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क्यों इतने लोकप्रिय हैं गांधीजी

२ अक्टूबर २०१०

दुनिया के किसी भी हिस्से में सत्य और अहिंसा का जिक्र महात्मा गांधी को याद किए बिना पूरा नहीं होता. अब तो उनके बताए रास्ते पर चलने का फैशन भी आम हो गया गया है. आखिर ऐसा क्या है गांधीजी में.

तस्वीर: AP

पिछले 100 साल में कम ही लोग ऐसे हैं जिन्हें गांधी जितनी ख्याति मिली. यह कहना भी गलत नहीं होगा कि बापू को तारीख में बांध पाना असंभव है. तरक्की की राह पर हम कितना भी आगे क्यों न बढ़ जाएं गांधी को नकार पाना समय के बस में भी नहीं दिखता. कई लोग आज गांधी के दर्शन को भले ही प्रैक्टिकल न मानें लेकिन उनकी तरफ खुद को खिंचने से कोई नहीं रोक पाता है. चाहे फैशन की चकाचौंध में सराबोर यंगेस्टर्स हों, किताबों में डूबे स्टूडेंट या फिर आईटी प्रोफेशनल्स.

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मोबाइल फोन और आई पॉड से लैस कंप्यूटर युग के आज के युवाओं को गांधी कैसे प्रभावित करते है. रेडियो जॉकी गौरव कुमार कहते हैं, "गांधी जी के दर्शन में हर समस्या का आसान उपाय सुझाने की क्षमता है. यही वजह है कि वह बेहद प्रेक्टिकल और रेलेवेंट है."

स्टूडेंटस की शेल्फ में इंजीनियरिंग और मेडिकल की मोटी तगड़ी किताबों के बीच बापू की जीवनी सत्य के साथ प्रयोग का मिलना अब कोई हैरानी की बात नहीं है. आज का प्रयोगधर्मी युवा जिस गहराई में डूबकर माइकल जैक्शन को सुनता है, उतनी ही तल्लीनता से बापू के जीवन से रूबरू भी हो रहा है. शायद यही वजह है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद अब एमबीए कर रहे अतुल श्रीवास्तव गांधी दर्शन को किताबों की बजाय जीवन में लाने की बात करते हैं. वह कहते हैं, "गांधी दर्शन को किताबों में सीमित करना ठीक नहीं है. उनकी बताई बातों को जीवन में उतारने की जरूरत है."

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इतना लंबा वक्त बीतने के बाद भी गांधी महज नोटों, सड़कों और इमारतों पर खुदे अपने नाम की वजह से ही याद नहीं किए जा रहे हैं. यह तो उनकी शख्सियत का ही कमाल है जिससे आज भी लोगों के दिल दिमाग में वह अपनी पहचान बरकार रखे हुए हैं. लेकिन युवाओं को उनकी कौन सी बात सबसे ज्यादा पसंद आती है इस पर लगभग हर जुबान से दो ही शब्द सबसे पहले निकलते हैं अहिंसा और सादगी. लेकिन क्या गांधीजी की बातों को आज जिंदगी को पूरी जिंदगी में उतारा जा सकता है. आईटी प्रोफेशनल देवाशीष कहते हैं, "गांधी जी की बातों को पूरी तरह से जीवन में लागू कर पाना आज के समय में तो मुमकिन नहीं है लेकिन फिर भी यूथ को वह अब भी बहुत कुछ सिखाता है."

वैसे बापू को समझने के लिए किसी साधना की जरूरत नहीं है. बड़ी बड़ी डिग्रियां हासिल करने वालों से लेकर मुन्ना भाई तक वह किसी के भी करीब जा सकते हैं जरूरत है सिर्फ उन्हें समझने की इच्छा जगाने और धैर्य की. यही कह रहे हैं गौरव भी यही कहते हैं, "समस्या सिर्फ इतनी है कि आज के युवाओं में संयम और धैर्य का थोड़ा अभाव है. जबकि गांधी दर्शन को समझने का एकमात्र सूत्र धैर्य ही है."

गांधी हमारे कितने करीब हैं यह जानने के लिए एक ही बानगी काफी है. याद कीजिए महज तीन दिन पहले जब अयोध्या मामले में अदालती फैसला आना था और देश के कौमी माहौल पर मंडराते संकट से निपटने के लिए भारत के गृहमंत्री ने भी बापू का ही सहारा लिया. ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान.

रिपोर्टः निर्मल यादव

संपादनः आभा एम

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