भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के दूसरा कार्यकाल न लेने की घोषणा के साथ ही उनकी जगह लेने वालों के नामों पर अटकलें लगनी शुरु हो गईं. राजन क्यों छोड़ रहे हैं पद और कौन आ सकता है उनकी जगह?
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रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल, सीएजी के पूर्व प्रमुख विनोद राय या फिर एसबीआई चीफ अरुंधति भट्टाचार्य - अटकलों के बाजार में यह सभी नाम प्रमुखता से सुनाई दे रहे हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जल्दी ही इस बाबत आधिकारिक घोषणा करने की बात कही है.
राजन का उत्तराधिकारी बनने की दौड़ में प्रमुख हैं अर्थशास्त्री और बैंकर उर्जित पटेल, जिन्हें भारत के सेंट्रल बैंक में राजन के 'इनफ्लेशन लेफ्टिनेंट' के रूप में भी जाना जाता है. वहीं स्टेट बैंक की प्रमुख भट्टाचार्य का कार्यकाल भी राजन की ही तरह सितंबर में खत्म होने के कारण भी उनके नाम पर मुहर लगने की उम्मीद जताई जा रही है. सीएजी के पूर्व प्रमुख विनोद राय, जिन्हें 2जी स्कैम सामने लाने का श्रेय मिलता है, फिलहाल नवगठित बैंक्स बोर्ड ब्यूरो का नेतृत्व कर रहे हैं. यह ब्यूरो सर्वजनिक बैंकों के प्रमुखों को नियुक्त करने और बैंकिंग सुधारों पर सरकार को सलाह देने के लिए बनाया गया है.
प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु समेत ऐसे दर्जनों नामों की चर्चा हैं. बसु ने वर्तमान गवर्नर राजन के बारे में ट्विटर पर अपने विचार व्यक्त किए लेकिन अपनी उम्मीदवारी के बारे में कुछ नहीं कहा.
1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद से आरबीआई गवर्नर के रूप में अब तक का सबसे छोटा कार्यकाल बिताने वाले राजन गवर्नर बनने वाले कुछेक गैरनौकरशाहों में भी शामिल हैं. उनके पहले ज्यादातर गवर्नर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हुआ करते थे.
देश के अन्य रेगुलेटरी जिम्मेदारी वाले पदों की तरह आरबीआई गवर्नर के पद के लिए अभ्यर्थियों के प्रार्थना-पत्र मंगवाने की परंपरा कभी नहीं रही. रिपोर्टों की मानें तो फाइनेंशियल सेक्टर रेगुलेटरी सर्च कमेटी नाम के एक उच्च-स्तरीय पैनल को इस पद के लिए संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाने का काम दिया गया है. नए प्रमुख के नाम पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार लेगी.
अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी में फाइनेंस के प्रोफेसर राजन ने आरबीआई गवर्नर का पद संभालने के लिए तीन साल की छुट्टी ली थी. अब वे फिर से अकादमिक क्षेत्र में वापस जाना चाहते हैं. राजन ने कहा कि "मुद्रास्फीति पर काबू पाने और बैंक बुक्स को साफ करने" का काम अभी पूरा करना बाकी है. इंडस्ट्री विशेषज्ञों का मानना है कि नए रिजर्व बैंक प्रमुख के सामने काफी बड़ी चुनौतियां होंगी.
बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने राजन के पद छोड़ने की घोषणा को अच्छा फैसला बताया. राज्य सभा के लिए हाल ही में मनोनीत किए गए स्वामी पहले से ही राजन को दूसरा कार्यकाल ना दिए जाने की मांग कर रहे थे. स्वामी ने इस मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई चिट्ठियां लिखी थीं और उनमें राजन को पद से हटाए जाने के लिए तर्क दिया था कि वे "मानसिक तौर पर पूर्ण भारतीय" नहीं हैं. स्वामी ने आरोप लगाया था कि राजन गोपनीय और संवेदनशील वित्तीय जानकारियां दुनिया भर में भेज रहे हैं.
मोदी सरकार के साथ केंद्रीय बैंक की ब्याज दरों को कम करने को लेकर राजन के मतभेदों की खबरें भी आई थीं. पिछले 18 महीने में राजन ब्याज दरें घटाकर 2011 के बाद से सबसे कम स्तर पर लाए हैं. लेकिन सत्ताधारी बीजेपी आर्थिक विकास को गति देने के लिए इनमें और भी बड़ी कमी चाहती है. राजन ने अपने कार्यकाल में दो अंकों में पहुंच चुकी मुद्रास्फीति की दर को 5 फीसदी के आसपास ला दिया. अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए एक स्थिर वातावरण तैयार करने का श्रेय भी रघुराम राजन को दिया जाता है. आम जनता में बेहद लोकप्रिय माने जाने वाले राजन को दूसरा कार्यकाल दिए जाने के लिए लाखों लोगों ने ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर किए थे.
कारोबार में कहां कितने रोड़े
निवेश और कारोबार के लिहाज से भारत की स्थिति कुछ बेहतर हुई है. लेकिन लालफीताशाही में लिपटा भारत अब भी भूटान और नेपाल से पीछे है. एक नजर अलग अलग देशों के कारोबारी माहौल पर.
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1. सिंगापुर
विश्व बैंक की "डूईंग बिजेनस" रिपोर्ट में सिंगापुर को कारोबार के लिए सबसे अच्छा देश बताया गया है. वहां कारोबार के लिए परमिट लेना और करार की शर्तों को लागू करना सबसे आसान है. सिर्फ तीन प्रक्रियायें पूरी करनी पड़ती हैं, जिनमें ढाई दिन का समय लगता है.
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2. न्यूजीलैंड
दक्षिण ध्रुव के करीब बसा न्यूजीलैंड दूसरे स्थान पर है. देश में कंपनी रजिस्टर करना सबसे आसान है. सिर्फ एक प्रक्रिया है, जो आधे दिन में पूरी हो जाती है. संपत्ति का रजिस्ट्रेशन कराने, कर्ज लेने और छोटे निवेशकों का ख्याल रखने में भी न्यूजीलैंड काफी बेहतर है.
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3. डेनमार्क
यूरोपीय संघ के सदस्य देश डेनमार्क में तीन दिन के भीतर चार प्रक्रियायें पूरी कीजिए और कंपनी शुरू कीजिए. विदेशों के साथ कारोबार करने के लिहाज से बेहद आसान देश है. निर्माण की अनुमति लेने, कॉन्ट्रैक्ट को लागू कराने और दिवालियेपन को हल करने में डेनमार्क काफी आगे है.
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4. दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरिया में नई कंपनी का रजिस्ट्रेशन तीन दिन के भीतर हो जाता है. कंपनी शुरू करने के बाद कर्मचारियों का बीमा, पेंशन फंड और दुर्घटना बीमा कराने में एक दिन का वक्त भी नहीं लगता है.
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5. हॉन्ग कॉन्ग, चीन
अगर आपने कोई कंपनी बनाने की सोची और उसका नाम तय किया तो सर्टिफिकेट पाने में आपको एक दिन भी नहीं लगेगा. हॉन्ग कॉन्ग में यह प्रक्रिया ऑनलाइन है. किसी बैंक के साथ कर्मचारियों के बीमा और अनिवार्य प्रोविजनरी फंड स्कीम का करार करने में भी एक दिन लगता है. वहां कंपनी शुरू करने में औसतन डेढ़ दिन का समय लगता है.
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6. ब्रिटेन
न्यूजीलैंड के बाद ब्रिटेन में कारोबार के लिए कर्ज लेना बेहद आसान है. चार प्रक्रियायें है जो साढ़े चार दिन में पूरी हो जाती है. कंपनी का नाम चुनने और रजिस्ट्रेशन कराने का काम ब्रिटेन में एक दिन के भीतर हो जाता है. लेकिन संपत्ति का रजिस्ट्रेशन कराने और विदेशों के साथ कारोबार करने में ब्रिटेन थोड़ा सा पीछे है.
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7. अमेरिका
कंपनी का नाम चुनने और कंपनी ऑपरेट एंग्रीमेंट लेने में अमेरिका में कुछ घंटे लगते हैं. टैक्स के लिए कर्मचारियों को पहचान नंबर लेने और राज्य के सेल्स टैक्स विभाग में रजिस्ट्रेशन कराने में भी चंद घंटे ही लगते हैं. अमेरिका में कंपनी शुरू करने में बहुत कम खर्चा है. लेकिन बिजली लेने और टैक्स भुगतान की प्रक्रिया वहां कुछ लंबी है.
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8. स्वीडन
स्वीडन में कंपनी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लेने में पांच दिन लगते हैं. स्वीडन की टैक्स एजेंसी में रजिस्ट्रेशन एक दिन में हो जाता है. कुल मिलाकर स्वीडन में हफ्ते भर के भीतर कंपनी कानूनी रूप से शुरू हो जाती है.
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9. जर्मनी
15वें स्थान पर मौजूद जर्मनी में कंपनी शुरू करने के लिए 9 प्रक्रियायें पूरी करनी पड़ती है. कंपनी शुरू करने में औसतन डेढ़ हफ्ता लगता है. बिजली का कनेक्शन लेना और दिवालिया संकट को हल करना बहुत तेजी से होता है. हालांकि संपत्ति की रजिस्ट्री और छोटे निवेशकों के हित सुरक्षित रखना जर्मनी में बहुत आसान नहीं है.
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10. भूटान
हिमालय की गोद में बसा भूटान वर्ल्ड बैंक की रैंकिंग में 72वें नंबर पर है. वहां कंपनी शुरू करने के लिए आठ प्रक्रियायें पूरी करनी पड़ती हैं, जिनमें औसतन 15 दिन लगते हैं. रजिस्ट्रेशन में तीन दिन लगते हैं. रीजनल ट्रेड एंड इंडस्ट्री ऑफिस से बिजनेस लाइसेंस दो दिन के भीतर मिलता है.
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11. नेपाल
99वें स्थान पर मौजूद नेपाल में कंपनी शुरू करने का कागजी काम 15 दिन लेता है. वहां के सरकारी विभागों में सात प्रक्रियायें हैं. रजिस्ट्रार ऑफिस में पंजीकरण में सात दिन लगते हैं.
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12. भारत
लालफीताशाही के लिए बदनाम भारत की स्थिति नई रैंकिंग में कुछ बेहतर हुई है. देश 142वें स्थान से ऊपर उठकर 130वें पायदान पर आया है. भारत में कंपनी शुरू करने के लिए 14 प्रक्रियायें पूरी करनी पड़ती हैं. भ्रष्टाचार और अलग अलग सरकारी दफ्तरों का आपसी तालमेल न होने से बहुत वक्त बर्बाद होता है. भारत में कंपनी कानूनी रूप से शुरू करने में 29 दिन लगते हैं.