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क्रांति की मशाल जलाने दौड़ पड़े अन्ना

१९ अगस्त २०११

भारत के प्रमुख समाज सेवी अन्ना हजारे दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठ गए हैं. तिहाड़ जेल से निकल कर हजारों लोगों के साथ अन्ना यहां पहुंचे. राजघाट पर बापू को किया नमन और बारिश हुई तो दौड़ पड़े मैदान की ओर.

तस्वीर: dapd

शुक्रवार सुबह दिल्ली की तिहाड़ जेल से अन्ना जब तय कार्यक्रम के मुताबिक बाहर आए तो वहां नारे लगाता लोगों का हुजूम उनके साथ चलने के लिए व्याकुल हो रहा था. तिरंगो से सजे खुले ट्रक पर चढ़ कर अन्ना ने हुंकार भरी और लोगों के साथ जयकार में अपनी आवाज भर कर उसे और बुलंद कर दिया. जेल से निकलने के बाद अन्ना ने लोगों से कहा, "हमें 1947 में ही आजादी मिल गई. 16 अगस्त से दूसरी आजादी का संघर्ष शुरू हुआ है. क्रांति शुरू हो चुकी है. भ्रष्टाचार के खिलाफ ये जंग जारी रहेगी चाहे मैं जिंदा रहूं या नहीं. स्वतंत्रता के 64 साल बाद भी हमें पूरी तरह से आजादी नहीं मिली है. ये तो बस शुरुआत है ये जंग बहुत आगे जाएगी." इसके साथ ही भीड़ ने एक अन्ना और भारत की जयकार की.

तस्वीर: AP

इसके बाद वहां से एक बड़ी रैली की शक्ल में कारवां राजघाट के लिए बढ़ निकला. दिल्ली में हो रही भारी बरसात भी मानो अन्ना का जलाभिषेक करने के लिए ही मचल पड़ी. बारिश के बावजूद लोगों की भारी भीड़ अन्ना के साथ चलने के लिए सड़कों पर उतरी है. लोग उन पर फूल बरसा रहे हैं और जगह जगह उनका अभिनंदन किसी हीरो की तरह किया गया. अन्ना जिस ट्रक पर सवार हैं उसे छू लेने भर के लिए लोगों में इतना उत्साह है कि वो उसकी तरफ दौड़ पड़ते और तब कारवां को रोकना पड़ जाता.

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दौड़ पड़े अन्ना

अन्ना सबसे पहले राजघाट पहुंचे और राष्ट्रपति महात्मा गांधी की समाधि पर पहुंच कर बापू को नमन किया. यहां अचानक बारिश की बौछारे तेज हुईं तो अन्ना दौड़ते हुए आगे बढ़े. 73 साल की इस दुबली पतली काया जिसने चार दिन से खाना भी नहीं खाया उसे दौड़ता देख जनता में उत्साह की एक नई लहर दौड़ पड़ी. अन्ना के साथ लोगों की भीड़ भी रामलीला मैदान की ओर पूरी तेजी से आगे बढ़ी. अन्ना रामलीला मैदान पहुंच गए हैं और 15 दिन का उनका अनशन शुरू हो गया है. रामलीला मैदान में एक मंच तैयार कर दिया गया है साथ ही यहां पांडाल और आंदोलन के दौरान लोगों की भारी आमदरफ्त को देखते हुए सुरक्षा के भी भारी व्यापक इंतजाम किए गए हैं. अन्ना के साथ उनके प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और किरण बेदी भी हैं.

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15 दिन से आगे बढ़ सकता है अनशन

अधिकारियों के साथ चली कई दौर की बातचीत के बाद आखिरकार उन्हें 15 दिन के अनशन की इजाजत मिली है. अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी और आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीलाल ने कहा है कि अन्ना अनशन का कार्यक्रम लंबा रखना चाहते है लेकिन कुछ कानूनी दिक्कतें है. दिल्ली पुलिस ने 21 दिनों का प्रस्ताव दिया था लेकिन दोनों पक्ष फिलहाल 15 दिन पर रजामंद हुए हैं. अरविंद केजरीवाल के मुताबिक सरकार का क्या रुख रहता है इस पर अन्ना के अनशन आंदोलन की लंबाई तय होगी. अन्ना ने इसी महीने की 16 तारीख से अनशन शुरू किया है. वह चाहते हैं कि सरकार जनलोकपाल बिल को स्वीकार करे और इसके दायरे में प्रधानमंत्री को लाया जाए. केजरीवाल ने बताया कि अन्ना की सेहत अच्छी है और चिंता की कोई बात नहीं है.

तस्वीर: dapd

अन्ना के साथ पूरा देश

अन्ना के आंदोलन ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है. मुंबई के डब्बेवाले इतिहास में पहली बार अन्ना का समर्थन करने के लिए शुक्रवार को हड़ताल पर गए हैं. अपनी पारंपरिक वेश में सफेद टोपी पहने डिब्बावालों का जत्था मुंबई के आजाद मैदान में जमा हुआ है और भारत माता की जयकार करने के साथ ही अन्ना के समर्थन में नारे लगा रहा है. इसके अलावा देश के अलग अलग हिस्सों में लोग आंदोलन के लिए सड़कों पर बाहर निकल रहे हैं और गिरफ्तारी दे रहे हैं. बिहार की राजधानी पटना में तो दो दिन पहले से ही लोग अनशन पर बैठ गए हैं. इतना ही नहीं लोगों अपना काम छोड़ कर अन्ना को समर्थन देने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं. 25 हजार लोगों की क्षमता वाले रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन को समर्थन देने के लिए छात्र, शिक्षक, डॉक्टर, दफ्तरों में काम करने वाले लोग और यहां तक नौकरी से रिटायर हो चुके लोगों का रेला उमड़ा चला आ रहा है.

20 दोस्तों के साथ आंदोलन में शामिल होने आए इंजीनियरिंग के छात्र दीपक नारंग कहते हैं, "हमें लगता है कि अब समय आ गया है कि युवाओं को इस बेकार हो चुके तंत्र के खिलाफ खड़ा होना है. कोई जादू की छड़ी नहीं है लेकिन अगर भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंका गया तो तब हम सही अर्थों में विकसित देश कहे जाएंगे." सेंकेंडरी स्कूल के शिक्षक रामप्रकाश आर्य ने जब अपने छात्रों से कहा कि वह रामलीला मैदान में आंदोलन के लिए जा रहे हैं तो उनके छात्र भी साथ निकल पड़े. रामप्रकाश कहते हैं, "पढ़ाई तो कभी भी हो सकती हैं पर देश की सेवा करने का मौका फिर नहीं मिलेगा." 38 साल के मुनीश खन्ना पेशे से डॉक्टर हैं, वह कहते हैं,"अपने गुस्से और निराशा को दूर करने का यही सबसे अच्छा तरीका है."

तस्वीर: dapd

अन्ना के इस आंदोलन को प्रमुख रूप से मध्यमवर्ग का जबर्दस्त समर्थन मिल रहा है हालांकि सिर्फ यही वर्ग उनके साथ है यह कहना बेमानी है क्योंकि आंदोलन के लिए मजदूर तबका भी उनके साथ आ रहा है. सड़कों और गलियों के अलावा एक बड़ा अभियान सोशल नेटवर्किंग साइटों पर भी चल रहा है जहां हर पल अन्ना की गतिविधि और आंदोलन के बारे में लोग एक दूसरे को संदेश भेज रहे हैं. एक बड़ी बात ये भी है कि राष्ट्रीय से लेकर क्षेत्रीय और स्थानीय मीडिया तक में इस वक्त केवल अन्ना और उनके आंदोलन की ही चर्चा है. ऐसी हवा बन रही है मानो आंदोलन की खबर न दिखाई तो फिर कहीं दूर पीछे छूट जाएंगे.

उलझन में सरकार

महज दो साल पहले दोबारा चुन कर सत्ता में आई यूपीए सरकार इस आंदोलन के रूप में अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रही है. लगातार घोटालों में फंसे उसके नेता और मंत्री उसके लिए सबसे परेशानी का सबब पहले ही बन चुके हैं और अब ऊपर से ये आंदोलन सरकार तय नहीं कर पा रही कि वह जाए तो किधर. अन्ना के खिलाफ सख्ती दिखाना उसे भारी पड़ा और लोगों के दबाव में उसे उनकी रिहाई का एलान करना पड़ा. सरकार के मंत्री अलग अलग मंचों पर सफाई देते घूम रहे हैं लेकिन बात कहीं बनती नहीं दिखती. मजबूरी में ही सरकार को अन्ना के अनशन का रास्ता साफ करना पड़ा है. हालांकि मनमोहन सिंह की सरकार अभी भी अपने रुख पर कायम है और उससे न पलटने की बात कह रही है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः आभा एम

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