कभी कभी रिसर्चर किसी तथ्य को सिद्ध करने के लिए कुछ खतरनाक प्रयोग कर डालते हैं. प्रतिरोध का सिद्धांत समझाने के लिए एक रिसर्चर ने बहुत पास से खुद पर ही चलवाई बंदूक. देखिए क्या हुआ...
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यह तो आसानी से देखा जाता है कि हवा के मुकाबले पानी में कोई भी हरकत करना थोड़ा मुश्किल होता है. इसका कारण हवा के मुकाबले पानी का प्रतिरोध अधिक होना है क्योंकि पानी के अणु एक दूसरे से अधिक सटे हुए होते हैं. लेकिन इस अंतर को सिद्ध करने के लिए एक भौतिकशास्त्री रिसर्चर आंद्रेयास वाल ने तो पानी के अंदर खुद पर ही निशाना लगाकर गोली चलवा दी.
रिसर्चर वाल तो सुरक्षित रहे और पानी के अंदर से गोली हाथ में लेकर निकले. लेकिन यह एक पेशवर का पूरी तैयारी और निगरानी में किया हुआ एक प्रयोग था. इसे देखने वाले हर व्यक्ति को पता होना चाहिए कि इसे दोहराने का ऐसा कोई भी प्रयास जानलेवा साबित हो सकता है. इसलिए इसे खुद पर या किसी और पर आजमाने की कोशिश बिल्कुल ना करें. ऐसे और भी वैज्ञानिक प्रयोग "लाइफ ऑन दि लाइन" ऋंखला के वीडियो में यूट्यूब पर देखे जा सकते हैं.
आरआर/एमजे
मौत की सजा के तरीके भी अलग
दोषी पाए गए किसी व्यक्ति को मौत की सजा दिए जाने के खिलाफ दुनिया भर में मानवाधिकार संगठन लड़ रहे हैं. अभी भी दुनिया के कई देशों में दोषियों को कई तरह के क्रूर तरीकों से मौत की सजा देना जारी है.
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ताबड़तोड़ गोलियां
इस तरीके में सजा पाने वाले की आंखों पर काली पट्टी बांधी जाती है और उसे फायरिंग स्क्वॉड में खड़ा किया जाता है या बैठा दिया जाता है. फायरिंग स्क्वॉड में आमतौर पर सेना के कर्मचारी और कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी होते हैं. इस तरीके से इंडोनेशिया, चीन, सऊदी अरब, ताइवान और वियतनाम में मौत की सजा दी जाती है.
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मौत का इंजेक्शन
इन इंजेक्शनों में आमतौर पर तीन रसायनों का इस्तेमाल होता है: सोडियम पेंटोनाल, पैनकुरोनियम ब्रोमाइड और पोटैशियम क्लोराइड. हालांकि अगर एक बार में रसायन असर ना करें तो व्यक्ति को मरने में समय लगता है और यह लंबे समय के लिए दर्दनाक हो सकता है. यह तरीका अमेरिका, चीन और वियतनाम में इस्तेमाल होता है.
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कुर्सी में करंट
सजा पाने वाले के सिर से बाल उतारे जाते हैं और फिर उसे एक कुर्सी पर बैठाया जाता है. इसके बाद उसे एक कैप पहनाई जाती है जिसके अंदर नमक के पानी में भीगा स्पंज होता है. इसके बाद 500 से 2000 वोल्ट के बीच करंट प्रवाहित किया जाता है. यह प्रक्रिया तब तक बार बार दोहराई जाती है जब तक व्यक्ति दम नहीं तोड़ देता. यह तरीका भी अमेरिका में अपनाया जाता है.
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फांसी
यह तरीका अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक, जापान, मलेशिया और कुवैत में अपनाया जाता है. कई देशों में फांसी से पहले सजा पाने वाले का वजन लिया जाता है ताकि पता चल सके कि रस्सी कितनी लंबी होनी चाहिए.
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सिर कलम
मौत की सजा देने का यह तरीका हजारों साल पुराना है. इस समय सऊदी अरब एकलौता देश है जहां मौत की सजा सिर कलम करके दी जाती है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक 2013 में सऊदी अरब में 79 लोगों के सिर कलम किए गए.
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अन्य तरीके
इनके अलावा भी मौत की सजा देने के कई तरीके हैं जो कि कम ही इस्तेमाल किए जाते हैं. जैसे पत्थर मारकर, गैस चैम्बर में डालकर या फिर सजा पाने वाले को ऊंचाई से फेंक देना.