कहानी एक अनूठी पहल की, एक ऐसी शॉर्ट फिल्म की जो तालाबंदी के दौरान कुछ इस तरह से बनी है कि उससे जुड़े लोगों को अपने अपने घरों से बाहर निकलने की जरा भी जरूरत नहीं पड़ी. आखिर इस फिल्म के पीछे संदेश क्या है?
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तालाबंदी के बीच आवश्यक चीजें बनाने वाले उद्योगों के अलावा बाकी सब उद्योग बंद पड़े हैं. यही हाल फिल्म उद्योग का भी है. इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन ने 15 मार्च को ही घोषणा कर दी थी कि सभी फिल्मों, टीवी सीरियलों और वेब सीरीज की शूटिंग पर 19 मार्च से 31 मार्च तक बैन रहेगा. तब से शूटिंग बंद है. सिनेमा घर भी बंद हैं, इसलिए जो फिल्में बन कर तैयार थीं उनकी रिलीज टाल दी गई है. टीवी पर या तो सीरियलों के पुराने एपिसोड दिखाए जा रहे हैं या रामायण जैसे पुराने सीरियलों को ही वापस लाया जा रहा है.
इस बीच इस उद्योग से जुड़े बड़े अभिनेताओं, निर्माताओं और निर्देशकों की कमाई तो बंद है लेकिन वो लोग फिर भी उन हालात से नहीं गुजर रहे होंगे जिनसे फिल्मों और टीवी सीरियलों के बनने में एक बड़ी भूमिका निभाने वाले दिहाड़ी श्रमिक गुजर रहे हैं. भारत में फिल्मों की शूटिंग में लाइटमैन, स्पॉट बॉय, सेट लगाने वाले, जूनियर कलाकार, कैमरा और अन्य उपकरणों की देख रेख करने वाले, दर्जी और सभी तरह के छोटे मोटे काम करने वाले लोग दिहाड़ी पर काम करते हैं. अनुमान है कि इनकी संख्या पांच लाख से भी ज्यादा है.
शूटिंग बंद होने के बाद से हिंदी फिल्म जगत के कई लोगों ने इन दिहाड़ी श्रमिकों के लिए मदद की घोषणा की है. सोमवार को सोनी टीवी इनके लिए एक अनूठी पहल ले कर आया, एक ऐसी शॉर्ट फिल्म के रूप में जो तालाबंदी के दौरान कुछ इस तरह से बनी है कि उससे जुड़े लोगों को अपने अपने घरों से बाहर निकलने की जरा भी जरूरत नहीं पड़ी. चार मिनट 35 सेकंड की इस फिल्म में हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी और बांग्ला फिल्मों की कई नामी हस्तियों ने अभिनय किया है. इनमें शामिल हैं अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, रणबीर कपूर, प्रियंका चोपड़ा, आलिया भट्ट, चिरंजीवी, मोहनलाल, ममूटी, सोनाली कुलकर्णी, प्रोसेनजीत चटर्जी, शिवा राजकुमार और दिलजीत दोसांझ.
इसे सभी कलाकारों ने अपने अपने घरों में ही शूट किया है और बाद में एडिटिंग के जरिये सभी रिकॉर्डिंग्स को एक साथ मिला कर फिल्म बना दी गई है.
इस शॉर्ट फिल्म के जरिए दो संदेश देने की कोशिश की गई है. पहला संदेश है कि सब तालाबंदी का समर्थन करें और अपने अपने घरों में ही रहें क्योंकि कोविड-19 से घर पर रह कर ही लड़ा जा सकता है. दूसरा संदेश है कि पूरा फिल्म जगत संकट की इस घड़ी में फिल्मों को बनाने वाले दिहाड़ी श्रमिकों के पीछे एक परिवार की तरह खड़ा है. पूरे उद्योग ने मिलकर इन श्रमिकों के लिए कुछ धनराशि जमा की है और उससे इनकी मदद की जाएगी.
कामकाजी लोगों की जिंदगी में ऐसा मौका शायद दोबारा कभी नहीं आएगा जब उन्हें इतना लंबा वक्त घर में रहने को मिलेगा. इसलिए शिकायत करने की जगह इस वक्त का फायदा उठाएं. वक्त काटने के लिए हम लाए हैं कुछ अच्छे आइडिया.
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खाना पकाएं
इसे मजबूरी ना समझें. खाने के साथ क्रिएटिव भी हुआ जा सकता है. यूट्यूब और फेसबुक पर दिलचस्प खाना पकाने के तमाम वीडियो मौजूद हैं. इनका इस्तेमाल कीजिए, हर दिन संडे लगने लगेगा.
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कसरत कीजिए
जिम बंद है, यह बहाना अब नहीं चलेगा क्योंकि बॉलीवुड की कई हस्तियां घर में वर्कआउट के वीडियो पोस्ट कर साबित कर चुकी हैं कि बिना जिम की मशीनों के भी कसरत मुमकिन है. योगा के लिए तो जिम की जरूरत वैसे भी नहीं है.
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घर की सफाई
आपकी काम वाली यूं भी इन दिनों नहीं आ रही है. तो मिलजुल कर घर की सफाई कीजिए. हो सकता है इस दौरान आपको कहीं कोई पुराना खत, कोई पुरानी तस्वीर मिल जाए जो आपके होंठों पर मुस्कान ला दे.
पूरी की पूरी सिरीज एक ही बार में देख लेने का मौका फिर कहां मिलेगा. नेटफ्लिक्स और ऐमजॉन प्राइम की जो फिल्में और सिरीज आपकी लिस्ट में अब तक थीं, उन्हें देख डालिए.
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लूडो खेलिए
जिस जमाने में स्मार्टफोन नहीं थे लोग परिवार के साथ बैठ कर लूडो, बिजनेस और कैरम जैसे गेम खेला करते थे. कुछ देर के लिए ही सही, वह दौर लौट आया है, तो इसका पूरा आनंद लीजिए.
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टैक्स रिटर्न भरिए
अगर अब तक नहीं भरी है, तो यह अच्छा मौका है. टैक्स रिटर्न के अलावा बैंक इत्यादि के कागजी काम हों तो उन्हें भी इस दौरान निपटा लीजिए.
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कुछ नया सीखिए
आप कोई ऑनलाइन कोर्स कर सकते हैं. अपने स्मार्टफोन के ऐप स्टोर में जाइए और देखिए कितने तरह के कोर्स उपलब्ध हैं. यह भी नहीं करना चाहते हैं तो परिवार में एक दूसरे से ही कुछ नया सीख लीजिए.
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छुट्टी की तैयारी कीजिए
ना जाने अगली छुट्टी कब होगी लेकिन उसकी प्लानिंग तो की ही जा सकती है. गोवा जाना है या शिमला, इतना तो तय किया जा सकता है. एक दूसरे के साथ बैठ कर होटल भी खोजे जा सकते हैं.
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पौधे उगाइए
घर में पौधों को उगते देखना एक सकारात्मक अहसास देता है. रोज अपने पौधों को पानी दीजिए, उनके साथ बैठ कर कुछ वक्त बिताइए. बीमारी के इस बुरे दौर में यह अच्छी सोच में फायदेमंद होगा.
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किताबें पढ़िए
आपने आखिरी बार कोई किताब कब उठाई थी? अगर हमेशा किताब उठाने के लिए खाली वक्त का इंतजार कर रहे थे, तो लीजिए आ गया वो खाली वक्त. अगर घर में नई किताब नहीं है, तो इस बीच बहुत सी लाइब्रेरी ऑनलाइन किताबें निःशुल्क दे रही हैं.
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दोस्तों से बातें कीजिए
भाग दौड़ की जिंदगी में पुराने दोस्त कई बार पीछे छूट जाते हैं. उन्हें फोन कीजिए, उनका हालचाल पूछिए. क्या पता आपकी एक कॉल उनकी मायूसी दूर कर दे.
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कुछ भी मत कीजिए
जरूरी नहीं है कि हर वक्त कुछ ना कुछ करना ही है. अपने शरीर और दिमाग को थोड़ा सा ब्रेक दीजिए क्योंकि कुछ दिनों बाद फिर से बसों और ट्रेनों में धक्के खाने हैं और घंटों ट्रैफिक में गुजारने हैं.