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समाज

क्यों बंद हो रहे हैं भारत के कॉलेज और संस्थान

६ अगस्त २०२०

भारत में उच्च शिक्षा के कई संस्थान बंद हो रहे हैं. ये प्रक्रिया कई सालों से चल रही है लेकिन महामारी की वजह से समस्या और गंभीर हो गई है. क्या नई शिक्षा नीति इस मोर्चे पर कुछ बदलाव ला पाएगी?

Indien - Indian Institute of Management Bangalore
तस्वीर: picture-alliance/robertharding/M. Cristofori

एक तरफ तो भारत में नई शिक्षा नीति उच्च शिक्षा के विदेशी संस्थानों को भारत में नए संस्थान खोलने के लिए प्रेरित कर रही है, और दूसरी तरफ देश में पहले से खुले हुए संस्थान बंद हो रहे हैं. हाल ही में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने बताया कि इस वर्ष 179 तकनीकी उच्च शिक्षा के संस्थान बंद हो गए. यह पिछले नौ सालों में बंद होने वाले संस्थानों की सबसे बड़ी संख्या है.

एक रिपोर्ट के अनुसार इसके मुकाबले पिछले शिक्षा सत्र यानी 2019-20 में 92 तकनीकी संस्थान, 2018-19 में 89, 2017-18 में 134, 2016-17 में 163, 2015-16 में 126 और 2014-15 में 77 संस्थान बंद हुए थे. ये आंकड़े दिखाते हैं कि वैसे तो देश में हर साल ही कई संस्थान बंद होते हैं, लेकिन 2020-21 में बंद होने वाले संस्थानों की संख्या पहले से कुछ ज्यादा है.

बंद हो जाने वाले संस्थानों के अलावा 134 ऐसे अतिरिक्त संस्थान हैं जिन्होंने इस वर्ष एआईसीटीई के अनुमोदन के लिए आवेदन ही नहीं किया. इन्हें भी प्रभावी रूप से बंद संस्थानों की ही श्रेणी में डाला जा सकता है.

इतनी बड़ी संख्या में संस्थानों के बंद होने के पीछे कोरोना वायरस महामारी का असर बताया जा रहा है. 24 मार्च को तालाबंदी लगने के बाद से सभी शिक्षण संस्थान बंद पड़े हुए हैं. कई परिवारों की कमाई में कमी आने की वजह से कई छात्रों को फीस देने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे संस्थानों की कमाई पर भी असर पड़ा है. संस्थानों को चालू रखने के लिए कई जगह तमाम टीचरों को या तो नौकरी से निकाल दिया गया है या मार्च से वेतन नहीं दिया गया है.

लेकिन जानकारों का कहना है कि अकेले महामारी ही इस समस्या का कारण नहीं है. इनमें से कई संस्थानों में पिछले कई सालों से कई सीटें रिक्त पड़ी हुई हैं. यहां तक कि आईआईटी जैसे जिन तकनीकी शिक्षा संस्थानों  में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच दाखिला लेना करोड़ों छात्रों के लिए एक सपना है उनमें भी अब सीटें रिक्त रहती हैं. 2018-19 सत्र में देश के 23 आईआईटी संस्थानों में 118 सीटें खाली रह गई थीं.

जानकारों का कहना है कि ये सब रोजगार और करियर के बदलते स्वरुप की वजह से छात्रों की कई कोर्सों में रुचि गिरने के कारण हो रहा है.और ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में हो रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल पूरे देश में 58 एमबीए स्कूल और कई फार्मेसी संस्थान भी बंद हुए हैं और पिछले कुछ सालों में और भी प्रबंधन संस्थान बंद हुए हैं. जानकारों का मानना है कि देश में उच्च शिक्षा की पूरी व्यवस्था की समीक्षा करने की आवश्यकता है, ताकि आज की जरूरतों के अनुरूप पर्याप्त संस्थान, उनमें छात्रों की रुचि वाले कोर्स और पर्याप्त सीटें सुनिश्चित की जा सकें.

जानकार कहते हैं कि निकट भविष्य में तो इस प्रक्रिया को ठीक से करना संभव नहीं लग रहा है क्योंकि महामारी की वजह से शिक्षा के क्षेत्र में कई तरह की अनिश्चितताएं आ गई हैं, लेकिन आगे चल कर नीति-निर्धारकों को इस पर विचार जरूर करना पड़ेगा.

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