1945 ड्रेसडेन की याद
१३ फ़रवरी २०१५जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल यूक्रेन संकट के सिलसिले में कई बैठकों में शामिल हो चुकी हैं. उनका एक ही मकसद है, यूक्रेन संघर्ष को खत्म करना. रूस और अमेरिका से अलग जर्मनी हथियार मुहैया कराने के खिलाफ है. इसकी एक बड़ी वजह है जर्मनी का इतिहास. 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी इतनी बुरी तरह तबाह हुआ कि आज 70 साल बाद भी इतिहास के पन्नों में उसकी याद ताजा है. जाहिर है, खुद युद्ध झेल चुका जर्मनी खुद को और दूसरों को इसमें नहीं धकेलना चाहता.
1945 में 13 से 15 फरवरी तक जर्मनी के पूर्वी शहर ड्रेसडेन पर हवाई हमले हुए. कई दशकों तक इस पर विवाद चलता रहा कि इन हमलों में कितने लोगों की जान गयी. लंबे समय तक संख्या 70 हजार बताई गयी. बाद में इसे 35 हजार कर दिया गया. आखिरकार 2004 में इस सवाल का सही जवाब ढूंढने के लिए एक कमीशन बनाया गया जिसने 2010 में अपनी रिपोर्ट जारी की और आंकड़ा 25 हजार तय किया. आज 70 साल बाद भले ही यह कहा जाए कि मारे गए लोगों की संख्या जितनी आंकी गयी उससे काफी कम थी, पर सच्चाई यह है कि कुछ ही मिनटों में हजारों लोगों का मारा जाना कोई छोटी बात नहीं.
वे खौफनाक 23 मिनट
13 फरवरी 1945. इंग्लैंड से 245 लैंकैस्टर बॉम्बर प्लेन रवाना होते हैं. उनका निशाना, एल्बे नदी पर स्थित ड्रेसडेन शहर. आबादी, करीब 6,30,000. इनमें से करीब एक लाख शरणार्थी. रात 9.39 बजे सायरन बजने शुरू होते हैं. 23 मिनट के अंदर 3,000 बड़े और शक्तिशाली बम और चार लाख आग लगाने वाले बम शहर पर बरसा दिए जाते हैं. "फ्लोरेंस ऑफ एल्बे" के नाम से मशहूर शहर कुछ ही देर में राख में तब्दील हो जाता है. आग इतनी बुरी तरह लगी थी कि ब्रिटेन के पायलट ने उस वक्त कहा था कि वे 320 किलोमीटर की दूरी से भी उसे देख पा रहे थे. यह पायलट 22,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे थे. तापमान इतना बढ़ गया था कि तहखानों में मौजूद कांच पिघलने लगा था.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के 60 में से 45 शहरों का कुछ ऐसा ही हाल हो गया था. ड्रेसडेन के अलावा कोलोन और हैम्बर्ग जैसे बड़े शहर भी इनमें शामिल थे. विश्व युद्ध की पूरी रणनीति 1944 में तय हो चुकी थी और उसमें ड्रेसडेन ना ही आर्थिक रूप से कोई बड़ी भूमिका अदा करता दिखता था और ना ही कूटनीतिक रूप से. लेकिन ड्रेसडेन सड़कों और रेल का बड़ा जंक्शन था. यह उत्तर को दक्षिण और पूर्व को पश्चिम से जोड़ता था. ऐसे में हिटलर और नाजियों के छिपने के लिए यह एक बेहतरीन जगह थी.
इतिहास से सीख
फरवरी 1945 में हुआ हमला ब्रिटेन और अमेरिका ने मिल कर किया और इसके जरिए उन्होंने सोवियत संघ को भी दिखा दिया कि वे हिटलर के जर्मनी के खिलाफ एकजुट हैं. ब्रिटेन ने आर्थर हैरिस के नेतृत्व में यह हमला किया, जो कि ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स के मार्शल थे. हैरिस को चर्चिल का दाहिना हाथ भी कहा जाता था. इन हमलों के बाद उन्हें "बॉम्बर हैरिस" के नाम से जाना जाने लगा. ब्रिटेन में मीडिया ने कई बार उन्हें "बुचर हैरिस" की संज्ञा भी दी है.
इसीलिए 1992 में जब लंदन में मार्शल हैरिस का आठ फीट ऊंचा पुतला लगाया गया, तो इस पर काफी विवाद हुआ. जहां एक तरफ रानी ने उन्हें एक "प्रेरणाप्रद नेता" कह कर पुकारा, वहीं लोगों ने "जन हत्यारे" के नारे लगाए. ड्रेसडेन आज भी एक मुद्दा है. ब्रिटेन के लिए भी और यूक्रेन को युद्ध से बचाने की कोशिश करती जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के लिए भी.