क्यों डाकियों से चिढ़ते हैं कुत्ते?
१९ नवम्बर २००९एक आंकड़े के मुताबिक़ हर साल क़रीब 600 डाकिए कुत्तों के हमलों में घायल हो जाते हैं.
असल में घर घर चिट्ठियां डालने का काम थका तो देता ही है लेकिन जोखिम भी इसमें कम नहीं. न जाने कब किस घर में कोई कुत्ता भड़क जाए और किसी डाकिए पर टूट पड़े.
अब कुत्तों से भय खाने वाले डाकियों के लिए एक ट्रेनर की व्यवस्था की गई है. योर्ग उलब्रिष्ट ऐसे ही एक ट्रेनर हैं जो 80 हज़ार जर्मन डाकियो को फ्रैंकफ़र्ट में ट्रेनिंग दे रहे हैं कि वे कैसे अपना डर भगाएं.
उलब्रिष्ट का कहना है कि असल में कुछ कुत्ते डाकियों की पोशाक से भड़क उठते हैं. उनके खुर्राटपन के तंतु सक्रिय हो जाते हैं और वे हमला कर देते हैं, लेकिन ट्रेनर का कहना है कि कुत्ते के पास से गुज़रते हुए शांत रहे स्थिर रहें और कभी कुत्ते को लंबी बातों से फुसलाने की कोशिश न करें. कुत्ते को सम्मोहित करने की कोशिश करते हुए धीरे धीरे पीछे हटना भी ठीक नहीं. कभी यह दांव उलटा भी पड़ जाता है.
उलब्रिष्ट कहते हैं कि एक साधारण आदमी कभी भी कुत्ते के बर्ताव को सही तरह से आंक नहीं सकता. कहते हैं कि अगर कुत्ता बिल्कुल शांत है तो कम से कम आपके दिमाग में अलार्म की घंटी बज जानी चाहिए. उलब्रिष्ट ऐसे ही एक वाक़ए का हवाला देते हैं कि उत्ज़ नाम का कुत्ता कैसे उन पर झपट पड़ा. वैसे तो उत्ज़ बड़े शांत स्वभाव का था लेकिन जैसे ही उल्ब्रिष्ट ने जूट की थैली निकाली, उत्ज़ उन पर लपका और हैवान की तरह थैली को काटने लगा. वैसे को यह बस एक थैली थी लेकिन अगर किसी पोस्टमैन का पैर उत्ज़ के दांतों के बीच आ जाता तो...
रिपोर्टः एजेंसियां/ एस जोशी
संपादनः एम गोपालकृष्णन