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क्यों खामोश है सर्न

२ अगस्त २०१३

साल भर पहले दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला ने जब हिग्स कण के बारे में एलान किया, तो सर्न सुर्खियों में छा गया. आज यहां सन्नाटा है. लेकिन यह सिर्फ एक बड़ी योजना की गूंज से पहले की खामोशी है.

तस्वीर: 1997 CERN

कंप्यूटर स्क्रीन बंद पड़े हैं, कंट्रोल डेस्क पर कोई नहीं बैठा और विशालकाय प्रयोग वाली सुरंग भी खाली पड़ी है. बिग बैंग जैसा विस्फोट करने वाले लोगों को ऐसा लग रहा है कि कोई काम नहीं. फ्रांस और स्विट्जरलैंड की सीमा पर लगभग 27 किलोमीटर लंबी प्रयोग वाली सुरंग को फरवरी में ऑफलाइन कर दिया गया. यहां 18 महीने मरम्मत और बदलाव का काम चलने वाला है. लेकिन इस खामोशी पर न जाइए.

पर्दे के पीछे काम बहुत तेज चल रहा है. मशीन को अपग्रेड किया जा रहा है, इसमें आधुनिक पुर्जे जोड़े जा रहे हैं, आगे का सफर तो और भी चुनौती भरा है. यहां काम 2015 में शुरू होने वाला है. जब काम दोबारा शुरू होगा, तो यूरोपीय नाभिकीय रिसर्च सेंटर यानी सर्न के वैज्ञानिक एक बार फिर डार्क मैटर और डार्क एनर्जी पर रिसर्च शुरू करेंगे. ऐसी रिसर्च जिसे अभी उतना ही बड़ा पागलपन समझा जा रहा है, जितना हिग्स बोसोन को 50 साल पहले समझा जाता था.

सर्न में चल रही है मरम्मततस्वीर: CERN/Maximilien Brice

बदलेगा विज्ञान

पिछले साल सर्न ने हिग्स बोसोन के बारे में दुनिया को जानकारी दी, जो विज्ञान जगत की सबसे बड़ी खोजों में गिना जाने लगा. इसकी वजह से जल्द ही विज्ञान की किताबों में बदलाव होने वाले हैं और भौतकी का पूरा तंत्र फिर से तैयार होने वाला है.

इंजीनियर जहां तकनीकी मामलों पर नजर डाल रहे हैं, वहीं भौतिकशास्त्री आंकड़ों के पहाड़ के बीच बैठे माथापच्ची कर रहे हैं. लार्ज हाइड्रोजन कोलाइडर ने 2010 के बाद इन आंकड़ों को तैयार किया है. सर्न के तिजियानो कंपोरेसी का कहना है, "जिन चीजों के बारे में आसानी से पता लग सकता था, वे हो गए हैं. अब हम दोबारा से पूरी प्रक्रिया पर नजर डाल रहे हैं. हम हमेशा कहते हैं कि खगोलशास्त्रियों का काम आसान होता है क्योंकि उन्हें सब कुछ दिखता है."

हाइड्रोजन कोलाइडर में प्रयोग के दौरान टकराव से ऊर्जा द्रव्य में बदला. ऐसा इसलिए किया गया ताकि ब्रह्मांड में फैले अणुओं से छोटे कणों के बारे में पता लग सके, ऐसा प्रयोग जो इस ब्रह्मांड की उप्तपत्ति के बारे में भी बता सकता है. हाइड्रोजन कोलाइडर जब पूरे जोर शोर से काम कर रहा था, तो प्रति सेकेंड 55 करोड़ टकराव हो रहे थे.

उपकरणों में लगातार सुधारतस्वीर: 2010 CERN

छंटाई करना चुनौती

इसकी ऑपरेटिंग टीम के प्रमुख माइक लेमंट का कहना है, "इनमें से बहुतों के कोई मायने नहीं होते. तो सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि हम काम वाले टकरावों को अलग कर सकें." वह इस विशालकाय सुरंगनुमा प्रयोगशाला के बारे में बताते हैं, जो किसी अंतरिक्ष यान की तरह दिखता है लेकिन जहां जांच के लिए सिर्फ साइकिल से आया जाया जा सकता है. सर्न के कंप्यूटरों में माइक्रोसेकेंड में टकराव के आंकड़े जमा और विश्लेषित किए जा सकते हैं.

अपने प्रयोग के दौरान सर्न के वैज्ञानिकों को "बी" नाम के पार्टिकल में अनोखा बदलाव दिखा. इसमें पता चला कि हर अरबवां हिस्सा छोटे कणों में टूट जाता है, जिसे मुओन कहते हैं और जो हमेशा जोड़े में होता है. विशेषज्ञों के लिए यह जानना भी गॉड्स पार्टिकल यानी हिग्स बोसोन खोजने से कम उत्साहजनक नहीं था.

लगातार बदलता सर्न

सर्न में पहले 1989 में लार्ज इलेक्ट्रॉन पोजीट्रॉन कोलाइडर लगा, जिसे 2000 में बदल दिया गया. उसके बाद यहां लार्ज हाइड्रोजन कोलाइडर लगाया गया, जिसे 2008 में शुरू किया गया. उस वक्त दुनिया में यह अफवाह भी उड़ी कि इसके शुरू होने से दुनिया खत्म हो सकती है.

लेकिन इसकी शुरुआत बहुत अच्छी नहीं रही. खराबी आने के बाद प्रयोग को एक साल टालना पड़ा. आखिरकार 2012 में वैज्ञानिकों ने उस कण का एलान किया, जिसके लिए पूरा प्रयोग शुरू किया गया था.

विशालकाय प्रयोग में लगातार नए आंकड़े मिले. भौतिक विज्ञानी जोएल गोल्डश्टाइन का कहना है, "जब भी किसी को नया आंकड़ा मिलता है, उसके पास शैंपेन की बोतल खोलने का बहाना होता है." पास में खाली बोतलों की ढेर दिखाते हुए उन्होंने कहा, "बताइए, हमारे पास जगह भी कम पड़ती जा रही है."

एजेए/एमजे (एएफपी)

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