क्यों ज्यादा रिस्की होता है जुड़वां बच्चों का जन्म
२४ फ़रवरी २०१७
आइडेंटिकल ट्विन्स फाबियो और इलारियो का स्वस्थ पैदा होना करामात ही है. मां के पेट में वे दोनों जीने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उनकी रक्तवाहिनी एक दूसरे से जुड़ी थी. दोनों की जिंदगी खतरे में थी.
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रक्तवाहिनी एक दूसरे से जुड़ी होने के कारण मां के गर्भ में एक को ज्यादा खाना मिलता था और दूसरे को बहुत ही कम. मां लॉरा बावर को यह बात लगातार परेशान करती रही. उन दिनों को याद करते हुए वे कहती हैं, "पता ही नहीं था कि क्या होगा, बच्चे जियेंगे या नहीं, कि सिर्फ एक बचेगा, आखिर भविष्य की कोख में क्या है? सब कुछ ठीक तो रहेगा." सारी उम्मीदें डॉ. कुर्ट हेषर पर टिकी थीं. वे यूरोप के उन थोड़े से विशेषज्ञों में हैं जो ट्विन ट्रांसफ्यूजन सिंड्रोम में मदद कर सकते हैं.
बच्चों की जिंदगी बचाने का एकमात्र रास्ता था यूटेरस में एक जटिल ऑपरेशन करना. नियोनेटोलॉजिस्ट डॉक्टर हेषर के मुताबिक, "कम पोषक तत्व पाने वाला बच्चा गर्भ में मर सकता है क्योंकि उसे सामान्य विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व और ऊर्जा नहीं मिल पाती है. जिस बच्चे को बहुत ज्यादा खून मिल रहा है, वह दिल के आघात से मर सकता है. यदि बाहर से हस्तक्षेप न किया जाए तो लगभग 80 से 90 फीसदी मामलों में नतीजा दोनों बच्चों की मौत होता है."
डॉ. हेषर ने जुड़ी हुई रक्त वाहिकाओं को लेजर की मदद से एक दूसरे से अलग किया. ऑपरेशन के दौरान होने वाली मां पूरे होशहवाश में रहती हैं. ऑपरेशन लेजर और एंडोस्कोपी कैमरे वाला कनुला पेट के अंदर डालकर किया जाता है. लॉरा बावर ने पहली बार जब अपने अजन्मे बच्चों की तस्वीर देखी तो वह भावुक हो गई, "वह बहुत ही खूबसूरत अहसास था. उसके पारदर्शी त्वचा वाले हाथ दिखे, सिर, पहले बाल. ये सचमुच इस ऑपरेशन का अच्छा साइड इफेक्ट था. ये और कोई नहीं कह सकता कि उसने गर्भावस्था में बच्चे को इस तरह देखने का भी अनुभव किया है. "
कैमरे की तस्वीरों की मदद से सर्जन उलझी नस को खोज निकालते हैं. लेजर की मदद से वह नस का ऑपरेशन करते हैं और अतिरिक्त रक्त प्रवाह को रोक देते हैं. सुनने या पढ़ने में यह भले ही आसान लगे, लेकिन डॉक्टर हेषर के मुताबिक इस दौरान कुछ भी हो सकता है, "हर हस्तक्षेप चाहे आप पतली से पतली सूई से यूटेरस में जाते हैं, उसमें गर्भपात का जोखिम रहता है. ये भी हो सकता है कि एक बच्चे की गर्भाशय में ही मौत हो जाए, क्योंकि वह स्थिति से निबट नहीं सकता."
ऐसा जटिल ऑपरेशन करने वाले सर्जन की ये भी जिम्मेदारी होती है कि अजन्मे बच्चे को लेजर की चमक न लगे. इस मामले में ठीक ठाक ऑपरेशन के बाद कुछ ही मिनटों में जुड़ी हुई नसों को अलग कर लिया गया. फाबियो और इलारियो ने ऑपरेशन को झेल लिया और वे स्वस्थ अवस्था में पैदा हुए. अब तो किसी को उस ड्रामे और जोखिम की याद भी नहीं.
(क्यों हैरान करता है इंसान का शरीर, वैज्ञानिकों को)
अद्भुत है इंसान का शरीर
शरीर अपने आप में एक चमत्कार है. इंसान को जिंदा रखने के लिए हर दिन वह करोड़ों काम करता है. एक नजर शरीर में मौजूद नायाब दुनिया पर.
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जबरदस्त फेफड़े
हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे.
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ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं
हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.
तस्वीर: Fotolia
लाखों किलोमीटर की यात्रा
इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है.
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धड़कन, धड़कन
एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है.
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सारे कैमरे और दूरबीनें फेल
इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके.
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नाक में एंयर कंडीशनर
हमारी नाक में प्राकृतिक एयर कंडीशनर होता है. यह गर्म हवा को ठंडा और ठंडी हवा को गर्म कर फेफड़ों तक पहुंचाता है.
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400 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार
तंत्रिका तंत्र 400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शरीर के बाकी हिस्सों तक जरूरी निर्देश पहुंचाता है. इंसानी मस्तिष्क में 100 अरब से ज्यादा तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं.
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जबरदस्त मिश्रण
शरीर में 70 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्बन, जिंक, कोबाल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, निकिल और सिलिकॉन होता है.
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बेजोड़ झींक
झींकते समय बाहर निकले वाली हवा की रफ्तार 166 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. आंखें खोलकर झींक मारना नामुमकिन है.
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बैक्टीरिया का गोदाम
इंसान के वजन का 10 फीसदी हिस्सा, शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. एक वर्ग इंच त्वचा में 3.2 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं.
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ईएनटी की विचित्र दुनिया
आंखें बचपन में ही पूरी तरह विकसित हो जाती हैं. बाद में उनमें कोई विकास नहीं होता. वहीं नाक और कान पूरी जिंदगी विकसित होते रहते हैं. कान लाखों आवाजों में अंतर पहचान सकते हैं. कान 1,000 से 50,000 हर्ट्ज के बीच की ध्वनि तरंगे सुनते हैं.
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दांत संभाल के
इंसान के दांत चट्टान की तरह मजबूत होते हैं. लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से अपनी मरम्मत खुद कर लेते हैं, वहीं दांत बीमार होने पर खुद को दुरुस्त नहीं कर पाते.
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मुंह में नमी
इंसान के मुंह में हर दिन 1.7 लीटर लार बनती है. लार खाने को पचाने के साथ ही जीभ में मौजूद 10,000 से ज्यादा स्वाद ग्रंथियों को नम बनाए रखती है.
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झपकती पलकें
वैज्ञानिकों को लगता है कि पलकें आंखों से पसीना बाहर निकालने और उनमें नमी बनाए रखने के लिए झपकती है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुनी बार पलके झपकती हैं.
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नाखून भी कमाल के
अंगूठे का नाखून सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ता है. वहीं मध्यमा या मिडिल फिंगर का नाखून सबसे तेजी से बढ़ता है.
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तेज रफ्तार दाढ़ी
पुरुषों में दाढ़ी के बाल सबसे तेजी से बढ़ते हैं. अगर कोई शख्स पूरी जिंदगी शेविंग न करे तो दाढ़ी 30 फुट लंबी हो सकती है.
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खाने का अंबार
एक इंसान आम तौर पर जिंदगी के पांच साल खाना खाने में गुजार देता है. हम ताउम्र अपने वजन से 7,000 गुना ज्यादा भोजन खा चुके होते हैं.
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मजे के लिए सेक्स
सिर्फ इंसान और डॉल्फिन मछली ही मजे के लिए सेक्स करते हैं. बाकी जीव बच्चे पैदा करने के लिए सेक्स करते हैं.
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बाल गिरने से परेशान
एक स्वस्थ इंसान के सिर से हर दिन 80 बाल झड़ते हैं.
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सपनों की दुनिया
इंसान दुनिया में आने से पहले ही यानी मां के गर्भ में ही सपने देखना शुरू कर देता है. बच्चे का विकास वसंत में तेजी से होता है.
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नींद का महत्व
नींद के दौरान इंसान की ऊर्जा जलती है. दिमाग अहम सूचनाओं को स्टोर करता है. शरीर को आराम मिलता है और रिपेयरिंग का काम भी होता है. नींद के ही दौरान शारीरिक विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स निकलते हैं.