबामा की डेमोक्रैटिक पार्टी का बहुमत नहीं है. लेकिन राष्ट्रपति हवाना में दूतावास खोलकर, क्यूबा जाने की बाधाओं को हटाकर और आतंकवाद को बढ़ाने वाले देश के क्यूबा के दर्जे पर पुनर्विचार कर आर्थिक संबंध को बढ़ा रही है. ओबामा की कार्रवाई अमेरिका को क्यूबा के मुद्दे पर दुनिया के दूसरे देशों के करीब ला रही है लेकिन उन्हें विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के कड़े विरोध का सामना करना होगा. सीनेटर जॉन मैकेन ने कहा है, "ओबामा निरंकुश तानाशाहों को खुश करने की नीति अपना रहे हैं और अमेरिका का प्रभाव कम कर रहे हैं."

एमजे/एजेए (एपी, एएफपी)

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